बवासीर या हैमरॉइड यह सबसे आम बीमारियोँ मेँ से एक है यह बीमारी आमतौर पर 30 वर्ष से ज्यादा उम्र वाले लोगो को अधिकतर होती है। इसकी मुख्य वजह गलत खान पान व अनियमित दिनचर्या है। बवासीर मेँ होने वाला दर्द असहनीय होता है यह पीड़ा सहन से परे होती है। बवासीर मैँ दर्द मलाशय मे सूजन की वजह से होता है हम आपको बता दे बवासीर भी दो तरह की होती है एक अंदरुनी और दूसरी बहारी। और अंदरुनी बवासीर मे नसो की सूजन दिखाई नही देती। परंतु जब की बहारी बवासीर मे नसो की सूजन आराम से दिखाई देती है। यह बीमारी स्त्रियों की अपेक्षा पुरुषों में कुछ ज्यादा होती है।बवासीर बीमारी को पहचानना बहुत ही आसान है टॉयलेट करते वक्त मलाशय मे जलन होना,रक्त बहना या खुजली होना सबसे प्रमुख लक्षण है।
प्रमुख कारण
बवासीर का प्रमुख कारण पेट की खराबी व पाचन तन्त्र का कमजोर होना है। इसके अतिरिक्त कारण निम्न हैं ;
- लम्बे समय तक कब्ज रहना
- मलत्याग के समय जोर लगाना
- टॉयलेट में काफी देर तक बैठना
- हेरिडिटि (वन्शानुगत कारण)
- अतिसार (दस्त)
परंतु आप आयुर्वेदिक औषधियोँ को अपना कर बवासीर से छुटकारा पा सकते है….
नींबू
एक या दो नींबू का रस निकाल लेँ और फिर उसको अनिमा के द्वारा गुदा मे ले। ऐसा 2-3 बार करे। और यह क्रिया 4-5 दिन मे एक बार अवश्य करे। यह दर्द मेँ भी फायदेमंद होगा और बवासीर को खत्म करने मे मददगार साबित होगा।
जामुन
जामुन की गुठली और आम की गुठली के अंदर का भाग सुखाकर इसको मिलाकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को एक चम्मच की मात्रा में हल्के गर्म पानी या छाछ के साथ सेवन करने से खूनी बवासीर में लाभ होता है।
जीरा
करीब एक या दो लीटर मट्ठा लेकर उसमे 50 ग्राम जीरा मिला दे। और अपने स्वाद के अनुसार नमक भी मिला ले। यह एक बेहतरीन स्वादिष्ट पेय तैयार हो जाएगा। और इस को आप पानी की जगह दिन मेँ चार या पांच बार पिये। इस पेय को एक हफ्ते तक पीने बवासीर के मस्से ठीक हो जाएंगे।
किशमिश
रात को 100 ग्राम किशमिश पानी में भिगों दें और इसे सुबह के समय में इसे उसी पानी में इसे मसल दें। इस पानी को रोजाना सेवन करने से कुछ ही दिनों में बवासीर रोग ठीक हो जाता है।
इसबगोल भूसी
इसबगोल भूसी का प्रयोग करने से से अनियमित और कड़े मल से राहत मिलती है। इससे कुछ हद तक पेट भी साफ रहता है और मस्सा ज्यादा दर्द भी नही करता।
इसबगोल भूसी के नुकसान
जी हां, ईसबगोल के फायदे ही नहीं, कुछ साइड इफेट्स भी होते हैं। इसलिए उसके इस्तेमाल से पहले आपको उनकी जानकारी होनी चाहिए। आइये जानें इसको खाने से आपको कौन से तीन नुकसान होने का डर होता है।
1) मिनरल्स के अवशोषण में दिक्कत पैदा करे
एक अध्ययन में ये पाया गया कि 25 ग्राम ईसबगोल भूसी खाने से जिंक, कॉपर और मैग्नीज़ जैसे मिनरल्स का शरीर में अवशोषण मुश्किल हो जाता है। इसकी वजह से शरीर में मिनरल्स का स्तर घट जाता है। ज़िंक इम्यूनिटी के लिए, मैग्नीज़ हड्डियों के लिए और कॉपर लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण के लिए महत्वपूर्ण होता है।
2) दवाओं का असर कम करे
ईसबगोल की वजह से शरीर में दवाओं का अवशोषण भी बाधित हो सकता है। दरअसल, ईसबगोल दवाओं की सिर्फ ऊपरी सतह को अवशोषित करने देता है जिससे कि वो रक्त में मिल नहीं पाती। इसकी वजह से दवा का पूरा असर नहीं होता। ऐसा ऐस्प्रिन के लिए दावा किया जाता है लेकिन ऐसा माना जाता है कि ईसबगोल की वजह से दूसरी दवाओं के असर में भी कमी आती है। हालांकि इस बात का फिलहाल कोई पुख्ता सुबूत नहीं है।
3) पेट में मरोड़ उठना
ईसबगोल में फाइबर काफी मात्रा में होता है इसलिए इसे उन लोगों को खाने की सलाह दी जाती है जिन्हें कब्ज़ की शिकायत होती है। लेकिन बहुत अधिक फाइबर खा लेने से गैस का रास्ता प्रभावित होता है, जिससे कि मरोड़ उठने लगते हैं और पेट में दर्द होता है।
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बड़ी इलायची
बड़ी इलायची भी बवासीर को दूर करने का बहुत ही अच्छा उपचार है। इसे सेवन करने के लिए लगभग 50 ग्राम बड़ी इलायची को तवे पर रखकर भूनते हुए जला लीजिए। ठंडी होने के बाद इस इलायची को पीस लीजिए। रोज सुबह इस चूर्ण को पानी के साथ खाली पेट लेने से बवासीर ठीक हो जाता है।
अन्य उपाय
चौथाई चम्मच दालचीनी चूर्ण एक चम्मच शहद में मिलाकर प्रतिदिन एक बार लेना चाहिए। इससे बवासीर नष्ट हो जाती है। हरड या बाल हरड का प्रतिदिन सेवन करने से आराम मिलता है। अर्श (बवासीर) पर अरंडी का तेल लगाने से फायदा होता है। साथ ही नीम का तेल मस्सों पर लगाइए और इस तेल की 4-5 बूंद रोज पीने से बवासीर में लाभ होता है। आराम पहुंचानेवाली क्रीम, मरहम, वगैरह का प्रयोग आपको पीड़ा और खुजली से आराम दिला सकते हैं।
बचाव के उपाय
- भोजन सम्बन्धी आदतों में बदलाव – रेशेदार सब्जियों, सलाद व फलों का नित्य सेवन करें, तेज मिर्च, मसालों का प्रयोग ना करें। पानी ४-६ लीटर प्रतिदिन पियें। चाय, कॉफी का कम प्रयोग करें। इससे पेट ठीक रहेगा व कब्ज नहीं होगी।
- मलत्याग के समय ज्यादा जोर ना लगायें।
- यदि कब्ज हो तो रात में दूध के साथ मुनक्का व १-२ चम्मच इसबगोल की भूसी लें।
- यदि कोई समस्या हो तो किसी क्वालीफाईड आयुर्वेद फिजीशियन या क्षारसूत्र विशेषज्ञ से मिलकर सलाह अवश्य लें।
- आयुर्वेदिक चिकित्साः बवासीर की शुरुआती अवस्था में जब केवल रक्तस्राव होता है तो क्वालीफाईड आयुर्वेद फिजीशियन की सलाह से आयुर्वेदिक औषधियों के प्रयोग द्वारा काफी आराम मिल सकता है तथा बीमारी को आगे बढ्ने से रोका जा सकता है। जब बीमारी ज्यादा बढ जाती है तो क्षारसूत्र चिकित्सा से मस्सों को निकाल दिया जाता है। इससे बीमारी से स्थायी रूप से छुटकारा मिल जाता है। यह विधि सर्जरी की अन्य विधियों की अपेक्षा आसान व अधिक कारगर है।