कई हजार साल से भारत में मिट्टी के बर्तनों का इस्तेमाल किया जाता रहा है। क्योंकि मिट्टी के बर्तनों में खाना पकाने से मिलते थे एैसे फायदे जो हर बीमारी को शरीर से दूर रखते थे। इस बात को अब आधुनिक विज्ञान भी साबित कर चुका है कि मिट्टी के बर्तनों में खाना बनाने से शरीर के कई तरह के रोग ठीक होते हैं।
आज से 200 साल पहले ही मिट्टी के बर्तनों का प्रयोग होना बंद हो गया। जिसकी मुख्य वजह थी एल्युमिनियम के बर्तनों का ज्यादा इस्तेमाल करना। जो कि शरीर के लिए हानिकारक है। आइये जानते हैं क्यों मिट्टी के बर्तनों में खाना पकाना चाहिए।
आयुर्वेद के अनुसार भोजन धीरे-धीरे ही पकना चाहिए। इससे भोजन पौष्टिक के साथ स्वादिष्ट भी बनता है। साथ ही भोजन में मौजूद सभी प्रोटीन शरीर को खतरनाक बीमारियों से सुरक्षित रखते हैं। मिट्टी के बर्तनों में खाना थोड़ा धीमा बनता है पर सेहत का फायदा पूर मिलता है।
आयुर्वेद के अुनसार खाना पकाते समय उसे हवा का स्पर्श और सूर्य का प्रकाश मिलना जरूरी है। लेकिन प्रेशर कुकर एल्यूमीनियम का होता है जो सेहत के लिए बेहद खतरनाक हो सकता है। जिससे टी.बी, डायबिटीज, अस्थमा और पेरेलिसिस हो सकता है। प्रेशर कूकर के भाप से भोजन पकता नहीं है बल्कि उबलता है।
आयुर्वेद में इस बात को बताया गया है की जो भोजन धीरे-धीरे पकता है वह सबसे ज्यादा पौष्टिक तत्व देने वाला होता है। और जो खाना जल्दी पकता है वो खतरनाक भी होता है।
इंसान के शरीर को रोज 18 प्रकार के सूक्षम पोषक तत्व मिलने चाहिए। जो केवल मिट्टी से ही आते हैं।
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बर्तनों के अनुसार पोषक तत्व
- एलुमिनियम के प्रेशर कूकर से खाना बनाने से 87 प्रतिशत पोषक तत्व खत्म हो जाते हैं।
- पीतल के बर्तन में खाना बनाने से केवल 7 प्रतिशत पोषक तत्व नष्ट होते हैं।
- कांसे के बर्तन में खाना बनाने से केवल 3 प्रतिशत ही पोषक तत्व नष्ट होते हैं।
- केवल मिट्टी के बर्तन में खाना बनाने से पूरे 100 प्रतिशत पोषक तत्व मिलते हैं। और यदि मिट्टी के बर्तन में खाना खाया जाए तो उसका अलग से स्वाद भी आता है।
ये बात तो सच है कि बहुत ही कम लोग इस बात को मानेगें और उनमे से कुछ ही लोग मिट्टी के बर्तनों में खाना बनाना पसंद करेगें। लेकिन यदि शरीर को रोगमुक्त और लंबी उम्र तक जीना है तो मिट्टी के बर्तनों में खाना बनाने की आदत डालें।