फालसे की तासीर ठंडक प्रदान करने वाली होती है। स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होने के साथ-साथ यह उमस भरी गर्मी से बचाने में अचूक साबित होता है। मैग्नीशियम, पोटेशियम, सोडियम, फॉस्फोरस, कैल्शियम, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, लोहा, विटामिन ए, सी और एंटीऑक्सीडेंट आदि की खान होने के कारण इसे सेहत का खजाना भी माना जाता है।खटठे मीठे स्वाद वाले फालसे के फल में विटामिन-सी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है । इसके साथ ही सिट्रिक एसिड, एमीनो एसिड, ग्रेवियानोल, बीटा एमिरिदीन, बेट्यूलीन, फ्रेडीलिन, किम्फेराल, क्वेरसेटिन, ल्यूपिनोन, ल्यूपियाल, डेल्फीनिडीन, सायनीडीन, टेरेक्सास्टेरोल पाये जाते हैं ।
आइये आपको बताते है फलसा के फायदों के बारे में –
हृदय की कमजोरी
फालसे का रस, नींबू का रस, 1 चुटकी सेंधा नमक, 1-2 काली मिर्च लेकर उसमें स्वादानुसार मिश्री मिलाकर पीने से हृदय की कमजोरी में लाभ होता है।
पेट का शूल
सिकी हुई 3 ग्राम अजवायन में फालसे का 25 से 30 ग्राम रस डालकर थोड़ा सा गर्म करके पीने से पेट का शूल मिटता है।
पित्तविकार
गर्मी के दोष, नेत्रदाह, मूत्रदाह, छाती या पेट में दाह, खट्टी डकार आदि की तकलीफ में फालसे के रस का शरबत बनाकर पीना तथा उष्ण-तीक्ष्ण खुराक बंद कर केवल सात्त्विक खुराक लेने से पित्तविकार मिटते हैं और अधिक तृषा से भी राहत मिलती है।
दिमाग की कमजोरी
कुछ दिनों तक नाश्ते के स्थान पर फालसे का रस उपयुक्त मात्रा में पीने से दिमाग की कमजोरी एवं सुस्ती दूर होती है, फुर्ती और शक्ति पैदा होती है।
पेट की कमजोरी
पके फालसे के रस में गुलाब जल एवं मिश्री मिलाकर रोज पीने से पेट की कमजोरी दूर होती है एवं उलटी उदरशूल, उबकाई आना आदि तकलीफें दूर होती हैं एवं रक्तदोष भी मिटता है।
मूढ़ या मृत गर्भ
कई बार गर्भवती महिलाओं के गर्भाशय में स्थित गर्भ मूढ़ या मृत हो जाता है। ऐसी अवस्था में पिण्ड को जल्दी बाहर निकालना एवं माता के प्राणों की रक्षा करना आवश्यक होता है। ऐसी परिस्थिति में अन्य कोई उपाय न हो तो फालसा के मूल को पानी में घिसकर उसका लेप गर्भवती महिला की नाभि के नीचे पेड़ू, योनि एवं कमर पर करने से पिण्ड जल्दी बाहर आ जायेगा। पिण्ड बाहर आते ही तुरन्त लेप निकाल दें, नहीं तो गर्भाशय बाहर आने की सम्भावना रहती है।
श्वास, हिचकी, कफ
कफदोष से होने वाले श्वास, सर्दी तथा हिचकी में फालसे का रस थोड़ा गर्म करके उसमें थोड़ा अदरक का रस एवं सेंधा नमक डालकर पीने से कफ बाहर निकल जाता है तथा सर्दी, श्वास की तकलीफ एवं हिचकी मिट जाती है।
कैंसर से लड़ने में सहायक
फलसा में रेडियोधर्मी क्षमता होने से यह कैंसर से लड़ने में सहायक है ।
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लू लगने में
फालसे में गर्मी के मौसम में लू लगने और उससे होने वाले बुखार से बचने का कारगर इलाज है। यह मस्तिष्क की गर्मी और खुष्की दूर करके तरोताजा रखता है। चिड़चिड़ापन दूर करता है। उल्टी और घबराहट दूर करता है।
एनीमिया का खतरा कम
फालसे में खनिज लवणों की अधिकता होने के कारण इसके नियमित सेवन से रक्त में हीमोग्लोबिन के स्तर में सुधार होता है। इससे एनीमिया का खतरा कम हो जाता है।
फालसा पेड़ की पत्तियां और तने
फालसा पेड़ की पत्तियां और तने भी औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं त्वचा के कटने, छिलने, जलने, दर्दनाक चकते पड़ने, फोड़े होने, एक्जिमा, त्वचा संबंधी रोगों में फालसा की पत्तियों को रात भर भिगोने के बाद पीस कर लगाने से बहुत लाभ होता है । यह एंटीबायोटिक की तरह काम करती हैं । तने की छाल का अर्क बुखार को कम करने और दस्त के इलाज में उपयोगी है । जड़ की छाल गठिया के इलाज के लिए उपयोगी है । फालसे के बीजों से तेल निकाला जाता है जो कि प्रजनन संबंधी विकारों में इस्तेमाल होता है ।
लालिमा, जलन, सूजन और कालेपन के इलाज में
यह ज्यादा धूप में रहने के कारण शरीर के खुले अंगों पर होने वाली लालिमा, जलन, सूजन और कालेपन के इलाज में मदद करता है।