बबूल लिकोरिया, खांसी, आंखों से पानी आना, डायरिया सहित अनेक रोगों में लाभकारी है

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बबूल से ना केवल दांत ही स्‍वस्‍थ रहते हैं बल्‍किल अनेको बीमारियों में भी लाभ पहुंचता है। बबूल कफ और पित्त का नाश करने वाला होता है और इसकी गोंद में भी कैल्शियम, मैग्नीशियम और पोटेशियम के अलावा अरबिक एसिड होता है। बाबुल के पेड़ की छाल और पत्तियों में टैनिन और गैलिक नामक एसिड होता है जिसके कारण इसका स्‍वाद कड़वा हो जाता है।इसका गोंद पित्त और वात का नाश करने वाला होता है, यह जलन को दूर करने वाला, घाव को भरने वाला, रक्तशोधक है। बबूल की पत्‍तियां, गोंद और छाल, सभी चीज़ें बड़ी ही काम की हैं।

डायरिया

बबूल के अलग अलग भाग डायरिया को दूर करने में मदद करते हैं। बबूल की ताजी पत्‍तियों को सफेद और काले जीरे के साथ पीस कर 12 ग्राम दिन में तीन बार खाने से डायरिया ठीक हो जाता है। इसी तरह से इसकी छाल से बना काढा दिन में 3 बार पीने से फायदा होता है।

दांतों की परेशानी

रोजाना बबूल की छाल को दातून बना कर चबाने से लाभ मिलता है। इससे मसूड़ों की सड़न और खून आना दूर होता है। इससे गंदे दांतों को भी साफ किया जा सकता है। आप दांतों को साफ करने के लिये 60 ग्राम बबूल का कोयला, 24 ग्राम रोस्‍ट की हुई फिटकिरी और 12 ग्राम काला नमक मिक्‍स कर के मंजन करें।

टॉन्‍सिल

बबूल की छाल का गरम काढा बनाइये और उसमें काला नमक मिला कर गरारा कीजिये। इससे टॉन्सिल तुरंत ही ठीक होगा।

खांसी में लाभकारी

बबूल की मुलायम पत्‍तियों को पानी में उबाल कर दिन में तीन बार पीने से खांसी और सीने का दर्द ठीक होता है। आप चाहें तो बबूल के गोंद को मुंह में रख कर चूस भी सकते हैं।

चोट लगने या जलने पर

बबूल की पत्‍तियों को घाव लगने, जलने या चोट लगने पर इस्‍तमाल किया जाता है। यह दाग लगने से रोकता है। बबूल की पत्‍तियों को पीस कर लगाएं।

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कंजक्‍टिवाइटिस

रात को सोने से पहले कंजक्‍टिवाइटिस वाली आंखों पर बबूल के ताजे पत्‍ते पीस कर लगाएं और इसे किसी साफ कपड़े से बांध दें। दूसरी सुबह आंखों से दर्द और लालिमा चली जाएगी। Gum-from-Babul-Tree

एक्‍जिमा

25 ग्राम बबूल की छाल और आम की छाल को 1 लीटर पानी में उबाल कर एक्‍जिमा वाले भाग की भाप से सिकाई करें। सिकाई के बाद उस भाग पर बाद में घी लगा लें। इसके अलावा बबूल के पत्‍तों को पीस कर एक्‍जिमा वाली त्‍वचा पर लगाने से भी बीमारी में लाभ मिलता है।

लिकोरिया

बबूल इस रोग को ठीक करने के लिये बबूल की छाल का प्रयोग किया जाता है। बबूल की छाल का काढा प्रयोग करें।

आंखों से पानी आना

250 ग्राम बबूल की पत्‍तियों को पानी में तब तक उबालें जब तक कि पानी एक चौथाई ना हो जाए। फिर इस पानी को एक साथ पानी में भर कर रख लें। इसके बाद इससे अपनी आंखों की पलको को सुबह-शाम धोएं।

इस वेबसाइट में जो भी जानकारिया दी जा रही हैं, वो हमारे घरों में सदियों से अपनाये जाने वाले घरेल नुस्खे हैं जो हमारी दादी नानी या बड़े बुज़ुर्ग अक्सर ही इस्तेमाल किया करते थे, आज कल हम भाग दौड़ भरी ज़िंदगी में इन सब को भूल गए हैं और छोटी मोटी बीमारी के लिए बिना डॉक्टर की सलाह से तुरंत गोली खा कर अपने शरीर को खराब कर देते हैं। तो ये वेबसाइट बस उसी भूले बिसरे ज्ञान को आगे बढ़ाने के लक्षय से बनाई गयी है। आप कोई भी उपचार करने से पहले अपने डॉक्टर से या वैद से परामर्श ज़रूर कर ले। यहाँ पर हम दवाएं नहीं बता रहे, हम सिर्फ घरेलु नुस्खे बता रहे हैं। कई बार एक ही घरेलु नुस्खा दो व्यक्तियों के लिए अलग अलग परिणाम देता हैं। इसलिए अपनी प्रकृति को जानते हुए उसके बाद ही कोई प्रयोग करे। इसके लिए आप अपने वैद से या डॉक्टर से संपर्क ज़रूर करे।

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