टी.बी. (TB) या क्षय रोग से छुटकारा पाने के 8 घरेलु उपाय

ट्यूबरक्युलोसिस  मायकोबेक्टिरियम ट्यूबरक्युलोसिस नामक जीवाणु के कारण होता है। टी.बी. रोग को अन्य कई नाम से जाना जाता है, जैसे तपेदिक, क्षय रोग तथा यक्ष्मा।

टीबी क्या है : टी.बी. को फेफड़ों का रोग माना जाता है, लेकिन यह फेफड़ों से रक्त प्रवाह के साथ शरीर के अन्य भागों में भी फैल सकता है, जैसे हड्डी , हड्डियों के जोड़ , लिम्फ ग्रंथियां, आंत , मूत्र व प्रजनन तंत्र के अंग, त्वचा और मस्तिष्क के ऊपर की झिल्ली आदि।tv-se-chhutkara-pane-ke-8-gharelu-upaya

टीबी एक संक्रामक रोग : यह एक संक्रामक रोग है और आनुवांशिक नहीं होता है। कोई भी व्यक्ति इस रोग की चपेट में आ सकता है। जब इस रोग से पीड़ित कोई रोगी खुले तरीके से खाँसता या छींकता है, तो टी.बी. रोग पैदा करने वाले जीवाणु बाहर वातावरण में फैल जाते हैं। यह संक्रमित वातावरण किसी भी ऐसे व्यक्ति को संक्रमित कर सकता है जो इसमें साँस लेता है। केवल एक रोगी पूरे वर्ष के दौरान 10 से भी अधिक लोगों को संक्रमित कर सकता है। दुनिया में छह-सात करोड़ लोग इस बीमारी से ग्रस्त हैं और प्रत्येक वर्ष 25 से 30 लाख लोगों की इससे मौत हो जाती है। हमारे देश में हर तीन मिनट में दो मरीज क्षयरोग के कारण दम तोड़ देते हैं। हर दिन चालीस हजार लोगों को इसका संक्रमण हो जाता है।

टी. बी. के लक्षण 
  1. अगर आपका वजन, बगैर कोशिश किये हुये, पिछले 2 महीनों में, 5 किलोग्राम से अधिक घट गया है
  2. अगर आपको खांसी में खून आता है
  3. अगर आपको खांसी में बलगम आता है
  4. अगर आपको तीन हफ्ते से अधिक से खांसी है
  5. अगर आपको भूख कम लगती है
  6. अगर आपको रात में अधिक पसीना आता है
  7. अगर आपने अपने बलगम का कभी टी बी का जांच करवाया है, जिसे पोज़िटिव कहा गया हो

टीबी यानि ट्यूबरकुलोसिस , एक प्रकार का इंफेक्शन होता है जो कि मायकोइक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस बैक्टीरिया के कारण फैलता है। टीबी अधिकतर फेफड़ों में होती है लेकिन यह शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकती है। टीबी के मरीज के कफ में खून आना टीबी का आम लक्षण है इसके अलावा सांसों का तेज चलना, वजन का कम होना, बुखार होना, किडनी और सीने में दर्द होना आदि भी ट्यूबरकुलोसिस के लक्षण हैं।

वैसे तो टीबी से पूरी तरह निजात के लिए चिकित्सक से परामर्श आवश्यक है लेकिन कुछ घरेलू उपचारों के द्वारा भी टीबी को ठीक करने की प्रक्रिया तेज की जा सकती है।

आइए आपको बताते हैं टीबी के उपचार के लिए कुछ घरेलू नुस्खे :-

1. लहसुन – लहसुन में सल्फ्यूरिक एसिड  प्रचुर मात्रा में होता है जो कि टीबी के कीटाणुओं को मारने में सक्षम है। इसके साथ ही लहसुन में एलीसिन और एजोइनी भी होते हैं जो कि टीबी के पनपने वाले कीटाणुओं का खत्म करने का काम करते हैं। इतना ही नहीं लहसुन के एंटीबैक्टीरियल गुण इम्यूनिटी को भी बढ़ाते हैं।

कैसे करें उपयोग : आधी चम्मच लहसुन, एक कप दूध और चार कप पानी को एक साथ मिलाकर उबालें। इसे तब तक उबालें जब तक यह मिश्रण एक चौथाई रह जाए। इस मिश्रण को दिन में तीन बार पीएं। गरम दूध में लहसुन का रस मिलाकर भी पीया जा सकता है। इसके बाद पानी न पीएं। गरम दूध में लहसुन को उबालें। इसके बाद लहसुन को चबाकर बचे हुए दूध को पी लें।

2. पुदीना – पुदीना में मौजूद एंटीबैक्टीरियल (antibacterial) गुणों के कारण इसमें भी टीबी के रोग को ठीक करने का अद्भुत गुण होता है।

कैसे करें उपयोग : एक चम्मच पुदीने के रस में दो चम्मच शहद मिलाएं, इसके साथ ही इस घोल में माल्ट विनेगर (malt vinegar) और आधा कप गाजर का जूस मिलाएं। इस घोल को कुछ कुछ घंटों पर पूरे दिन पीएं।

3. आंवला– आंवला में एंटीफ्लेमेटरी  और एंटीबैक्टीरियल  गुण होते हैं। जो शरीर का इम्यून सिस्टम मजबूत करके शरीर को ऊर्जा प्रदान करते हैं।

कैसे करें उपयोग : आंवला के बीज निकालकर, जूस बनाएं और इसमें एक चम्मच शहद मिलाकर सुबह सुबह पीएं।

4. संतरा – संतरे में भी जरूरी मिनरल्स  और कंपाउंड  होते हैं। संतरे में मौजूद सलाइन  शरीर को इंफेक्शन से बचाता है साथ ही इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है।

कैसे करें उपयोग : ताजा संतरे के रस में थोड़ा सा नमक और शहद मिलाकर रोजाना सुबह शाम पीएं। संतरे को छीलकर उसकी स्लाइस पर भी नमक छिड़क कर खाया जा सकता है।

5. शरीफा – टीबी के उपचार के लिए शरीफा भी बेहद फायदेमंद है। शरीफे का पल्प निकालकर इसे खाना चाहिए।

कैसे करें उपयोग : दो शरीफों का पल्प निकालकर उसे पानी में उबाल लें, इसके साथ पच्चीस किशमिश  को भी उबाल लें। जब पानी एक तिहाई रह जाए तब इसे छानकर इसमें पाउडर शुगर मिलाएं। इस पेय में इलायची और दालचीनी मिलाकर दिन में दो बार पीएं।

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6. काली मिर्च– काली मिर्च फेफड़ों  की सफाई का काम करती है। जिससे टीबी के दौरान होने वाले सीने के दर्द से राहत मिलती है। इसके साथ ही यह टीबी के कीटाणुओं को मारने का काम भी करती है।

कैसे करें उपयोग : मक्खन में आठ से दस काली मिर्च फ्राई करें। इसमें एक चुटकी हींग मिलाएं और पाउडर बना लें। इस मिश्रण को तीन बराबर भागों में बांट लें। कुछ कुछ घंटे के अंतराल पर इसकी एक एक डोज खाएं।

7. अखरोट– अखरोट टीबी के मरीजों को ताकत देता है, उनकी इम्यूनिटी बढ़ाता है और जल्दी ठीक होने में भी मदद करता है।

कैसे करें उपयोग : अखरोट के पाउडर में कुछ कली लहसुन की मिलाकर कुचल लें। इसमें क्लेरीफाइड मक्खन (clarified butter) मिलाकर खाएं। अखरोट को यूं भी खाया जा सकता है या इसके पाउडर को सलाद में डालकर खाएं।

8. केला –  केला पोषक तत्वों और कैल्शियम का बहुत अच्छा स्त्रोत है। यह टीबी के मरीज का इम्यून सिस्टम बढा़ने में सहायक है। इसके साथ ही बुखार और कफ से भी राहत देता है।

कैसे करें उपयोग : एक पके हुए केले को एक कप नारियल के पानी में मसलकर मिलाएं। इसके बाद इसमें दही और शहद मिलाएं। इसे दिन में दो बार खाएं। कच्चे केले का जूस बनाकर रोजाना पीएं। केले के तने का जूस बनाकर भी पीया जा सकता है।

 

इस वेबसाइट में जो भी जानकारिया दी जा रही हैं, वो हमारे घरों में सदियों से अपनाये जाने वाले घरेल नुस्खे हैं जो हमारी दादी नानी या बड़े बुज़ुर्ग अक्सर ही इस्तेमाल किया करते थे, आज कल हम भाग दौड़ भरी ज़िंदगी में इन सब को भूल गए हैं और छोटी मोटी बीमारी के लिए बिना डॉक्टर की सलाह से तुरंत गोली खा कर अपने शरीर को खराब कर देते हैं। तो ये वेबसाइट बस उसी भूले बिसरे ज्ञान को आगे बढ़ाने के लक्षय से बनाई गयी है। आप कोई भी उपचार करने से पहले अपने डॉक्टर से या वैद से परामर्श ज़रूर कर ले। यहाँ पर हम दवाएं नहीं बता रहे, हम सिर्फ घरेलु नुस्खे बता रहे हैं। कई बार एक ही घरेलु नुस्खा दो व्यक्तियों के लिए अलग अलग परिणाम देता हैं। इसलिए अपनी प्रकृति को जानते हुए उसके बाद ही कोई प्रयोग करे। इसके लिए आप अपने वैद से या डॉक्टर से संपर्क ज़रूर करे।

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