दांतों में कीड़ा, दांतों के गड्ढे, दांतों का सड़ना, दांत दर्द, पायरिया और मसूड़ों में सूजन हो तो करे ये घरेलु उपाय

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हमारी नित्य ब्रश करने के बाद भी अक्सर दांतों में छेद हो जाना, या दांतों का सड़ जाना, पायरिया और मसूड़ों में दर्द, खून और सूजन बहुत आम समस्या बन गयी है. क्या हमने इस पर गौर किया, के दिन मे दो बार ब्रश वो भी महंगी से महंगी पेस्ट का इस्तेमाल करने के बाद भी हम दांतों में कीड़ा लगना, दांतों में छेद होना, दांतों का सड़ना, पायरिया से परेशान रहते हैं. तो आज आपको बता देता हूँ इन सबके घरेलु उपचार.

हमारे दांत की सरंचना में मिनरल, vitamin A और D, और कैल्शियम की अहम् भूमिका रहती है, इसलिए इनको बचाने के लिए इनकी पूर्ति अति आवश्यक है, भोजन में ऐसी चीजें ज़रूर शामिल करें जिनसे ये ज़रूरते पूरी हो सकें. और दूसरी सबसे महत्वपूर्ण बात के आप चाय या कॉफ़ी बिलकुल छोड़ दें. अगर आप चाय कॉफ़ी छोड़ सकते हैं तो ही इस लेख को आगे पढ़ें अन्यथा आपको कोई लाभ नहीं होने वाला.

सबसे पहले आपको दांतों को नायलॉन की ब्रश और टूथपेस्ट से घिसना बंद करना होगा, इसकी जगह पर मंजन का इस्तेमाल करें, मंजन सही से उपयोग करने का तरीका है के मंजन को बीच वाली बड़ी ऊँगली से मसूड़ों और दांतों पर अच्छे से 10 मिनट तक लगा कर रखें, और फिर मुंह से गन्दा पानी निकलेगा, 10 मिनट के बाद दांतों को साफ़ पानी से धुलाई कर लीजिये.

बबूल की लकड़ी का कोयला 20 ग्राम कूट कर कपडे से छान कर रख लो, 10 ग्राम फिटकरी को तवे पर सेक लीजिये, ये बिलकुल चूर्ण बन जाएगी, 20 ग्राम हल्दी, इन सभी चीजों को अच्छे से मिला लीजिये, अभी सुबह मंजन करते समय इसको लो और इसमें 2 बूँद लौंग का तेल लेकर इसको अच्छे से मिला लो, इस मंजन को एक तो जो दांत खराब हो चुका है उस खराब दांत के ऊपर ऊँगली की मदद से कुछ देर तक लगा रहने दें. और जहाँ दांतों में गड्ढा है उस गड्ढे में ये मिश्रण भर दीजिये, अभी बाकी मंजन को दांतों और मसूड़ों पर ऊँगली की मदद से अच्छे से लगा दीजिये, और कम से कम 10 मिनट तक लगा रहने दें. पायरिया में तो ये सिर्फ 2 दिन में ही आराम दे देगा. हिलते दांत भी पत्थर से मजबूत हो जायेंगे. और कैविटी के लिए इस मंजन को 1 से ३ महीने तक इस्तेमाल करें. और दर्द अगर आपके दांतों में है तो वो तो पहले दिन में आराम मिलना शुरू हो जायेगा.

इसके साथ सुबह उठते ही 10 ग्राम नारियल का तेल या तिल का तेल लेकर मुंह में भरे और 10 मिनट तक मुंह में उसको घुमाते रहें, अर्थात गार्गल करें, इसके 10 मिनट के बाद इसको थूक दीजिये, ध्यान रहे के इसको पीना नहीं है. इस प्रकार रात को सोते समय भी करें. इस विधि को गंडूषकर्म भी कहते हैं. इस विधि से दांतों की नव सरंचना शुरू होगी.
इसके साथ में आपको हर रोज़ 10 से 15 ग्राम आंवला भी खाना है, और हरी सब्जियों का सेवन ज़रूर करें. दिन में अगर गाज़र, पालक, मौसमी, चुकंदर, अनार, टमाटर मिले तो ज़रूर खाएं.

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चौथी और सबसे महत्वपूर्ण बात के भोजन सिर्फ मिटटी की हांडी या कांसे के बर्तन में ही बनायें. अभी आप ये भी पूछेंगे के मिटटी में खाना कैसे बनता है. तो सबसे पहले अच्छी मज़बूत मिटटी की हांडी लीजिये, इसको रात भर पानी में भिगो कर रख दीजिये, दुसरे दिन इसके अन्दर सरसों का तेल लगायें, और इसमें पानी डालकर चूल्हे पर धीमी आंच पर पकने दें. जब ये पानी उबल जाए तो इसको नीचे उतार लीजिये, बस तैयार हो गया आपका बर्तन इस्तेमाल करने के लिए. इस बर्तन में आप अपनी दाल सब्जी चावल कुछ भी बना सकते हैं. बस जब इसमें भोजन बनाना शुरू करें तो पहले थोड़ी देर धीमी आंच पर शरू करें. धीरे धीरे आंच बढ़ाएं.

ऊपर बताये गयी विधि के साथ में अगर आप चाय और कॉफ़ी को छोड़ते हैं तो आपको परिणाम शत प्रतिशत मिल सकते हैं.

हम जानते हैं के बहुत सारे पढ़े लिखे काले अंग्रेज कहेंगे के ये सब बकवास है तो उनसे ये कहूँगा के आपके हाथ में फ़ोन है इन्टरनेट फ्री है गूगल पर जाइये और वहां पर लिखें Activated charcoal for tooth, ये लिखते ही आपको वहां पर कोयले की दुकान मिल जाएगी, और आपको खुद ही समझ आ जाएगी के बरसों से हमारी दादी नानी क्यों कोयले से अपने दांत साफ़ करती थी.

इस वेबसाइट में जो भी जानकारिया दी जा रही हैं, वो हमारे घरों में सदियों से अपनाये जाने वाले घरेल नुस्खे हैं जो हमारी दादी नानी या बड़े बुज़ुर्ग अक्सर ही इस्तेमाल किया करते थे, आज कल हम भाग दौड़ भरी ज़िंदगी में इन सब को भूल गए हैं और छोटी मोटी बीमारी के लिए बिना डॉक्टर की सलाह से तुरंत गोली खा कर अपने शरीर को खराब कर देते हैं। तो ये वेबसाइट बस उसी भूले बिसरे ज्ञान को आगे बढ़ाने के लक्षय से बनाई गयी है। आप कोई भी उपचार करने से पहले अपने डॉक्टर से या वैद से परामर्श ज़रूर कर ले। यहाँ पर हम दवाएं नहीं बता रहे, हम सिर्फ घरेलु नुस्खे बता रहे हैं। कई बार एक ही घरेलु नुस्खा दो व्यक्तियों के लिए अलग अलग परिणाम देता हैं। इसलिए अपनी प्रकृति को जानते हुए उसके बाद ही कोई प्रयोग करे। इसके लिए आप अपने वैद से या डॉक्टर से संपर्क ज़रूर करे।

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