जटामांसी हिमालय में उगने वाली एक मशहूर औषधि है। जटामांसी का पौधा होता है, जिसका तना 10 से 60 सेमी तक लम्बा होता है। जटामांसी के पत्ते 15 से 20 सेमी तक लम्बे होते हैं ये गुच्छे में लगे होते हैं, इसके फूल सफेद व गुलाबी या नीले रंग के एक गुच्छे में लगते हैं। फल सफेद रोमों से भरे छोटे व गोल-गोल होते हैं। इसकी जड़ लंबी, गहरी भूरे रंग की सूत्रों युक्त होती है। जटामांसी कश्मीर, भूटान, सिक्किम और कुमाऊं जैसे पहाड़ी क्षेत्रों में अपने आप उगती है। इसे ‘बालछड़’ के नाम से भी जाना जाता है। जटामांसी ठण्डी जलवायु में उत्पन्न होती है। इसलिए यह हर जगह आसानी से नहीं मिलती। इसे जटामांसी इसलिए कहा जाता है, क्योंकि इसकी जड़ में बाल जैसे तन्तु लगे होते हैं। एलोपैथिक डांक्टर को इसके सारे गुण ‘वेलेरियन नामक दवा में मिलते हैं।
आइये पहले इसके नामो के बारे में जानते हैं-
हिंदी- जटामांसी, बालछड , गुजराती में भी ये ही दोनों नाम,तेल्गू में जटामांही ,पहाडी लोग भूतकेश कहते हैं और संस्कृत में तो कई सारे नाम मिलते हैं- जठी, पेशी, लोमशा, जातीला, मांसी, तपस्विनी, मिसी, मृगभक्षा, मिसिका, चक्रवर्तिनी, भूतजटा.यूनानी में इसे सुबुल हिन्दी कहते हैं।
ये पहाड़ों पर ही बर्फ में पैदा होती है। इसके रोयेंदार तने तथा जड़ ही दवा के रूप में उपयोग में आती है. जड़ों में बड़ी तीखी तेज महक होती है.ये दिखने में काले रंग की किसी साधू की जटाओं की तरह होती है।
इसमें पाए जाने वाले रासायनिक तत्वों के बारे में भी जान लेना ज्यादा अच्छा रहेगा–इसके जड़ और भौमिक काण्ड में जटामेंसान , जटामासिक एसिड ,एक्टीनीदीन, टरपेन, एल्कोहाल , ल्यूपियाल, जटामेनसोंन और कुछ उत्पत्त तेल पाए जाते हैं।
जटामांसी के फायदे
तेज दिमाग
जटामांसी दिमाग के लिए एक रामबाण औषधि है, यह धीमे लेकिन प्रभावशाली ढंग से काम करती है। इसके अलावा यह याददाश्त को तेज करने की भी अचूक दवा है। एक चम्मच जटामांसी को एक कप दूध में मिलाकर पीने से दिमाग तेज होता है।
रक्तचाप
जटामांसी औषधीय गुणों से भरी जड़ीबूटी है। एक चम्मच जटामांसी में शहद मिलाकर इसका सेवन करने से ब्लडप्रेशर को ठीक करके सामान्य स्तर पर लाया जा सकता है।
अनिद्रा
ये धीमे लेकिन प्रभावशाली ढंग से काम करती है। अनिद्रा की समस्या होने पर सोने से एक घंटा पहले एक चम्मच जटामांसी की जड़ का चूर्ण ताजे पानी के साथ लेने से लाभ होता है।
हिस्टीरिया
जटामांसी चूर्ण को वाच चूर्ण और काले नमक के साथ मिलाकर दिन में तीन बार नियमित सेवन करने से हिस्टीरिया, मिर्गी, पागलपन जैसी बीमारियों से राहत मिलती है।
बवासीर
जटामांसी और हल्दी समान मात्रा में पीसकर प्रभावित हिस्से यानि मस्सों पर लेप करने से बवासीर की बीमारी खत्म हो जाती है। इसके अलावा जटामांसी का तेल मस्सों पर लगाने से मस्से सूख जाते हैं।
सूजन और दर्द
अगर आप सूजन और दर्द से परेशान हैं तो जटामांसी चूर्ण का लेप तैयार कर प्रभावित भाग पर लेप करें। ऐसा करने से दर्द और सूजन दोनों से राहत मिलेगी।
दांतों का दर्द
यदि कोई व्यक्ति दांतों के दर्द से परेशान है तो, जटामांसी की जड़ का चूर्ण बनाकर मंजन करें। ऐसा करने से दांत के दर्द के साथ- साथ मसूढ़ों के दर्द, सूजन, दांतों से खून, मुंह से बदबू जैसी समस्याएं भी दूर हो जाती हैं।
पेट में दर्द
जटामांसी और मिश्री एक समान मात्रा में लेकर उसका एक चौथाई भाग सौंफ, सौंठ और दालचीनी मिलाकर चूर्ण बनाएं और दिन में दो बार 4 से 5 ग्राम की मात्रा में रोजाना सेवन करें। ऐसा करने से पेट के दर्द में आराम मिलता है।
मासिक धर्म में विकार
20 ग्राम जटामांसी, 10 ग्राम जीरा और 5 ग्राम कालीमिर्च मिलाकर चूर्ण बनाएं। एक- एक चम्मच की मात्रा में दिन में तीन बार सेवन करें। इससे मासिक धर्म के दौरान दर्द में आराम मिलता है।
शरीर कांपना
यदि किसी व्यक्ति के हाथ- पैर या शरीर कांपता है तो उसे जटामांसी का काढ़ा बनाकर रोजाना सुबह शाम सेवन करना चाहिए या फिर जटामांसी के चूर्ण का दिन में तीन बार सेवन करना चाहिए। इससे शरीर कंपन की समस्या दूर हो जाती है।
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नपुंसकता
यदि कोई यक्ति नपुंसकता की गंभीर समस्या से परेशान है तो जटामांसी, जायफल, सोंठ और लौंग को समान मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण का रोजाना दिन में तीन बार सेवन करने से नपुंसकता से छुटकारा मिलता है।
सिर दर्द
अक्सर तनाव और थकान के कारण सिर दर्द की परेशानी हो जाती है। इससे छुटकारा पाने के लिए जटामांसी, तगर, देवदारू, सोंठ, कूठ आदि को समान मात्रा में पीसकर देशी घी में मिलाकर सिर पर लेप करें, सिर दर्द में लाभ होगा।
सावधानियां
पेट या लिवर की समस्या
जटामांसी का उपयोग करने से पहले योग्य वैद्य या डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए। इसके कई नकारात्मक कारण भी हो सकते हैं। जटामांसी के ज्यादा उपयोग या सेवन करने से गुर्दों को नुकसान पहुंचने या पेट दर्द की शिकायत हो सकती है।
दस्त
जटामांसी का जरुरत से ज्यादा इस्तेमाल करने से बचें नहीं तो उल्टी, दस्त जैसी बीमारियां आपको परेशान कर सकती हैं।
एलर्जी
जटामांसी के अत्यधिक उपयोग से एलर्जी हो सकती है। यदि आपकी त्वचा संवेदनशील है तो जटामांसी का इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें। अन्यथा एलर्जी का खतरा हो सकता है।