आमलकी रसायन के फायदे

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आमलकी रसायन पित्त को कम करने वाला है। यह एसिडिटी को ठीक करता है। इसके सेवन से बल, मेधा, शक्ति और रक्त की वृद्धि होती है। यह शरीर को शक्ति देता और प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा देता है।

आमलकी रसायन आयुर्वेदिक दवा है जिसे आमलकी या आंवले (Embelica officinalis) से तैयार किया जाता है। यह एक रसायन है।

रसायन क्या होते हैं: आयुर्वेद में, वे जड़ी बूटी/औषधि जो दीर्घायु, स्मृति, स्वास्थ्य, जीवन शक्ति, को बढ़ावा देती हैं उन्हें रसायन कहा जाता है। रसायन मूलतः टॉनिक है जो बढ़ती उम्र का प्रभाव रोकने में लाभप्रद है, जोश में वृद्धि करनी वाली है और और रोगों का इलाज करती हैं। वे शरीर के रस और धातु को शक्ति देती है तथा शरीर के अन्य तत्वों पर लाभकारी प्रभाव डालती हैं। रसायन के सेवन से चयापचय सिस्टम मजबूत होता है और फलस्वरूप पूरे शरीर को बेहतर बनाती है। आंवला आयुर्वेद के महत्वपूर्ण रसायन में से एक है। इसमें नमकीन स्वाद के अतिरिक्त सभी स्वाद होते है और कसैला स्वाद का मुख्य है।

आमलकी रसायन पित्त को कम करने वाला है। यह एसिडिटी को ठीक करता है। इसके सेवन से बल, मेधा, शक्ति और रक्त की वृद्धि होती है। यह शरीर को शक्ति देता और प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा देता है। यह बाल, आंखें और दिमाग के लिए अच्छा है। यह शरीर की रोगों से लड़ने के लिए प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। इसके सेवन से बाल काले रहते है और बाल गिरने बंद हो जाते है। यह बढे पित्त को कम कर देता है और इस प्रकार अम्लपित्त में राहत देता है। यह पाचन तंत्र के लिए अच्छा है। यह बार-बार होने वाले संक्रमण से बचाता है।

आंवले के गुण

  • कफ-हर/ खांसी में राहत
  • कुष्ठाघ्ना/सभी त्वचा की बीमारियों में लाभकारी
  • विरेचक
  • ज्वर-हर/बुखार में राहत
  • बांझपन दूर करने के वाला
  • उम्र के प्रभाव को रोकने के वाला
  • रसायन टॉनिक
  • आँखों के लिए अच्छा

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आमलकी रसायन के घटक 

आंवला चूर्ण आंवला के रस में संसाधित।

आमलकी रसायन के लाभ

  • यह एक रसायन या टॉनिक है।
  • इसका सेवन पूरे स्वास्थ्य को सुधारता है।
  • यह शरीर को शक्ति और स्फूर्ति देता है।
  • यह बालों, आँखों और दिमाग को ताकत देता है।
  • यह रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
  • यह शरीर से विटामिन सी की कमी को दूर करता है।
  • यह आयरन के अवशोषण में सहायता करता है।
  • यह बालों का गिरना रोकता है और उनको काला रखता है।
  • यह शरीर को फ्रीरैडिकल डैमेज से बचाता है।
  • यह एंटी-एजिंग है।
  • यह वृद्धावस्था में उपयोगी है।
  • यह अधिक पित्त को कम करता है।
  • यह इसके रेचक गुण के कारण कब्ज में राहत देता है।
  • बार-बार होने वाले संक्रमण इसके सेवन से दूर रहते हैं।
  • यह प्रकृति में ठंडा है और शरीर में जलन और पेप्टिक अल्सर में राहत देता है।

आमलकी रसायन के चिकित्सीय उपयोग 

आमलकी रसायन एक टॉनिक है। यह पाचन और प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। यह अम्लता कम कर देता है और कब्ज में राहत देता है। यह विभिन्न रोगों में लाभकारी प्रभाव दिखाता है।

  • सामान्य कमजोरी, थकान
  • आँखें, मोतियाबिन्द, दृष्टि की कमजोरी
  • बालों का असमय सफ़ेद होना, बाल गिरना
  • शरीर में जलन
  • अत्यधिक पित्तHyperacidity
  • विटामिन सी की कमी
  • खाँसी, ठंड, दमा, आवर्तक श्वसन रोगों
  • कब्ज
  • पेप्टिक अल्सर
  • वृद्धावस्था
  • रक्तपित्त, नक् से खून बहना, मसूड़ों से खून आना
  • वात-व्याधि, जोड़ों में दर्द
  • मूत्र संबंधी विकार

आमलकी रसायन की सेवन विधि और मात्रा 

  • 1-2 चम्मच (5 से 10 ग्राम) दिन में दो बार, सुबह और शाम लें।
  • इसे गर्म दूध के साथ के साथ लें।
  • या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।

इस दवा को ऑनलाइन या आयुर्वेदिक स्टोर से ख़रीदा जा सकता है।

 Source: www.bimbim.in

जानिए किस विटामिन की कमी का संकेत दे रहा है आपका शरीर

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डॉक्टरों के मुताबिक कई बीमारियों की वजह विटामिनों की कमी ही होती है, ये हर वर्ग के लोगों को प्रभावित करती है, जानिए कौन सी विटामिन की कमी से कौन सा रोग होता है और कैसे उसे दूर भगाया जा सकता है। विटामिन भोजन के वे अवयव हैं, जिनकी सभी जीवों को थोड़ी मात्रा में आवश्यकता होती है। ये कार्बनिक यौगिक होते हैं। उस यौगिक को विटामिन कहा जाता है जो शरीर द्वारा पर्याप्त मात्रा में स्वयं उत्पन्न नहीं किया जा सकता बल्कि खाने के रूप में लेना आवश्यक हो। विटामिन ए, बी, सी, डी, ई, बी-कॉम्प्लेक्स आदि तत्वों की आवश्यकता होती है। शरीर में कौन से विटामिन की कमी से कौन सा रोग हो सकता है और इसके बचाव के लिए खान पान में क्या शामिल करना चाहिए

विटामिन- A

विटामिन ए दो फार्म में पाए जाते हैं, रेटिनॉल और कैरोटीन। विटामिन ए आंखों के लिए बहुत जरूरी होता है। यह विटामिन शरीर में अनेक अंगों जैसे त्वचा,बाल, नाखून, ग्रंथि, दांत, मसूड़ा और हड्डी को सामान्य रूप में बनाए रखने में मदद करता है। विटामिन ए की कमी से ज्यादातर आंखों की बीमारियां होती हैं, जैसे रतौंधी, आंख के सफेद हिस्से में धब्बे। यह रक्त में कैल्शियम का स्तर बनाए रखने में भी मदद करती है और हड्डियों को मजबूत करती है।

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स्रोत

शरीर में विटामिन ए की कमी न होने के लिए चुकंदर, गाजर, पनीर, दूध, टमाटर, हरी सब्जियां, पीले रंग के फल खाने चाहिए। इसमें विटामिन ए भरपूर मात्रा में पाया जाता है, जो शरीर में इसकी पूर्ति करता है।

विटामिन- B

विटमिन बी हमारी कोशिकाओं में पाए जाने वाले जीन, डीएनए को बनाने और उनकी मरम्मत में सहायता करता है। इसके कई काम्पलेक्स होते हैं, बी1, बी2, बी3, बी5, बी6, बी7 और बी12। यह बुद्धि, रीढ़ की हड्डी और नसों के कुछ तत्वों को बनाने में मदद करता है। लाल रक्त कणिकाओं का निर्माण भी इसी से होता है। इसकी कमी से बेरी बेरी, त्वचा की बीमारियां, एनीमिया, मंदबुद्धि जैसी कई खतरनाक बीमारियां हो सकती हैं। इसका आनुवंशिक कारण भी हो सकता है। आंतों एवं वजन घटाने की सर्जरी कराना भी इसके लिए जिम्मेदार हो सकता है। शाकाहारी लोगों में इसकी कमी आम बात हो जाती है क्योंकि यह विटामिन ज्यादातर जानवरों में पाया जाता है।

स्रोत

विटामिन बी ज्यादातर मांसाहारी पदार्थों जैसे मछली, मीट, अंडा आदि में पाया जाता है। शाकाहारी लोग इसकी आपूर्ति दूध और इससे बनने वाले उत्पादों, जमीन के अंदर उगने वाली सब्जियों आलू, गाजर, मूली में आंशिक रूप से पाया जाता है।

विटामिन- C

विटामिन सी शरीर की मूलभूत रासायनिक क्रियाओं में यौगिकों का निर्माण और उन्हें सहयोग करता है। तंत्रिकाओं तक संदेश पहुंचाना या कोशिकाओं तक ऊर्जा प्रवाहित करना आदि। विटामिन सी मानव शरीर के सामान्य कामकाज के लिए आवश्यक है। यह एस्कॉर्बिक अम्ल होता है जो कि हर तरह के सिट्रस फल में जैसे, नींबू, संतरा, अमरूद, मौसमी आदि में पाया जाता है। विटामिन सी की कमी से स्कर्वी नामक रोग हो सकता है, जिसमें शरीर में थकान, मासंपेशियों की कमजोरी, जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द, मसूढ़ों से खून आना और टांगों में चकत्ते पड़ने जैसी दिक्कतें हो जाती हैं। विटामिन सी की कमी से शरीर छोटी छोटी बीमारियों से लड़ने की ताकत भी खो देता है, जिसका नतीजा बीमारियों के रूप में सामने आता है।

स्रोत

विटामिन सी खट्टे रसदार फल जैसे आंवला, नारंगी, नींबू, संतरा, बेर, कटहल, पुदीना, अंगूर, टमाटर, अमरूद, सेब, दूध, चुकंदर, चौलाई और पालक विटामिन सी के अच्छे स्रोत हैं। इसके अलावा दालों में भी विटामिन सी पाया जाता है। विटामिन के वसा में घुलनशील है, इसकी कमी से रक्त का थक्का जमना बंद हो जाता है। इसके स्त्रोत हरी सब्जियां, अंकुरित चने और फल हैं।

विटामिन- D

विटामिन डी का सबसे अच्छा स्त्रोत सूर्य की किरणें हैं। जब हमारे शरीर की खुली त्वचा सूरज की अल्ट्रावायलेट किरणों के संपर्क में आती है तो ये किरणें त्वचा में अवशोषित होकर विटामिन डी का निर्माण करती हैं। अगर सप्ताह में दो बार दस से पंद्रह मिनट तक शरीर की खुली त्वचा पर सूर्य की अल्ट्रा वायलेट किरणें पड़ती हैं तो शरीर की विटामिन डी की पूर्ति हो जाती है। इसकी कमी से हड्डियां कमजोर हो जाती हैं, हाथ और पैर की हड्डियां टेढ़ी भी हो जाती हैं। मोटापा बढ़ने के साथ ही शरीर में विटामिन डी का स्तर कम होता जाता है, जो लोग मोटापे जैसी बीमारी से ग्रस्त है उन्हें विटामिन डी की कमी को पूरा करने के साथ-साथ मोटापे को भी कम करना चाहिए।

स्रोत

सूर्य विटामिन डी का सबसे अच्छा स्त्रोत माना जाता है। इसके अलावा दूध और सोयाबीन  में भी विटामिन डी पाया जाता है।

विटामिन E

विटामिन ई शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत बनाए रखने, शरीर को एलर्जी से बचाए रखने की, कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित रखने में प्रमुख भूमिका निभाता है।विटामिन ई वसा में घुलनशील विटामिन है। यह एक एंटीऑक्सीडेंट के रूप में भी कार्य करता है। इसके आठ रूप होते हैं। इसकी कमी से जनन शक्ति में कमी आ जाती है।

स्रोत

विटामिन ई सूखे, मेवे, बादाम और अखरोट, सूरजमुखी के बीज, हरी पत्तेदार सब्जियां, शकरकंद, सरसों में पासा जाता है। इसके अलावा विटामिन ई वनस्पति तेल, गेंहू, हरे साग, चना, जौ, खजूर, चावल के मांड़ में पाया जाता है।

Source: www.gaonconnection.com

हाथ,पैर,कमर,पीठ में दर्द को जड़ से खत्म कर देगा ये घरेलु नुस्खा

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पीठ दर्द के कई कारण है, जैसे सर्जिकल डिलिवरी, गलत तरीके से सोना या उठना-बैठना। महिलाओं को आमतौर पर ऊंची हील की सैंडल पहनने से भी कमर दर्द होने लगता है। वैसे तो पीठ और कमर दर्द का ऐलोपथी के जरिये इलाज मौजूद है, लेकिन आयुर्वेदिक चिकित्सा में इन दोनों तरह के दर्द का स्थायी उपचारउपलब्ध है। जानें, कमर और पीठ दर्द का आयुर्वेदिक उपचार क्या है…

काढ़ा करेगा फायदा

कमर दर्द होने पर दशमूल काढ़ा सुबह व शाम पीना चाहिए। चूंकि कमर दर्द का मूल कारण कब्ज माना गया है, इसलिए कब्ज होने पर अरंडी के तेल का थोड़ी मात्रा में सेवन करना चाहिए। रात में गेहूं के दाने को पानी में भिगोकर सुबह इन्हें खसखस और धनिये के दाने के साथ दूध में मिला लें। सप्ताह में दो बार इसका इस्तेमाल करने से न सिर्फ कमर दर्द ठीक हो जाता है बल्कि शरीर में ताकत भी बढ़ती है।

मालिश देगी राहत

1. कमर दर्द

कमर दर्द की शिकायत मर्दों की तुलना में महिलाओं को अधिक रहती है। सुबह सरसों या नारियल के तेल में लहसुन की 3-4 कलियां डालकर गर्म कर लें। ठंडा होने पर इस तेल से कमर की मालिश करें।

2. पीठ दर्द

पीठ दर्द खत्म करने के लिए हल्के हाथों से मालिश करवानी चाहिए। इससे कशेरुकाएं यानी रीढ़ का जोड़ सही जगह बैठ जाता है और दर्द से छुटकारा मिलता है। पीठ दर्द से बचने के लिए जरूरी है कि कभी भी झुक कर भार न उठाएं। जब भी कुर्सी पर या चौकड़ी मारकर बैठे तो आगे की तरफ झुककर न बैठें। घंटों तक बैठना हो तो बीच-बीच में हिलते-डुलते रहें।

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रोजाना करें कसरत

आमतौर पर पीठ दर्द आयु से संबंधी रोग है। उम्र अधिक होने पर अन्य अस्थियों के साथ कशेरूक यानी रीढ़ का जोड़ भी दुर्बल हो जाता है और उनमें कैल्शियम की कमी हो जाती है। 25 प्रतिशत कीबोर्ड ऑपरेटरों को कंप्यूटर पर काम करने से सर्वाइको ब्रैकियल सिंड्रोम हो जाता है। इसमें व्यक्ति की बांह, कंधा, पीठ और गर्दन की पेशियां हमेशा तनाव में रहती हैं। इस दिक्कत से बचने के लिए जरूरी है कि शरीर को नियमित व्यायाम से चुस्त-दुरुस्त रखें।

बरतें एहतियात

– कमर दर्द के रोगी को हमेशा सख्त बिस्तर पर सोना चाहिए।
– काम करते समय शरीर बिल्कुल सीधा रखें।
– ज्यादा भारी सामान न उठाएं।
– खाने में कैल्शियम और विटमिन की मात्रा बढ़ाएं।

हर्निया से कैसे पाएं छुटकारा, बिना सर्जरी के

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आमतौर पर लोग छोटी-मोटी बीमारियों को नजरअंदाज करे देते हैं लेकिन वे इसके दुष्परिणामों से अनजान होते हैं। कई बार छोटी-छोटी समस्याएं ही आगे चलकर गंभीर रुप ले लेती
हैं हर्निया भी उनमे से एक है। इसे लोग लगातार नजरअंदाज करते रहते हैं। लेकिन हर्निया को वक्त पर न पहचान पाना बड़ी समस्या का कारण भी बन सकता है। हर्निया से आज बहुत से लोग पीड़ित हैं। लेकिन या तो वह इस बीमारी से अभी तक अनभिज्ञ हैं या फिर डॉक्टर के पास तभी जाते हैं, जब तकलीफ असहनीय हो जाती है।

एबडॉमिनल वॉल के कमजोर भाग के अंदर का कोई भाग जब बाहर की ओर निकल आता है तो इसे हर्निया कहते हैं। हर्निया में जांघ के विशेष हिस्से की मांसपेशियों के कमजोर होने  के कारण पेट के हिस्से बाहर निकल आते हैं। हर्निया की समस्या जन्मजात भी हो सकती है। ऐसी स्थिति में इसे कॉनजेनाइटल हर्निया कहते हैं। हर्निया एक वक्त के बाद किसी को भी हो सकता है। आमतौर पर लोगों को लगता है कि हर्निया का एकमात्र इलाज सर्जरी है जिसकी वजह से वे डॉक्टर के पास जाने से डरते हैं। लेकिन ऐसा नहीं है हर्निया बिना सर्जरी के भी ठीक हो सकता है।

क्यों होता है हर्निया

कुछ लोगों में हर्निया की समस्या जन्मजात होती है, जबकि कुछ को वयस्क होने पर होती है। हर्निया की समस्या कई कारणों से हो सकती है। पेट में बड़े दबाव के कारण आमतौर पर यह समस्या उत्पन्न होती है। यह वजन उठाते हुए, अत्यधिक जोर लगाकर खांसने से, पुरानी चोट के कारण, कब्ज, गर्भावस्था के दौरान, पेट की मांसपेशियां कमजोर पड़ जाने के कारण भी हो सकता है।

योगा के जरिए हर्निया का इलाज

एक पैर उठाकर

किसी समतल स्थान पर दरी बिछाकर सीधे लेट जाएं। अपने एक हाथ को हर्निया वाली जगह पर रखें। उसके बाद अपने दाहिने पैर को उठाएं और ऊपर से नीचे की तरफ लाएं। इस प्रक्रिया को करते समय ध्यान रखें पैर जमीन से नहीं लगने चाहिए। इस प्रक्रिया को कम से कम दस बार करें।  उसके बाद अपने बाएं पैर को उठाएं और उसी प्रक्रिया को दोहराएं। आप चाहें तो इस योग की अवधि को अपनी सुविधानुसार बढ़ा और घटा सकते हैं। इससे आपके पेट के निचले हिस्से की मांसपेशियों को मजबूती मिलती है।

लेग क्रॉसिंग

पीठ के बल समतल स्थान पर लेट जाएं। हाथों को हर्निया वाली जगह पर रखें। उसके बाद दोनों पैरों को जमीन से लगभग दो फीट ऊपर उठाएं। जब हम अपने दाहिने पैर को ऊपर उठाएंगे तो बायां पैर नीचे होना चाहिए और जब बायां पैर उठाएंगे तो दायां पैर नीचे होना चाहिए। इस प्रक्रिया को कम से कम दस बार दोहराएं। इस प्रक्रिया को करने के बाद पैरों को नीचे रखकर आराम करें।

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ट्री पोज

पहले सावधान मुद्रा में खड़े हो जाएं। फिर दोनों पैरों को एक दूसरे से कुछ दूर रखते हुए खड़े रहें और फिर हाथों को सिर के ऊपर उठाते हुए सीधाकर हथेलियों को मिला दें। इसके बाद दाहिने पैर को घुटने से मोड़ते हुए उसके तलवे को बाईं जांघ पर टिका दें। इस स्थिति के दौरान दाहिने पैर की एड़ी गुदाद्वार-जननेंद्री के नीचे टिकी होगी। बाएं पैर पर संतुलन बनाते हुए हथेलियां, सिर और कंधे को सीधा एक ही सीध में रखें। इसे वृक्षासन भी कहते हैं। जब तक इस आसन की स्थिति में आसानी से संतुलन बनाकर रह सकते हैं सुविधानुसार उतने समय तक रहें। एक पैर से दो या तीन बार किया जा सकता है।

हर्निया की समस्या से बचने के लिए

  • मलाशय की ठीक प्रकार से सफाई
  • मोटापे व वजन बढ़ने की समस्या से बचें
  • प्रोटीन व विटामिन सी सप्लीमेंट का सेवन
  • आरामदायक अंडरगारमेंट ही  पहनें
  • उन कार्यों से बचना चाहिए, जो हमारे पेट की मांसपेशियों पर अधिक दबाव डालते हों।
  • वजन भी संतुलित रखना चाहिए।
  • अगर कब्ज की समस्या है तो इसका तुरंत उपचार कीजिए।
  • रेशेदार पदार्थों का सेवन करें।

हर्निया की समस्या से बचने के लिए शुरुआती अवस्था में डॉक्टर से संपंर्क करें। हर्निया को सर्जरी के अलावा अन्य सावधानियों को बरत कर भी ठीक किया जा सकता है।

Source: www.onlymyhealth.com

गैस लाईटर रिपेयर करने का तरीका

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गैस लाइटर (gas lighter) वह युक्ति है जिससे गैस के चूल्हे जलाये जाते हैं। यह उन गैस चूल्हों को ज्वलित करने के लिये प्रयोग किया जाता है जिनमें स्वचालित ज्वालन प्रणाली (automatic ignition systems) नहीं होती। गैस लाइटर पीजो-विद्युत-प्रभाव के आधार पर काम करता है। इसमें एक पीजो-इलेक्ट्रिक क्रिस्टल पर एक हथौड़ा तेज गति से टकराता है जिससे लगभग ८०० वोल्ट पैदा होता है। इस वोल्टता के कारण एक चिनगारी (स्पार्क) पैदा होती है जो गैस को जला देती है।

गैस लाइटर एक समय के बाद खराब हो जाता है। उसमें स्विच कई बार ठीक से काम नहीं करता, या फिर उसमे से चिंगारी निकलना बंद हो जाती है। इन दोनों सूरत में लाइटर से गैस नहीं जला सकते। ऐसे में आप इस तरह से गैस लाइटर बना सकते हैं।

एलपीजी गैस पर खाना पकाते समय इन बातों का ध्यान रखें –

. गैस का इस्तेमाल करते समय खिड़कियां और दरवाजे खुले रखें।

. गैस चूल्हे के पास किसी भी प्रकार का ज्वलनशील पदार्थ या प्लास्टिक आदि न रखें। खाना पकाते समय इधर-उधर न जाएं।

. खाना बनाने के बाद पहले रेगुलेटर नोब बन्द करें और बाद में चूल्हे की नोब को बंद करें। ऐसा न करने पर पाइप में बची गैस ही हादसे का सबब बनती है।

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. गैस चालू करने से पहले चूल्हे, पाइप और सिलेंडर की ठीक से जांच कर लेना चाहिए। क्योंकि चूहा आदि पाइप काट सकता है। इससे लीकेज हो सकती है।
निकटतम ऐजेंसी और कस्टमर केयर का नंबर अपने पास रखें।

. अगर नोजल आदि में लीकेज देखे तो फौरन गैस एजेंसी को कॉल कर मामले से अवगत कराएं। लीकेज होने पर सिलेंडर के पास माचिस न जलाएं।

. बिजली के स्विच आदि को बंद कर दें। जलते हुए अन्य उपकरणों को बंद करें। लम्बे समय के लिए गैस का प्रयोग नहीं करते तो सिलेंडर को हमेशा बन्द कर ऊपर की ओर रख देना चाहिए। जल्दी आग पकड़ने वाली चींजों दूर रखें।

. लीकेज की जांच के लिए साबुन युक्त पानी का प्रयोग करना चाहिए।

. पुराने और कटे-फटे पाइप और रेगुलेटर का उपयोग न करें। ज्यादातर घटनाएं इसी वजह से होती हैं। अग्निशमन यंत्र पास रखें।. खाना बनाते समय सूती वस्त्रों का प्रयोग करें।

इन चीजों को खाने-पीने से नॉर्मल रहेगा यूरिक ऐसिड

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मानव शरीर में प्यूरिन के टूटने से यूरिक ऐसिड बनता है। यह ब्लड के सहारे किडनी तक पहुंचता है। वैसे तो यूरिक ऐसिड यूरीन के रूप में शरीर के बाहर निकल जाता है। लेकिन, कभी-कभी यह शरीर में ही रह जाता है और इसकी मात्रा बढ़ने लगती है। ऐसे में यह ऐसिड शरीर के लिए परेशानी खड़ी कर देता है। यूरिक ऐसिड की ज्यादा मात्रा से हार्ट डिजीज, हायपरटेंशन, किडनी स्टोन और गठिया जैसी बीमारियां भी हो सकती है, इसलिए यूरिक ऐसिड की मात्रा को कन्ट्रोल में रखना बेहद जरूरी है। यहां हम आपको बता रहे हैं ऐसी चीजों के बारे में जिनका सेवन करके आप अपने यूरिक ऐसिड को नॉर्मल रख सकते हैं।

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खाएं ये:

– रोजाना सुबह 2 से 3 अखरोट जरूर खाएं. ऐसा करने से बढ़े हुए यूरिक एसिड के लेवल की धीरे-धीरे कम होने की संभावना होती है.
– ज्यादातर फाइबर वाला खाना जैसे ओट्स, दलिया , ब्राउन राईस आदि खाना चाहिए.
– प्रोटीन से भरपूर चीजें जैसे मसूर दाल, सोयाबीन, राजमा , रेड मीट आदि खाना बिल्कुल बंद कर दें.
– रोज अजवाइन खाना ऐसे में फायदेमंद माना जाता है. इससे भी यूरिक एसिड की मात्रा कम हो सकती है.
– विटामिन सी यूरिक एसिड को बाहर निकालता है. इसलिए विटामिन सी से भरपूर चीजें ज्यादा से ज्यादा खानी चाहिए.
– फल और सब्जियां ज्यादा से ज्यादा खाएं.
– रोजाना एक सेब खाने से ब्लड में यूरिक एसिड का लेवल कम हो सकता है.
– तली-भुनी और चिकनाई वाली चीजों से दूर रहें.
– दिनभर पानी पीना तो रामबाण की तरह है. जितना ज्यादा पानी पिया जाएगा, गंदगी उतने ही अच्छे से बाहर निकलेगी.

ये चमत्कारी चूर्ण आज ही अपनाएं, गैस और कब्ज, पेट की चर्बी के लिए

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कमजोरी के कारण शरीर बीमारियों का शिकार हो जाता है। लेकिन यदि हम थोड़ी सी सावधानी बरतकर और आयुर्वेद को अपनाए तो अपने स्वास्थ्य की सही तरह से देखभाल कर ही पाएंगे। साथ ही शरीर का कायाकल्प भी करने में आसानी होगी। त्रिफला ऐसी ही आयुर्वेदिक औषधी है जो शरीर का कायाकल्प कर सकती है। त्रिफला के सेवन से बहुत फायदे हैं। स्वस्थ रहने के लिए त्रिफला चूर्ण महत्वपूर्ण है। त्रिफला सिर्फ कब्ज दूर करने ही नहीं बल्कि कमजोर शरीर को एनर्जी देने में भी प्रयोग हो सकता है।
विधि- सूखा देसी आंवला, बड़ी हर्रे व बहेड़ा लेकर गुठली निकाल दें। तीनों समभाग मिलाकर महीन पीस लें। कपड़छान कर कांच की शीशी में भरकर रखें।

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  • मोटापा कम करने के लिए त्रिफला बेहद असरकारी होता है. गुनगुने पानी में त्रिफला और शहद को मिलाकर सेवन करने से पेट की चर्बी कम होती है.
  • त्रिफला के नियमित सेवन से कमजोरी दूर होती है।
  • गाय व शहद के मिश्रण में (घी अधिक व शहद कम) के साथ त्रिफला चूर्ण का सेवन आंखों के लिए वरदानस्वरूप है। संयम के साथ इसका नियमित प्रयोग करने से आंखों के सारे रोग दूर हो जाते हैं। बुढ़ापे तक चश्मा नहीं लगेगा।
  • त्रिफला के काढ़े से घाव धोने से एलोपैथिक एंटिसेप्टिक की आवश्यकता नहीं रहती। घाव जल्दी भर जाता है।
  • त्रिफला के नियमित सेवन से लंबे समय तक रोगों से दूर रहा जा सकता है।
  • त्रिफला और इसका चूर्ण तीनों दोषों यानी वात,पित्त व कफ को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • बालों के खराब होने और समय से पूर्व सफेद होने से भी त्रिफला के सेवन से बचा जा सकता है।
  • रात को गुनगुने पानी के साथ त्रिफला लेने से कब्जियत नहीं रहती।
  • सुबह के समय तरोताजा होकर खाली पेट ताजे पानी के साथ त्रिफला का सेवन करें और इसके बाद एक घंटे तक पानी के अलावा कुछ ना लें।
  • मौसम को ध्यान में रखकर त्रिफला के साथ गुड़, सैंधा नमक, देशी खांड, सौंठ का चूर्ण, पीपल छोटी का चूर्ण, शहद इत्यादि मिलाकर सेवन कर सकते हैं।

त्रिफला के फायदे और सेवन विधि जानने के लिए पूरी वीडियो देखे और अगर आपको हमारी जानकारी फायदेमंद लगे तो हमारा Youtube Channel Subscribe कीजिये..और घंटी बजाना ना भूलियेगा ताकि आपको मिल सके हमारे नए वीडियो सबसे पहले…

सबसे ताकतवर और पौष्टिक भोजन है ये

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भगवान श्रीकृष्ण का प्रिय भोग माखन मिश्री स्वाद में जितना मधुर लगता है, उतने ही मीठे हैं इसके सेहत से जुड़े फायदे भी। जानिए 5 फायदे…

1 माखन-मिश्री को मिलाकर प्रतिदिन अगर नाश्ते में खाया जाए, तो सिरदर्द और जोड़ों में दर्द की समस्या से छुटकारा मिल सकता है। इससे जोड़ों में खाई हुई नमी और चिकनाई मिल सकेगी और रूखापन धीरे-धीरे कम होगा।

2 आंखों की कमजोरी दूर करने के लिए भी यह तरीका बेहद कारगर है। इसके अलावा मुंह में छाले हो जाने पर माखन मिश्री का सेवन लाभदायक साबित होता है।

3 त्वचा को चिकना और चमकदार बनाना चाहत हैं, तो मिश्री का बूरा और मक्खन मिलाकर त्वचा पर मसाज करें। यह मसाज और स्क्रब दोनों का काम करेगा और त्वचा को प्राकृतिक रूप से चिकना, चमकदार और मुलायम बनाएगा।

4 माखन मिश्री का सेवन करना मस्तिष्क के लिए भी बेहद फायदेमंद होता है। बच्चों को नियमित रूप से अअगर माखन मिश्री खिलाया जाए, तो यह उनके मस्तिष्क और शरीर के विकास के लिए बेहद फायदेमंद होता है।

5 बवासीर जैसी बीमारी से परेशान हैं, तो परेशान न हों, माखन मिश्री का नियमित रूप से सेवन कर, कुछ ही दिनों में आप इस समस्या से निजात पा सकेंगे।

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माखन मिश्री के अन्य फायदे

याददाश्‍त के ल‍िए बेहतर

माखन मिश्री का सेवन करना मस्तिष्क के लिए भी बेहद फायदेमंद होता है। बच्चों को नियमित रूप से अगर माखन मिश्री खिलाया जाए, तो यह उनके मस्तिष्क और शरीर के विकास के लिए बेहद फायदेमंद होता है।

हीमोग्लोबिन का स्‍तर ठीक करे

माना जाता है कि माखन के साथ मिश्री मिलाकर खाने से शरीर ताकत और पौष्टिकता मिलती है। साथ ही शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्र भी बढ़ती है जिससे त्‍वचा में कांति आती है।

10 दिन लगातार खाली पेट पीएं यह पानी, फिर देखें कमाल

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हर घर में अजवाइन का इस्तेमाल मसाले के रूप में किया जाता है। इसमें मौजूद तत्व सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है। इसका रोजाना सेवन करने से आप शरीर को कई बीमारियों से दूर रख सकते है। अगर आप अजवाइन के पानी का सेवन करें तो इसका फायदा दोगना हो जाता है। सुबह खाली पेट अजवाइन का पानी पीएं। इससे पाचन क्रिया से संबंधित समस्याएं दूर होगी।

कैसे तैयार करें अजवाइन का पानी

गर्म पानी में अजवाइन डालें और थोड़ी देर एेसे ही रहने दें। बाद में छानकर पी लें। इसके अलावा रात को एक गिलास पानी में एक चम्मच अजवाइन डालकर रख दें। सुबह छानकर पी लें। लगातार 10 दिन खाली पेट इसका सेवन करें।

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खाली पेट अजवाइन का पानी पीने के फायदे

– अगर आपको गैस की प्रॉब्लम रहती हैं तो यह पानी आपके लिए रामवाण है। इससे गैस की समस्या नहीं होगी।

– पेट दर्द के लिए भी यह बहुत फायदेमंद है। रोजाना इसका सेवन करने से पेट दर्द से राहत मिलेगी।

– अजवाइन का पानी यूरिन इंफैक्शन से राहत दिलाने में भी मददगार है।

– आजकल अधिकतर लोग मोटापे से परेशान है। वजन को कम करने के लिए लोग कई तरीके अपनाते हैं। खाली पेट इसका सेवन करने से वजन कम होता है।

– गलत खानपान की वजह से कई बार मुंह से बदबू आने लगती है। इसका सेवन करने से मुंह की बदबू ठीक हो जाती है।

Source: www.nari.punjabkesari.in

किस मौसम में पीएं कौन से घड़े का पानी

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भोजन, पानी और हवा अगर गुणवत्तापूर्ण नहीं हैं तो रोग उत्पन्न होते हैं। हिन्दू शास्त्रों और आयुर्वेद में इस संबंध में कई तरह की बातों का खुलासा किया गया है। सबसे जरूरी है पानी। पानी को प्राकृतिक तरीके से छानकर पीएं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कौन से मौसम में किस घड़े में पानी डालकर पीना चाहिए? यदि नहीं तो आज आप जानिए बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी।
गर्मी का मौसम : प्राचीन भारत के लोग गर्मी के मौसम में मिट्टी के घड़े, मटके या सुराही का पानी ही पीते थे। अब यह प्रचलन सिर्फ गांव तक ही सीमित रह गया है। शहर में तो लोग फ्रिज का पानी पीते हैं, जो कि सबसे घातक है। दरअसल, गर्मी में मिट्टी के घड़े का पानी ही पीना चाहिए, क्योंकि घड़े में पानी की गुणवत्ता और बढ़ जाती है और वह ठंडा भी रहता है। कुछ लोग इस मौसम में चांदी के घड़े में पानी पीने की सलाह भी देते हैं। चांदी में भी पानी शीतल और स्वच्छ रहता है।
बरसात का मौसम : बरसात के मौसम में बैक्टीरिया बढ़ जाते हैं इसीलिए इस मौसम में हमारे प्राचीन ऋषि-मुनि तांबे के बर्तन या घड़े में पानी पीने की सलाह देते हैं। तांबा अनावश्यक बैक्टीरिया को मारकर पानी को शुद्ध कर देता है।

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सर्दी का मौसम : सर्दी के मौसम में सोने के घड़े या बर्तन में पानी पीना चाहिए। इससे शरीर में शीत नहीं जमती है और न ही कफ बढ़ता है। यह सर्दी-जुकाम और बुखार जैसे मौसमी रोगों से बचाता है। यदि सोने का कोई बर्तन नहीं है, तो पीतल या स्टील के बर्तन में सोने का एक टुकड़ा, अंगूठी, चेन आदि डालकर रखें और फिर उसका पानी पीएं।
सबसे अच्छा पानी : आयुर्वेद के अनुसार सबसे अच्छा पानी बारिश का होता है। उसके बाद ग्लेशियर से निकलने वाली नदियों का, फिर तालाब का पानी, फिर बोरिंग का और पांचवां पानी कुएं या कुंडी का। यदि पानी खराब लगे तो उबालकर पीएं लेकिन ऑरो का पानी नहीं पीएं, क्योंकि ये पानी की क्वालिटी को बिगाड़ देते हैं।

खून की कमी का घरेलू इलाज जानने के लिए पूरी वीडियो देखे और अगर आपको हमारी जानकारी फायदेमंद लगे तो हमारा Youtube Channel Subscribe कीजिये..और घंटी बजाना ना भूलियेगा ताकि आपको मिल सके हमारे नए वीडियो सबसे पहले…

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