बिजली का झटका यानि इलेक्ट्रिक शॉक कहीं भी लग सकता है। कई मामलों में इलेक्ट्रिक शॉक लगने पर करंट के शरीर के माध्यम से गुजरने पर कार्डीएक अरेस्ट (cardiac arrest) यानि हृदय गति रुकने का खतरा हो सकता है। कई बार करंट लगने से जलना और छाले हो सकते हैं। हालांकि तेज करंट लगने से दिल और दिमाग पर असर पड़ सकता है।
दिल पर असर पड़ने से हार्ट बीट्स बिगड़ना (arrhythmia) और वेंट्रिकुलर फिब्रेलेशन (ventricular fibrillation) का जोखिम होता है, जिससे कार्डीएक अरेस्ट का खतरा हो सकता है। बिजली का करंट लगने से दिमाग में ऐंठन हो सकती है और अगर व्यक्ति बुजुर्ग है और दिमागी हालत से पीड़ित है, तो जटिलताएं अधिक गंभीर हो सकती हैं। मुंबई स्थित फोर्टिस हॉस्पिटल में कंसल्टेंट फिजिशियन डॉक्टर प्रदीप शाह आपको बता रहे हैं कि बिजली का करंट लगने के बाद आपको तुरंत कौन से ऐसे काम करने चाहिए जिससे करंट लगने वाले व्यक्ति की जान बचाई जा सके।
1) इससे पहले की आप मदद के लिए आगे जाएं, ये सुनिश्चित कर लें कि आसपास कुछ ऐसी चीजें तो नहीं है, जिसमें करंट हो। आपको बता दें कि पानी या लोहे की चीजों में करंट जल्दी से पास होता है। उसके बाद तुरंत एमरजेंसी हेल्पलाइन पर कॉल करें।
2) व्यक्ति को करंट लगने वाली चीज से अलग करने की कोशिश करें। इसके लिए पावर ऑफ कर दें या डिवाइस अलग निकाल लें। अगर आप ऐसा नहीं कर सकते, तो एक सूखे लकड़ी के स्टूल पर खड़े होकर किसी लकड़ी की छड़ी से व्यक्ति को अलग करने की कोशिश करें। व्यक्ति को भूलकर भी ना छूएं, इससे आप भी करंट चपेट में आ सकते हैं।
3) व्यक्ति को अलग करने के बाद उसे रिकवरी पोजीशन में लेटा दें। इस पोजीशन में व्यक्ति किसी एक करवट में होता है और उसका एक हाथ सिर के नीचे और दूसरा आगे की तरफ होता है और उसका एक पैर सीधा होता है और दूसरा मुड़ा हुआ होता है। इसके बाद उसकी ठोड़ी उठाकर जांच करें कि वो सांस ले रहा है या नहीं।
4) अगर ब्लीडिंग हो रही है, तो ब्लड रोकने के लिए उस जगह को एक साफ और सूखे कपड़े से बांध दें।
5) अगर व्यक्ति सांस ले रहा है और थोड़ा जल गया है, तो उसे पानी से धो लें। व्यक्ति को कभी भी कंबल से ना लपेटें।
6) अगर आपको व्यक्ति के सांस लेने, खांसने या किसी भी तरह की गतिविधि का कोई संकेत नहीं मिल रहा है, तो आप सीपीआर (कार्डियो पल्मोनरी रिससिटैशन) शुरू करें। इस प्राथमिक चिकित्सा से किसी बेहोश या मूर्छित व्यक्ति के दिल और फेफड़ो को पुन: होश में लाया जाता है। अगर व्यक्ति सांस ले रहा है, तो कभी भी सीपीआर ना करें।
ध्यान रहे कि करंट लगने वाले व्यक्ति को तुरंत मेडिकल ट्रीटमेंट की जरूरत होती है, भले ही व्यक्ति घटना के बाद पूरी तरह से ठीक लग रहा हो। डॉक्टर जांच के बाद ही ईसीजी, ब्लड टेस्ट, सीटी स्कैन या एमआरआई जैसे टेस्ट के लिए कह सकते हैं।
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