वात, पित्त और कफ के सभी रोग दूर करे सिर्फ 5 रुपये में

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आयुर्वेद के मुताबिक शरीर में वात यानी हवा, पित्त यानी भोजन को पचाने का रस और कफ यानी बलगम का दोष होता है। आयुर्वेद के अनुसार सिर से लेकर छाती के बीच तक के रोग कफ बिगड़ने से होते हैं। छाती के बीच से लेकर पेट और कमर के अंत तक में होने वाले रोग पित्त बिगड़ने के कारण होते हैं। और कमर से लेकर घुटने और पैरों के अंत तक होने वाले रोग वात बिगड़ने के कारण होते हैं।हर किसी में ये तीनों या फिर इनमें से कोई एक दोष पाया जाता है। भले ही आधुनिक चिकित्सा पद्धति इन दोषों को न मानती हो, लेकिन आयुर्वेद में इन दोषों को दूर कर शरीर को निरोगी बनाने के तमाम तरीके दिए गए हैं।सन्तुलित पित्त जहां शरीर को बल व बुद्धि देता है, वहीं यदि इसका सन्तुलन बिगड़ जाए तो कई रोग हो सकते है। पित्त के बढ़ जाने से त्‍वचा पर चकत्‍ते, हार्टबर्न, डायरिया, एसिडिटी, बालों का असमय सफेद या बाल पतले होना, नींद न आना, क्रोध, चिडचिडापन, बहुत अधिक पसीना आना, अर्थराइटिस, मुंहासों या हेपेटाइटिस आदि जैसी कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

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पित्त प्रकृति होने पर यह सलाह दी जाती है कि आप हर 2-3 घंटे बाद कुछ न कुछ खाएं ताकि आपके शरीर में अम्ल का स्तर न बढ़े। आयुर्वेद कहता है कि अगर पित्त का दोष है, तो आपको बादाम, हरी सब्जियां, बिना नमक वाला मक्खन,  नारियल खाना चाहिए। ऐल्कलाइन खाद्य पदार्थ (क्षारीय खाद्य पदार्थ) जैसे फल, सब्जियां और अनाज खाएं। बहुत अधिक मटन आदि न खाएं और भरपूर पानी पीएं।जब शरीर में वायु तत्व सामान्य से ज्यादा हो जाता है, तो इसे वात दोष कहते हैं। अगर कोई रोग आपके शरीर को शाम के समय या देर रात परेशान कर रहा है, तो इसका अर्थ है कि उस रोग का कारण वात दोष है। मोटापा भी वात दोष के कारण होता है।वात दोष में त्रिफला को सबसे विश्‍वसनीय और प्रभावी उपचार माना जाता है। ये फल कब्‍ज में बहुत लाभकारी होते हैं। आप त्रिफला चाय या फिर आप त्रिफला को एक चौथाई चम्‍मच, आधा चम्‍मच धनिया के बीच, एक चौथाई चम्‍मच इलायची के दाने को पीस लें और इसे दिन में दो बार लें।

इसके अलावा वात दोष हो तो, दूध, दही पनीर, छाछ, मूंगफली और घी खाना चाहिए। अगर शरीर में कफ संतुलित होता है तो व्यक्ति का मन और दिमाग शांत रहता है। कफ दोष तीनों दोषों में सबसे धीमा और संतुलित माना जाता है। कफ आपके शरीर में त्वचा को नमी देने, जोड़ों को चिकना करने, लिबिडो बढ़ाने और इम्‍यूनिटी बढ़ाने में सहायक होता है। शरीर में कफ के असंतुलन के कई कारण होते हैं। आमतौर पर उन लोगों को कफ दोष का ज्यादा खतरा होता है जो दूध और दूध से बनी चीजों का अधिक सेवन करते हैं या मीठे का बहुत अधिक सेवन करते हैं। शरीर में कफ के असंतुलन को ठीक करने के लिए तीखे, कड़वे और गर्म खाद्य पदार्थों का सेवन करें। इसके अलावा उल्टी करने से पेट और छाती के कफ को निकालने में मदद मिलती है। उल्टी के लिए आप कड़वी आयुर्वेदिक दवाओं या नीम की पत्ती आदि खा सकते हैं। इसके अलावा कफ होने पर धूप में रहना अच्छा रहता है। ठंडी जगह पर आपको सामान्य से ज्यादा ठंड लग सकती है। इसके अलावा आप सुस्ती और आलस से बचें और थोड़ा टहलें, दौड़ें या स्विमिंग कर लें।

सांस फूलने की समस्या दूर करने के 10 घरेलू उपचार

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Exhausted sports woman

सांस फूलना या सांस ठीक से न ले पाना एलर्जी, संक्रमण, सूजन, चोट या मेटाबोलिक स्थितियों की वजह से हो सकता है। अकसर सांस तब फूलती है जब मस्तिष्क के संकेत फेफड़ों को सांस की रफ्तार बढ़ाने का निर्देश देते हैं। फेफड़ों से संबंधित प्रणाली को प्रभावित करने वाली स्थितियों के कारण भी सांस की समस्या होती है। वहीं फेफड़ों और ब्रोंकाइल ट्यूब्स में सूजन होना सांस फूलने के आम कारण होते हैं। इसी तरह सिगरेट पीने या अन्य टॉक्सिंस के कारण श्वसन क्षेत्र (रेस्पिरेट्री ट्रैक) में लगी चोट की वजह से भी सांस लेने में दिक्कत पैदा हो सकती है। वहीं दिल की बीमारियों या खून में ऑक्सीजन का स्तर कम होने के कारण भी सांस फूलती है।

दमा होता है बड़ा कारण

श्वास नलिकाएं फेफड़े से हवा को अंदर व बाहर करती हैं। दमा होने पर इन नलिकाओं के अंदर की दीवार में सूजन हो जाती है। यह सूजन नलिकाओं को बेहद संवेदनशील बना देता है और किसी भी संवेदनशील चीज के स्पर्श से यह तीखी प्रतिक्रिया करता है। जब नलिकाएं प्रतिक्रिया करती हैं, तो उनमें संकुचन होता है और फेफड़े में हवा की कम मात्रा जाती है और सांस फूलने लगती है।

एसिड बनाने वाले पदार्थ न लें

सांस फूलने की समस्या होने पर आहार में कार्बोहाइड्रेट चिकनाई एवं प्रोटीन जैसे एसिड बनाने वाले पदार्थ सीमित मात्रा में लें और ताज़े फल, हरी सब्जियां तथा अंकुरित चने जैसे क्षारीय खाद्य पदार्थों का भरपूर मात्रा में सेवन करें।

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शहद

शहद एक बेहद आम घरेलू उपचार है, जो अस्‍थमा के इलाज के लिये भी प्रयोग किया जाता है। अस्‍थमा अटैक आने पर शहद वाले पानी से भाप लेने से पर जल्द ही समस्या से राहत मिलती है। इसके अलावा दिन में तीन बार एक ग्‍लास पानी के साथ शहद मिला कर पीने से बीमारी भ ी आराम मिलता है। शहद बलगम को भी ठीक करता है, जो अस्‍थमा व सांस की परेशानी पैदा करता है।

तुलसी का रस

बेहद गुणकारी तुलसी सांस फूलने की समस्या में भी बेहद लाभदायक होती है। तुलसी का रस और शहद चाटने से अस्‍थमा रोगि यों को व सांस फूलने की समस्या वाले लोगों को आराम मिलता है। इससे सांस की बंद नलियां तुरंत ही खुल जाती हैं।

कॉफी

अगर आपको अस्थमा का अटैक आया है तो आप तुरंत गरम कॉफी पी सकते हैं। यह श्वांस नलिकाओं में रूकी हुई हवा को तुरंत ही खोल देगी। अगर कॉफी नहीं पी सकते तो कॉफी की महक सूंघने से भी लाभ होता है।

यूकेलिप्‍टस तेल

यदि सांस फूलने की समस्या है को घर में यूकेलिप्‍टस का तेल जरूर रखें। जब कभी सांस फूले तो यूकेलिप्‍टस का तेल सूंघ लें, इसको सूंघने से आपको तुरंत फायदा होगा और समस्या धीरे-धीरे ठीक होने लगेगी।

गरम जगह में जाएं

ठंडी जगह में सांस फूले तो गरम जगह पर चले जाएं, जहां पर ऐसी या कूलर न हो। इसके अलावा अगर गरम शॉवर ले सकते हैं तो भी आपको राहत मिलती है। साथ ही जब भी आपकी सांस फूलने लगे तो भींड भाड़ और धूल भरी जगह छोड़ दें और किसी खुली जगह पर चले जाएं।

वंशलोचन के फायदे

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वंशलोचन शरीर की धातुओं को बढ़ाता है. यह धातु को पुष्ट करता है। यह स्वादिष्ट और ठंडा होता है, प्यास को रोकता है। यह खांसी, बलगम, बुखार, पित्त, खून की खराबी और सफेद दाग को दूर करता है। यह फोड़ा-फुन्सियों और पाण्डु (पीलिया) रोगों को दूर करता है। यह हृदय और आमाशय को बलवान बनाता है। प्यास को रोकता है तथा पित्त से होने वाले खूनी दस्तों को दूर करता है। यह उन्माद (पागलपन)और गर्मी के बुखार में लाभ देता है। 10 ग्राम वंशलोचन, 10 ग्राम भूनी हुई फिटकरी और 10 ग्राम पिसी हुई मिश्रीका चूर्ण बनाकर खांसी के लिए बहुत ही लाभदायक होता है। यह छोटे-छोटे बच्चों की खांसी जो कफ को थूक नहीं सकते हैं तथा खांसते-खांसते बेहोश हो जाते हैं। उनके लिए यह चूर्ण बहुत ही लाभकारी होता है। इसे बच्चों को आयु के अनुसार आधा ग्राम तक दे सकते हैं।

स्वभाव : यह शीतल होती है।

हानिकारक : वंशलोचन का अधिक मात्रा में प्रयोग फेफड़ों के लिए हानिकारक होता है।

विभिन्न रोगों मे सहायक :

1. दमा : 20-20 ग्राम वंशलोचन और पीपल को पीसकर 2 ग्राम की मात्रा में शहद में मिलाकर सुबह-शाम देने से दमा का रोग दूर हो जाता है।

2. दांत निकलना : दांत निकलते समय बच्चे को वंशलोचन और शहद मिलाकर चटाने से दांत सुन्दर निकलते हैं और दांतों का दर्द भी खत्म हो जाता है।

3. खांसी :

वंशलोचन एक ऐसा द्रव्य है जो अनेक योगों में प्रयुक्त होता है। बहुत सी प्रसिद्ध औषधियां इसके योग से बनती हैं। खांसी और सांस के रोग में इससे ज्यादा लाभ उठाया जा सकता है। खांसी अगर सूखी हो तो आधा ग्राम वंशलोचन शहद के साथ मिलाकर चाटने से दूर हो जाती है। सांस के रोग में भी वंशलोचन बहुत लाभकारी होता है। आधे ग्राम तक वंशलोचन के चूर्ण में 1 चुटकी पीपल का चूर्ण मिलाकर शहद के साथ देने से पूरा लाभ मिलता है।1 से ढाई ग्राम वंशलोचन के चूर्ण को शहद के साथ मिलाकर खाने से सूखी खांसी ठीक हो जाती है।

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4. गर्भ की रक्षा : आधा ग्राम वंशलोचन पानी या दूध के साथ सुबह-शाम सेवन करने से गर्भपात नहीं होगा और गर्भशक्तिशाली बनता है। इससे गर्भवती स्त्री और बच्चे का स्वास्थ्य ठीक रहता है।

5. मुंह के छाले :

मुंह के छाले में वंशलोचन के साथ शहद मिलाकर लगाने से मुंह के छालों में आराम रहता है।हल्दी व वंशलोचन को एक साथ पीसकर मुंह के छाले पर लगाने से छाले ठीक हो जाते हैं।

6. स्त्रियों का प्रदर रोग :

50 ग्राम वंशलोचन को पीसकर 50 ग्राम चीनी में मिलाकर इसे 5-5 ग्राम कच्चे दूध और पानी से सुबह-शाम सेवन करने से प्रदर रोग में लाभ होता है।50-50 ग्राम की मात्रा में वंशलोचन, नागकेसर, छोटी इलायची को लेकर पीस लें। इसमें 100 ग्राम की मात्रा में मिश्री मिला लें। इसमें से 1-1 चम्मच सुबह-शाम दूध के साथ सेवन करने से प्रदर रोग में लाभ होता है।

7. यकृत का बढ़ना :

1.5 ग्राम वंशलोचन को शहद के साथ मिलाकर रोगी को चटाकर खिलाने से यकृत (जिगर) वृद्धि में बहुत लाभ होता है।120 मिलीग्राम की मात्रा में असली वंशलोचन बच्चे को सुबह-शाम दूध या शहद के साथ सेवन करने से लाभ होता हैं।120-120 मिलीग्राम वंशालोचन, पपीता और चिरायता का चूर्ण शहद के साथ सेवन करने से यकृत वृद्धि में बहुत फायदा होता है।

8. हाथ-पैरों की जलन : 1 ग्राम वंशलोचन को शहद के साथ सुबह-शाम चाटने से हाथ-पैरों की जलन शान्त हो जाती है।

9. बालरोग : 120 मिलीग्राम पिसा हुआ वंशलोचन शहद में मिलाकर सुबह रोगी को चटाने से खांसी ठीक हो जाती है।

ये चीज हाइट तेजी से बढ़ाये, चेहरा चमकाए, हड्डियों को फौलाद बनाये

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समतल भूमी पर होने बाले बांस (Bamboo) चालीस से पचास फीट तक लम्बे होते हैं. इसकी लकड़ी अत्यधिक लम्बी और लचीली होती है. इसके पत्ते लम्बे और नुकीले होते हैं. इसके बीज गेहूं के दाने जैसे होते हैं.चालीस पचास साल के बाद इस पे बीज आते  हैं. इसकी पैदा बार खुद पे खुद बढती है. इस के आस-पास के अंकुरण से इसकी पैदा बार बढती चली जाती है. इसी तरह अगर एक सूख जाये तो आठ दस सूख जाते हैं.

बांस (Bamboo) परिचय गुण तथा आयुर्वेदिक उपयोग

बांस (Bamboo) के गुण

इस से बहुत सारी वस्तुएं बनाई जाती हैं. जिन का हम अपने जीवन में रोज प्रयोग करते हैं. जैसे- टोकरी, चटाई. सूप, पंखे, कुर्सीयों, कोच, पलंग आदि तो बनाये ही जाते हैं. इसके अलाबा निर्धन वर्ग इन का घर बनाने के लिए प्रयोग करता है. सामन्यतय: इसे हरेक घर में खाट के पायों और लकड़ी की सीड़ी के रूप में देखा जाता है.

इसको कई अन्य नामों से जाना जाता है – वंश, वेणु, बेल, चिवा, विदिरू,गला, एला, मुंगिल आदि भी कहते हैं.

– बांस की कच्ची शाखाओं (Bamboo shoots) व कोंपलों में प्रोटीन, विटामिन A, विटामिन E, विटामिन B6, कैल्शियम, पोषक तत्व और मैगनिशियम, सोडियम, जिंक, कॉपर, आयरन, पोटैशियम, फॉस्फोरस, सेलेनियम जैसे खनिज तत्व पाए जाते हैं. इसके अतिरिक्त बांस में 19 प्रकार के एमिनो एसिड्स पाए जाते हैं, जोकि सेहत के लिए लाभकारी होते हैं.

– बांस के रस में अदरक का रस, शहद मिलाकर पीने से खांसी शांत होती है. बांस के फूल का 2-3 बूँद रस दिन में 3-4 बार कान में डालने से बहरेपन के रोगी को आराम मिलता है और धीरे धीरे सुनाई देने लगता है.

– बांस की कोंपलों में काफी मात्रा में कैल्शियम पाया जाता है अतः इसे खाने से हड्डियाँ मजबूत होती है, बच्चों की लम्बाई भी बढ़ती है.

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– बांस की पतली टहनी से दातुन करने से दन्त-रोग, मुख की दुर्गन्ध, दांतों का दर्द दूर होते हैं.

– बांस (Bamboo) के बने भोज्य पदार्थ जैसे बांस की सब्जी, बांस मुरब्बा, अचार खाने से वजन और कोलेस्ट्रोल घटता है, ब्लड शुगर काबू में रहता है.

– पुराने और मोटी बांस की गांठो में सफ़ेद क्रिस्टल जैसा पदार्थ पाया जाता है, जिसे वंशलोचन (Bamboo Manna) कहा जाता है. शीतल प्रवृत्ति वाले इस पदार्थ के कई फायदे हैं. वंशलोचन का प्रयोग शरीर को बलवान, ह्रदय और पेट को मजबूत बनाता है.

– वंशलोचन कई आयुर्वेदिक दवाओं जैसे कायाकल्प वटी, चन्द्रप्रभा वटी, सितोपलादि चूर्ण आदि बनाने में प्रयोग होता है. वंशलोचन पेट के अल्सर, बालों बढ़ाने और मजबूत करने, खांसी-जुकाम, रक्त-विकार, Skin problem, Asthma, गठिया रोग में काफी असरकारक माना जाता है.

राजीव दीक्षित के नुस्खे और आयुर्वेदिक उपचार

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राजीव दीक्षित के नुस्खे और आयुर्वेदिक उपचार

  1. हाइट बढ़ाने के लिए हर रोज गेंहू के दाने के बराबर चूना दही में मिला कर खाए। दही ना हो तो दाल या पानी के साथ ले।
  2. सर्दी जुखाम और कफ की समस्या के घरेलु इलाज के लिए काली मिर्च, तुलसी और अदरक को शहद में मिला कर दिन में 2 से 3 बार खाये। इस home remedy treatment से नाक का बहना भी रुक जायेगा।
  3. बाल झड़ने से रोकने के लिए नीम का पेस्ट बालों में लगाए फिर कुछ देर बाद धो ले। इस घरेलू नुस्खे से बाल झड़ना बंद हो जायेंगे।
  4. गले की खराश दूर करने के लिए अदरक के पेस्ट  में घी और गुड़ मिला कर खाये।
  5. राजीव दीक्षित बवासीर का इलाज के लिए मूली का रस पिने की सलाह देते है। 1 कप मुल्ली का रस खाना खाने के बाद पिने से piles से राहत मिलती है। इस उपाय को सुबह या दोपहर को करे शाम को ना करे। बवासीर, भगंदर, फिसर सब में इस होम रेमेडी से आराम मिलता है।
  6. बार बार पेशाब आने की समस्या को रोकने के लिए सुबह शाम तिल और गुड़ से बना लड्डू खाये।
  7. हाई ब्लड प्रेशर के देसी इलाज के लिए कुछ दिन निरंतर आधा चम्मच मेथी दाना पाउडर पानी के साथ ले। इसके इलावा लौकी का रस और तुलसी का रस भी high blood pressure कम करने में लाभ करता है।
  8. दांत का दर्द दूर करने के लिए कच्चे प्याज के एक टुकड़े को 3 मिनट के लिए दांतों के बीच दबा कर रखे। इस उपाय से काफी आराम मिलेगा।
  9. किडनी में पथरी की समस्या हो तो 3 कच्ची भिंडी पतली और लम्बी काट कर 2 लीटर पानी में दाल दे और रात भर के लिए इसे ऐसे ही छोड़ दे। सुबह इसी पानी में भिंडी निचोड़ कर अलग कर ले और 2 घंटे के अंदर सारा पानी पी जाये। इस उपाय को निरंतर करने पर किडनी की पथरी से निजात मिलेगी।
  10. मुंह की बदबू के उपाय के लिए तुलसी के पत्ते चबाये। लौंग और इलायची से भी सांस की बदबू से छुटकारा मिलता है। शरीर से बदबू आती है तो गाजर का जूस रोजाना पीना चाहिए इससे तन की दुर्गंध दूर करने में मदद मिलती है।
  11. पान में खाने वाला चूना अनेकों रोगों के उपचार में रामबाण दवा का काम करता है। गेंहू के दाने के समान चूना दही, दाल या जूस के साथ ले। पीलिया, नपुंसकता, दिमाग तेज करने, पीरियड्स की समस्या, कमर दर्द, कंधे का दर्द, घुटनों और जोड़ों का दर्द जैसे अनेकों रोगों से छुटकारा पाने में चूना का सेवन उपयोगी है। पथरी के रोगी इस उपाय को ना करे।
  12. मोटापा और वजन कम करने के लिए जीरा काफी असरदार है। एक चम्मच जीरा रात को एक गिलास पानी में भिगो कर रखे और सुबह इसे उबाल कर चाय की तरह पिए और बचा हुआ जीरा चबा कर खाए। निरंतर इस gharelu upay को करने से पेट की चर्बी कम होने लगती है।
  13. बच्चों को बुखार और सर्दी हो जाये तो 2 – 3 तुलसी के पत्ते और एक छोटा अदरक का टुकड़ा  ले और इनका रस निकाल कर एक चम्मच शहद के साथ दिन में दो से तीन बार दे।
  14. राजीव दीक्षित शुगर का इलाज घरेलू तरीके से करने के लिए करेले को असरदार बताते है। मधुमेह के रोगी को करेले का जूस हर रोज पीना चाहिए। भोजन में भी करेले की सब्जी खाने से भी डायबिटीज कंट्रोल में रखने में मदद मिलती है।
  15. सिर दर्द के उपचार के लिए दालचीनी को पानी में पीस का पेस्ट बना ले और इसे माथे पर लगा कर छोड़ दे। सिर का दर्द दूर करने में ये ट्रीटमेंट दवा से बेहतर काम करता है।

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अच्छी सेहत पाने के लिए राजीव दीक्षित के उपाय

  • घर में इस्तेमाल होने वाले सफ़ेद नमक की जगह काला नमक, सेंधा नमक या डेले वाला नमक प्रयोग करना चाहिए।
  • भोजन हमेशा जमीन पर चौकड़ी मारकर करे। कुर्सी पर बैठ कर और खड़े हो कर भोजन नहीं करना चाहिए।
  • राजीव दीक्षित के नुस्खे के अनुसार अगर 24 घंटे में 1 बार खाना खाये तो ये सही तरीके से पचता है और पाचन शक्ति भी कम नहीं होती  पर हमारी जीवनशैली के मुताबिक 2 बार भोजन जरूर करे।
  • एल्युमिनियम के बर्तन में खाना पकाने की बजाय मिट्टी के बर्तन प्र

पुरुष इस तरीके से करे शेविंग,चेहरे पर दाग- धब्बे, सांवला रंग,कील मुहासे आदि से छुटकारा|

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क्या आपके चेहरे की त्वचा रुखि सुखी और कठौर हो गयी है? क्या आप विदेशी शेविंग क्रिम से अपने चेहरे कि सुंदरता खो चुके है? नॉयलोन के ब्रश से त्वचा सख्त हो जाती है और रासायन युक्त क्रीम से त्वचा को भारी क्षति पहुँचती है, इससे प्राकृतिक सौंदर्य तो जाता ही है केमिकल से त्वचा संबंधी बीमारियों का खतरा रहता है. आप एक काम कीजिए एक बार शेविंग क्रिम से कपडे धो कर देखे, आपको इसमे डिटर्जेंट की भी पुष्टि हो जाएगी. मेरा निवेदन है कि यह फालतू के सेविंग क्रीम क्यों लगाते हो, पामोलिव, ओल्ड स्पाइस, वी-जॉन, डेटोल आदि। दाढ़ी बनाने के तो 20 तरीके हैं, उनका इस्तेमाल क्यों नहीं करते। हम सेविंग क्रीम लगाकर जो दाढ़ी बनाते हैं तो इसकी प्रॉब्लम ये है कि स्किन लगातार हार्ड होती चली जाती है, रफ होती जाती है, रफ्नेश एक समय इतनी बढ़ जाती है कि दो-तीन बार सेव करो, फिर भी क्लीनिंग नहीं आती क्योंकि वह शेविंग क्रीम ऐसी है, उसमें केमिकल एसिड है तो फिर आप क्यों लगा रहे हैं ? बंद कर दो। फिर आप बोलोगे, दाढ़ी कैसे बनाएं ?

शेविंग के लिए ये तरीका अपनाए >>

थोड़ा दूध ले लो, चेहरे पर मालिश करो, एकदम चिकनाहट आ जाएगी, उस पर रेजर चलाओ, बहुत क्लीन सेव बनती है, दही लगाकर रेजर चलाओ और भी अच्छी से बनती है। तेल ले लो, एक बूंद तेल पानी में मिलाकर चेहरे पर लगाओ, दूध से दाढ़ी बनाइए, बहुत मजा आएगा। मात्र 3 चम्मच दुध (कच्चा या उबला) ले लीजिए, इसे अपने चहरे पर लगा लीजिए और 20 सेकेण्ड तक त्वचा पर हल्के हाथो से मलिए, अब ब्लेड से साफ कर लीजिए. ये कितना कारगर है इसे प्रयोग के वक्त आप ख़ुद महसूस करेंगे मै डंके की चोट पर कहता हूँ, इस भारतीय तरिके से आपका ब्लैड 1 महीने से भी ज्यादा चलेगी.  त्वचा कोमल बनी रहेगी और इस काम को करने में आपको मात्र 3 मिनट लगेंगे

दूध जो है वह क्लीनसिंग एजेंट है। आपको पता है सारे ब्यूटीपार्लर में मिल्क क्लीनसिंग ही किया जाता है। आप रोज दूध से दाढ़ी बनाएंगे, सारी गंदगी निकल जाएगी, चेहरा चमकेगा, आप सब फोकट में स्मार्ट हो जाओगे । मैं तो बहुत समय से करता हूं, दूध से दाढ़ी बनाता हूं, पैसे आपके बचेंगे अल्टीमेटली देश के बचेंगे। किसी भी देश की अर्थव्यवस्था में आमदनी बढ़ानी है तो खर्चे को घटाना सबसे आसान तरीका है, आप जितना खर्चा घटाएंगे आमदनी उतनी ही बढ़ जाएगी। अपनी जिंदगी के छोटे-छोटे खर्चे घटाओ, देश का बड़ा खर्चा अपने आप घट जाएगा, शेविंग क्रीम फालतू खर्च मत करो, दूध से दाढ़ी बना लो, दही से दाढ़ी बना लो। आपको तो मालूम है कि हम दूध से शंकर भगवान को स्नान कराते हैं, दूध से दाढ़ी क्यों नहीं बना सकते, जब ईश्वर स्नान कर सकते हैं तो हम दाढ़ी तो बना ही सकते हैं। मनुष्य में पुरुषों को एक बहुत ख़राब बीमारी होती है दाढ़ी बनाओ तो उसके बाद लाल लाल फुंसियां हो जाती है उनको बोलो कि एलोवेरा का रस लगाकर फिर सेविंग करें कभी तकलीफ नहीं आती बहुत अच्छी दवा है घर में भी लगा सकते हैं खेत में भी लगा सकते हैं

वैज्ञानिक पूष्टि 

दुध त्वचा की चमक और कोमलता को क्षीण नही होने देता और इसकी अन्दर तक सफाई भी करता है. जब आप ब्लैड से दाडी बनाते है तो ब्लैड और बालों के बीच जितना कम घर्षण होगा उतनी जल्दी और आसानी से शेविंग हो जायेगी. दूध में उपस्थित लैक्टिक एसिड पानी के SURFACE TENSION और VISCOSITY FORCE को सबसे आसानी से तोडता है और बालों – ब्लैड के बीच का घर्षण कम कर के त्वचा को खुब्सुरत बनाता है. और प्राकृतिक होने के कारण लैक्टिक एसिड त्वचा के लिए बाह्य प्रोटीन का काम करता है. दूध से दाड़ी बनाते वक्त ब्लैड और त्वचा के बिच जो चिकनाहट पैदा होती है वो शेविंग क्रीम से 100 गुना ज्यादा बेहतर होती है यही कारण है कि दूध के प्रयोग में त्वचा से खून निकलना नामुमकिन है l

आपके किचन में ही कई ऐसी चीजें मौजूद हैं जो आपकी स्किन को शेविंग क्रीम से भी ज्यादा सॉफ्ट बना देंगी और आपको क्लोज शेव में हेल्प करेंगी। ये है वो चीजें

कच्चा दूध – कच्चा दूध चेहरे पर लगने से स्किन और बाल सॉफ्ट हो जाते है और शेव बढ़िया बनती है, अगर आपको दूध की जाग मिल जाए तो बहुत अच्छा है और आपको एक जानकारी और दे दू . दूध सबसे बढ़िया cleaning agent है, जो आपके चेहरे को सॉफ्ट के साथ साथ गोरा भी बनाता है, देश और विदेश में बहुत सी जगह कच्चे दूध से मसाज भी की जाती है.

शहद – शहद को हल्के गनगुने पानी में मिलाकर फेस की मसाज करे. बाल सॉफ्ट हो जाएंगे और बढ़िया सेव बनेगी

नारियल तेल – शेव से पहले नारियल तेल से स्किन मसाज करे. ये रेजर बर्न और ड्रायनेस से भी छुटकारा दिलाएगा

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एलोवेरा जेल – ये आरामदायक ठंडी शेव देता है. इससे स्किन पर हल्की मसाज करें और फिर शेव करें. इससे जलन से भी राहत मिलेगी.

बटर – ये बढ़िया मोइस्टरैजेर (Moisturizer)  है. ये कड़े बालो को सॉफ्ट कर देता है. जिससे वे आसानी से निकल जाते है

केला – सेविंग क्रीम को छोड़े और स्किन पर केले का गुदा लगाकर मसाज करे. फिर सेव करेंगे तो क्रीम से भी अच्छी तरह सेव होगी.

पपीता – इसमे मौजूद पापेन नमक एंजाइम स्किन के रेशेज और जलन दूर करता है. फेस पर मसाज करके फिर शेव करे.

Source: www.rajivdixitji.com

साइटिका का जड़ से इलाज

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साइटिका का इलाज –इसका दर्द “पैन” असहनीय होता हैं. इसमें पैरों की जांघों, कूल्हों में अचानक सुई की चुभन सा तेज दर्द पैदा होता हैं. यह दर्द ज्यादातर 31 से 55 साल की उम्र वाले व्यक्तियों में देखने को मिलती हैं. हमारे शरीर में साइटिका नर्व (Sciatica nerve pain) होती हैं जो की कमर से गुजरती हुई कूल्हों, जांघों के पिछले हिस्से से हो कर पैरों के निचे की तरफ जाती हैं.

  • जब किसी कारणवश इस नर्व में दबाव या कोई तकलीफ होती हैं तो Sciatica nerve में अचानक से तेज दर्द पैदा होता हैं इसी दर्द को साइटिका कहते हैं. हम यहां आपको इस रोग के आयुर्वेदिक उपचार के लिए उपाय व नुस्खे बताएंगे जिनके जरिये आप इस दर्द से घर पर ही छुटकारा पा सकेंगे. इसके दर्द को ख़त्म करने के लिए कई रोगी साइटिका में अंग्रेजी दवा का सेवन भी करते है लेकिन वह भी पूरा आराम नहीं कर पाती है.
  • साइटिका में योग, एक्सरसाइज, मालिश, सेंक यह रामबाण इलाज का काम करती हैं. इसमें विशेषकर योग और साइटिका नर्व पर तेल की मालिश करना होती हैं आइये जाने इसी रोग के sciatica pain treatment in Hindi के बारे में.
  • साइटिका का दर्द ठण्ड के वजह से, मेरुदंड के वजह से, स्लिप डिस्क में कोई समस्या होने से, भारी वजन उठाने से, किसी दुर्घटना के वजह से, herniated disk के वजह से आदि इन कारणों से साइटिका में दर्द उठता हैं. यह दर्द एक दम से आता है, तेज दर्द होता है और ऐसा लगता हैं जैसे कोई सुई चुभी हो.

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साइटिका का इलाज के उपाय और दवा

Ayurvedic Sciatica Treatment in Hindi

करीबन चार लहसुन की कलियां लें और 210ML दूध ले. अब एक बर्तन में दूध को डालकर इसमें लहसुन की कलियों को चाक़ू से काटकर दूध में दाल दें. अब इसे अच्छे से उबलने दें फिर थोड़ी देर उबलने पर इसमें मिठास के लिए शक्कर डाल दें और इसे घुलने दें. अब गैस से उतारकर रख दें व पिने लायक ठंडा होने पर इसको रोगी को पीला दें ऐसा रोजाना करना चाहिए जब तक दर्द दूर न हो जाये. यह अचूक उपाय साइटिका की दवा की तरह काम करता हैं जो की बहुत ही sciatica (ka gharelu ilaj) प्रसिद्द हैं.

  • हर-श्रृंगार पौधे के ताजे पत्ते पीस कर एक गिलास पानी में उबाल लें, जब आधा गिलास पानी बचे तो उसको छान कर रोजाना पिए ऐसा एक सप्ताह तक करे
  • 10 ग्राम जायफल 100 ग्राम तिल के तेल में मिलाकर पका लें, पके हुए तेल से कमर पर मालिश करे
  • 310 ग्राम आलू का रस रोजाना दो-तीन महीने तक पिने से बहुत आराम मिलता हैं. (गाजर का रस मिलकर भी इसका सेवन कर सकते हैं और भी ज्यादा असरकारी हो जायेगा)
  • 2 चम्मच शहद को एक नींबू के रस में मिलाकर पिने से साइटिका का दर्द दूर होता हैं.
  • साइटिका का तेल – 2-3 लहसुन लें और इसको थोड़े लहसुन के तेल में डालकर पकाये, जब अच्छे से पक जाए तो इस तेल से दर्द वाली जगह पर मालिश करने से तुरंत आराम मिलता हैं, यह तुरंत असरकारी साइटिका का अचूक उपाय हैं.
  • रोजाना एक दिन में 2-3 लहसुन की कलियों को पानी के साथ निगले इससे भी साइटिका पैन ट्रीटमेंट में सहायता मिलती हैं.
  • गर्म ठंडा सेंक – सबसे पहले बर्फ के टुकड़े करके एक कपड़े में बांधकर दर्द वाली जगह पर इससे सेंक करे 10 मिनट तक ऐसा करने के बाद एक सूती कपडा लें और इसे गैस की आंच में सेंके जब यह हल्का गर्म हो जाए तो दर्द वाली जगह पर इससे सेंक करे इस तरह गर्म और ठंडा दोनों सेंक को 10-10 तक करने से दर्द से राहत मिलती, साइटिका के दर्द का उपचारकरता हैं व साइटिका नर्व की सूजन को ख़त्म करता हैं.

हारसिंगार के पत्तों का काढ़ा है साइटिका की दवा

  • साइटिका का इलाज में हारसिंगार (पारिजात) के पत्ते 260 ग्राम की मात्रा में लेकर अच्छे से साफ़ कर लें और 1 लीटर पानी में उबाले. अब पानी जब उबलकर 600ML तक बचे तो गैस से उतारकर कपडे से छान लें. पत्तियों को हटा दें और पानी में 2 रत्ती केसर मिलाकर अच्छे से मिला दें.
  • अब इस पानी को किसी बोटल में भर कर रख दें व रोजाना नियमित रूप से सुबह शाम को 1 कप की मात्रा में सेवन करे.
  • यह उपाय साइटिका का आयुर्वेदिक इलाज हैं जो की इस तरह 2-3 बोटल का सेवन कर लेने पर रोग जड़ से चला जाता हैं.
  • नोट: इस प्रयोग को वसंत ऋतू में न करे.

गूगल, गुड़, रसोत इन सभी के एक सामान मात्रा में ले और इनमे लोबान मिला दें, अच्छे से घोंटें और फिर गैस पर रख कर थोड़ा गर्म कर लें. अब इसे दर्द वाली जगह पर लगाए और सूखने के लिए छोड़ दें रोजाना इस प्रयोग को करने से बहुत आराम मिलता हैं.

साइटिका में क्या खाना चाहिए

  • ऐसा आहार लें जिसमे ज्यादा मात्रा में फाइबर पाया जाता हो : गेहूं की रोटी, भूरे चावल, दाल, सफ़ेद लोकि, अनार, अंजीर, सेब, ब्लैकबेरी, मटर आदि वह सभी भोजन करे जिसमे फाइबर ज्यादा मात्रा में हो.
  • मैग्नीशियम से भरपूर आहार लें : डेरी प्रोडक्ट्स, दूध और अगर आप मांसाहारी हैं तो मछली, समुद्री भोजन, खुबानी, लिमा बीन्स आदि का खाये. तेज भोजन, मिर्च मसाले, अंडे, मुर्गी आदि के सेवन से साइटिका में परहेज करे.
  • Omega 3 Fatty Acids : यह हड्डियों की मजबूती के लिए बहुत जरुरी हैं, इसके लिए आप अखरोट का सेवन करे इनमे सबसे ज्यादा Omega 3 Fatty Acids पाया जाता हैं.
  • हल्का आहार लें, ऐसा भोजन न करे जो की कब्ज की शिकायत पैदा करता हो, दूध, फलों का रस आदि का ज्यादा सेवन करे व बताये गए साइटिका के नुस्खे इसे ठीक करते रहे  इस तरह आपको थोड़े दिनों में ही आराम महसूस होने लगेगा.

Source: www.hindighareluupay.in

केवल 5 रुपये में घर बैठे भरे मच्छर भगाने की रिफिल

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मच्छर एक बहुत ही हानिकारक कीट है जो दुनिया के हर स्थान पर पाया जाता है। वैसे तो पृथ्वी पर बहुत से कीट ऐसे पाए जाते है जिनसे मनुष्य के लिए नुकसान दायक है, लेकिन छोटा सा मच्छर मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु होता है। मनुष्य को स्वास्थ्य हानि पहुंचाने वाले कीटों में मच्छर का नाम सबसे ऊपर आता है। क्योंकि यह छोटा सा मच्छर कई प्रकार के संक्रमण अपने साथ लेकर घूमता है। जब यह छोटा सा मच्छर अपने डेंग्यू और मलेरिया जैसे हथियार का इस्तेमाल करता है तो हर साल कई लोगों की जान ले लेता है। इस मच्छर से फैलने वाले जानलेवा हमले से बचने के लिए मनुष्य ने भी कई प्रकार के प्रोडक्ट बनाए है। लेकिन ये प्रोडक्ट मच्छरों को कम जबकि मनुष्यों को ज्यादा नुकसान पहुंचाते है। सबसे ज्यादा इससे बुजुर्ग और बच्चे प्रभावित होते है।

मौसम में गर्माहट आते ही घरों में मच्छरों की तादाद बढऩे लगती है। ऐसे में बाजार में मौजूद केमिकल्स, स्प्रे और रिफिल्स भी काम नहीं आती हैं। अगर आप भी परेशान हैं तो ये उपाय कर मच्छरों से छुटकारा पाया जा सकता है। हम जिस लिक्विड का इस्तेमाल करते है वह ७० से २०० रुपए तक का आता है, लेकिन आज अब आपको बताने जा रहे है मच्छर भगाने का एक ऐसा घरेलू नुख्शा। जिसकी मदद से महज ५ रुपए के खर्च पर आप मच्छर भगाने की लिक्विड तैयार कर सकते है।

70 रुपए की आती है नुकसान दायक रिफिल

मच्छरों से बचने के लिए आमतौर पर बाजार में मिलने वाली नामी कंपनियों की रिफिल आज हर व्यक्ति खरीद रहा है। करीब २० एमएल की यह रिफिल रुपए ६० से १०० रुपए तक ही आती है। जो महीने में २० से २२ दिन तक चलती है। बाजार में मिलने वाली रिफिल में उपयोग होने वाले रसायन से मनुष्य के स्वास्थ्य पर प्रभाव होने की भी बातें सामने आती रहती है। यानि स्पष्ट है कि इतना खर्च करने के बाद भी हमारे स्वास्थ्य से खिलवाड़ हो रहा है, लेकिन मच्छरों से बचने के लिए हमारे पास कोई दूसरा उपाय नहीं होने के कारण हम मजबूरी में इसका इस्तेमाल करते आ रहे हैं।

घर में ही तैयार करें 5 रुपए खर्च पर रिफिल

मच्छरों को भगाने के लिए हमारे द्वारा घर में ही एक लिक्विड तैयार किया जा सकता है। जिसका खर्च ५ रुपए के भीतर एक रिफिल तैयार करने में आता है। बताया जाता है कि घरेलू नुख्शे से तैयार किया जा सकता है। वह भी बहुत ही आसान तरीके से। इसके कोई साइड इफेक्ट भी नहीं बताए जाते है। हालांकि, इसकी जानकारी अब तक लोगों को नहीं होने के कारण इसका उपयोग कम है। चलिए अब आप जान लीजिए कैसे घर में तैयार कर सकते है मच्छर मारने का लिक्विड….

इन स्टेप्स में पढ़ें पूरी विधि

– सबसे पहले हमारे पास रिफिल के लिए इस्तेमाल हो चुकी खाली शीशी होनी चाहिए।

– अब खाली रिफिल का ढक्कन खोलकर रखना है।

– अब चार से पांच टिकिया कपूर की हम उपयोग में लेंगे।

– कपूर की सभी टिकियों को अच्छी तरह से पीस लें।

– अब हमें नीम के तेल की आवश्यकता होगी।

– नीम का तेल हम घर में भी बना सकते है अथवा बाजार से खरीद सकते है।

– करीब ३० से ४० एमएल नीम के तेल को हम लेते है।

– अब नीम के तेल में कपूर का मिला देते है।

– दोनों का मिश्रण करने के बाद एक लिक्विड तैयार हो जाता है, जिसे हम खाली रखी शीशी में लिक्विड रिफिल कर देंगे।

– अब वापस से शीशी के ऊपर की डांट अच्छी तरह कसकर हम लगा देंगे।

– यहां नीम के तेल की जगह ताड़पीन का तेल भी इस्तेमाल किया जा सकता है। हालांकि, नीम का तेल ज्यादा कारगर माना गया है।

– इस तरह देशी तरीके से मच्छर भगाने का लिक्विड तैयार हो चुका है।

– इसे हम किसी भी कंपनी की मशीन में लगाकर उसी तरह उपयोग कर सकते है जैसे कि आम लिक्विड करते है।

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ये हैं घरेलू रिफिल के फायदे

– पहला फायदा पॉकेट से जुड़ा है। आम तौर एक रिफिल ६० से १०० रुपए तक कीमत की आती है। इसके इस्तेमाल से आपका बजट नहीं गड़बड़ाएगा। रुपयों की भी बचत होगी।

– दूसरा फायदा स्वास्थ्य से जुड़ा है। बताया जाता है कि कपूर और नीम का तेल मानव स्वास्थ्य के लिए काफी अच्छा माना गया है। कपूर में कई प्रकार के रोगों से लडऩे की क्षमताएं बताई जाती है। ऐसे में इसका सीधा सा लाभ स्वास्थ्य पर भी देखने मिलेगा।

– बच्चों और वृद्धों के लिए रसायन वाली लिक्विड के तमाम सारे नुकसान बताए गए हैं। ऐसे में अगर घेरलू लिक्विड कर इस्तेमाल करते तो इनसे भी बचा जा सकता है।

Source: www.patrika.com

शरीर की हर बीमारी खत्म कर देगा ये छोटा सा टुकड़ा

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शरीर की हर बीमारी खत्म कर देगा ये छोटा सा टुकड़ा: पेठा का नाम सुनते ही आपके दिमाग में आगरा की याद आती होगी। क्योंकि यहां का पेठा दुनियाभर में मशहूर है। इस पेठे की सब्जी बड़ी स्वादिष्ट होती है। इसे खाने से कई सारे रोग जड़ से खत्म हो सकते हैं। यह एक औषधि की तरह भी काम करता है। यानि की यह हमारी सेहत को कई प्रकार से फायदा देता है। पेठे का प्रयोग ना केवल खाने में किया जाता है बल्कि पेठे का जूस भी बनाकर पिया जाता है।सफेद पेठा अधिक फायदेमंद होता है हमारे स्वास्थ्य के लिए।

सफेद पेठे के गुण

इस पेठा में विटामिन ए, बी, सी के अलावा विटामिन ई पाया जाता है। इसके अलावा कैल्शियम, लोहा, फासफोरस और सल्फर भी पाया जाता है। आपको बता दें बहुत ही कम सब्जियां एैसी होती हैं जिन्में विटामिन ई पाया जाता है।

सफेद पेठा के फायदे सेहत के लिए

सफेद पेठे में पाए जाने वाले तत्व आपको अनगिनत रोगों से दूर रख सकते हैं। इसके रस से आप निम्नलिखित रोगों से आसानी से छुटकारा पा सकते हैं।

1. उच्च रक्तचाप को दूर करने में सफेद पेठे का रस अति उत्तम है।

2. एसीडिटी यानी अमाशय की जलन दूर करने में सफेदे पेठे का रस रामबाण की तरह काम आता है।

3. मधुमेह के रोगियों के लिए भी सफेद पेठे का रस दवा का काम करता है। यह पेनक्रियाज को एक्टिव रखने में लाभदायक है।

4. भोजन की नली यानी फूड पाईप में सूजन आ रही हो तो सफेद पेठे के रस से इसे कम किया जा सकता है।

5. त्वचा रोगों जैसे फोडे, फुन्सी व अन्य चर्म रोगों में भी सफेद पेठे का जूस लाभ देता है।

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6. पित्त की पथरी, गुर्दे की पथरी व मूत्राशय की नली की पथरी में सफेद पेठे का जूस लाभदायक है।

7. सफेद पेठे का रस शारीरिक कमजोरी को भी दूर करता है। एनीमिया जैसी बीमारी को दूर करने में भी सफेद पेठे का जूस लाभदायक है।

8. बवासीर की बीमारी में भी सफेद पेठे का जूस अत्यंत ही लाभदायक होता है।

9. पीलिया व सभी प्रकार के हैपेटाइटिस में सफेद पेठे का रस अत्यंत ही गुणकारी है।

10. किसी भी प्रकार की नयी या पुरानी कब्ज को दूर करने में सफेद पेठा रामबाण की तरह काम करता है।

11. श्वसन संबंधी समस्याओं जैसे दमा, अस्थमा आदि में भी सफेद पेठे का रस लाभदायक है।

12. स्नायु रोगों व मिरगी के दौरों में भी सफेद पेठे का रस बहुत लाभदायक है।

अधिकतम परिणाम के लिए सफेद पेठे को अच्छे से कद्दूकस करके इसके रस को अच्छे से छान लें। प्रतिदिन प्रातः खाली पेट लगभग 150-200 मि.ली. प्रयोग करें।

वज्रासन के फायदे

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योग और रोग दोनों का छत्तीस का आंकड़ा है । दोनों एक दूसरे के दुश्मन है जो लोग नित्य योग करते है उन्हें कभी रोग नही होता। चाहें वजन कम करना हो या फिर कोई पुराना रोग दूर भागना हो योग से अच्छा उपाय कोई नही है । बड़ी से बड़ी बीमारी हमारी छोटी छोटी लापरवाही के कारण ही जन्म लेती है। क्या आप भी परेशान है कब्ज की समस्या से ? या फिर हो रहे है बढ़ते हुए वजन का शिकार , मासिक धर्म मे अनियमितता ऐसे अनेक परेशानियों को खत्म करने का एकमात्र इलाज है वज्रासन। आइए जानते है कैसे और कब किया जाता है वज्रासन और इससे होने वाले अनेक लाभ क्या है ।
वज्रासन एक प्रकार का योग आसन है जिसका आप नित्य अभ्यास कर सकते है । ज्यादार आसान , किसी भी प्रकार के भोजन को करने के पहले किए जाते है लेकिन यह एक ऐसा आसान है जो भोजन के पश्चात किया जाता है।

वज्रासन करने की विधी – वज्रासन करने के लिए एक समतल ओर साफ जगह पर बैठ जाये । इसे भोजन के कम से कम 15 से 20 मिनट के बाद किया जा सकता है । अब आप अपने घुटनों को जमीन पर टिकाकर अपने पैरो पर बैठ जाए। इस तरह के आपके हिप्स आपके पैरो के ऊपर हो ।आपके पैर के अंघुठे मिले हुए और आपके दोनों हाथ अपने जांघो पर रखे। इसी मुद्रा में अपने शरीर को एकदम आरामदायक महसूस कराए लेकिन रीढ़ की हड्डी को एकदम सीधा रखे और ग़हरी सांस ले। यह प्रक्रिया कम से कम पांच मिनट तक कि जानी चाहिए।

वज्रासन से होने वाले फायदे – वज्रासन का सबसे बड़ा फायदा है वह आपकी पाचन शक्ति को बढ़ाएगा ओर भोजन पचाने में शरीर की मदद करेगा। जिससे कि एसिडिटी, अपच ओर कब्ज जैसी बीमारियां आपको छू भी नही पाएंगी। इतना ही नही यह आपकी आँखों की दृष्टि के लिए भी बहुत ही फायदेमंद होता है।
इस आसन में बैठने से आपकी रीढ़ की हड्डी को भी मजबूती प्रदान होती है और आपके पोस्चर में सुधार आता है ।

सांस पर नियंत्रण होने के कारण इस आसन से उच्च रक्तचाप वालो को काफी फायदा मिलता है और उनका मन स्थिर रहता है। मन मे ठहराव आने के कारण चंचलता समाप्त होती है जिससे कि बुद्धि बाद जाती है और याददाश्त मजबूत होने लगती है ।

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भोजन के बाद यह आसन इसलिए किया जाता है कि खाया हुआ खाना अच्छी तरह पच सके जिससे की अतिरिक्त वजन से छुटकारा मिल जाये। इस आसन में बैठने के कारण जो भी अतिरिक्त चर्बी होती है वह काम होती हुई चलती है । नितम्ब , कमर सुंदर पर आकर्षक दिखाई देने लगते है ।

जिन महिलाओं को अनियमित मासिक धर्म की शिकायत है वह इस आसन को करे। उन्हें इससे जरूर ही लाभ होगा। यह आसन करने से प्रजनन क्षमता भी बाद जाती है।

Source: www.dusbus.com

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