पित्त की थैली में पथरी होने के बारे में यही कहा जाता है कि बिना ऑपरेशन के इसे निकालना मुश्किल है। ऐसे में यदि आपको गॉल ब्लेडर स्टोन की शिकायत है तो जाहिर है आपने भी ऑपरेशन का विचार बनाया होगा। मगर आयुर्वेद में ऐसे घरेलु नुस्खे हैं जिन से आप इस लाइलाज बीमारी को सही कर सकते हैं, मगर कुछ सावधानियों और डॉक्टर की सलाह के साथ। तो आइये जाने कैसे छुटकारा पाये इस बीमारी से।
पित्ताशय हमारे शरीर का एक छोटा सा अंग होता है जो लीवर के निचले सतह से जुडी रहने वाली, नाशपाती के आकार की 10 सेमी लम्बी व 3 से 5 सेमी चौडी एक थैली होती है जिसे पित्ताशय व पित्त की थैली कहते है । इसका कार्य पित्त को संग्रहित करना तथा भोजन के बाद पित्त नली के माध्यम से छोटी आंत में पित्त का स्त्राव करना है। पित्त रस वसा के अवशोषण में मदद करता है। पित्त की थैली में दो तरह की दिक्कतें पैदा हो सकती है एक पित्ताशय का फूलना या इन्फ्लेमेशन (INFLAMATION), जिसे कोलीस्टासिस (CHOLESTASIS) कहते है और दूसरी पित्त पत्थरी (GALLBLADDER STONE) के नाम से जाना जाता है । जब इस पित्त में कोलेस्ट्रोल और बिल रुबिन की मात्रा बढ़ जाती हैं तो पत्थरी निर्माण के लिए एक आदर्श स्थिति बन जाती हैं।
तो आइये जानते हैं कैसे हम इस से बच सकते हैं और अगर हो गयी हैं तो कैसे मुक्ति पा सकते हैं।
पित्त पथरी के लक्षण
जब तक पत्थरी पित्ताशय में पड़ी रहती है, तब तक विशेष लक्षण प्रकट नहीं होते, परन्तु जब पत्थरी अपने स्थान से सरक कर पित्त स्त्रोत में आकर अटक जाती है तो असहनीय पीड़ा होती है खासकर पित्त पत्थरी की पीड़ा रात्रि के समय विशेषतः होती है, यह दर्द रूक रूककर होता है जिसमें रोगी छटपटा जाता है ।
यह शुरूआत में बारीक कंकड़ की तरह होती है लेकिन बाद में इसपर परत दर परत चढ़ती जाती है और यह बड़ा रूप ले लेती है । इन्फ्लेमेशन के कारण भी पत्थरी की शिकायत हो सकती है, पुरूषो के मुकाबले महिलाओं को पित्त पथरी की शिकायत ज्यादा रहती है खासकर मोटे लोगो में ।
इसके अतिरिक्त अपचन, गैस,कब्िजयत,मिचली,वमन प्रतीत होना, चिकानाई युक्त चीजों का न पचना, चक्कर आना, कमर व पेट में दर्द व ऐंठन होना, खून की कमी, पीलिया , बवासीर, वेरिकन्स वेन्स,सुक्ष्म रक्त वाहिनियों मे टूट फूट आदि लक्षण भी पित्ताशय की गड़बड़ी के कारण हो सकते हैं ।
पित्त पथरी के कारण
पित्ताशय की पथरी का मुख्य कारण है पाचन क्रिया में होनें वाली दिक्कते,जो खानें में कार्बोहाइड्रेट लेने से होती है, वात बढ़ाने वाला व वसा युक्त आहार पित्त पथरी के दर्द व ऐंठन का कारण बन जाता है । कच्चे चावल,मिटृी,बत्ती चोक खानें के कारण,अत्यधिक ठोस व गरिष्ठ आहार के सेवन से यह पथरी होने की सम्भावना बढ़ जाती है । इसके अतिरिक्त स्वास्थ्य का ठीक न होना,गलत मुद्रा के सोना या बैठना, मॉेसपेशियों में तनाव आदि समस्याए पित्त पथरी के लिए जिम्मेदार हो सकती है।
बचाव के उपाय
पित्ताशय की थोड़ी सी भी गड़बड़ी होने पर खानपान को सही रखना बेहद जरूरी होता है । पित्ताशय में यदि बहुत अधिक सोज (सूजन) है तो मरीज को दो या तीन दिन तक उपवास करना चाहिए । जब तक वह समस्या खत्म न हो जाए । इस समय सिर्फ पानी (उबालकर ठण्डा किया हुआ) ,चकोतरा, नींबू, सन्तरा, अंगूर, गाजर, चुकन्दर का जूस व मूली का जूस पीना चाहीए । दही, कॅाटेज चीज़ और एक चम्मच अॉलिव आॅयल (जैतून तेल) भी दिन में दो बार लें , इन्द्रजौ मिठा 10 ग्राम और हरी ईलाइची 10 ग्राम एक सफेद सूती कपड़े में पोटली बनाकर पीने वाले पानी ( लगभग 4 लीटर) में डाल के रखें ,जब भी प्यास लगें तो उसी पानी को पियें, यह रोज़ करें तथा हर 5 दिन बाद पोटली बदल लेवें।
पित्त की थैली की पथरी का साइज अधिक बड़ा हो जाने से फिर केवल आपरेशन कराने का रास्ता ही बचता है । गुर्दे की पथरी चाहे जितनी बड़ी हो गयी हो आपरेशन कराने से बचना चाहिये और पथरी का इलाज होम्योपैथिक अथवा आयुर्वेदिक तरीके से कराना चाहिये ।
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सावधानी
पित्त की थैली की पथरी यदि 7 मिलीमीटर तक है तो किसी नजदीक के expert आयुर्वेदिक या होम्योपैथिक चिकित्सक से इलाज करायें । लम्बे समय तक इलाज कराने और परहेज करने से पथरी धीरे धीरे melt होकर गल जाती है अथवा अनुकूल साइज आ जाने पर CBD से निकल जाती है । यहां यह ध्यान रखना जरूरी है कि CBD नलिका का आन्तरिक साइज 6.5 मिलीमीटर से लेकर 7.5 मिलीमीटर तक ही औसतन होता है । किसी किसी रोगी में CBD का आन्तरिक साइज कुछ घट या कुछ बढ जाता है । इसकी माप करने का सबसे बेहतर तरीका Utrasound examination द्वारा ही सम्भव है ।
यदि पित्त की थैली की पथरी यदि 7 मिलीमीटर से कम हैं तो किसी नजदीक के expert आयुर्वेदिक या होम्योपैथिक चिकित्सक की देख रेख में ये प्रयोग करे, ये बेहद सफल प्रयोग हैं।
प्रयोग इस प्रकार हैं।
ये प्रयोग तभी करना हैं जब आपकी पत्थरी का आकार आपकी CBD नलिका से कम हो। और ये उपचार करते समय किसी नज़दीकी आयुर्वेदिक या होम्योपैथिक डॉक्टर की देख रेख ज़रूरी हैं।
पहले 5 दिन रोजाना 4 ग्लास एप्पल जूस (डिब्बे वाला नहीं) और 4 या 5 सेव खायें …..
छटे दिन डिनर नां लें ….
इस छटे दिन शाम 6 बजे एक चम्मच ”सेधा नमक” ( मैग्नेश्यिम सल्फेट ) 1 ग्लास गर्म पानी के साथ लें …
शाम 8 बजे फिर एक बार एक चम्मच ” सेंधा नमक ” ( मैग्नेश्यिम सल्फेट ) 1 ग्लास गर्म पानी के साथ लें …
रात 10 बजे आधा कप जैतून ( Olive ) या तिल (sesame) का तेल – आधा कप ताजा नीम्बू रस में अच्छे से मिला कर पीयें …..
सुबह स्टूल में आपको हरे रंग के पत्थर मिलेंगे …
नोट: पालक, टमाटर, चुकंदर, भिंडी का सेवन न करें।