22 अप्रैल को करें ये 1 काम आने लगेगी दिन-दूनी रात-चौगुनी लक्ष्मी

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एकादशी का दिन श्री हरि विष्णु को बहुत प्रिय है। इस दिन ऐसे शुभ कर्म करने चाहिए की भगवान प्रसन्न हों। 22 अप्रैल शनिवार को वरुथिनी एकादशी है। घर में लक्ष्मी को आमंत्रित करने और अशुभ शनि को बाहर करने के लिए विधि-विधान से हवन करें। इसके प्रभाव से शनिदेव का प्रकोप शांत होगा और महालक्ष्मी जी शीघ्र प्रसन्न हो जाएंगी। मां लक्ष्मी धन और शनि देव स्थायित्व के कारक माने गए हैं।  एकादशी और शनिवार के संयोग में किए गए कार्य शुभ और स्थायी फल प्रदान करेंगे। शनिदेव की प्रसन्नता व लक्ष्मी जी की कृपा प्राप्ति हेतु  22 अप्रैल को हवन जरूर करें।

शनि मंत्र और श्री यंत्र का अभिषेक पंचामृत से करें। हवन के लिए घर के आंगन में यज्ञ कुण्ड बनाएं अथवा किसी लोहे या तांबे के पात्र में आम की लकड़ियां, गोबर के कण्डे जलाकर तिल, शक्कर, घी, चावल मिलाकर 108 बार शनि महामंत्र और महालक्ष्मी मंत्र का उच्चारण करें और आहुति दें।

शनि महामंत्र

ऊँ नीलांजन समाभासं रवि पुत्रं यमाग्रजम्। छाया मार्तण्ड सम्भूतं तम् नमामि शनैश्चरम्।।

महालक्ष्मी मंत्र

ऊँ श्रीं ह्यीं कमले कमलालये प्रसीद श्रीं ह्यीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मये नम:।

हवन के उपरांत शनिदेव को उड़द, तिल, गुड़ से बने पकवान अग्नि में समर्पित करें।
लक्ष्मी जी को 33 बार खीर-पूड़ी की आहुति समर्पित करें।

फिर एक-एक करके सूखा नारियल महालक्ष्मी और शनि मंत्रों के साथ पूर्णाहुति के लिए अग्नि में डालें।

इस वेबसाइट में जो भी जानकारिया दी जा रही हैं, वो हमारे घरों में सदियों से अपनाये जाने वाले घरेल नुस्खे हैं जो हमारी दादी नानी या बड़े बुज़ुर्ग अक्सर ही इस्तेमाल किया करते थे, आज कल हम भाग दौड़ भरी ज़िंदगी में इन सब को भूल गए हैं और छोटी मोटी बीमारी के लिए बिना डॉक्टर की सलाह से तुरंत गोली खा कर अपने शरीर को खराब कर देते हैं। तो ये वेबसाइट बस उसी भूले बिसरे ज्ञान को आगे बढ़ाने के लक्षय से बनाई गयी है। आप कोई भी उपचार करने से पहले अपने डॉक्टर से या वैद से परामर्श ज़रूर कर ले। यहाँ पर हम दवाएं नहीं बता रहे, हम सिर्फ घरेलु नुस्खे बता रहे हैं। कई बार एक ही घरेलु नुस्खा दो व्यक्तियों के लिए अलग अलग परिणाम देता हैं। इसलिए अपनी प्रकृति को जानते हुए उसके बाद ही कोई प्रयोग करे। इसके लिए आप अपने वैद से या डॉक्टर से संपर्क ज़रूर करे।

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