किसी भी स्थान पर और किसी भी ऋतु में उगने वाला और कम पानी से पलने वाला अरंडी का वृक्ष गाँव में तो खेतों का रक्षक और घर का पड़ोसी बनकर रहने वाला होता है। अरंडी कफ और वात के लगभग 100 रोगों को मिटाता है।
वातनाशक, जकड़न दूर करने वाला और शरीर को गतिशील बनाने वाला होने के कारण इसे अरंडी नाम दिया गया है। खासतौर पर अरंडी की जड़ और पत्ते दवाई में प्रयुक्त होते हैं। इसके बीजों में से जो तेल निकलता है उसे अरंडी का तेल कहते हैं।
गुण में अरंडी वायु तथा कफ का नाश करने वाली, रस में तीखी, कसैली, मधुर, उष्णवीर्य और पचने के बाद कटु होती है। यह गरम, हलकी, चिकनी एवं जठराग्नि, स्मृति, मेधा, स्थिरता, कांति, बल-वीर्य और आयुष्य को बढ़ाने वाली होती है। अरंडी कफ के लगभग 20 रोगों को मिटाता है।
यह उत्तम रसायन है और हृदय के लिए हितकर है। अरंडी के तेल का विपाक पचने के बाद मधुर होता है। यह तेल पचने में भारी और कफ करने वाला होता है।
यह तेल आमवात, वायु के तमाम 80 प्रकार के रोग, शूल, सूजन, वायुगोला, नेत्ररोग, कृमिरोग, मूत्रावरोध, अंडवृद्धि, अफरा, पीलिया, पैरों का वात (सायटिका), पांडुरोग, कटिशूल, शिरःशूल, बस्तिशूल (मूत्राशयशूल), हृदयरोग आदि रोगों को मिटाता है।
अरंडी के चमत्कारिक फायदे
बाल उगाए
अगर आपके सिर पर बाल कम हैं या भौहों पतली हैं तो हर रोज अरंडी के तेल का प्रयोग करें। सोते समय भौहों पर या जहां बाल कम हैं हल्का अरंडी का तेल लगाएं। कुछ दिन तक नियमित प्रयोग करने से फर्क आपको दिखायी देने लगेगा।
जल जाएं तो
अरंडी के तेल में थोड़ा सा चूना मिलाकर जले हुए स्थान पर लगाएं। इससे जले हुए घाव जल्दी ठीक हो जाते हैं। इसके अलावा अरंडी के पत्तों के रस में सरसों का तेल मिलाकर लगाने से भी लाभ होता है।
गाँठ
अरंडी के बीज और हरड़े समान मात्रा में लेकर पीस लें। इसे नयी गाँठ पर बाँधने से वह बैठ जायेगी और अगर लम्बे समय की पुरानी गाँठ होगी तो पक जायेगी।
फटी एड़ियों का इलाज़
हल्के गर्म अरंडी के तेल को रात के समय में फटी एड़ियों पर लगायें। अपनी एड़ियों को धुल डालें। यह फटी एड़ियों के दर्द को हटायेगा। इसका लगातार इलाज फटी एड़ियों को ठीक करता है।
अनिद्रा
अरंडी के कोमल पत्ते दूध में पीसकर ललाट और कनपटी पर गरम-गरम बाँधने चाहिए। पाँव के तलवों और सिर पर अरंडी के तेल की मालिश करनी चाहिए।
जोड़ों के दर्द से राहत दिलाए
जोड़ों के दर्द के उपचार के लिए भी कैस्टर ऑयल फायदेमंद रहता है। इसमें मौजूद एंटी इंफलेमेटरी तत्व जोड़ों के दर्द को ठीक करता है। हर रोज कैस्टर ऑयल से जोड़ों पर मालिश करने से जोड़ों का दर्द अपनेआप ठीक हो जाएगा।
आँतरिक चोट
अरंडी के पत्तों के काढ़े में हल्दी डालकर दर्दवाले स्थान पर गरम-गरम डालें और उसके पत्ते उबालकर हल्दी डालकर चोटवाले स्थान पर बाँधे।
सूजन करें दूर
अरंडी के पत्तों पर सरसों का गर्म तेल लगाकर सूजन वाली जगह पर बांधे या चाहें तो अरंडी के तेल से सूजन वाली जगह पर मालिश करें इससे दर्द और सूजन में आराम मिलेगा।
नाखूनों को चमकदार बनाए
अरंडी के तेल को हल्का सा गर्म करें और इसमें अपनें हाथ के नाखूनों को कुछ देर के लिए डुबोएं और फिर मालिश करें। आप चाहें तो नाखूनों को डूबोने की जगह कॉटन की मदद से नाखूनों पर तेल लगाकर मालिश कर सकते हैं। इससे नाखून चमकने लगेगें।
तिल
शरीर पर जन्म से ही तिल हों तो उन्हें से दूर करने के लिए अरंडी के पत्तों की डंडी पर थोड़ा कली चूना लगाकर उसे तिल पर घिसने से खून निकलकर तिल गिर जाते हैं।
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हाथीपाँव (श्लीपद रोग)
1 चम्मच अरंडी के तेल में 5 गुना गोमूत्र मिलाकर 1 माह तक लें।
कब्ज की समस्या
शोधों के मुताबिक अरंडी के तेल के प्रयोग से कब्ज की समस्या को दूर किया जा सकता है। सुबह एक चम्मच अरंडी का तेल लेने से कब्ज की समस्या में छुटकारा मिलता है। आप चाहें तो इसे संतरे के जूस, करौंदे का जूस या अदरक के जूस के साथ मिलाकर भी ले सकते हैं। ध्यान रहे तीन दिन से ज्यादा अरंडी का तेल ना लें।
दाद
दाद की समस्या से परेशान हैं तो अरंडी के तेल का प्रयोग करें। इसमें मौजूद अनडाइसीक्लीनिक एसिड फंगल इंफेक्शन को खत्म करने में मदद करता है। अंरडी के तेल को प्रभावित क्षेत्र पर पूरी रात लगे रहने दें। हर रात को सोने से पहले उस स्थान पर अरंडी का तेल लगाएं।
आमातिसार
सोंठ के काढ़े में अथवा गरम पानी में अरंडी का तेल देना चाहिए अथवा अरंडी के तेल की पिचकारी देनी चाहिए। यह इस रोग का उत्तम इलाज है।
त्वचा की समस्या
त्वचा में किसी प्रकार का संक्रमण या सनबर्न, एक्ने या रूखी त्वचा होने पर अरंडी के तेल का प्रयोग कर सकते हैं। हर रोज सुबह और रात को अरंडी के तेल में कॉटन को डुबोएं और त्वचा पर लगाएं। नियमित रुप से इसके इस्तेमाल से त्वचा की सभी समस्याएं दूर हो जाएंगी।