देवों के देव महादेव को भोलेनाथ सिर्फ इसीलिए कहा जाता है क्योंकि वे सचमुच इतने भोले हैं कि जरा सी भक्ति से ही प्रसन्न हो जाते हैं। लेकिन ऐसी बहुत ही चीजें हैं जो दूसरे देवताओं की पूजा में तो इस्तेमाल होती हैं लेकिन भगवान शिव की पूजा में उनका इस्तेमाल वर्जित माना जाता है। आगे की तस्वीरों पर क्लिक करें और पढ़ें, भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए उनकी पूजा में किन वस्तुओं का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए-
- शंक से न चढ़ाएं जल: भगवान शिव ने शंखचूड़ नाम के असुर का वध किया था। शंख को उसी असुर का प्रतीक माना जाता है, जो भगवान विष्णु का भक्त था। इसलिए विष्णु भगवान की पूजा शंख से होती है, शिव की नहीं।
- न चढ़ाएं तुलसी का पत्ता: तुलसी को भगवान विष्णु ने पत्नी रूप में स्वीकार किया है। इसलिए तुलसी से शिव जी की पूजा नहीं होती।
- तिल या तिल से बनी कोई वस्तु न चढ़ाएं: यह भगवान विष्णु के मैल से उत्पन्न हुआ मान जाता है, इसलिए इसे भगवान शिव को नहीं अर्पित किया जाना चाहिए।
- कभी न चढ़ाएं टूटे हुए चावल: भगवान शिव को अक्षत यानी साबूत चावल अर्पित किए जाने के बारे में शास्त्रों में लिखा है। टूटा हुआ चावल अपूर्ण और अशुद्ध होता है, इसलिए यह शिव जी को नहीं चढ़ता।
- शिव को नहीं भाता कुमकुम: कुमकुम सौभाग्य का प्रतीक है, जबकि भगवान शिव वैरागी हैं, इसलिए शिव जी को कुमकुम नहीं चढ़ता।
- हल्दी और नारियल का पानी: हल्दी का संबंध भगवान विष्णु और सौभाग्य से है, इसलिए यह भगवान शिव को नहीं चढ़ता है और नारियल को मां लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है, इसलिए शिव जी को अर्पित नहीं की जाती।
- भोलेनाथ को लाल रंग के फूल नहीं चढ़ाए जाते। साथ ही केतकी और केवड़े के फूल चढ़ाना भी मना है। भगवान शिव को सफेद रंग के फूल चढ़ाने चाहिए। इससे वे जल्दी प्रसन्न होते हैं।
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