सोने का सही तरीका

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सोने का तरीका सही होने पर नींद अच्छी आती है , आराम मिलता है और आप तरोताजा होकर उठते है। सही तरीके का मतलब है कि सोते समय आपका शरीर किस अवस्था में होता है। गद्दा और तकिया सही है या नहीं इत्यादि।

गलत तरीके से सोने से या गलत तकिया या गद्दा उपयोग करने से पीठ दर्द , कमर दर्द , गर्दन में दर्द ,थकान , मांसपेशी में खिंचाव , रक्त संचार में रूकावट ,  सिरदर्द , सीने में जलन , चेहरे पर झुर्रियां आदि समस्याएँ हो सकती है। और सबसे बड़ा नुकसान नींद पूरी नहीं होती।

सोते समय शरीर की अवस्था – Sleeping Posture

Sote samay body posture

कुछ लोग पीठ के बल सोते है , कुछ करवट लेकर और कुछ लोग पेट के बल सोते है। सोते समय की इन सभी अवस्थाओं का शरीर पर अलग प्रभाव पड़ता है।

हमारे शरीर में दायीं तरफ लिवर , पित्ताशय , पैंक्रियास होते है और बायीं तरफ ह्रदय होता है , आमाशय का आकार बायीं तरफ थोड़ा ज्यादा बड़ा होता है। हमारे शरीर में हड्डियाँ और नसों का फैलाव बहुत है। सोते समय इन सबका सही स्थिति में होना आवश्यक होता है।

सोते समय शरीर के किसी भी अंग पर अधिक दबाव पड़ने या किसी छोटी सी भी नस के दबने से गंभीर समस्या पैदा हो सकती है। सोते समय आहार नाली अमाशय से ऊंची रहनी चाहिये।

इन सब बातों का असर सोते समय तो पता नहीं चलता लेकिन कुछ समय बाद परिणाम सामने आने लगते है। आइये समझते है किस अवस्था में सोने के शरीर पर क्या प्रभाव पड़ सकते है :-

पीठ के बल सोना – Back Sleep

Peeth ke bal sone se kya hota he

अधिकतर लोगों के लिए यह सोने का तरीका यही सबसे अच्छा  होता है। इस स्थिति में गर्दन को सहारा देने के लिए एक तकिया जरूरी है। अधिक तकिये नहीं लगाने चाहिए अन्यथा साँस लेने में परेशानी हो सकती है। ऑर्थोपेडिक तकिया इसके लिए एक बहुत अच्छा विकल्प साबित हो सकता है।

इसमें रीढ़ की हड्डी , सिर और गर्दन एक सीध में रह पाते है और आराम की स्थिति में रहते है। इनके ऊपर किसी प्रकार का दबाव नहीं पड़ता इसलिए किसी प्रकार का दर्द भी उत्पन्न नहीं होता। इस स्थिति में सोने से एसिड रिफ्लक्स से बचाव होता है। इससे आहार नली आमाशय से ऊंची रहती है जिससे पेट के अम्ल आहार नली में नहीं आते।

इस स्थिति  में एक ही नुकसान होता है कि जीभ ढ़ीली होकर गले तक पहुँच जाती है। जिससे खर्राटे की आवाज पैदा होती है। यह स्थिति स्लीप एपनिया से ग्रस्त लोगों के लिए खतरनाक हो सकती है।

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करवट लेकर सोना – Side Sleep

Karvat lekar sone se kya hota he

करवट लेकर सोने के लिए गर्दन और कंधे की स्थिति सही रखनी जरूरी होती है। गर्दन कंधे की लाइन से समकोण पर होनी चाहिए। तकिये की वजह से गर्दन ना तो लटकनी चाहिये और ना ही मुड़नी चाहिये।  इसके लिए यदि दो तकिये लगाने पड़ें या हाथ सिर के नीचे रखना पड़े तो इसका अर्थ है आपको नया तकिया खरीदना चाहिए ।

करवट लेकर सोते समय कूल्हों को सीधा रखने के लिए घुटने एक साथ होने चाहिए पर इससे घुटने अड़ने के कारण असुविधा होती है। इसके लिए पतला तकिया घुटनो के बीच लगा लेना चाहिए। कूल्हे सीधे नहीं होने पर उनमे दर्द हो सकता है।

यह स्थिति एसिड रिफ्लक्स कम करती है। रीढ़ की हड्डी सीधी रहने से गर्दन और पीठ के दर्द से बचाव होता है। इसमें खर्राटे आने की सम्भावना कम ही होती है अतः स्लीप एपनिया से ग्रस्त लोगों के लिए सोने का तरीका यह सबसे अच्छा है।

करवट लेकर सोने का नुकसान यह है की इसमें चेहरा दब जाता है जिससे झुर्रिया पड़ सकती है। इस स्थिति में हाथ दबने से सुन्न हो सकता है या कंधे में जकडन पैदा हो सकती है। एक ही तरफ करवट लेकर सोने पर फेफड़े और पेट पर भी दबाव पड़ सकता है। इससे बचने के लिए करवट में कुछ देर बदल लेनी चाहिए।

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फेटल पोजीशन – Fetal Sleep

Karvat me mud kar sone se kya hota he

यह स्थिति भी करवट वाली ही है पर इसमें  कूबड़ थोड़ा निकला हुआ होता है और घुटने मुड़े हुए होते है। अधिकतर लोग इसी अवस्था में सोते है। इस स्थिति में बायीं तरफ करवट लेकर सोना गर्भवस्था के लिए सर्वश्रेष्ठ होता  है। क्योकि इस स्थिति में शरीर में और गर्भाशय में रक्त संचार सही रहता है , साथ ही गर्भाशय का दबाव लिवर पर नहीं पड़ता जो कि दायीं तरफ होता है।

यह स्थिति खर्राटे लेने वाले लोगों के लिए भी सही होती है। लेकिन बहुत ज्यादा पीठ मोड़ने पर डायाफ्राम पर दबाव पड़ता है और साँस लेने में परेशानी हो सकती है। अतः इतना नहीं मुड़ना चाहिए कि दाढ़ी छाती को छूने लगे और घुटने अधिकतम ऊपर उठे हुए हों। कूल्हों में दर्द से बचने के लिए घुटनो के बीच तकिया लगा सकते है।

पेट के बल सोना – Stomach Sleep

Pet ke bal sone se kya hota he

जहाँ तक संभव हो पेट के बल नहीं सोना चाहिए। यदि कोई और चारा ना हो तो कोशिश करें रीढ़ की हड्डी और गर्दन एक सीध में हो। तकिया बिल्कुल ना लगाएं।

गर्दन को एक तरफ मोड़ने के बजाय फोरहेड को तकिये पर टिका कर मुँह नीचे की तरफ रखना ठीक रहता है। गर्दन को मोड़ कर सोने से दिमाग को रक्त और ऑक्सीजन पहुँचने में बाधा उत्पन्न होती है। इससे सिरदर्द या गर्दन में दर्द हो सकता है। चेहरा दबने से  झुर्रिया पड़ सकती है। इससे पाचन तंत्र भी ख़राब हो सकता है।

यह स्थिति सिर्फ खर्राटे में आराम दिलाती है बाकि हर तरह से यह स्थिति नुकसानदायक है। इसमें रीढ़ की हड्डी आरामदायक स्थिति में नहीं होती है। इसमे मांसपेशियों और जोड़ों पर दबाव पड़ता है जिसके कारण पीठ , कमर या जोड़ों में दर्द हो सकता है।

एक तथ्य यह भी – The Fact

किस तरह सोने से क्या फर्क पड़ता है , लोग इसकी परवाह किये बिना आराम से सोना पसंद करते है। आप भी भरपूर आराम मिले वैसा सोने का तरीका अपना सकते है। सुबह उठने पर आपको अच्छा लगना चाहिए। यदि सुबह उठने पर आप तरोताजा और ऊर्जा से भरे हुए महसूस करते है तो जब तक किसी शारीरिक समस्या की वजह से डॉक्टर आपको सोने का तरीका बदलने को ना कहे , मस्ती से सोइये !

Source: www.dadimakenuskhe.com

इस वेबसाइट में जो भी जानकारिया दी जा रही हैं, वो हमारे घरों में सदियों से अपनाये जाने वाले घरेल नुस्खे हैं जो हमारी दादी नानी या बड़े बुज़ुर्ग अक्सर ही इस्तेमाल किया करते थे, आज कल हम भाग दौड़ भरी ज़िंदगी में इन सब को भूल गए हैं और छोटी मोटी बीमारी के लिए बिना डॉक्टर की सलाह से तुरंत गोली खा कर अपने शरीर को खराब कर देते हैं। तो ये वेबसाइट बस उसी भूले बिसरे ज्ञान को आगे बढ़ाने के लक्षय से बनाई गयी है। आप कोई भी उपचार करने से पहले अपने डॉक्टर से या वैद से परामर्श ज़रूर कर ले। यहाँ पर हम दवाएं नहीं बता रहे, हम सिर्फ घरेलु नुस्खे बता रहे हैं। कई बार एक ही घरेलु नुस्खा दो व्यक्तियों के लिए अलग अलग परिणाम देता हैं। इसलिए अपनी प्रकृति को जानते हुए उसके बाद ही कोई प्रयोग करे। इसके लिए आप अपने वैद से या डॉक्टर से संपर्क ज़रूर करे।

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