- नारियल गर्म-क्षेत्र (उष्ण-कटिबन्ध) में उगने वाला पेड़ है, इसीलिए नारियल का मूल देश जावा और सुमात्रा को माना जाता है। नारियल हिन्द महासागर और पैसिफिक महासागर के तटवर्ती क्षेत्रों में भी पाये जाते हैं।
- नारियल दो प्रकार की किस्मों में पाया जाता है। पहला-मोहानी नारियल और दूसरा-सादा नारियल। आजकल नारियल समुद्री जलवायु और दक्षिणी राज्यों में अधिक मिलता है।
- मोहानी नारियल का खोपरा मोटा और शक्कर (चीनी) के समान मीठा होता है। सादा नारियल का खोपरा खाने में मीठा होता है। सादा नारियल की अनेक किस्में होती हैं। सादा नारियल के पौधे हरे व लाल रंग के होते हैं, फल के आकार अलग-अलग तरह के होते हैं। कुछ गोल तो लंबे, छोटे और बड़े होते हैं।
- सादा नारियल और मोहानी नारियल के अलावा नारियल की तीसरी अन्य किस्म ठिगनी होती है। जिसके पेड़ पर 2 से 3 साल तक ही फल आते हैं।
कैसे बनाये ये दवा :
- नारियल का पानी दिन में 3 बार पीते रहने से पथरी मूत्र के द्वारा कटकर बाहर निकल जाती है।
- 12 ग्राम नारियल के पानी में आधा ग्राम यवक्षार मिलाकर दिन में 2 बार देने से लाभ मिलता है।
- नारियल का फूल 12 ग्राम को पानी के साथ मसलकर चटनी बना लें तथा उसमें लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग यवक्षार मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम लें। इससे पेशाब खुलकर आता है तथा मूत्राशय की पथरी गलकर बाहर निकल जाती है।
किन बातों का रखे ख्याल :
- नारियल का सूखा खोपरा गर्म, रूक्ष और पित्तकारक होता है। इसका अधिक सेवन करने से खांसी, जलन और श्वास (दमा) रोग उत्पन्न होता है। अधिक खोपरा खाने से हुई हानि पर अगर ऊपर से शर्करा खाये और दूध पीये तो लाभ होता है।
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