इस तरह से मांगी गई हर मनोकामना गारंटी से होती है पूरी

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जैसा की आप जानते ही हैं की जब इंसान हर कहीं से थक हार जाता है। तब उसे जो अपना दिखाई देता है वो है भगवान. भगवान् हर किसी को देते हैं बस फर्क इतना है की जब हम चाहते हैं वो तब नहीं वल्कि जब उनको लगता है की अब हमें जरुरत है तभी वो देते हैं।

ऐसा होने के चलते बहुत से लोग कहते हैं भगवान है ही नहीं. या भगवान् कुछ नहीं देता। लेकिन हमारा मानना है की ऐसा केवल वही लोग करते हैं जो स्वार्थी होते हैं. केवल अपने बारे में ही सोचते हैं बाकी किसी और के बारे में बिलकुल नहीं। भगवान् तो उनको देते हैं जो भगवान के बनाए अन्य लोगों के बारे में भी ख्याल रखता हो।

हिन्दू जीवन दर्शन में बताया गया है की कर्म करो और फल की इच्छा न करो। क्यूंकि मनुष्य का फर्ज है कर्म करना। फल तो भगवान् के हाथ में है उन्हें जब मनुष्य का किया हुआ कर्म और उसके पीछे की भावना उचित लगती है तो वह फल देते हैं। दूसरा हिन्दू धर्म शास्त्रों में पूजा विधि विधान को बहुत ही ऊंचा दर्जा दिया गया है।बताया गया है की जब भी भगवान के दरवाजे पर जाओ तो भगवान से यश, बुद्धी बल और स्वास्थ्य की कामना करो। क्यूंकि यही वो चार चीजें हैं जिनके बलबूते कोई भी मनुष्य संसार की सभी शक्तियों को हासिल कर सकता है।

1. प्रार्थना करते समय हमारा ध्यान भगवान की भक्ति मे होना चाहियें ना की अपनी मनोकामना की ओर चाहियें अगर आप सच्चे मन से भगवान की भक्ति करेंगे तो मनोकामना अपने आप पूरी हो जाएँगी।

2. अगर आप चाहते है की आपकी मनोकामना पुरी हो सिर्फ अगरबत्ती और धूप जलाने से कुछ नहीं होता है कहते हैं जाब तक आप मंत्रों का जाप ना करे प्रार्थना करते समय तब तक आपकी मनोकामना पुरी नहीं होतीं।

3. जब भी आप प्रार्थना मे करे वह आत्मा से करे अर्थात जब भी आप पूजा करे सच्चे मन और साफ मन से पूजा करे जब ही आपकी प्रार्थना भगवान तक पहुँचेगी।

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