हकलाने की समस्या आयुर्वेद से कैसे सही करे, जानिए

हकलाने या तुतलाने का रोग अधिकतर नाड़ियों में किसी प्रकार से दोष उत्पन्न होने के कारण होता है। यह रोग उन व्यक्तियों को भी हो जाता है जो एक हकलाने वाले व्यक्ति की नकल करते रहते हैं।

हकलाकर बोलना और अटक-अटक कर बोलना, दोनों का मतलब एक ही है – वाक् शक्ति में गड़बड़ी, जिसमे बोलनेवाला, बोले हुए शब्दों को दोहराता है या उन्हें लंबा करके बोलता है। हकलाने वाला या अटक कर बोलने वाला, बोलते-बोलते रुक सकता है या कुछेक शब्दांशों की कुछ आवाज़ ही नहीं निकाल पाता।

हकलाने और अटककर बोलने की बीमारी अधिकतर बच्चों में पाई जाती है और हकलाने वाले बच्चों के माता पिता को बच्चों की यह बीमारी असीमित परेशानी में डाल देती है, और बच्चों को निराशा से भर देती है और फिर, आजकल के मशीनी युग में बच्चों में यह बीमारी इतनी गहन भावनाएं पैदा करती है, कि विचारों और अनुभवों को शब्दों में परवर्तित करना मुश्किल हो जाता है।

हकलाने की समस्या से राहत पाने के लिए आप निचे दिए हुए असरदार आयुर्वेदिक घरेलु उपाय कर सकते हैं-

  • गुनगुने ब्राह्मी तेल से सिर पर 30 से 40 मिनट तक मालिश करें। उसके बाद गुनगुने पानी से नहा लें। इससे स्मरण शक्ति में सुधार होता है और अटककर और हकला कर बोलने का दोष मिट जाता है ।
  • सूर्य  की तरफ पीठ करके एक आइना पकड़कर और मुँह खोलकर ऐसी स्थिति  में बैठें ताकि सूर्य की रोशनी आईने से प्रतिम्बिबित होकर आपके खुले मुँह में प्रवेश करे। गहरी साँस लें और धीरे धीरे अपना मुँह खोलें, और आईने को अपनी जीभ पर प्रतिम्बिबित करें। जीभ आपके मुँह के निचले भाग की तरफ होनी चाहिए अगर आपने सही तरह से निर्देशों का पालन किया है। अपनी जीभ को ढीला छोड़ दें, उसे कभी भी कड़ा न करें, क्योंकि ऐसा करने से हकलाहट बनी रहेगी। स्पष्ट रूप से ‘क्या हो’ शब्द का बार बार उच्चारण करें। आपकी जीभ को सुचारू रूप से कार्यशील करने के लिए यह एक उत्तम उपाय माना जाता है।
  • रोगी व्यक्ति यदि प्रतिदिन 10 कालीमिर्च के दाने और बादाम की गिरी को पीसकर मिश्री में मिलाकर चाटे तो उसका तुतलाने तथा हकलाने का रोग ठीक हो जाता है।
  • सोयाबीन को दूध में डालकर उसमें शहद मिलाकर प्रतिदिन सेवन करने से स्नायु की सूजन ठीक हो जाती है। इससे हकलाने तथा तुतलाने का रोग बिल्कुल ठीक हो जाता है।
  • पानी में नमक डालकर प्रतिदिन स्नान करने से रोगी का तुतलाने तथा हकलाने का रोग दूर हो जाता है।
  • इस रोग से पीड़ित रोगी को गहरी नींद लेनी चाहिए तथा कम से कम 7-8 घंटे तक सोना चाहिए।
  • प्रतिदिन शुष्कघर्षण आसन करने तथा इसके बाद साधारण स्नान करने से हकलाने तथा तुतलाने का रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है।
  • इस रोग से पीड़ित रोगी को प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार कराते समय अपनी सभी मानसिक परेशानियों, भय, चिंता आदि को दूर कर देना चाहिए।
  • यदि रोगी व्यक्ति किसी कार्य को करते समय जल्दी थक जाता हो तो उसे वह कार्य नही करना चाहिए।
  • इस रोग से पीड़ित रोगी को झगड़ा-झंझट, वैवाहिक जीवन की असंगति, पारिवारिक क्लेश, आर्थिक कठिनाइयां, प्रेम सम्बन्धी निराशा, यौन सम्बन्धी कुसंयोजन तथा क्रोध, भय आदि मानसिक कारणों से दूर रहना चाहिए क्योंकि इन सभी कारणों से रोग की अवस्था और भी गम्भीर हो सकती है।
  • शहद में कालीमिर्च मिलाकर प्रतिदिन चाटने से हकलाना तथा तुतलाना ठीक हो जाता है।
  • इस रोग से पीड़ित रोगी को खाना खाने के बाद अपने मुंह में छोटी इलायची तथा लौंग रखनी चाहिए तथा जीभ को प्रतिदिन साफ करना चाहिए और यदि कब्ज की शिकायत हो तो उसे दूर करना चाहिए।
  • इस रोग से पीड़ित रोगी को रात के समय में शंख में पानी भरकर फिर सुबह के समय में उठकर उस पानी को प्रतिदिन पीने से यह रोग ठीक हो जाता है।
  • हकलाने तथा तुतलाने के रोग को ठीक करने के लिए रोगी व्यक्ति को एक कुर्सी पर लिटाकर शरीर को सीधा तथा ढीला छोड़ देना चाहिए। उसके बाद चेहरे की पेशियों को ढीली करके जबड़े को नीचे गिरने देना चाहिए। इस अवस्था में रोगी व्यक्ति को अपनी जीभ मुंह की तली से सटाकर रखनी चाहिए। इस व्यायाम को प्रतिदिन करने से यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।इस रोग को ठीक करने के लिए कई प्रकार के आसन हैं। इन आसनों के करने से हकलाना तथा तुतलाना ठीक हो जाता है। ये आसन इस प्रकार हैं- उष्ट्रासन, हलासन, मण्डूकासन, मत्स्यासन, सुप्तवज्रासन, जानुशीर्षासन, सिंहासन, धुनरासन तथा खेचरी मुद्रा आदि।
  • किसी भी ठीक व्यक्ति को हकलाने वाले व्यक्ति की नकल नहीं करनी चाहिए क्योंकि ऐसा करने से उसे भी हकलाने की आदत पड़ सकती है।
  •  एक चम्मच सारस्वत चूर्ण और 1/2  चम्मच ब्राह्मी किरुथम शहद में मिला दें। इस मिश्रण को चावल के गोलों में मिलाकर मुँह में रखकर अच्छी तरह से चबाने से हकलाहट में लाभ मिलता है। बेहतर होगा अगर आप इसका सेवन नाश्ते के रूप में चटनी  जैसा  करें।नाश्ते के बाद 30 मिलीलीटर सारस्वतारिष्ट लेने से हकलाहट में लाभ मिलेगा।
  • गाय का घी हकलाहट को दूर करने का एक उम्दा उपचार माना जाता है।
  • कुछ कोथमीर के बीज  और पाम कैंडी वल्लाराई के पत्तों में रखकर चबाने से हकलाहट दूर हो जाती है। वल्लाराई के पत्तों को धूप में सुखाकर पाउडर बना लें और इस पाउडर का नियमित रूप से सेवन करने से भी हकलाहट दूर हो जाती है।
  • नियमित रूप से एक आँवले का सेवन करने से हकलाहट कम होती है । सुबह सवेरे एक चम्मच सूखे आँवले का पाउडर और एक चम्मच देसी घी का सेवन करने से भी हकलाहट में लाभ मिलता है।
  • 12 बादाम पूरी रात पानी में सोख कर रखें, और सुबह उनके छिलके उतार कर पीस लें, और उन्हें 30 ग्राम मक्खन के साथ सेवन करने से भी हकलाहट में लाभ मिलता है।
  • हकलाहट दूर करने के लिए 10 बादाम और 10 काली मिर्च मिश्री के साथ पीस कर दस दिन तक सेवन करें।
  • सोने से पहले छुआरों का सेवन करें पर कम से कम 2 घंटों तक पानी न पीयें। इससे आवाज़ भी साफ़ हो जायेगी और हकलाहट भी दूर हो जायेगी।

अगर आपके बच्चे की हकलाने की आदत 6 महीने से ज़्यादा और 5  वर्ष की उम्र से ज़्यादा तक जारी रहती है तो तुरंत किसी विशेषज्ञ की सलाह लें।

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