वात, पित्त और कफ तीनों में से वात सबसे प्रमुख होता है क्योंकि पित्त और कफ भी वात के साथ सक्रिय होते हैं। शरीर में वायु का प्रमुख स्थान पक्वाशय में होता है और वायु का शरीर में फैल जाना ही वात रोग कहलाता है। इस प्रकार के रोग में हमारे शरीर के किन्ही अंगों या जोड़ों में दर्द की शिकायत हो जाती है। मानव को जितने भी रोग होते है उनको आयुर्वेद ने 3 कैटेगरी में बाटा है जिनमें से एक है “वात”। वात रोगों में सबसे ज्यादा लाभ लहसुन आपको फायदा पहुंचता है और यह आपके घर में आसानी से मिल भी जाता है। आयुर्वेद के अनुसार लहसुन के सेवन का सबसे अच्छा समय माघ व पौष के महीने का होता है, इन महीनो में लहसुन का सेवन करने से आपको सबसे ज्यादा फ़ायदा मिलेगा।
आइये जानते हैं लहसुन के प्रयोग बारे में –
प्रयोग करने का तरीका
सबसे पहले आप लहसुन को 200 ग्राम लेकर छील लें और इसको पीस लें, लहसुन के साथ में गाय का घी 50 ग्राम की मात्रा में मिला कर 4 लीटर दूध में उसके गाढ़ा होने तक पकाए। इसके बाद में इसमें गाय का घी की 400 ग्राम और 400 ग्राम मिश्री तथा सोंठ, काली मिर्च,दालचीनी, पीपर, पीपरामूल, तमालपात्र, वायविडंग, नागकेशर, च्यवक, अजवायन, चित्रक, लौंग, दारूहल्दी, रास्ना, देवदार, हल्दी, पुष्करमूल, गोखरू, देवदार, विधारा, अश्वगंधा, पुनर्नवा, शतावरी, कौंचा के बीज का चूर्ण, नीम, सोआ इस सब वस्तुओं को 3-3 ग्राम मिलाएं और हल्की आंच पर मिश्रण को हिलाते रहें।
मिश्रण से जब घी छूटने लगे और मावा गाढ़ा बन जाए तो इसको निकाल कर कांच के बर्तन में बंद कर के रख दें। अब इस मिश्रण को आप 10 से 20 ग्राम की मात्रा में सुबह और शाम को गाय के दूध के साथ में सेवन करें।
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