दातुन के फायदे जानेंगे तो आप टूथपेस्ट को हाथ भी नहीं लगाएंगे

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दांतों को मजबूत बनाए रखने के लिए बाजारों में तरह-तरह के हर्बल, केमिकल टूथपेस्ट और पाउडर मौजूद हैं, ऐसे में लोग अब औषधीय गुणों से भरपूर नीम के दातुन या अन्य दातुन को नजरअंदाज करने लगे हैं। जो दांतों की सेहत के लिहाज से गलत है।

वैसे गांवों में लोग आज भी दांतों को साफ करने के लिए दातुन का इस्तेमाल करते हैं, पर शहरी आबादी में इसका नाम भी सुनने को नहीं मिल रहा।

आयुर्वेद में वर्णित दंतधावन विधि में अर्क, न्यग्रोध, खदिर, करज्ज, नीम, बबूल आदि पेड़ों की डंडी की दातुन करने के लिए कहा गया है। यह सभी दातुन कटु/तिक्त रस की होती हैं।

अब प्रश्न उठता है कि कटु या तिक्त रसों से प्रधान दातुन ही क्‍यों? दरअसल, मधुर, अम्ल, लवण रस कफ दोष की वृद्धि करते हैं, जबकि कटु, तिक्त, कसैला रस कफ दोष का नाश करते हैं।

धार्मिक दृष्टि से दातुन का महत्व

दातुन न केवल सेहत व बौद्घिक क्षमता के लिए बेहतर है बल्कि धर्म और अध्यात्म की दृष्टि से भी बेहतर माना जाता है। यही वजह है कि व्रत, त्यौहार वाले दिन बहुत से लोग ब्रश की बजाय दातुन से दांत साफ करते हैं। धार्मिक दृष्टि से दातुन का महत्व इसलिए भी माना जाता है, क्योंकि दातुन जूठा नहीं होता जबकि टुथब्रश हर दिन नया प्रयोग नहीं किया जा सकता है।

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आयुर्वेद और दातुन

आयुर्वेद में वर्णित दंतधावन विधि में अर्क, न्यग्रोध, खदिर, करज्ज, नीम, बबूल आदि पेड़ों की डंडी की दातुन करने की सलाह दी जाती है। दरअसल आयुर्वेद में मुख प्रदेश को कफ का आधिक्य स्थान कहा जाता है। ऐसे में सुबह का काल भी कफ प्रधान होता है व पूरी रात सोने के कारण मुह के अंदर कफ जमा हो जाता है। इसलिए शास्‍त्रों में कफ दोष का नाश करने वाले कटु, तिक्त एवं कसैला प्रधान रस वाली दातुन का प्रयोग करने को कहा जाता है।

टूथपेस्टों से बेहतर

आज-कल इस्तेमाल किये जाने वाल टूथपेस्टों में से काफी में नमक एवं अम्ल रस भी मिलाया जाता है। अम्ल या लवण रस दांतों को तो साफ कर देते हैं, लेकिन यह रस हमारे मसूड़ों को क्षति पहुंचा सकते हैं। जबकि दातुन में ऐसी कोई समस्या नहीं होती है।

दांत ही नहीं पेट के लिये भी लाभदायक

जब आप दातुन बनाने के लिए दांतों से टहनी को चबाते हैं तो उस समय बनने वाले रस को थूकने के बजाए निगल लें। इससे आंतों की सफाई होती है और रक्त भी साफ होता है, साथ ही त्वचा संबंधी रोग भी नहीं होते हैं।

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नीम

आयुर्वेद में बताया गया है कि नीम का दातुन केवल दांतों को ही स्वस्थ नहीं रखता, बल्कि इसे करने से पाचन क्रिया ठीक होती है और चेहरे पर भी निखार आता है। यही वजह है कि आज भी बहुत से पुराने लोग नियमित नीम की दातुन का ही इस्तेमाल करते हैं।

बबूल

आयुर्वेद में उल्लेख है कि दातुन न सिर्फ आपके दांतों को चमकाता है बल्कि आपकी बौद्घिक क्षमता और स्मरण शक्ति को भी बढ़ता है। मसूड़ों और दांतों की मजबूती के लिए बबूल के दातुन से दांत साफ करने चाहिये। ये दांतो और मसूड़ों दोनों को अच्छा रखता है।

बेर

आयुर्वेद के अनुसार बेर के दातुन से नियमित दांत साफ करने पर आवज साफ और मधुर होती है। इसलिए जो लोग वाणी से संबंधित क्षेत्रों में रुची रखते हैं या इस क्षेत्र से जुड़े हैं, उन्हें बेर के दातुन का नियमित इस्तेमाल करना चाहिए।

कैसे करें दातुन

दातुन को ऊपर के दांतों में ऊपर से नीचे की ओर और नीचे के दांतों में नीचे से ऊपर की ओर करा चाहिये। इससे मसूड़े मजबूत होंगे और पायरिया की समस्या भी नहीं होगी। नीम की दातुन नेचुरल माउथफ्रेशनर का भी काम करती है और इसे करने से मुंह से दुर्गंध नहीं आती। दातुन को आप सुबह पांच मिनट से लेकर 15 मिनट तक किया जा सकता है।

बवासीर का आयुर्वेदिक इलाज

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बवासीर या हैमरॉइड यह सबसे आम बीमारियोँ मेँ से एक है यह बीमारी आमतौर पर 30 वर्ष से ज्यादा उम्र वाले लोगो को अधिकतर होती है। इसकी मुख्य वजह गलत खान पान व अनियमित दिनचर्या है। बवासीर मेँ होने वाला दर्द असहनीय होता है यह पीड़ा सहन से परे होती है। बवासीर मैँ दर्द मलाशय मे सूजन की वजह से होता है हम आपको बता दे बवासीर भी दो तरह की होती है एक अंदरुनी और दूसरी बहारी। और अंदरुनी बवासीर मे नसो की सूजन दिखाई नही देती। परंतु जब की बहारी बवासीर मे नसो की सूजन आराम से दिखाई देती है। यह बीमारी स्त्रियों की अपेक्षा पुरुषों में कुछ ज्यादा होती है।बवासीर बीमारी को पहचानना बहुत ही आसान है टॉयलेट करते वक्त मलाशय मे जलन होना,रक्त बहना या खुजली होना सबसे प्रमुख लक्षण है।

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प्रमुख कारण

बवासीर का प्रमुख कारण पेट की खराबी व पाचन तन्त्र का कमजोर होना है। इसके अतिरिक्त कारण निम्न हैं ;

  • लम्बे समय तक कब्ज रहना
  • मलत्याग के समय जोर लगाना
  • टॉयलेट में काफी देर तक बैठना
  • हेरिडिटि (वन्शानुगत कारण)
  • अतिसार (दस्त)

परंतु आप आयुर्वेदिक औषधियोँ को अपना कर बवासीर से छुटकारा पा सकते है….

नींबू

एक या दो नींबू का रस निकाल लेँ और फिर उसको अनिमा के द्वारा गुदा मे ले। ऐसा 2-3 बार करे। और यह क्रिया 4-5 दिन मे एक बार अवश्य करे। यह दर्द मेँ भी फायदेमंद होगा और बवासीर को खत्म करने मे मददगार साबित होगा।

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जामुन

जामुन की गुठली और आम की गुठली के अंदर का भाग सुखाकर इसको मिलाकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को एक चम्मच की मात्रा में हल्के गर्म पानी या छाछ के साथ सेवन करने से खूनी बवासीर में लाभ होता है।

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जीरा

करीब एक या दो लीटर मट्ठा लेकर उसमे 50 ग्राम जीरा मिला दे। और अपने स्वाद के अनुसार नमक भी मिला ले। यह एक बेहतरीन स्वादिष्ट पेय तैयार हो जाएगा। और इस को आप पानी की जगह दिन मेँ चार या पांच बार पिये। इस पेय को एक हफ्ते तक पीने बवासीर के मस्से ठीक हो जाएंगे।

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किशमिश

रात को 100 ग्राम किशमिश पानी में भिगों दें और इसे सुबह के समय में इसे उसी पानी में इसे मसल दें। इस पानी को रोजाना सेवन करने से कुछ ही दिनों में बवासीर रोग ठीक हो जाता है।

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इसबगोल भूसी

इसबगोल भूसी का प्रयोग करने से से अनियमित और कड़े मल से राहत मिलती है। इससे कुछ हद तक पेट भी साफ रहता है और मस्‍सा ज्‍यादा दर्द भी नही करता।

इसबगोल भूसी के नुकसान

जी हां, ईसबगोल के फायदे ही नहीं, कुछ साइड इफेट्स भी होते हैं। इसलिए उसके इस्तेमाल से पहले आपको उनकी जानकारी होनी चाहिए। आइये जानें इसको खाने से आपको कौन से तीन नुकसान होने का डर होता है।

1)  मिनरल्स के अवशोषण में दिक्कत पैदा करे

एक अध्ययन में ये पाया गया कि 25 ग्राम ईसबगोल भूसी खाने से जिंक, कॉपर और मैग्नीज़ जैसे मिनरल्स का शरीर में अवशोषण मुश्किल हो जाता है। इसकी वजह से शरीर में मिनरल्स का स्तर घट जाता है। ज़िंक इम्यूनिटी के लिए, मैग्नीज़ हड्डियों के लिए और कॉपर लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण के लिए महत्वपूर्ण होता है।

2)  दवाओं का असर कम करे

ईसबगोल की वजह से शरीर में दवाओं का अवशोषण भी बाधित हो सकता है। दरअसल, ईसबगोल दवाओं की सिर्फ ऊपरी सतह को अवशोषित करने देता है जिससे कि वो रक्त में मिल नहीं पाती। इसकी वजह से दवा का पूरा असर नहीं होता। ऐसा ऐस्प्रिन के लिए दावा किया जाता है लेकिन ऐसा माना जाता है कि ईसबगोल की वजह से दूसरी दवाओं के असर में भी कमी आती है। हालांकि इस बात का फिलहाल कोई पुख्ता सुबूत नहीं है।

3)  पेट में मरोड़ उठना

ईसबगोल में फाइबर काफी मात्रा में होता है इसलिए इसे उन लोगों को खाने की सलाह दी जाती है जिन्हें कब्ज़ की शिकायत होती है। लेकिन बहुत अधिक फाइबर खा लेने से गैस का रास्ता प्रभावित होता है, जिससे कि मरोड़ उठने लगते हैं और पेट में दर्द होता है।

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बड़ी इलायची

बड़ी इलायची भी बवासीर को दूर करने का बहुत ही अच्‍छा उपचार है। इसे सेवन करने के लिए लगभग 50 ग्राम बड़ी इलायची को तवे पर रखकर भूनते हुए जला लीजिए। ठंडी होने के बाद इस इलायची को पीस लीजिए। रोज सुबह इस चूर्ण को पानी के साथ खाली पेट लेने से बवासीर ठीक हो जाता है।

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अन्‍य उपाय

चौथाई चम्मच दालचीनी चूर्ण एक चम्मच शहद में मिलाकर प्रतिदिन एक बार लेना चाहिए। इससे बवासीर नष्ट हो जाती है। हरड या बाल हरड का प्रतिदिन सेवन करने से आराम मिलता है। अर्श (बवासीर) पर अरंडी का तेल लगाने से फायदा होता है। साथ ही नीम का तेल मस्सों पर लगाइए और इस तेल की 4-5 बूंद रोज पीने से बवासीर में लाभ होता है। आराम पहुंचानेवाली क्रीम, मरहम, वगैरह का प्रयोग आपको पीड़ा और खुजली से आराम दिला सकते हैं।

बचाव के उपाय

  • भोजन सम्बन्धी आदतों में बदलाव – रेशेदार सब्जियों, सलाद व फलों का नित्य सेवन करें, तेज मिर्च, मसालों का प्रयोग ना करें। पानी ४-६ लीटर प्रतिदिन पियें। चाय, कॉफी का कम प्रयोग करें। इससे पेट ठीक रहेगा व कब्ज नहीं होगी।
  • मलत्याग के समय ज्यादा जोर ना लगायें।
  • यदि कब्ज हो तो रात में दूध के साथ मुनक्का व १-२ चम्मच इसबगोल की भूसी लें।
  • यदि कोई समस्या हो तो किसी क्वालीफाईड आयुर्वेद फिजीशियन या क्षारसूत्र विशेषज्ञ से मिलकर सलाह अवश्य लें।
  • आयुर्वेदिक चिकित्साः बवासीर की शुरुआती अवस्था में जब केवल रक्तस्राव होता है तो क्वालीफाईड आयुर्वेद फिजीशियन की सलाह से आयुर्वेदिक औषधियों के प्रयोग द्वारा काफी आराम मिल सकता है तथा बीमारी को आगे बढ्ने से रोका जा सकता है। जब बीमारी ज्यादा बढ जाती है तो क्षारसूत्र चिकित्सा से मस्सों को निकाल दिया जाता है। इससे बीमारी से स्थायी रूप से छुटकारा मिल जाता है। यह विधि सर्जरी की अन्य विधियों की अपेक्षा आसान व अधिक कारगर है।

उल्टी या जी मचलना रोकने के घरेलु उपचार

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उल्टियाँ होने के एहसास को मतली के नाम से जाना जाता है, लेकिन यह उल्टियाँ आने से पहले का एहसास होता है, कारण नहीं।आमाषय की मांसपेशी के आक्षेपिक संकुचन से भोजन पदार्थ और तरल पदार्थ का वेग से मुख मार्ग से निकलना उल्टी कहलाता है। उल्टी होने के कई कारण हो सकते हैं।

गर्भवती स्त्री कोई भी उपाय करने से पहले आयुर्वेद चिकित्सक की सलाह जरूर ले |

उल्टी / वोमिट के कारण

  • भूख से ज्यादा खाना खा लेना
  • शराब ज्यादा पी लेना
  • फ़ूड पोइसोनिंग
  • पेट ख़राब होना
  • तनाव
  • गर्भावस्था
  • किसी ऐसी चीज को सूंघ लेना जिससे आपको एलर्जी हो
  • बस या कार में सफ़र के दौरान
  • खाली पेट रहना
  • किसी बीमारी की वजह से
  • पेट में कीडे होने और खांसी

उल्टी रोकने के घरेलु उपाय –

गर्भवती स्त्री के लिए

  1. गर्भवती स्त्री सुबह गुन गुने पानी में नींबू का रस मिलाकर पीये तो उल्टी में लाभ मिलता है।
  2. आलू बुखारा मुहं में चूसने से उल्टी मे लाभ होता है। सूखा आलू बुखारा चूसने से गर्भवती की उल्टी  में आशातीत लाभ होता है।

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शहद और पानी

एक कप पानी में १० ग्राम शहद मिलाकर पीने से उल्टी रूक जाती है।

तुलसी और शहद

तुलसी के रस में शहद मिलकर सेवन करने से वमन बंद होती है।

हींग और पानी

हींग को थोडे से पानी में घोलकर पेट पर मालिश करने से उल्टी में राहत मिल जाती है।

चावल का पानी

अगर आपको गैस की वजह से वोमिट हो रही है तो यह नुस्खा बहुत फायदेमंद है| इसके लिए आप सफ़ेद चावल लें ना की ब्राउन| सफ़ेद चावल में स्टार्च अधिक होता है जो जल्दी पच जाता है|

  • 1 कटोरी चावल को 2-3 कटोरी पानी के साथ उबालें|
  • पक जाने पर इसका पानी अलग कर लें|
  • अब इस पानी में हल्का नमक डाल कर पी लें| बहुत जल्द आराम मिलेगा|

लौंग

लौंग ऐसी चीज है, जिसे खाने से हमारा पाचन आराम से हो जाता है एवं पेट भी सही रहता है| ये पेट को आराम देता व एसिडीटी जैसी परेशानी नहीं होती है| लौंग फ़ूड पोइसोनिंग में भी बहुत मददगार होता है|

2-3 लौंग को मुहं में डाल चबाते रहें| इसके अलावा आप इसकी चाय बनाकर भी पी सकते है| उल्टी नहीं होगी|

इसके अलावा आप लौंग को तवे पर थोडा सेंक लें, इसे हल्का दरदरा कर शहद में डाल खा लें| वोमिट बहुत जल्द बंद हो जाएगी|

पुदीना

अगर आपका पेट ख़राब है और वोमिट हो रही है तो पुदीना इसे झट से दूर कर देगा| ये आपको रिफ्रेश भी कर देगा|

  • 1 कप उबलते पानी में 1 चम्मच सूखे पुदीने की पत्ती डालें| 5-10 min रहने दें फिर छान कर पी लें| तुरंत आराम मिलेगा|
  • पुदीने की ताज़ी पत्तियों को लेकर चबाएं|
  • पुदीने का रस, नीम्बू का रस व शहद को बराबर मात्रा में मिलाकर रखें| अब इसे दिन में 2-3 बार पियें|

प्याज का रस

प्याज में एंटीबायोटिक प्रॉपर्टीज होती है जो वोमिट को रोकता है|

  • 1 चम्मच प्याज के रस में 1 चम्मच किसा हुआ अदरक मिलाएं| थोड़ी थोड़ी देर इस मिश्रण को लेते रहें, उलटी नहीं होगी|
  • इसके अलावा ½ कप प्याज के रस में 2 चम्मच शहद मिलाएं| थोड़ी थोड़ी देर में 1 चम्मच इस मिश्रण को पियें| आराम मिलेगा|

दालचीनी

अगर पेट का पाचनतंत्र ख़राब है तो दालचीनी बहुत आराम देगा, इसे लेने से वोमिट जैसा फील भी नहीं होगा|

  • 1 कप उबलते पानी में 1 चम्मच दालचीनी पाउडर डालें, अगर आपके पास इसका पाउडर नहीं है, तो आप स्टिक भी डाल सकती है|
  • थोड़ी देर इसे रहने दें फिर छान लें|
  • अब इस पानी में थोड़ी सी शहद डाल पी लें|

टिप – अगर कोई औरत गर्भवती है तो उसे दालचीनी का तरीका नहीं अपनाना चाहिए|

जीरा 

सौंफ की तरह जीरा भी बहुत कारागार है| यह पाचन से जुडी हर तकलीफ को झट से दूर कर देता है|

  • ½ कप गुनगुने पानी में ½ चम्मच जीरा पाउडर डालें और पी लें|
  • इसके अलावा 1 चम्मच शहद में जीरा व इलायची पाउडर मिलाकर खाएं| वोमिट से तुरंत आराम मिलेगा|

विनेगर

विनेगर भी वोमिट रोकने में सहायक होता है, इसे लेने से वोमिट जैसा महसूस भी नहीं होता है|

  • 1 गिलास पानी में 1 चम्मच एप्पल विनेगर व 1 चम्मच शहद डाल दिन भर थोडा थोडा पीते रहें|
  • उल्टीकी दुर्गन्ध से और वोमिट होती है इसके लिए अपने मुंह को विनेगर और पानी मिलाकर उससे कुल्ला करें|

सौंफ

सौंफ हमारे पाचन को सही रखता है इसमें भी एंटीबायोटिक प्रॉपर्टीज होती है जो वोमिट को रोकती है|

  • 1 कप उबलते पानी में 1 चम्मच पीसी हुई सौंफ मिलाएं, इसे 10 min तक रखे रहने दें, फिर छान कर दिन में 2 बार पियें|
  • इसके अलावा आप सौंफ को ऐसे ही मुहं में डालकर चबाएं| उलटी नहीं होगी|

नमक शक्कर का घोल

लगातार उलटी होने से हमारे शरीर में पानी की कमी हो जाती है, और फिर ज्यादा उलटी होने लगती है| ऐसें समय में आप आसानी से घर में उपलब्ध चुटकी भर नमक व 1 चम्मच शक्कर को पानी में घोल कर पी लें, इसे दिन में कई बार थोड़ा थोड़ा लें| बहुत जल्द आराम मिलेगा|

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अन्य उपाय

  • नींबू का टुकड़ा काले नमक के साथ अपने मुंह में रखने से आपको उल्टी का एहसास नहीं होगा।अगर आपने मदिरापान किया है और आप नहीं चाहते कि आपको उल्टी आये, तो सादी पाव-रोटी खाएं। पाव-रोटी आपकी पाचन क्रिया को संभालती है और आपके द्वारा सेवन की हुई मदिरा को आसानी से सोख लेती है।
  • 1 ग्राम हरड का चूर्ण शहद के साथ चटाने से भी उल्टियाँ रोकने में मदद मिलती है। एक और असरदार उपचार है कि आप अपनी उंगलियाँ धोकर एक ही बार अपने गले में घुसाकर पेट में जमा हुए पदार्थों को उल्टी के ज़रिये  बाहर निकाल दें, ताकि उल्टी अंदर जमा न रहने पाए।

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क्या करें और क्या न करें

1 वोमिट जैसा महसूस होने पर, एक एक घूँट पानी पीते रहें|
2 बहुत हल्का एवं कम तेल मसाले वाला भोजन लें, एवं धीरे धीरे खाएं|
3 गुलुकोस, एलेक्ट्रोल जैसी चीज पीते रहें|
4 जितना हो सके आराम करें|
5 तेज सुगन्धित वाली जगह में ना बैठे, इससे जी और ज्यादा मचलाता है|
6 खाने के तुरंत बाद ना सोयें|
7 खाने के तुरंत बाद ब्रश ना करें, इससे वोमिट होने के सबसे ज्यादा चांस होते है|
  • उल्टियाँ होने से 12 घंटो बाद तक ठोस आहार का सेवन न करें, पर अपने आपको जालित रखने के लिए (यानि निर्जलीकरण से बचाने के लिए)  भरपूर  मात्रा में पानी और फलों के रस का सेवन करते रहें।जब भी पानी पियें तो सादा पानी ही पियें। बाज़ार में उपलब्ध कार्बन युक्त शीत पेयों का सेवन बिलकुल भी न करें  क्योंकि यह आपकी आँतों और उदर की जलन को बढ़ाते हैं।
  • रोगी को मूंग के दाल की खिचडी दही के साथ खिलानी चाहिये।
  • तैलीय, मसालेदार, भारी और मुश्किल से पचने वाले खान पान का सेवन न करें क्योंकि ऐसे खाद्य पदार्थ मरीज में उल्टियों का निर्माण करते हैं एवं उसे बढ़ावा देते हैं। खान खाने के फ़ौरन बाद न सोयें। जब भी सोयें तो अपनी दाहिनी बाज़ू पर सोयें। इससे आपके पेट के पदार्थ मुंह तक नहीं आ सकेंगे।

ये वोमिट रोकने के कुछ ऐसें तरीके है जिन्हें आप घर पर आसानी से इस्तेमाल कर सकते है, इसे उपयोग करने से आपको कोई नुकसान भी नहीं होगा| आपको अब से जब भी उल्टी की परेशानी हो आप ये इलाज कर सकते है|

पेचिस की समस्या घरेलू नुस्‍खों से कैसे ख़त्म करें , जानिए

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जब पेचिस या आंव आने का रोग किसी व्यक्ति को हो जाता है तो उसे घबराना नहीं चाहिए, बल्कि इसका इलाज सही तरीके से करना चाहिए।जब मल त्याग करते समय या उससे कुछ समय पहले अंतड़ियों में दर्द, टीस या ऐंठन की शिकायत हो तो समझ लेना चाहिए कि यह पेचिश का रोग है| इस रोग में पेट में विकारों के कारण अंतड़ी के नीचे की तरफ कुछ सूजन आ जाती है| उस हालत में मल के साथ आंव या खून आने लगता है| यदि मरोड़ के साथ खून भी आए तो इसे रक्तातिसार कहते हैं| एक प्रकार का जीवाणु आंतों में चला जाता है जो पेचिश की बीमारी पैदा कर देता है| यह रोग पेट में विभिन्न दोषों के कुपित होने की वजह से हो जाता है|

खूनी पेचिश में मट्ठे के साथ एक चुटकी जावित्री लेने से भी काफी लाभ होता है|

कारण

यह रोग मक्खियों से फैलता है| रोग के जीवाणु रोगी के मल में मौजूद रहते हैं| जब कभी पेचिश का रोगी खुल में मल त्याग करता है तो उस पर मक्खियां आकर बैठ जाती हैं| वे उन जीवाणुओं को अपने साथ ले जाती हैं और खुली हुई खाने-पीने की चीजों पर छोड़ देती हैं| फिर जो व्यक्ति उन वस्तुओं को खाता है, उनके साथ वे जीवाणु उसके पेट में चले जाते हैं| इस तरह उस व्यक्ति को भी पेचिश की बीमारी हो जाती है| यदि कच्चा और कम पचा भोजन भी पेट में कुछ समय तक पड़ा रहता है तो वह सड़कर पाचन संस्थान में घाव पैदा कर देता है| इससे भी आंव का रोग हो जाता है|

पहचान

शुरू में नाभि के पास तथा अंतड़ियों में दर्द होता है| लगता है, जैसे कोई चाकू से आंतों को काट रहा है| इसके बाद गुदा द्वार से पतला, लेसदार और दुर्गंधयुक्त मल बाहर निकलना शुरू हो जाता है| पेट हर समय तना रहता है| बार-बार पाखाना आता है| मल बहुत थोड़ी मात्रा में निकलता है जिसमें आंव और खून मिला होता है| कभी-कभी बुखार भी आ जाता है|

जब आंव आने का रोग किसी व्यक्ति को हो जाता है तो इसके कारण व्यक्ति के मल के साथ एक प्रकार का गाढ़ा तेलीय पदार्थ निकलता है। आंव रोग से पीड़ित मनुष्य को भूख भी नहीं लगती है। रोगी को हर वक्त आलस्य, काम में मन न लगना, मन बुझा-बुझा रहना तथा अपने आप में साहस की कमी महसूस होती है।

आइये आपको बताते है पेचिश ठीक करने के घरेलू नुस्खे-

केस्टर ऑयल का कमाल

केस्‍टर ऑयल लुब्रिकेंट और सौम्‍य रेचक के रूप में काम कर विषाक्‍त पदार्थों का तेजी से निष्कासन करने में मदद करता है। इस तरह मल त्‍याग के दौरान रोगी के तनाव को कम करने के लिए मिश्रण के रूप में केस्‍टर ऑयल की छोटी खुराक दी जाती है।

अनार का छिलके भी है मददगार

250 मिलीलीटर दूध में 50 ग्राम अनार के छिलकों को तब तक उबाले जब तक वह एक तिहाई न हो जाये। फिर रोगी को तीन बराबर मात्रा में पीने के लिए दें। यह मिश्रण पेचिश से अच्‍छी तरह राहत प्रदान करता है।

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सेंधा नमक के साथ छाछ

छाछ के ए‍क गिलास में चुटकी भर सेंधा नमक, भुना हुआ जीरा पाउडर और काली मिर्च का पाउडर मिलाकर दिन में दो बार पीना, पेचिश का एक बहुत अच्‍छा इलाज है।

कालीमिर्च

चार-पांच कालीमिर्च मुख में रखकर चूसें| थोड़ी देर बाद आधा गिलास गुनगुना पानी पी लें|

बबूल का गोंद

एक कप गरम पानी में 10 ग्राम बबूल का गोंद डाल दें| थोड़ी देर बाद जब बबूल फूल जाए तो पानी में मथकर सेवन करें|

काली गाजर

पुरानी पेचिश में तीन-चार दिन तक काली गाजर का रस सुबह-शाम भोजन के बाद सेवन करें|

अनारदाना , सौंफ तथा धनिया

इन तीनों को 100-100 ग्राम की मात्र में कूट-पीसकर चूर्ण बना लें| फिर इसमें थोड़ी-सी मिश्री मिलाकर दिनभर में चारनीम की सात-आठ कोंपलें मिश्री के साथ सेवन करें|

अजवायन, सूखा पूदीना और बड़ी इलायची

अजवायन, सूखा पूदीना और बड़ी इलायची 10-10 ग्राम लेकर चूर्ण बना लें| भोजन के बाद आधा चम्मच चूर्ण पानी के साथ सेवन करें|

अदरक का रस

पुराने आंव को ठीक करने के लिए प्रतिदिन सुबह बिना कुछ खाए-पिए दो चम्मच अदरक का रस जरा-सा सेंधा नमक डालकर सेवन करें|

छोटी हरड़

छोटी हरड़ का चूर्ण घी में तल लें| फिर वह चूर्ण एक चुटकी और 4 ग्राम सौंफ का चूर्ण मिलाकर दें|

सोंठ का चूर्ण

पुरानी पेचिश में आधा चम्मच सोंठ का चूर्ण गुनगुने पानी के साथ लें|

नीबू की शिकंजी या दही

पेचिश रोग में नीबू की शिकंजी या दही के साथ जरा-सी मेथी का चूर्ण बहुत लाभदयक है|

पेचिश के लिए बेल फल

बेल का फल पेचिश के लिए एक प्रभावी उपचार है। आप इसके गूदे को एक दिन में दो बार पानी के साथ लें। या पेचिश को दूर करने के लिए आप इस फल के गूदे में गुड़ को मिलाकर दिन में 3 बार उपभोग कर सकते हैं। इसके अलावा पुरानी पेचिश के लिए बेल फल के गूदे में सूखी अदरक और  को समान मात्रा में मिश्रित करके पीना एक प्रभावी इलाज है।

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छाछ या संतरे का रस

संतरे का रस और पानी पेचिश को रोकने का एक अच्छा विकल्प है। आप विकल्प के रूप में छाछ भी पी सकते हैं। यह पेट में पेट के लिए अनुकूल बैक्टीरिया विकसित करने में मदद करता है। वैकल्पिक रूप से, आप भी दही भी खा सकते है। छाछ और दही दोनों में अच्छे बैक्टीरिया होते हैं। जो पेट में एसिटिक एसिड का उत्‍पादन कर हानिकारक बैक्टीरिया को नष्‍ट करते हैं।

परहेज- 

बासी भोजन, मिर्च-मसालेदार पदार्थ, देर से पचने वाली चीजें, चना, मटर आदि का सेवन न करें| वायु बनाने वाले पदार्थ खाने से भी पेचिश में आराम नहीं मिलता| अत: बेसन, मेदा, आलू, गोभी, टमाटर, बैंगन, भिण्डी, करेला, टिण्डे आदि नहीं खाना चाहिए| रोगी को भूख लगने पर मट्ठे के साथ मूंग की दाल की खिचड़ी दें| पानी में नीबू निचोड़कर दिनभर में चार गिलास पानी पिएं| इससे पेचिश के कारण होने वाली पेट की खुश्की दूर होती रहेगी| भोजन के साथ पतला दही, छाछ, मट्ठा आदि अवश्य लें| सुबह-शाम खुली हवा में टहलें| स्नान करने से पहले सरसों या तिली के तेल की शरीर में मालिश अवश्य करें| रात को सोते समय दूध के साथ ईसबगोल की भूसी एक चम्मच की मात्रा में लेने से सुबह सारा आंव निकल जाता है|

आंव रोग से पीड़ित व्यक्ति का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार-

  1. इस रोग से पीड़ित व्यक्ति को कुछ दिनों तक रसाहार पोषक तत्वों (सफेद पेठे का पानी, खीरे का रस, लौकी का रस, नींबू का पानी, संतरा का रस, अनानास का रस, मठ्ठा तथा नारियल पानी) का अपने भोजन में उपयोग करना चाहिए।
  2. आंव रोग से पीड़ित रोगी को नारियल का पानी और चावल का पानी पिलाना काफी फायदेमंद होता है।
  3. रोगी के पेट पर सप्ताह में 1 बार मिट्टी की गीली पट्टी करनी चाहिए  तथा सप्ताह में 1 बार उपवास भी रखना चाहिए।
  4. इस रोग से पीड़ित रोगी को पानी अधिक मात्रा में पीना चाहिए ताकि शरीर में पानी का कमी न हों क्योंकि शरीर में पानी की कमी के कारण कमजोरी आ जाती है।
  5. आंव रोग से पीड़ित रोगी को घबराना नहीं चाहिए। रोगी को अपना उपचार करने के साथ-साथ गर्म पानी में दही एवं थोड़ा नमक डालकर सेवन करना चाहिए।
  6. इस रोग से पीड़ित रोगी को प्रतिदिन सुबह तथा शाम को मट्ठा पीना चाहिए। इस प्रकार से रोगी का इलाज प्राकृतिक चिकित्सा से करने से आंव रोग ठीक हो सकता है।
  7. यदि रोगी का जी मिचला रहा हो तो उसे हल्का गर्म पानी पीकर उल्टी कर देनी चाहिए ताकि उसका पेट साफ हो जाए।
  8. इसके अलावा इस रोग का उपचार करने के लिए रोगी व्यक्ति को एनिमा क्रिया करनी चाहिए ताकि उसका पेट साफ हो सके।

गुनगुने पानी में शहद और नींबू डालकर पीने के अनोखे फायदे

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इस बात से हम सभी वाकिफ हैं कि सुबह एक गिलास गुनगुने पानी में नींबू का रस और शहद मिलाकर पीना स्‍वास्‍थ्‍य के लिए अच्‍छा होता है। शहद को गर्म पानी के साथ लेने से वजन कम होता है। और इसके नियमित सेवन से सेहत से जुड़ी कई समस्याओं से हमेशा के लिए निजात मिल सकती है। हम आपके लिए लेकर आए हैं गुनगुने पानी के साथ शहद का सेवन करने के फायदों के बारे में।

वजन घटाने में मददगार

शहद और नींबू के साथ गर्म पानी लेने से भूख कम लगती है। शहद और नींबू के साथ गर्म पानी में बड़ी मात्रा में फाइबर मौजूद होता है, जो भूख की इच्छा और शूगर लेवल को कम करके पर्याप्त एनर्जी प्रदान करता है। इस‍ तरह से नियमित रूप से सुबह इसका सेवन करने से दिन भर में आपके द्वारा लिए गए भोजन की मात्रा कम हो जाएगी। अपने दिन की शुरुआत गुनगुने पानी के साथ शहद और नींबू के साथ करने से आपका वजन काफी हद तक कम हो जाएगा।

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साफ़ और स्वच्छ त्वचा प्रदान करता है

यह मिश्रण त्वचा के लिए बहुत लाभदायक होता है। यह रक्त को शुद्ध करने में मदद करता है और नई रक्त कोशिकाओं को  बनाने में मदद करता है। साथ ही कोलेज़न के उत्पादन में भी सहायक होता है। इन सब गुणों के कारण इस मिश्रण को पीने से त्वचा में अलग ही निखार आ जाता है।

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पोषक तत्वों और विटामिन से भरपूर

शहद और नींबू के गर्म पानी में कई जरूरी एंटी-आक्सीडेंट, विटामिन और पोषक तत्व पाए जाते हैं, इसके अलावा इसमें एंटी इफ्लेमेंटरी गुण भी मौजूद होते है। इसलिए इसके सेवन से शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है। साथ ही यह वजन कम करने में सहायक होती हैं।

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तुरन्त ऊर्जा मिलती है और मनोस्थिति में भी सुधार आता है

अगर आप थका हुआ महसूस कर रहे हैं तो इस मिश्रण को पीने से आप में तुरन्त ऊर्जा का संचार होने लगेगा और आप ताजा और ऊर्जायुक्त महसूस करेंगे। पानी मस्तिष्क में रक्त के प्रवाह को ठीक करने में मदद करता है। पेट में जो नेगटिव चार्ज्ड एन्जाइम्स होते हैं नींबू उन्हें सक्रिय करके पॉज़िटिव्ली चार्ज्ड एन्जाइम्स से लड़कर उन्हें खत्म करने में मदद करता हैं और खाना को हजम करवाने में मदद करता है। वैसे नींबू का महक ताजगी भी प्रदान करता है।

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रोग प्रतिरोधी क्षमता में मजबूती

शहद का सेवन शरीर के लिए काफी फायदेमंद है इसीलिए डॉक्टर हमेशा इसके सेवन की सलाह देते हैं। शहद के साथ नींबू और गुनगुने पानी के नियमित सेवन शरीर की प्रतिरोधी क्षमता बढ़ती है। शहद और नींबू में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स और कई पोषक तत्व शरीर को मौसम बदलने के साथ होने वाले संक्रमणों से दूर रखने में मदद रखता हैं।

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मौखिक स्वास्थ्य को उन्नत करता है

नींबू का क्षारिय गुण जब शहद और पानी के साथ मिलता है तब मुँह से बदबू निकलने के बीमारी से राहत दिलाने में मदद करता है। सुबह-सुबह इस मिश्रण को पीने से मुँह के जीवाणुओं को नष्ट करने में मदद करने के साथ-साथ जीभ के ऊपर जो सफ़ेद रंग का परत पड़ता है उस परत को भी साफ़ करने में मदद करता है। इससे मुँह से बदबू नहीं निकलता है।

लसीका प्रणाली की सफाई में मददगार

लसीका प्रणाली में पानी और आवश्यक तरल पदार्थ की कमी हो जाती है जिससे आपको सुस्त और थका हुआ महसूस होना, कब्ज, सोने में परेशानी, उच्च या निम्न रक्तचाप, तनाव और मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य पर असर पड़ता है। सुबह-सुबह इस मिश्रण को पीने से लसीका प्रणाली को हाइड्रेट होने में मदद मिलती है जिससे न केवल सभी उपरोक्त लक्षणों बल्कि प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार होता है।

यह मूत्र पथ को साफ़ करने में मदद करता है

वैसे तो शहद में एन्टीबैक्टिरीयल गुण होता है जिसके कारण वह कई प्रकार के इन्फेक्शन से लड़ने में शरीर को मदद करता है। जब शहद को नींबू और पानी से साथ मिलाया जाता है तब यह मूत्र पथ को साफ़ रखने में मदद करता है। जिन महिलाओं को मूत्र पथ के संक्रमण की बीमारी होती है उनके लिए यह मिश्रण भगवान के प्रसाद स्वरूप होता है।

कब्‍ज दूर करें

यह मिश्रण कब्‍ज के लिए तत्‍काल उपाय है। यह आंत को प्रोत्‍साहित कर मल त्‍यागने में मदद करता है। इसके अलावा यह आंत्र म्‍यूकस में बढ़ावा देता है, पेट को हाइड्रेट करता है और सूखे मल को पानी में भिगो देता है। इन सब की एक साथ मौजूदगी से मल त्‍यागने में मदद करता है।

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पाचन सुधारे

अच्छे पाचन के लिए सुबह गर्म पानी में शहद और नींबू मिलाकर पीना चाहिए। यह पेट को साफ करने में मदद करता है। यह लीवर में रस के उत्‍पादन को बढ़ाता है जिससे पाचन में मदद मिलती है। नींबू में मौजूद एसिड आपके पाचन तंत्र में मदद करता है और अवांछित विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। इसके अलावा शहद एक एंटीबैक्‍टीरियल के रूप में कार्य करता है और आपके शरीर में मौजूद किसी भी तरह के संक्रमण को दूर करने में मदद करता है।

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इस मिश्रण को पीने का नियम और बनाने की विधि

इस मिश्रण को साधारणतः आप ब्रश करने के बाद ही पीना पसंद करेंगे मगर बिना ब्रश किए इसको पीने की सलाह दी जाती है।

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विधि:

एक गिलास गुनगुना गर्म पानी लें, उसमें आधा नींबू का रस और एक छोटा चम्मच शहद डालकर अच्छी तरह से मिला लें। इस मिश्रण को बनाने के बाद तुरन्त पी लें। इसको पीने के एक घंटा के बाद ही चाय या कॉफी पीयें।

मधुमेह रोगी के लिए हर रोज एक चम्मच शहद का सेवन ही फायदेमंद है, शहद का अधिक मात्रा में सेवन फायदे की बजाए नुक्सान कर सकता है ।

शुद्ध शहद की पहचान

• शहद की कुछ बूंदे पानी में डालें। यदि यह बूंदे पानी में बनी रहती है तो शहद असली है और शहद की बूंदे पानी में मिल जाती है तो शहद में मिलावट है। रूई की बत्ती बनाकर शहद में भिगोकर जलाएं यदि बत्ती जलती रहे तो शहद शुद्ध है।
• एक ज़िंदा मक्खी पकड़कर शहद में डालें। उसके ऊपर शहद डालकर मक्खी को दबा दें। शहद असली होने पर मक्खी शहद में से अपने आप ही निकल आयेगी और उड़ जायेगी। मक्खी के पंखों पर शहद नहीं चिपकता।
• कपड़े पर शहद डालें और फिर पौंछे असली शहद कपडे़ पर नहीं लगता है।
• कागज पर शहद डालने से नीचे निशान नहीं आता है।
• शुद्ध शहद को कुत्ता नहीं खाता।
• शुद्ध शहद में खुशबू रहती है। वह सर्दी में जम जाता है तथा गरमी में पिघल जाता है।

मुलेठी के फायदे जानकर आप दंग रह जायेगे

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मुलेठी सबसे आसानी से मिलने वाली आयुर्वेदिक औषधि है। इसका इस्तेमाल आयुर्वेद में श्वसन और पाचन रोग की दवाओं में सबसे ज्यादा किया जाता है। अगर आपको गैस की बीमारी लंबे समय से सता रही है, खांसी काफी दिनों से परेशान कर रही हो, तो मुलेठी से कारगर कोई दवा नहीं होगी।

शोधों से पता चला है कि पेट की अल्सर के घाव को भरने में भी मुलेठी काफी असरदार है। दरअसल मुलेठी एक सूखी लकड़ी की तरह दिखती है। असल में मुलेठी के पौधे के तने का प्रयोग औषधि के रुप में किया जाता है। मुलेठी को ढूंढने के लिए आपको किसी हर्बल स्टोर को खोजने की कोई जरुरत नहीं है। आप इसे आसानी से किराने की दुकान से भी खरीद सकते है। अब बाज़ार में मुलेठी पाउडर भी मिलते हैं।

स्वाद में मीठी जड़ों वाली मुलेठी में अपनी खास औषधीय गुणों के कारण अब हर घर में दवा के रुप में ली जाने लगी है। इसका उल्लेख अथर्ववेद से लेकर चरक संहिता तक में है। विदेशी चीनी चिकित्सा प्रणाली में भी मुलेठी को एक विशेष स्थान दिया गया है।

मुलेठी का सेवन काफी आसान है। जब भी आपको खांसी हो बस इसके एक टुकड़े को अपने मुंह में डाल लें और दांतों से हलके से इसे दबाते हुए इसके रस को चूसें। अगर आपकी खांसी सूखी है तो इसका सेवन शहद के साथ करें। इसके अलावा आप इसे गर्म पानी के एक कप में भिगो दें। कुछ देर भिगोने के बाद मुलेठी को पानी से बाहर निकाल लें और कप के पानी को दुबारा गर्म कर उसे धीरे धीरे पीएं।

आप इसे चाय में डाल कर भी पी सकते हैं। इसे अदरक, तुलसी के रस और शहद के साथ पीस कर बने पेस्ट के रुप में भी सेवन कर सकते हैं। इसमें कैल्शियम, ग्लूकोज और आइरन की काफी मात्रा पाई जाती है।

आइये जाने मुलेठी के फायदे इन हिंदी – Mulethi ke fayde in hindi

खांसी में लाभदायक

मुलेठी को काली-मिर्च के साथ खाने से कफ ढीला होता है। सूखी खांसी आने पर मुलेठी खाने से फायदा होता है। इससे खांसी तथा गले की सूजन ठीक होती है।

गले में खराश

गले में खराश के लिए भी मुलेठी का प्रयोग किया जाता है।

फोड़े हो जाने पर

फोड़े होने पर मुलेठी का लेप लगाने से जल्दी ठीक हो जाते है।

दिल के रोग से बचाए

लगभग ४ ग्रा. मुलेठी का चूर्ण घी या शहद के साथ लेने से ह्रदय रोगों में लाभ होता है।

मुंह के छालों से राहत

इसके चूर्ण को मुंह के छालों पर लगाने से आराम मिलता है।

मुलेठी महिलाओं के लिए बहुत फायदेमंद है

मुलेठी का एक ग्राम चूर्ण नियमित सेवन करने से स्त्रियां, अपनी सुंदरता को लंबे समय तक बनाये रख सकती हैं।

खून बढाए

इसके आधा ग्राम रोजाना सेवन से खून में वृद्धि होती है।

जल जाने पर

जलने पर मुलेठी और चन्दन के लेप से शीतलता मिलती है.

मासिक संबंधी रोग में

जिन महिलाओं को मासिक संबंधी परेशानी होती हो वे 1 महीने तक आधा चम्मच मुलेठी के चूर्ण को शहद के साथ मिलाकर सुबह और शाम चाटने से इस समस्या में लाभ देगा।

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पेट का घाव भरने के लिये

मुलेठी की जड़ पेट के घावों को समाप्‍त करती है, इससे पेट के घाव जल्‍दी भर जाते हैं। पेट के घाव होने पर मुलेठी की जड़ का चूर्ण इस्‍तेमाल करना चाहिए।

पेट के अल्‍सर के लिए फायदेमंद है

इससे न केवल गैस्ट्रिक अल्सर वरन छोटी आंत के प्रारम्भिक भाग ड्यूओडनल अल्सर में भी पूरी तरह से फायदा करती है। जब मुलेठी का चूर्ण ड्यूओडनल अल्सर के अपच, हाइपर एसिडिटी आदि पर लाभदायक प्रभाव डालता है। साथ ही अल्सर के घावों को भी तेजी से भरता है।

टीबी रोग में फायदेमंद

मुलेठी आंतों की टीबी के लिए भी फायदेमंद है।

आंखों की रोशनी बढ़ाए

मुलेठी के चूर्ण से आँखों की शक्ति भी बढ़ती है सुबह तीन या चार ग्राम खाना चाहिये।

खून की उल्टियां में फायदेमंद

खून की उल्टियां होने पर दूध के साथ मुलेठी का चूर्ण लेने से फायदा होता है। खूनी उल्‍टी होने पर मधु के साथ भी इसे लिया जा सकता है।

ताकत बढ़ाए

रोज़ ६ ग्रा. मुलेठी चूर्ण , ३० मि.ली. दूध के साथ पिने से शरीर में ताकत आती है।

पित्‍त दूर करे

यह ठंडी प्रकृति की होती है और पित्त का नाश करती है।

अगर लो ब्लड प्रेशर है तो करें ये घरेलु उपाय, तुरंत फायदा होगा

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लो ब्‍लड प्रेशर में ब्‍लड प्रेशर 90 से भी कम हो जाता है।

शरीर को स्‍वस्‍थ रखने के लिए दिल का स्‍वस्‍थ होना बहुत जरूरी है। लेकिन वर्तमान में अनियमित खानपान और अस्‍वस्‍थ दिनचर्या के कारण उच्‍च रक्‍तचाप और निम्‍म रक्‍तचाप की समस्‍या बढ़ रही है। जब किसी के शरीर में रक्त-प्रवाह सामान्य से कम हो जाता है तो उसे लो ब्लड प्रेशर कहते हैं। सामान्‍यतया ब्लड प्रेशर 120/80 होता है। यदि ब्‍लड प्रेशर 90 से कम हो जाए तो उसे लो ब्लड प्रेशर कहते हैं। इसे अगर गंभीरता से न लिया जाये तो इसका असर शरीर के दूसरे अंगों पर पड़ता है। ऐसे में शरीर में ब्लड का दबाव कम होने से आवश्यक अंगों तक पूरा ब्लड नही पहुंच पाता जिससे उनके कार्यो में बाधा पहुंचती है। ऐसे में दिल, किडनी, फेफड़े और दिमाग आंशिक रूप से या पूरी तरह से काम करना भी बंद कर सकते हैं।

लो ब्‍लड प्रेशर की समस्‍या होने पर तुरंत ये काम करें।

लेमन जूस पियें

लेमन जूस उच्च रक्तचाप में काफी फायदेमंद होता है लेकिन ये निम्‍न रक्तचाप में भी फायदेमंद होता है। जब डीहाइड्रेशन की समस्‍या हो तो यह बहुत ही उपयोगी है। कई बार लेमन जूस में हल्का सा नमक और चीनी डालकर पिया जा सकता है। इससे शरीर को एनर्जी मिलेगी। साथ ही लीवर भी सही से काम करता है।

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नमक का पानी

नमक का पानी लो ब्‍लड प्रेशर के लिए बड़े काम का है। इससे ब्लड प्रेशर सामान्य हो जाता है। नमक में सोडियम मौजूद होता है और यह ब्‍लड प्रेशर बढ़ाता है। ध्यान रहें, नमक की मात्रा इतनी भी ना दें कि इससे स्वास्‍थ्य पर बुरा असर पड़े। बहुत ज्यादा मात्रा में नमक सेहत के लिए फायदेमंद नहीं माना जाता। कम ब्लड प्रेशर में एक गिलास पानी में डेढ़ चम्मच नमक मिलाकर पी सकते हैं।

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फायदेमंद है किशमिश

किशमिश को पारंपरिक आयुर्वेदिक दवा के रूप में देखा जाता है। लो ब्‍लड प्रेशर होने पर किशमिश खाना बहुत फायदेमंद होता है। रात में 30 से 40 किशमिश भिगो दें और सुबह खाली पेट इसका सेवन करें। जिस पानी में किशमिश भिगोई थी आप उस पानी को भी पी सकते हैं। महीने में आप ऐसा एक बार कर सकते हैं। इसके अलावा एक गिलास दूध में 4-5 बादाम, 15-20 मूंगफली और 10 से 15 किशमिश भी मिलाकर ले सकते हैं।

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कैफीन का सेवन करें

कॉफी भी बड़े काम की है। ब्‍लड प्रेशर कम होने पर स्ट्रांग कॉफी, हॉट चॉकलेट, कोला और कैफीन युक्त खाद्य पदार्थ का सेवन करने से रक्तचाप सामान्‍य हो जाता है। यदि आपको अक्सर निम्न रक्तचाप रहता है तो आपको रोजाना सुबह एक कप कॉफी पीना चाहिए। लेकिन यह भी ध्‍यान रखें कि इसके साथ कुछ न कुछ जरूर खायें। कैफीन का सेवन ज्यादा न करें।

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गुणकारी है तुलसी

तुलसी कम होते ब्‍लड प्रेशर को सामान्य करने में मददगार साबित होती है। इसमें विटामिन सी, पोटैशियम, मैग्नीशियम जैसे कई तत्व पाए जाते हैं जो दिमाग को संतुलित करते हैं और तनाव को भी दूर करते हैं। जूस में 10 से 15 प‌त्तियां डाल दें। एक चम्मच शहद डाल दें और रोजाना खाली पेट इसका सेवन करें।

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हेल्‍दी खानपान और हेल्‍दी लाइफस्‍टाइल अपनाने से भी लो ब्लड प्रेशर की समस्‍या नहीं होती है।

पेट के अल्सर से बचने के घरेलु उपाय, जानिए

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हमारा पेट बीमारियो का घर है। पेट की आतों में से कई प्रकार के द्रव्य निकलते है जो भोजन को पचाने में सहायक है। जब यह द्रव्य ज्यादा मात्र में स्त्राव होता है, तब यह पेट व आंत की कोमल झिल्ली को जला देता है व घाव कर देता है। जब घाव पेट में हो, उसे गैस्ट्रिक अल्सर या पेप्टिक अल्सर कहते है।

पेप्टिक अल्सर के लिए घरेलू उपचार-

लहसुन

लहसुन पेट के अल्सर में बेहद लाभकारी है। उपचार के लिए दो से तीन लहसुन की कलियों को कुचलकर, पानी के साथ खाएं।

पोहा

पोहा अल्सर के उपचार में बेहद फायदेमंद है। पोहा और सौंफ को बराबर मात्रा में मिलाकर पाउडर बना लें। इस पाउडर की 20 ग्राम मात्रा को 2 लीटर पानी में घोलकर रख दीजिए। दोपहर से रात तक इस पानी को पूरा खत्म करें। अल्सर से राहत मिलेगी।

पत्ता गोभी और गाजर

पत्ता गोभी में लेक्टिक एसिड होता है जिससे एमीनो एसिड बनता है जो पेट में रक्त का प्रवाह बढ़ाता है। इसके साथ ही पत्ता गोभी में विटामिन सी भी उच्च मात्रा में होता है। पत्ता गोभी और गाजर को बराबर मात्रा में मिलाकर जूस तैयार करें और सुबह शाम एक-एक कप पीएं।

केला

केला में एंटीबैक्टीरियल तत्व पाए जाते हैं। केला खाने से एसिडिटी से भी राहत मिलती है। कच्चा और पका दोनों ही तरह का केला खाने से अल्सर रोगियों को बेहद आराम मिलता है। कच्चे केले की सब्जी बनाकर उसमें एक चुटकी हींग मिलाकर खाएं।

शहद

कच्चा शहद भी पेट के अल्सर में बेहद लाभकारी है। शहद में ग्लूकोज पैरॉक्साइड पाया जाता है, जो पेट में मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया को खत्म कर देता है। इसके साथ ही शहद के सेवन से पेट की जलन से भी आराम मिलता है।

सहजन

सहजन की फली भी स्वास्थ्य के लिहाज से बेहद फायदेमंद है। इसमें एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं जो रोगों से लड़ने में सहायक होते हैं। सहजन की फली को पीसकर, दही के साथ मिलाकर खाने से अल्सर रोग में आराम मिलता है।

नारियल

नारियल में एंटीबैक्टीरियल गुण पाये जाते हैं, जो कि अल्सर पैदा करने वाले बैक्टीरिया को मार देते हैं। नारियल के दूध और पानी में भी एंटी- अल्सर गुण पाये जाते हैं। अल्सर के उपचार के लिए रोजाना नारियल पानी पीएं। नारियल के तेल का सेवन भी अल्सर से बचाता है।

बादाम

अल्सर रोगियों को बादाम पीसकर, खाने से लाभ होता है। बादाम को पीसकर उसका दूध जैसा बनाकर पीएं।

बेलफल

पेट के अल्सर में बेलफल और उसकी पत्तियों का सेवन भी बेहद लाभदायक है। पत्तियों में मौजूद टेनिन्स पेट को, किसी भी तरह के नुकसान से बचाता है। बेलफल का रस भी पेट की जलन और दर्द को दूर कर, अल्सर से बचाता है।

गाय का दूध

हल्दी में एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं, गाय के दूध में हल्दी मिलाकर पीने से भी अल्सर रोगियों को लाभ मिलता है।

अम्लीय खाद्य-पदार्थ

पेट के अल्सर के मरीज का पाचन तंत्र अच्छे से काम नहीं करता है, इसके कारण इसमें एसिड प्रवेश करने लगता है जिसकी वजह से अक्सर पेट में जलन, दर्द आदि की शिकायत बढ़ जाती है। खट्टे फल जैसे टमाटर, संतरा, टमाटर का रस, अनन्नास, जेली और जैम जैसे अम्लीय खाद्य पदार्थों से दूर रहना चाहिए।

मसालों का प्रयोग

पेट का अल्‍सर होने पर खाने में गर्म मसालों का प्रयोग कम कर दीजिए। गर्म मसाले की तीव्रता पेट के अल्सर को जल्दी ठीक होने नहीं देते, बल्कि ये अल्सर की समस्या को और भी बढ़ाते हैं। इसलिए जब तक अल्सर पूरी तरह से ठीक न हो जाए, गर्म मसाले से परहेज करें। हरी मिर्च या लाल मिर्च का सेवन भी बंद कर दीजिए।

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कैफीन का सेवन न करें

कैफीन के सेवन से पेट के अल्सर की समस्या बढ़ती है। कैफीन चाय, कॉफी, चॉकलेट, कोला, शीतल पेय के अलावा अन्य कार्बोनेटेड खाद्य पदार्थों में पाया जाता है। इसलिए पेट का अल्सर होने पर इनसे दूर रहें। क्योंकि कैफीन युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करने से पेट में एसिड अधिक बनता है जिसके कारण समस्या हो सकती है। पेट में अम्ल बढ़ने के कारण पेट का घाव उत्तेजित होता है और पेट दर्द या अन्य तकलीफें बढ़ जाती हैं।

मीट न खायें

पेट का अल्सर होने पर मांस का सेवन करने से बचना चहिए। मांस में प्रोटीन, एसिड अधिक मात्रा में होते हैं। इसे पचाने के लिए पाचन तन्त्र को मशक्कत करनी पड़ती है, जिसके कारण काफी मात्रा में अम्ल का स्त्राव होता है। इसकी वजह से पेट में तकलीफ और बढ़ती है। इसलिए इस समय मांस का सेवन करने से बचना चाहिए।

खाली पेट न रहें

पेट के अल्सर की शिकायत होने पर खाली पेट नहीं रहना चाहिए, 2-3 घंटे के अंतराल पर कुछ न कुछ खाते रहें। खाली पेट रहने से पेट में एसिड बनता है जो अल्सर का दुश्‍मन है और अल्‍सर को बढ़ाता है। इसलिए खाली पेट रहने की बजाय कुछ न कुछ खाते रहें।

शराब और धूम्रपान

पेट का अल्सर होने पर शराब और धूम्रपान का सेवन करने से बचना चाहिए। शराब का सेवन करने से पेट में एसिड बन सकता है जिसके कारण पेट का दर्द बढ़ जाता है। इसलिए इस दौरान शराब का सेवन बिलकुल न करें।

लगातार छींक आने के घरेलू उपचार

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वैसे तो दो या तीन छींक आना सामान्‍य है, लेकिन अगर आपको एक साथ कई छींके, रोजाना और इतनी आती है कि आप परेशान हो जाते हैं तो आपको इस ओर ध्यान देने की जरूरत है।

छींकना भले ही आपको परेशान करता हो लेकिन वास्तव में यह कई तरह की एलर्जी से बचाने की प्राकृतिक प्रक्रिया है। छींकने की प्रक्रिया एक सुरक्षा तंत्र की तरह काम करती है क्योंकि इससे शरीर में मौजूद कई हानिकारक एलर्जेंस बाहर निकल जाते हैं। छींक आने के कई कारण हो सकते हैं जैसे- धुआं, धूल-मिट्टी, सब्जी का तेज छौंक या किसी चीज की तेज गंध। इसके अलावा ठंड के मौसम में, नमी या तापमान में गिरावट, किसी खाने से एलर्जी या किसी दवा से रिएक्शन से भी एलर्जी होती है। हालांकि दो या तीन छींक आना सामान्य है, लेकिन अगर आपको एक साथ कई छींके, रोजाना और इतनी आती है कि आप परेशान हो जाते हैं तो आपको इस ओर ध्यान देने की जरूरत है। छींकने की समस्या से निजात दिलाने के लिए हम आपको कुछ घरेलू उपाय बताने जा रहे हैं जिससे आपको छींकने से राहत मिलेगी।

काली मिर्च

छींक को रोकने में आप काली मिर्च का भी प्रयोग कर सकते हैं। गुनगुने पानी में आधा चम्मच काली मिर्च डालकर यह मिश्रण दिन में दो से तीन बार पीएं। काली मिर्च का पाउडर डालकर गरारे भी किए जा सकते हैं। इससे आप बैक्टीरिया से छुटकारा पा सकत हैं। इसके अलावा सूप और सलाद आदि में भी काली मिर्च डालकर इस्तेमाल कर सकते है।

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कैमोमाइल चाय

एलर्जी की समस्या के कारण होने वाली छींक की समस्या को भगाने के लिये कैमोमाइल चाय बहुत अच्‍छे से काम करती है। अपने एंटीहिस्टामाइन गुण के कारण यह छींक की समस्या को दूर करने में मदद करती है। समस्‍या होने पर उबलते हुये पानी में, एक चम्मच कैमोमाइल के सूखे फूल को मिलाकर कुछ देर तक उबलनें दें और फिर इसमें एक चम्मच गाढ़ा शहद मिला दें। इसके बाद पानी निकालकर दिन में दो बार इसे पियें।

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अदरक

छींकने और विभिन्न तरह के वायरल और नाक की अन्य समस्याओं को रोकने के लिये अदरक पीढ़ियों से प्रयोग की जाने वाली प्रभावी दवा है। एक कप पानी में थोडा़ सा अदरक डालकर उबालें। इसे गुनगुना रहने पर शहद मिलकार पीएं। इसके अलावा कच्चा अदरक या अदरक की चाय भी पी जा सकती है।

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सौंफ की चाय

छींकने से राहत देने के साथ ही अदरक कई सांस संबंधी संक्रमण से लड़ने की क्षमता रखती है। सौंफ में भी कई एंटीबायोटिक और एंटीवायरल गुण होते हैं। समस्‍या होने पर एक कप पानी में दो चम्मच सौंफ को कुचलकर उबालें। तकरीबन दस मिनट पानी को कवर करके रख दें और उसके बाद छानकर इस चाय को दिन में दो बार पीएं।

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पेपरमिंट ऑयल

छींक की समस्‍या से बचने के लिए पेपरमिंट ऑयल बहुत ही बढि़या उपाय है। पेपरमिंट ऑयल में एंटी-बैक्‍टीरियल गुण मौजूद होते है। समस्‍या होने पर किसी बड़े बर्तन में पानी को उबालकर उसमें पेपरमिंट तेल की 5 बूंदें डालें। एक तौलिये से सिर को ढक कर इस पानी की भाप लें। इस उपाय से आपको छींक आने से राहत मिलेगी।peppermint-oil

बालों को तेजी से लम्बा करने के घरेलू उपाय

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हर कोई चाहता है की उसके बाल काले, लंबे और घने हो । अच्छे बाल आपकी पर्सनैल्टी को निखारते हैं । बाल हमारी शरीर की सुंदरता को बढ़ाने में मदद करते हैं । इसलिए अपने बालों को स्वस्थ, मुलायम और चमकदार बनाने के लिए उन्हें भरपूर पोषण देना बहुत जरूरी होता हैं।

मार्किट में ढ़ेर सारे प्रोडक्ट हमारे बालों की देखभाल के लिए मिल जाते हैं लेकिन यह मंहगे होने के साथ-साथ उनमें केमिकल होते हैं जो की बालों को नुक्सान पहुंचा सकते हैं । जिनसे हमारे बाल झड़ने के कारण पतले हो जाते हैं। आप प्याज़ के प्रयोग से बालों को झड़ने से पतला होने से सकते हैं ।  प्याज़ का रस बालों सारी समस्याओं को दूर करता हैं और बालों को  पोषण देता  हैं । प्याज़ बालों को झड़ने से बचाने के साथ-साथ उन्हें भूरे होने से भी बचाता हैं । प्याज़ के रस में कई सामग्रियों को  मिलाकर अपने बालों में लगा सकते हैं । प्याज़ के रस से सिर पर मालिश करते हैं तो इससे रक्त परिसंचरण में सुधार होता हैं । प्याज के रस में सिर पर संक्रमण को रोकने वाला  बैक्टीरियल गुण होता हैं इसके साथ और भी कई घरेलू उपचार है जो बालों को पतला होने से रोकते हैं ।

 बालों को जल्दी से बढ़ाने के लिए घरेलू उपाय-

आंवला

बालों के लिए आंवले बहुत लाभदायक होते हैं । आंवले में कैरोटिनायड जैसे पोषक तत्वों की मौजूदगी के कारण बालों को बढ़ने में मदद मिलती हैं। अगर आपके बाल काले नहीं है तो आंवला और रीठा का पाउडर मिक्स करके लगाएं, बाल काले हो जाएंगे। आंवला के जूस को सप्‍ताह में एक बार बालों में लगाने से बाल तेजी से बढ़ने लगते हैं।

आलू

आलू को सबने देखा भी है होगा और खाया भी होगा । आलू खाने के साथ-साथ बालों को तेजी से बढ़ाने में भी मदद करता हैं । नहाने से पहले स्कैल्प पर आलू का रस लगाकर, 20 मिनट बाद धो लें। आलू में पाया जाने वाला विटामिन आपके बालों को लंबा और मजबूत बनाने में मदद करता हैं।

खीरा

खीरे में सिलिकन और सल्फर की मात्रा अधिक होने के कारण इसके इस्‍तेमाल से बाल तेजी से बढ़ने लगते हैं। इसके लिए खीरे के रस से अपने बालों को धोएं या फिर खीरा, गाजर और पालक सबको मिक्स करके इनका रस पीने से बाल बढ़ते हैं।

मेथी

सबसे पहले आप मेथी के बीजों का चूर्ण बना लें। फिर उसमें थोड़ा सा पानी मिलाकर इसका पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को सिर पर आधे घंटे तक लगाकर रखें और फिर धो दें ।  ऐसा करने से बाल तेजी से बढ़ने लगते हैं और बालों से रूसी की समस्या भी खत्म हो जाती हैं।

बालों को हर्ब्स से धोएं

मेंहदी, नीम और ग्रीन टी समेत ऐसे कई हर्ब्स हैं जिसे बालों पर लगाने से बाल घने और लंबे होते हैं। मेंहदी इसमें सबसे ज्यादा असरदार है, क्योंकि यह बालों की जड़ों यानि स्कैल्प को पोषण देता है। इससे बालों में चमक आती है।

ग्रीन टी में पाए जाने वाले तत्व पॉलीफेनोल्स बालों के बढ़ने में अहम भूमिका निभाते हैं। ध्यान रहे कि इन हर्ब्स का लेप बालों में शैंपू और कंडीशनिंग करने के बाद लगाएं। हर्बल टी पीने से भी बाल लंबे होते हैं।

बाल को नीचे की ओर झुकाएं

बालों को लंबा करने के लिए यह सबसे पॉपुलर ट्रिक है। आमतौर पर लड़कियां और बाल धोने के बाद बाल सुखाने के लिए बालों को नीचे करती है। दो से पांच मिनट तक सर झुका कर बालों को नीचे झुकाने से बालों के बढ़ने की गति तेज होती है। ऐसा माना जाता है कि ऐसा करने से बालों के जड़ से रक्त संचरण बढ़ते हुए बालों की शिराओं तक पहुंचती है। नतीजा बालों की लंबाई बढ़ती है।

एलोवेरा और शहद

एलोवेरा और शहद बालों के लिए वरदान हैं । एलोवेरा में विटामिन, सेलेनियम और दूसरे कई प्रकार के पौष्टिक तत्व बालों को डैंड्रफ से छुटकारा दिलाते हैं । जिससे बाल स्वस्थ, मजबूत और लंबे होते हैं। आप एलोवेरा जैल और शहद को बराबर मात्रा में मिलाकर, एक पेस्ट बना लें। फिर इस पेस्ट को अपने बालों में 30 मिनट के लिए लगाकर रखें और बाद में इसे पानी से अच्छी तरह से धो लें।

बालों में तेल लगाएं

अगर बाल बढाना है तो उसमें तेल लगाना होगा। बालों में तकरीबन 1 घंटे के लिये तेल लगा रहने दें जिससे बालों की जड़ तेल को पूरी तरह से सोख ले। सिर पर हल्के गरम तेल से मालिश करें और गरम पानी में डुबोई हुई तौलिये से सिर ढंक कर भाप लें।

बादाम का तेल

जल्दी बाल बढाने के लिये कोई भी तेल कारगर नहीं होता। इसके लिये सबसे अच्‍छा तेल बादाम का होता है। बादाम के तेल में विटामिन इ भारी मात्रा में पाया जाता है।

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रोजाना धुलाई

जिस तरह से बालों में तेल लगाना जरुरी है उसी तरह से बालों की सफाई और धुलाई भी बहुत जरुरी है। अगर आपके बाल लंबे हैं तो उन्‍हें हफ्ते में दो बार जरुर धोएं। आपके सिर की सफाई बहुत जरुरी है जिससे जड़ों को सांस लेने की जगह मिल सके।

ड्रायर और अन्य मशीनों से दूर रहें

हॉट आयरन, ब्लो ड्रायर या फिर बालों को कर्ली करने वाली मशीनों से दूर रहें क्योंकि इससे बाल खराब हो जाते हैं। अगर आपके बाल लंबे हैं तो उसे सुखाने के लिये धूप में पांच मिनट तक खड़ी हो जाएं लेकिन ड्रायर का प्रयोग ना करें।

ट्रिम करवाएं

बालों को तीन महीने पर एक बार जरुर ट्रिम करवाएं, जिससे दोमुंहे बालों से निजात मिले। बालों को ट्रिम करवाने से बाल जल्दी जल्दी बढते हैं।

बांध कर रखें

लंबे बालों को प्रदूषण, धूल मिट्टी और हवा से बचाना चाहिये। अगर आप कहीं सफर पर निकल रहीं हैं तो अच्छा होगा कि बालों को बांध लें या फिर जूडा बना लें।

बालों के लिए जरुरी खान-पान

दूध, पनीर, योगर्ट, साबुत अनाज, पालक,अंगूर, एवाकाडो, ब्रोकली, सेलमन, पत्ता गोभी,ओट्स, अखरोट,ताजे फल और हरी सब्जियों के जूस। 

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