कहानी शुरू होती है एक छोटे से शहर में रहने वाली 24 साल की अंकिता से। बचपन से ही अंकिता का वजन सामान्य से अधिक था। जैसे-जैसे उनकी उम्र बढ़ती गई, उनका वजन भी बढ़ता गया। 120 किलो तक पहुँचते-पहुँचते, उनका आत्मविश्वास पूरी तरह से टूट चुका था। स्कूल में दोस्त उनका मजाक बनाते, परिवार वाले बार-बार वजन घटाने की सलाह देते, और समाज के ताने सुन-सुनकर वह खुद को अकेला महसूस करने लगीं।
बचपन की यादें और चुनौतियाँ
अंकिता को मिठाइयाँ और तले-भुने खाने का बहुत शौक था। उनके खाने-पीने की आदतें बचपन से ही खराब थीं। “मुझे याद है, जब मैं 12 साल की थी, तो मैं पूरे दिन चिप्स और कोल्ड ड्रिंक पर रहती थी,” अंकिता ने बताया। स्कूल के दिनों में उनके मोटापे के कारण उन्हें खेल-कूद में हिस्सा लेने का मौका नहीं मिलता था।
एक बार, स्कूल की स्पोर्ट्स डे पर, जब वह दौड़ में हिस्सा लेने गईं, तो उनकी हालत इतनी खराब हो गई कि वह बीच में ही गिर पड़ीं। बच्चों ने उनका मजाक उड़ाया और उन्हें “मोटी” कहकर चिढ़ाया। इस घटना ने अंकिता को गहरी चोट दी।
आत्मविश्वास की कमी और समाज का दबाव
जैसे-जैसे उम्र बढ़ी, मोटापा अंकिता के जीवन में हर चीज़ को प्रभावित करने लगा। कॉलेज में उनके दोस्त उन्हें पार्टी या आउटिंग में शामिल करने से कतराते थे। “मैं हमेशा खुद को दूसरों से अलग-थलग महसूस करती थी,” अंकिता ने कहा।
उनके रिश्तेदार भी लगातार ताने देते थे। “तुमसे शादी कौन करेगा?” जैसे सवाल उनकी मानसिक स्थिति को और बिगाड़ देते थे। इन तानों और सामाजिक दबावों ने अंकिता को अंदर से तोड़ दिया।
बदलाव का फैसला
एक दिन, अंकिता ने खुद को आईने में देखा और महसूस किया कि उन्हें अब बदलाव करना होगा। “मुझे एहसास हुआ कि अगर मैं अपने शरीर का ख्याल नहीं रखूँगी, तो मेरी जिंदगी और खराब हो जाएगी,” अंकिता ने बताया। उसी दिन उन्होंने फैसला किया कि वे अपने शरीर और मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देंगी।
शुरुआती संघर्ष
शुरुआत में, अंकिता के लिए अपनी पुरानी आदतें बदलना बहुत मुश्किल था। उन्हें जंक फूड से बहुत लगाव था। “पहले हफ्ते में, मैंने कई बार हार मानने की कोशिश की,” उन्होंने स्वीकार किया। लेकिन उन्होंने अपने लक्ष्य को याद रखा और धीरे-धीरे अपनी दिनचर्या में बदलाव करना शुरू किया।
डाइट प्लान का महत्व
अंकिता का पहला कदम था अपनी डाइट को सुधारना। उन्होंने एक न्यूट्रिशनिस्ट से सलाह ली और एक संतुलित शाकाहारी डाइट प्लान तैयार किया।
- ब्रेकफास्ट: अंकिता ने दिन की शुरुआत एक कटोरी ओट्स और ताजे फलों से की। “मैंने ग्रीन टी पीना भी शुरू किया, जो वजन घटाने में बहुत मददगार साबित हुआ,” उन्होंने कहा।
- लंच: ब्राउन राइस, दाल, और सब्जियों का सलाद उनकी डाइट का हिस्सा बना। उन्होंने तेल और मसालेदार खाने से पूरी तरह परहेज करना शुरू किया।
- डिनर: उन्होंने रात का खाना हल्का रखा। सूप, क्विनोआ, और हल्की सब्जियों को अपने डाइट में शामिल किया। साथ ही, उन्होंने रात 7 बजे तक खाना खत्म करने का नियम बनाया।
- स्नैक्स: उन्होंने जंक फूड की जगह नट्स, मखाना, और फ्रूट्स को चुना।
वर्कआउट रूटीन
डाइट के साथ-साथ, अंकिता ने नियमित वर्कआउट करना शुरू किया। “शुरुआत में, मुझे 10 मिनट की वॉक करना भी मुश्किल लगता था,” उन्होंने बताया। लेकिन धीरे-धीरे, उन्होंने अपने वर्कआउट का समय बढ़ाया।
- सुबह: 30 मिनट कार्डियो एक्सरसाइज, जिसमें वॉकिंग और जॉगिंग शामिल थे।
- शाम: योग और वेट ट्रेनिंग। योग ने न सिर्फ उनके शरीर को लचीला बनाया, बल्कि उन्हें मानसिक शांति भी दी।
मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान
अंकिता को पता था कि वजन घटाने के सफर में मानसिक स्वास्थ्य का भी बहुत महत्व है। उन्होंने मेडिटेशन शुरू किया, जिससे उन्हें तनाव कम करने में मदद मिली। “हर दिन 15 मिनट का ध्यान मुझे शांत और केंद्रित रहने में मदद करता था,” उन्होंने बताया।
परिवार और दोस्तों का समर्थन
शुरुआत में, परिवार और दोस्तों को अंकिता के प्रयासों पर यकीन नहीं था। लेकिन जब उन्होंने बदलाव देखना शुरू किया, तो सबने उनका समर्थन करना शुरू कर दिया। उनके माता-पिता ने भी घर में जंक फूड लाना बंद कर दिया और अंकिता की डाइट में मदद की।
8 महीने में 48 किलो वजन कम
लगभग 8 महीनों की मेहनत और लगन से, अंकिता ने 48 किलो वजन कम कर लिया। “जब मैंने पहली बार खुद को स्लिम जींस में देखा, तो मुझे अपनी आँखों पर यकीन नहीं हुआ,” उन्होंने खुशी से बताया।
नई पहचान
आज अंकिता न केवल फिट हैं, बल्कि वह कई लोगों के लिए प्रेरणा भी बन चुकी हैं। उन्होंने अपनी फिटनेस जर्नी को सोशल मीडिया पर साझा करना शुरू किया, जहाँ उन्हें लाखों लोगों का प्यार और समर्थन मिला।
अंकिता का संदेश
अंकिता कहती हैं, “मोटापा कोई सजा नहीं है, लेकिन इसे अनदेखा करना गलत है। सही डाइट, नियमित व्यायाम, और आत्म-प्रेरणा से आप कुछ भी हासिल कर सकते हैं।”
उनकी कहानी हमें सिखाती है कि चाहे परिस्थितियाँ कितनी भी कठिन क्यों न हों, सही दृष्टिकोण और मेहनत से सबकुछ संभव है।