सिर्फ 10-15 मिनट में अस्थमा का तुरंत रामबाण इलाज

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आज हम आपको स्वर चिकित्सा की ऐसी विधि बता रहे हैं जिससे बिना दवा के ही दमा जैसे भयंकर रोग में आपको तुरंत आश्चर्यजनक रूप से आराम आ जायेगा। ये विधि बहुत ही सरल और बहुत ही उपयोगी है। आइये जाने।

जब कभी भी दमा का दौरा उठे या श्वांस फूलने लगे तब तत्काल स्वर परीक्षा करें, देखे के श्वांस किस नाक से आ रहा है, अपनी हथेली को नाक के पास ले जाएँ और ज़ोर से सांस फेंककर देखें के किस नाक से सांस आ रहा है। जिस नाक से सांस तेज़ आ रहा हो तो उस नाक को तुरंत बंद कर दीजिये और दूसरे नाक से सांस लेना प्रारम्भ कर दीजिये। इसी को स्वर बदलना कहते है। स्वर बदलने के 10-15 मिनट में ही आश्चर्यजनक रूप से दम का फूलना बंद हो जाता है।

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स्थायी रूप से श्वांस रोग को दूर करने के लिए स्थायी रूप से श्वांस रोग को दूर करने के लिए रोगी को प्रयत्नपूर्वक दिन रात अधिक से अधिक दायां स्वर (अर्थात दाहिने नथुने से सांस का निकलना या सूर्य स्वर) चलाने का अभ्यास करना चाहिए, जैसे प्रात: उठते समय, भोजन करने के लिए बैठते समय, भोजन करने के बाद, रात्रि सोते समय। सूर्य स्वर कफशामक होने के साथ जठराग्निवर्धक भी है जिससे दमा शांत होता है। अत: यदि भोजन भी स्वर शास्त्र के नियमानुसार किया जाए तो निश्चय दमे का रोग समूल नष्ट हो जाता है।

भोजन ग्रहण करते समय और भोजन करने के पश्चात दायाँ स्वर (सूर्य स्वर) चलायें तो न केवल दमा रोग के उन्मूलन में ही सहायता मिलती है, बल्कि अजीर्ण भूख न लगने और पाचन शक्ति के कमज़ोर होने की शिकायतें भी दूर हो जाती हैं।

यदि रोगी सदैव दाहिने नथुने के चलते समय ही भोजन करे (और भोजन के साथ पानी पीना बंद कर दें) और भोजन के बाद 15-20 मिनट बायीं करवट लेकर दाहिना स्वर चलाते रहें तो भोजन आसानी से पच जाता है और उपरोक्त शिकायतें दूर हो जाती हैं। यदि बदहज़मी हो गयी हो तो इस उपाय से (अर्थात सूर्य स्वर चलाने से) वह धीरे धीरे समाप्त हो जाती है, क्यूंकि दाहिना स्वर पित्तवर्धक होने से इसे चलाने से पित्त या पाचक अग्नि को बल मिलता है और मंदाग्नि दूर होकर पेट के अनेक रोग नष्ट हो जाते हैं।

दायाँ स्वर चलने से शरीर में गर्मी बढ़ती है और बायां स्वर चलने पर शीतलता। अत: जुकाम, खांसी, कफ और ठण्ड से उत्पन्न रोगों में यदि दायाँ स्वर अधिक चलेगा तो रोगी जल्दी स्वस्थ हो जायेगा। इसके अतिरिक्त दायाँ स्वर चलाने चलाने से निम्न रक्तचाप में शीघ्र लाभ मिलता है।

इसी प्रकार जब गर्मी अधिक हो और लू लगने लगे तो बायां स्वर चलाना चाहिए तो कितनी भी गर्मी हो लू नहीं लगेगी।

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