हिंदू पंचांग के दूसरे महीने का नाम वैशाख है। पुराणों के अनुसार, इस महीने में जल दान करने यानी प्यासों को पानी पिलाने से भगवान विष्णु, ब्रह्मा व शिव तीनों प्रसन्न हो जाते हैं। इस बार वैशाख मास का प्रारंभ 12 अप्रैल, बुधवार से हो रहा है, जो 10 मई, बुधवार तक रहेगा। इस महीने के बारे में धर्म ग्रंथों में लिखा है कि-
न माधवसमो मासों न कृतेन युगं समम्।
न च वेदसमं शास्त्रं न तीर्थं गंगया समम्।।
(स्कंदपुराण, वै. वै. मा. 2/1)
अर्थात वैशाख के समान कोई महीना नहीं है, सत्ययुग के समान कोई युग नहीं है, वेद के समान कोई शास्त्र नहीं है और गंगाजी के समान कोई तीर्थ नहीं है।
धर्म ग्रंथों के अनुसार स्वयं ब्रह्माजी ने वैशाख को सब मासों से उत्तम मास बताया है। भगवान विष्णु को प्रसन्न करने वाला इसके समान दूसरा कोई मास नहीं है। जो वैशाख मास में सूर्योदय से पहले स्नान करता है, उससे भगवान विष्णु विशेष स्नेह करते हैं। सभी दानों से जो पुण्य होता है और सब तीर्थों में जो फल मिलता है, उसी को मनुष्य वैशाख मास में केवल जलदान करके प्राप्त कर लेता है।
धर्म ग्रंथों के अनुसार, जो इस मास में जलदान नहीं कर सकता यदि वह दूसरों को जलदान का महत्व समझाए, तो भी उसे श्रेष्ठ फल प्राप्त होता है। जो मनुष्य इस मास में प्याऊ लगाता है, वह विष्णु लोक में स्थान पाता है। ऐसा भी कहा जाता है कि जिसने वैशाख मास में प्याऊ लगाकर थके-मांदे मनुष्यों को संतुष्ट किया है, उसने ब्रह्मा, विष्णु और शिव आदि देवताओं को संतुष्ट कर लिया।
वैशाख महीने में इस मंत्र से करें भगवान विष्णु की पूजा
हिंदू धर्म के अनुसार एक वर्ष में 12 महीने होते हैं। प्रत्येक महीने के स्वामी एक विशेष देवता माने गए हैं। उनके पूजन की विधि भी अलग-अलग बताई गई है। उसके अनुसार वैशाख मास के स्वामी भगवान मधुसूदन हैं। धर्म ग्रंथों के अनुसार सूर्यदेव के मेष राशि में आने पर भगवान मधुसूदन के निमित्त वैशाख मास स्नान का व्रत लेना चाहिए। स्नान के बाद भगवान मधुसूदन की पूजा करना चाहिए तत्पश्चात भगवान मधुसूदन से इस प्रकार प्रार्थना करनी चाहिए-
मधुसूदन देवेश वैशाखे मेषगे रवौ।
प्रात:स्नानं करिष्यामि निर्विघ्नं कुरु माधव।।
हे मधुसूदन। मैं मेष राशि में सूर्य के स्थित होने पर वैशाखमास में प्रात:स्नान करुंगा, आप इसे निर्विघ्न पूर्ण कीजिए तत्पश्चात इस मंत्र से अध्र्य दें-
वैशाखे मेषगे भानौ प्रात:स्नानपरायण:।
अध्र्यं तेहं प्रदास्यामि गृहाण मधुसूदन।।