हजारो लोग स्किन की समस्याओं से परेशान रहते हैं। इनमे से कुछ समस्याएँ तो बिलकुल ही सिंपल होती है मगर कुछ गंभीर होती हैं, और इन सिंपल समस्याओं में से एक समस्या होती है, मस्से। यह सिर्फ सिंपल ही नहीं बल्कि आम समस्याओं में गिनी जाती है। मस्से स्किन पर एक उपज की तरह होते हैं, और सुसाध्य समझे जाते हैं, यानि कि वे कैंसरयुक्त नहीं होते। इनसे पीड़ित कई लोग इन्हें निकालने के लिए बेकरार रहते हैं, क्योंकि उनके अनुसार मस्से स्किन पर अच्छे नहीं दिखते। और उनसे हमारी सुन्दरता ही खराब हो जाती है और जहा पर भी ये होते है वो जगह बिलकुल ही ख़राब लगती है मस्से ‘ह्युमन पैपिल्लोमा वाइरस’ के कारण विकसित होते हैं। शारीर पर वेदना रहित,सख्त,उड़द के समान,काली भूरी और उठी हुई जो फुंसी होती है स्किन से थोडा ऊँचा काला या लाल सा दिखने वाला जो दाग स्किन पर पड़ जाता है उसे लहसन कहते है
मस्सों का होम्योपैथिक उपचार
आइये अब हम मस्सों का इलाज होमियोपैथी से करते हैं जो निरापद और लाभकारी है।
थूजा
थूजा एक प्रधान एंटीसाइकोटिक दवाहै। इस औषधि का प्रयोग किसी भी प्रकार के मस्सों में किया जा सकता है। मस्सों के यह सबसे अच्छी औषधि है। मस्सों के झुण्ड निकलने, सिर के पीछे मस्से जैसे दाने होने, ठोड़ी पर मस्से होने, लटकने वाले मस्से होने, खूनी मस्से जिससे कभी-कभी खून निकलता रहता है। इन सभी प्रकार के मस्सों को ठीक करने के लिए थूजा औषधि की 30 और 200 शक्ति का सेवन करना लाभदायक होता है। इन मस्सों में थूजा औषधि के सेवन के साथ-साथ थूजा Q (मूल अर्क ) को रूई पर लगाकर मस्सों पर लगाना चाहिए।
गर्भावस्था के दौरान स्त्री को पहले कुछ दिनों तक सल्फर औषधि की 30 शक्ति का सेवन कराने और फिर कुछ दिनों तक थूजा औषधि की 30 शक्ति का सेवन कराने और अंत में मर्क सौल औषधि की 30 शक्ति सेवन कराने से बच्चे को मस्से नहीं होते। यदि त्वचा पर मस्से गोभी की तरह दिखाई दे तो इस औषधि का प्रयोग करना लाभकारी होता है। योनि के ऊपर -उसमे दर्द होता है की हाथ लगाया जाता स्वर यंत्र के अर्बुद में थूजा काफी लाभप्रद है।
कैलकेरिया कार्ब
कठोर, नोकदार व चुभने वाले मस्से जिनमें सूजन आने के बाद कभी-कभी जख्म भी बन जाते हैं।चेहरे पर, गर्दन पर, और शरीर के ऊपरी हिस्से के मस्से में लाभकारी। इस तरह के मस्से को ठीक करने के लिए कैलकेरिया कार्ब औषधि की 12 शक्ति का प्रयोग करना लाभकारी होता। नाक अर्बुद से रक्तस्राव होता है।
नाइट्रिक ऐसिड : फूलगोभी की तरह बड़े खुरदरे मस्से, टेढ़े-मेढ़े मस्से एवं ऐसे मस्से जिसे धोने से बदबूदार खून निकलने लगता हो। छूने पर भी खून निकलने लगता है।इस तरह के मस्सों में नाइट्रिक ऐसिड औषधि की 12 शक्ति का प्रयोग किया जाता है। इस औषधि का प्रयोग लटकने एवं होंठों पर मस्से की तरह दाने होने पर भी किया जाता है।
नैट्रम म्यूर
पुराने मस्से, ऐसे मस्से जिसमें दर्द हो और मस्से को हल्का सा छू देने पर असहनीय दर्द हो। मस्से कभी-कभी जख्म में बदल जाता है।हाथ और अंगूठे में अनगिनित मस्से, ऐसे लक्षणों वाले मस्सों का उपचार नैट्रम-म्यूर औषधि की 30 शक्ति से फयदेमन्द होता है। यह रक्तहीन,कमजोर और हरित पाण्डु रोग ग्रस्त स्त्रियों की बीमारी में खास रूप से फायदा करती है।
सल्फर
यदि कठोर एवं दर्द वाले मस्से हो गए हों और उसमें तपकन महसूस होता हो तो सल्फर औषधि की 30 शक्ति का प्रयोग करें।
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ऐन्टिम टार्ट
पुरुषों के जननेन्द्रिय की सुपारी के पीछे मस्से हो गए हों तो ऐन्टिम टार्ट औषधि की 12 शक्ति का प्रयोग किया जाता है।
कॉस्टिकम
कास्टिकम एक प्रधान सॉरा-बिष-नाशक और फास्फोरस की विरोधिनी दवा है। अगर शरीर पर छोटे-छोटे बहुत से ठोस मस्से हो गए हों जिसके जड़ मुलायम एवं ऊपर के मुंह कठोर और नोकदार हो तो ऐसे मस्सों को ठीक करने के लिए कॉस्टिकम औषधि की 30 शक्ति का प्रयोग करना लाभकारी होता है। नाखूनों के किनारे, बाहों, हाथों, पलकों एवं चेहरे पर होने वाले मस्सों में भी इस औषधि का उपयोग किया जाता है।
कैलि म्यूर
हाथों पर मस्से होने पर कैलि म्यूर औषधि का सेवन करने के साथ इस औषधि की 3x मात्रा को एक चम्मच पानी में मिलाकर लोशन बनाकर मस्सों पर लगाना भी चाहिए।
सीपिया
जननेन्द्रिय की आगे की त्वचा के अगले भाग या शरीर पर बड़े-बड़े कठोर एवं काले मस्से होने पर सीपिया औषधि की 30 शक्ति का प्रयोग करना हितकारी होता है। सीपिया के बाद सल्फर की जरूरत पड़ती है।
नैट्रम-म्यूर
हथेलियों पर मस्से होने पर नैट्रम-म्यूर औषधि की 3x से 200 शक्ति का सेवन करना लाभकारी होता है।
स्थान विशेष के मस्सों में उपयोगी औषधियाँ :
मुहं में : कास्टिकम, एसिड नाइट्रिकम, थूजा भौं में : कास्टिकम, आँख की पलकों में : एसिड नाइट्रिकम आँख के नीचे : सल्फर नाक में : थूजा,कास्टिकम मुहं के कोने में : काण्डुरैगों दाढ़ी में : लाइकोपोडियम जीभ पर : आरम म्यूर गर्दन पर : एसिड नाइट्रिकम बाहँ पर : कैल्केरिया,कास्टिकम,कास्टिकम,सीपिया,नाइट्रिक एसिड,सल्फर तलहथी पर: नैट्रम म्यूर, अनकॉर्डियम अंगुली में : कैल्केरिया, कास्टिकम,लैक्सिस, नैट्रम मयूर,नाइट्रिक एसिड,सल्फर,थूजा, सीपिया लिंगमुण्ड पर : एसिड नाइट्रिक,एसिड फास, थूजा लिंगाग्र चर्म : सिनाबेर,इयूकैलिप्