जब पेचिस या आंव आने का रोग किसी व्यक्ति को हो जाता है तो उसे घबराना नहीं चाहिए, बल्कि इसका इलाज सही तरीके से करना चाहिए।जब मल त्याग करते समय या उससे कुछ समय पहले अंतड़ियों में दर्द, टीस या ऐंठन की शिकायत हो तो समझ लेना चाहिए कि यह पेचिश का रोग है| इस रोग में पेट में विकारों के कारण अंतड़ी के नीचे की तरफ कुछ सूजन आ जाती है| उस हालत में मल के साथ आंव या खून आने लगता है| यदि मरोड़ के साथ खून भी आए तो इसे रक्तातिसार कहते हैं| एक प्रकार का जीवाणु आंतों में चला जाता है जो पेचिश की बीमारी पैदा कर देता है| यह रोग पेट में विभिन्न दोषों के कुपित होने की वजह से हो जाता है|
खूनी पेचिश में मट्ठे के साथ एक चुटकी जावित्री लेने से भी काफी लाभ होता है|
कारण
यह रोग मक्खियों से फैलता है| रोग के जीवाणु रोगी के मल में मौजूद रहते हैं| जब कभी पेचिश का रोगी खुल में मल त्याग करता है तो उस पर मक्खियां आकर बैठ जाती हैं| वे उन जीवाणुओं को अपने साथ ले जाती हैं और खुली हुई खाने-पीने की चीजों पर छोड़ देती हैं| फिर जो व्यक्ति उन वस्तुओं को खाता है, उनके साथ वे जीवाणु उसके पेट में चले जाते हैं| इस तरह उस व्यक्ति को भी पेचिश की बीमारी हो जाती है| यदि कच्चा और कम पचा भोजन भी पेट में कुछ समय तक पड़ा रहता है तो वह सड़कर पाचन संस्थान में घाव पैदा कर देता है| इससे भी आंव का रोग हो जाता है|
पहचान
शुरू में नाभि के पास तथा अंतड़ियों में दर्द होता है| लगता है, जैसे कोई चाकू से आंतों को काट रहा है| इसके बाद गुदा द्वार से पतला, लेसदार और दुर्गंधयुक्त मल बाहर निकलना शुरू हो जाता है| पेट हर समय तना रहता है| बार-बार पाखाना आता है| मल बहुत थोड़ी मात्रा में निकलता है जिसमें आंव और खून मिला होता है| कभी-कभी बुखार भी आ जाता है|
जब आंव आने का रोग किसी व्यक्ति को हो जाता है तो इसके कारण व्यक्ति के मल के साथ एक प्रकार का गाढ़ा तेलीय पदार्थ निकलता है। आंव रोग से पीड़ित मनुष्य को भूख भी नहीं लगती है। रोगी को हर वक्त आलस्य, काम में मन न लगना, मन बुझा-बुझा रहना तथा अपने आप में साहस की कमी महसूस होती है।
आइये आपको बताते है पेचिश ठीक करने के घरेलू नुस्खे-
केस्टर ऑयल का कमाल
केस्टर ऑयल लुब्रिकेंट और सौम्य रेचक के रूप में काम कर विषाक्त पदार्थों का तेजी से निष्कासन करने में मदद करता है। इस तरह मल त्याग के दौरान रोगी के तनाव को कम करने के लिए मिश्रण के रूप में केस्टर ऑयल की छोटी खुराक दी जाती है।
अनार का छिलके भी है मददगार
250 मिलीलीटर दूध में 50 ग्राम अनार के छिलकों को तब तक उबाले जब तक वह एक तिहाई न हो जाये। फिर रोगी को तीन बराबर मात्रा में पीने के लिए दें। यह मिश्रण पेचिश से अच्छी तरह राहत प्रदान करता है।
सेंधा नमक के साथ छाछ
छाछ के एक गिलास में चुटकी भर सेंधा नमक, भुना हुआ जीरा पाउडर और काली मिर्च का पाउडर मिलाकर दिन में दो बार पीना, पेचिश का एक बहुत अच्छा इलाज है।
कालीमिर्च
चार-पांच कालीमिर्च मुख में रखकर चूसें| थोड़ी देर बाद आधा गिलास गुनगुना पानी पी लें|
बबूल का गोंद
एक कप गरम पानी में 10 ग्राम बबूल का गोंद डाल दें| थोड़ी देर बाद जब बबूल फूल जाए तो पानी में मथकर सेवन करें|
काली गाजर
पुरानी पेचिश में तीन-चार दिन तक काली गाजर का रस सुबह-शाम भोजन के बाद सेवन करें|
अनारदाना , सौंफ तथा धनिया
इन तीनों को 100-100 ग्राम की मात्र में कूट-पीसकर चूर्ण बना लें| फिर इसमें थोड़ी-सी मिश्री मिलाकर दिनभर में चारनीम की सात-आठ कोंपलें मिश्री के साथ सेवन करें|
अजवायन, सूखा पूदीना और बड़ी इलायची
अजवायन, सूखा पूदीना और बड़ी इलायची 10-10 ग्राम लेकर चूर्ण बना लें| भोजन के बाद आधा चम्मच चूर्ण पानी के साथ सेवन करें|
अदरक का रस
पुराने आंव को ठीक करने के लिए प्रतिदिन सुबह बिना कुछ खाए-पिए दो चम्मच अदरक का रस जरा-सा सेंधा नमक डालकर सेवन करें|
छोटी हरड़
छोटी हरड़ का चूर्ण घी में तल लें| फिर वह चूर्ण एक चुटकी और 4 ग्राम सौंफ का चूर्ण मिलाकर दें|
सोंठ का चूर्ण
पुरानी पेचिश में आधा चम्मच सोंठ का चूर्ण गुनगुने पानी के साथ लें|
नीबू की शिकंजी या दही
पेचिश रोग में नीबू की शिकंजी या दही के साथ जरा-सी मेथी का चूर्ण बहुत लाभदयक है|
पेचिश के लिए बेल फल
बेल का फल पेचिश के लिए एक प्रभावी उपचार है। आप इसके गूदे को एक दिन में दो बार पानी के साथ लें। या पेचिश को दूर करने के लिए आप इस फल के गूदे में गुड़ को मिलाकर दिन में 3 बार उपभोग कर सकते हैं। इसके अलावा पुरानी पेचिश के लिए बेल फल के गूदे में सूखी अदरक और को समान मात्रा में मिश्रित करके पीना एक प्रभावी इलाज है।
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छाछ या संतरे का रस
संतरे का रस और पानी पेचिश को रोकने का एक अच्छा विकल्प है। आप विकल्प के रूप में छाछ भी पी सकते हैं। यह पेट में पेट के लिए अनुकूल बैक्टीरिया विकसित करने में मदद करता है। वैकल्पिक रूप से, आप भी दही भी खा सकते है। छाछ और दही दोनों में अच्छे बैक्टीरिया होते हैं। जो पेट में एसिटिक एसिड का उत्पादन कर हानिकारक बैक्टीरिया को नष्ट करते हैं।
परहेज-
बासी भोजन, मिर्च-मसालेदार पदार्थ, देर से पचने वाली चीजें, चना, मटर आदि का सेवन न करें| वायु बनाने वाले पदार्थ खाने से भी पेचिश में आराम नहीं मिलता| अत: बेसन, मेदा, आलू, गोभी, टमाटर, बैंगन, भिण्डी, करेला, टिण्डे आदि नहीं खाना चाहिए| रोगी को भूख लगने पर मट्ठे के साथ मूंग की दाल की खिचड़ी दें| पानी में नीबू निचोड़कर दिनभर में चार गिलास पानी पिएं| इससे पेचिश के कारण होने वाली पेट की खुश्की दूर होती रहेगी| भोजन के साथ पतला दही, छाछ, मट्ठा आदि अवश्य लें| सुबह-शाम खुली हवा में टहलें| स्नान करने से पहले सरसों या तिली के तेल की शरीर में मालिश अवश्य करें| रात को सोते समय दूध के साथ ईसबगोल की भूसी एक चम्मच की मात्रा में लेने से सुबह सारा आंव निकल जाता है|
आंव रोग से पीड़ित व्यक्ति का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार-
- इस रोग से पीड़ित व्यक्ति को कुछ दिनों तक रसाहार पोषक तत्वों (सफेद पेठे का पानी, खीरे का रस, लौकी का रस, नींबू का पानी, संतरा का रस, अनानास का रस, मठ्ठा तथा नारियल पानी) का अपने भोजन में उपयोग करना चाहिए।
- आंव रोग से पीड़ित रोगी को नारियल का पानी और चावल का पानी पिलाना काफी फायदेमंद होता है।
- रोगी के पेट पर सप्ताह में 1 बार मिट्टी की गीली पट्टी करनी चाहिए तथा सप्ताह में 1 बार उपवास भी रखना चाहिए।
- इस रोग से पीड़ित रोगी को पानी अधिक मात्रा में पीना चाहिए ताकि शरीर में पानी का कमी न हों क्योंकि शरीर में पानी की कमी के कारण कमजोरी आ जाती है।
- आंव रोग से पीड़ित रोगी को घबराना नहीं चाहिए। रोगी को अपना उपचार करने के साथ-साथ गर्म पानी में दही एवं थोड़ा नमक डालकर सेवन करना चाहिए।
- इस रोग से पीड़ित रोगी को प्रतिदिन सुबह तथा शाम को मट्ठा पीना चाहिए। इस प्रकार से रोगी का इलाज प्राकृतिक चिकित्सा से करने से आंव रोग ठीक हो सकता है।
- यदि रोगी का जी मिचला रहा हो तो उसे हल्का गर्म पानी पीकर उल्टी कर देनी चाहिए ताकि उसका पेट साफ हो जाए।
- इसके अलावा इस रोग का उपचार करने के लिए रोगी व्यक्ति को एनिमा क्रिया करनी चाहिए ताकि उसका पेट साफ हो सके।