शरीर के किसी भी हिस्से में उठने वाली कोई भी गठान या रसौली एक असामान्य लक्षण है जिसे गंभीरता से लेना आवश्यक है। ये गठानें पस या टीबी से लेकर कैंसर तक किसी भी बीमारी की सूचक हो सकती हैं। गठान अथवा ठीक नहीं होने वाला छाला व असामान्य आंतरिक या बाह्य रक्तस्राव कैंसर के लक्षण हो सकते हैं।ज़रूरी नहीं कि शरीर में उठने वाली हर गठान कैंसर ही हो। अधिकांशतः कैंसर रहित गठानें किसी उपचार योग्य साधारण बीमारी की वजह से ही होती हैं लेकिन फिर भी इस बारे में सावधानी बरतनी चाहिए। इस प्रकार की किसी भी गठान की जाँच अत्यंत आवश्यक है ताकि समय रहते निदान और इलाज शुरू हो सके।
चूँकि लगभग सारी गठानें शुरू से वेदना हीन होती हैं इसलिए अधिकांश व्यक्ति नासमझी या ऑपरेशन के डर से डॉक्टर के पास नहीं जाते। साधारण गठानें भले ही कैंसर की न हों लेकिन इनका भी इलाज आवश्यक होता है। उपचार के अभाव में ये असाध्य रूप ले लेती हैं, परिणाम स्वरूप उनका उपचार लंबा और जटिल हो जाता है। कैंसर की गठानों का तो शुरुआती अवस्था में इलाज होना और भी ज़रूरी होता है। कैंसर का शुरुआती दौर में ही इलाज हो जाए तो मरीज के पूरी तरह ठीक होने की संभावनाएँ बढ़ जाती हैं।
आपके शरीर मे कहीं पर भी किसी भी किस्म की गांठ हो। उसके लिए है ये चिकित्सा चाहे किसी भी कारण से हो सफल जरूर होती है। कैंसर मे भी लाभदायक है।
आप ये दो चीज पंसारी या आयुर्वेद दवा की दुकान से ले ले :
कचनार की छाल और गोरखमुंडी : वैसे यह दोनों जड़ी बूटी बेचने वाले से मिल जाती हैं पर यदि कचनार की छाल ताजी ले तो अधिक लाभदायक है। कचनार (Bauhinia purpurea) का पेड़ हर जगह आसानी से मिल जाता है।
कचनार
इसकी सबसे बड़ी पहचान है – सिरे पर से काटा हुआ पत्ता । इसकी शाखा की छाल ले। तने की न ले। उस शाखा (टहनी) की छाल ले जो 1 इंच से 2 इंच तक मोटी हो । बहुत पतली या मोटी टहनी की छाल न ले।
कैसे प्रयोग करे
- कचनार की ताजी छाल 25-30 ग्राम (सुखी छाल 15 ग्राम ) को मोटा मोटा कूट ले। 1 गिलास पानी मे उबाले। जब 2 मिनट उबल जाए तब इसमे 1 चम्मच गोरखमुंडी (मोटी कुटी या पीसी हुई ) डाले। इसे 1 मिनट तक उबलने दे। छान ले। हल्का गरम रह जाए तब पी ले। ध्यान दे यह कड़वा है परंतु चमत्कारी है। गांठ कैसी ही हो, प्रोस्टेट बढ़ी हुई हो, जांघ के पास की गांठ हो, काँख की गांठ हो गले के बाहर की गांठ हो , गर्भाशय की गांठ हो, स्त्री पुरुष के स्तनो मे गांठ हो या टॉन्सिल हो, गले मे थायराइड ग्लैण्ड बढ़ गई हो (Goiter) या LIPOMA (फैट की गांठ ) हो लाभ जरूर करती है। कभी भी असफल नहीं होती। अधिक लाभ के लिए दिन मे 2 बार ले। लंबे समय तक लेने से ही लाभ होगा। 20-25 दिन तक कोई लाभ नहीं होगा निराश होकर बीच मे न छोड़े।
- गाँठ को घोलने में कचनार पेड़ की छाल बहुत अच्छा काम करती है. आयुर्वेद में कांचनार गुग्गुल इसी मक़सद के लिये दी जाती है जबकि ऐलोपैथी में ओप्रेशन के सिवाय कोई और चारा नहीं है।
- आकड़े के दूध में मिट्टी भिगोकर लेप करने से तथा निर्गुण्डी के 20 से 50 मि.ली. काढ़े में 1 से 5 मि.ली अरण्डी का तेल डालकर पीने से लाभ होता है।
- गेहूँ के आटे में पापड़खार तथा पानी डालकर पुल्टिस बनाकर लगाने से न पकने वाली गाँठ पककर फूट जाती है तथा दर्द कम हो जाता है।
फोड़े फुन्सी होने पर
अरण्डी के बीजों की गिरी को पीसकर उसकी पुल्टिस बाँधने से अथवा आम की गुठली या नीम या अनार के पत्तों को पानी में पीसकर लगाने से फोड़े-फुन्सी में लाभ होता है।
एक चुटकी कालेजीरे को मक्खन के साथ निगलने से या 1 से 3 ग्राम त्रिफला चूर्ण का सेवन करने से तथा त्रिफला के पानी से घाव धोने से लाभ होता है।
सुहागे को पीसकर लगाने से रक्त बहना तुरंत बंद होता है तथा घाव शीघ्र भरता है।
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फोड़े से मवाद बहने पर :
अरण्डी के तेल में आम के पत्तों की राख मिलाकर लगाने से लाभ होता है।
थूहर के पत्तों पर अरण्डी का तेल लगाकर गर्म करके फोड़े पर उल्टा लगायें। इससे सब मवाद निकल जायेगा। घाव को भरने के लिए दो-तीन दिन सीधा लगायें।
पीठ का फोड़ा होने पर गेहूँ के आटे में नमक तथा पानी डालकर गर्म करके पुल्टिस बनाकर लगाने से फोड़ा पककर फूट जाता है।
काँखफोड़ा (बगल मे होने वाला फोड़ा)
कुचले को पानी में बारीक पीसकर थोड़ा गर्म करके उसका लेप करने से या अरण्डी का तेल लगाने से या गुड़, गुग्गल और राई का चूर्ण समान मात्रा में लेकर, पीसकर, थोड़ा पानी मिलाकर, गर्म करके लगाने से काँखफोड़े में लाभ होता है।
गण्डमाला की गाँठें (Goitre)
गले में दूषित हुआ वात, कफ और मेद गले के पीछे की नसों में रहकर क्रम से धीरे-धीरे अपने-अपने लक्षणों से युक्त ऐसी गाँठें उत्पन्न करते हैं जिन्हें गण्डमाला कहा जाता है। मेद और कफ से बगल, कन्धे, गर्दन, गले एवं जाँघों के मूल में छोटे-छोटे बेर जैसी अथवा बड़े बेर जैसी बहुत-सी गाँठें जो बहुत दिनों में धीरे-धीरे पकती हैं उन गाँठों की हारमाला को गंडमाला कहते हैं और ऐसी गाँठें कंठ पर होने से कंठमाला कही जाती है।
Fistula ka koi ilaaj h kya
I am suffering from arthritis and i want to get rid from this diseases so give me advise to treatment of this diseases
जो सर मे हो तो वो गांठ वो भी निकल जाये गई क्या
Sir mere gale ki Nash chadh gai thi to wo thk Karaya to waha ganth ho gai h kafi time ho gya Dr. Ko dikhaya to wo bole ye t.v ho skta h ap btaye kaise Sahi ho skti h
kachanar ko aur kya bola jata h….sidha sidha koi dawa le kr use nhi kr sakte kya ji
Mere haaton bahut kharish hoti hai zaakham ban jate hain, khoon nikalta hai. Doctor se medicines leta hun to thoda araam milta hai par doctor bolte hain yeh aajeevan rahegi aise hi kyunki khoon mein ingection pehle aisa nahi tha. Kripya ko acha sa illaz hai toh batayein. Shayad baad mein yeh bimari baad na jaye.
meri eye me guheri nikli thi but wo dabi nhi h, uski gaanth ban gyi h… Wo kaise thik hogi pls give me solution
Mere gardan ki nash baar baar lg jaati h kya kre