गर्मियों में खरबूजे खाने के अनोखे फायदे

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गर्मियों के मौसम में शरीर में पानी की अक्सर कमी हो जाती है जिसे खरबूजा खाकर काफी हद तक कम किया जा सकता है। साथ ही ये लू से भी बचाता है। इसके साथ ही खरबूजा खाकर आपको कितने तरह के फायदे हो सकते हैं, आइए जानते हैं।

कैंसर से करे बचाव

खरबूजे में बड़ी मात्रा में आर्गेनिक पिगमेंट केरोटेन्वाइड पाया जाता है, जो कैंसर से बचाने के साथ ही लंग कैंसर की संभावना को भी कम करता है। यह शरीर में पनप रहे कैंसर के मूल को नष्ट कर देता है।

पाचन के लिए अच्छा

खरबूजे से शौच की समस्या भी दूर होती है। अगर आप पाचन की समस्या से जूझ रहे हैं, तो खरबूजा खाइए। इससे शौच की समस्या दूर हो जाएगी। खरबूजे में मौजूद पानी की मात्रा पाचन में सहायक होती है। इसमें पाए जाने वाले मिनरल्स पेट की एसीडीटी को खत्म करते हैं, जिससे पाचन प्रक्रिया दुरुस्त रहती है।

ऊर्जा को बढ़ाता है

अधिकतर खरबूज में विटामिन ‘बी’ पाया जाता है। विटामिन ‘बी‘ शरीर में ऊर्जा के निर्माण में सहायक होता है। सूगर और कार्बोहाइड्रेट को संसाधित करने में यह ऊर्जा शरीर के लिए आवश्यक होती है।

किडनी को स्वस्थ बनाए रखता है

खूरबूजे में डाइयुरेटिक (मूत्रवर्धक) क्षमता काफी अच्छी होती है। इस कारण इससे किडनी की बीमारियां ठीक होती हैं और यह एक्जिमा को कम करता है। अगर खरबूजे में नींबू मिलाकर इसका सेवन किया जाए तो इससे गठिया की बीमारी भी ठीक हो सकती है।

किडनी के लिए फायदेमंद

त्वचा को बनाएं जवान

खरबूजे में भरपूर मात्रा में एंटी-ऑक्सीडेंट होते हैं। साथ ही, पर्याप्त मात्रा में विटामिन सीविटामिन ए पाया जाता है। इसीलिए इसके नियमित सेवन से त्वचा जवां बनी रहती है।

तनाव से मुक्ति दिलाता है

खरबूजे में काफी मात्रा में पोटैशियम मौजूद होता है। पोटेशियम दिल को सामान्य रूप से धड़कने में मदद करता है, जिससे मस्तिष्क में पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन पहुंचती है और तनाव से भी मुक्ति मिलती है।

चेहरा चमकने लगता है

स्किन में कनेक्टिव टिशू पाए जाते हैं। खरबूजे में पाया जाने वाले कोलाजन प्रोटीन इन कनेक्टिव टिशू में कोशिका की संरचना को बनाए रखता है। कोलाजन से जख्म भी जल्दी ठीक होते हैं और त्वचा को मजबूती मिलती है। अगर आप लगातार खरबूजा खाएंगे तो चेहरा चमकने लगेगा।

दिल को सुरक्षित रखता है

खरबूजे में एडेनोसीन नामक एंटीकोएगुलेंट पाया जाता है, जो ब्लड सर्कुलेशन को ठीक करता है और खून का थक्का नहीं जमने देता है। इसीलिए इसके नियमित सेवन से दिल से संबंधित बीमारियां दूर ही रहती हैं।

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डायबिटीज में भी है फायदेमंद

डायबिटीज के रोगियों के लिए खरबूजा बहुत फायदेमंद होता है। माना जाता है कि जो डायबिटीज रोगी गर्मी में रोज एक गिलास खरबूजे का जूस लेते हैं, उनका कोलेस्ट्राल हमेशा कंट्रोल में रहता है।

डायबिटीज में फायदेमंद

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आंखें भी रहती हैं सुरक्षित

आंखों को स्वस्थ रखने के लिए विटामिन ‘ए’ की आवश्यकता होती है। खरबूजा यह विटामिन बीटा-कारोटीन के रूप में उपलब्ध कराता है। डब्ल्यूएचएफ के अनुसार रोज तीन बार उच्च बीटा-कारोटीन फल खाने से मैकुलर डीजेनेरेशन का खतरा 1.5 बार खाने वालों की तुलना में 36 प्रतिशत कम हो जाता है। मैकुलर डीजेनेरेशन ढलती उम्र के साथ होने वाली समस्या है, जिससे आंखों की रोशनी भी जा सकती है।

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वजन कम करने में होता है मददगार

जो लोग वजन कम करना चाहते हैं, उन्हें गर्मी में रोज खरबूजे का सेवन करना चाहिए। इसमें काफी कम मात्रा में सोडियम पाया जाता है। साथ ही, यह फैट और कोलेस्ट्रोल से भी मुक्त होता है। इसमें कम मात्रा में कैलोरी होती है। एक कप खरबूजे में सिर्फ 48 कैलोरी ऊर्जा होती है। इसीलिए यह बढ़ते वजन को नियंत्रित करने में काफी मददगार होता है।

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सावधानियां

खाना खाने से एकदम पहले या एकदम बाद में खरबूजा नहीं खाना चाहिये। खरबूजा और दूध एक साथ नहीं लेना चाहिए। खरबूजा और दूध एक साथ लेने से हैजा हो सकता है।

जानिए ऐसे हर्ब्स जो कैंसर को रोकने में मदद करते है

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भारत में कैंसर के रोगी लगातार बढ़ रहे हैं| सेल्स के अनियंत्रित वृद्धि के कारण कैंसर होता हैं।

यह बात को शायद हम सभी जानते हैं कि हर्ब्‍स की चुटकी डालने मात्र से ही साधारण पकवान भी जादूई हो जाता है। लेकिन हम इस बात से अनजान हैं कि यह हर्ब्स कैंसर को रोकने में भी मददगार होते है। वैज्ञानिकों ने पाया कि बहुत से खाद्य पदार्थों में मौजूद जड़ी बूटियों और मसालों में फाइटो‍केमिकल्स होते हैं, जो हमारे शरीर को जैविक रूप से प्रभावित करता है। यह हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को सही रखने में मदद करते हैं और इसमें मौजूद फाइटोकेमिकल्स कैंसर को दूर करने में मदद करते हैं। यहां पर ऐसे ही हर्ब्स के बारे में जानकारी दी गई है।

गेहूं का ज्वारा

गेहूं के ज्वारे में सुपाच्य, पौष्टिक और संपूर्ण आहार है। इसमें भरपूर क्लोरोफिल, एंजाइम, अमिनो एसिड, शर्करा, वसा, विटामिन और खनिज होते हैं। कैंसर जैसे घातक रोगों पर विजय पाने में गेहूं के ज्वारे का रस बहुत फायदेमंद होता है। यह कैंसर युक्त सेल्स को कम करने में भी सहायता करता हैं। साथ ही यह शरीर के रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर शारीरिक क्षमता को बढ़ाता है। और शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालने में मदद करता है।

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लहसुन

कैंसर को एक लाइलाज बीमारी माना जाता है। लेकिन आयुर्वेद के अनुसार रोजाना थोड़ी मात्रा में लहसुन का सेवन करने से कैंसर होने की संभावना लगभग 80 प्रतिशत कम हो जाती है। कैंसर के प्रति शरीर की प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि करता है। लहसुन में मौजूद कैंसर विरोधी तत्व शरीर में कैंसर बढऩे से रोकते है। लहसुन में मौजूद अलिसिन नामक रसायन फेफड़ों के कैंसर से बचाव में मददगार है।

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अदरक

कैंसर के लिए अदरक बहुत फायदेमंद है। यह कैंसर के मरीजों के लिए अचूक औषधि की तरह काम करता है। अदरक कोलेस्ट्राल का स्तर कम करता है। यह खून का थक्का जमने से रोकता है, इसमें एंटी फंगल और कैंसर के प्रति प्रतिरोधी होने के गुण भी पाए जाते हैं।

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गिलोय

गिलोय एक बहुत ही उपयोगी आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है। इसकी पत्तियों में कैल्शियम, प्रोटीन, फॉस्फोरस और तने में स्टार्च पाया जाता है। वायरस की दुश्मन गिलोय रोग संक्रमण रोकने में सक्षम होती है। यह एक श्रेष्ठ एंटीबयोटिक है। गिलोय की जड़ों में मौजूद शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट कैंसर की रोकथाम और उपचार में प्रयोग किया जाता है।

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हल्दी

सदियों से हल्दी भारतीय मसालों का अभिन्न अंग रहा है। हल्दी का उपयोग विभिन्न रोगों के उपचार में प्राचीन काल से ही किया जाता रहा है। हल्दी को बहुत अच्छा रोगाणुनाशक माना जाता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि प्रतिदिन हल्दी का सेवन करने से कैंसर जैसे असाध्य रोगों को भी दूर भगाया जा सकता है। हल्दी में कैंसररोधी गुण होते हैं और यह शरीर को कैंसर से बचाती है। शोधकर्ताओं के अनुसार, हल्दी में पाया जाने वाला कुर्कुमिन नामक तत्व कैंसर को समाप्त करने में मदद करता है।

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एलोवेरा

एलोवेरा के पौधे में वो सारे गुण समाहित है जिससे इसे आप संजीवनी बूटी कह सकते है। एलोवेरा में अमिनो एसिड और 12 तरह के विटामिन मौजूद होते हैं, जो खून की कमी को दूर कर रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढाते हैं। कब्ज से लेकर कैंसर तक के मरीजों के लिए एक अत्यंत लाभकारी औषधि है। एलोवेरा बढि़या एंटीबायोटिक और एंटीसेप्टिक के रूप में काम करता है। एलोवेरा एक ऐसा पौधा है जिसमें अन्य सभी जड़ी-बूटियों के मुकाबले अधिक गुण होती है। यानी व्यक्ति को फिट रखने में एलोवेरा महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हैं।

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आंवला

आंवला में एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में होता है। जो कार्सिनोजेनिक कोशिकाओं को बढ़ने से रोकते हैं और कैंसर से बचाव करते हैं। आंवला विटामिन सी का बहुत अच्‍छा स्रोत है। एक आंवले में लगभग 3 संतरों के बराबर विटामिन सी होता है। आंवला खाने से लीवर को शक्ति मिलती है जिससे लीवर शरीर से टॉक्सिन्‍स को बाहर निकालता है।

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ग्रीन टी

ग्रीन टी के नियमित सेवन से न सिर्फ वजन नियंत्रित होता है, बल्कि उनमें कई तरह की बीमारियों के होने की संभावना भी कम हो जाती है। इसके सेवन से कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी से भी बचा जा सकता है। कई रोगों के प्रति शरीर के रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाती है। ग्रीन टी एंटी-एजिंग के साथ-साथ एंटी-ऑक्सीडेंट का काम भी करती है।

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लाल शिमला मिर्च

लाल शिमला मिर्च कैंसर को रोकने में मदद करता है। इसमें मौजूद कैप्सासिन तत्व की मौजूदगी के कारण लाल शिमला मिर्च शरीर, फेफड़े और अग्न्याशय में मौजूद कैंसर कोशिकाओं को मारता है। इस के अलावा लाल मिर्च में मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट कैंसररोधी कोशिकाओं को बढ़ने से रोकता है।

 

काली मिर्च

हाल ही में कैंसर पर हुए शोध से यह बात सामने आई कि महिलाओं के लिए कालीमिर्च का सेवन बहुत लाभकारी होता है। काली मिर्च में विटामिन सी, विटामिन ए, फ्लैवोनॉयड्स, कारोटेन्स और अन्य एंटी-ऑक्सीडेंट आदि जैसे तत्व पाए जाते है। जो कैंसर को दूर करने में आपकी मदद करते हैं। कालीमिर्च ब्रेस्ट कैंसर को रोकने के साथ-साथ त्वचा के कैंसर से शरीर की रक्षा करता है।

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जानिए किन चीजों को खाने से हीमोग्लोबिन तेजी से बढ़ जाता है

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अक्सर थकान, कमजोरी रहना, त्वचा का रंग पीला पड़ जाना, हाथ-पैरों में सूजन आदि एनीमिया के लक्षण हैं। इस समस्या से पुरुषों की अपेक्षा महिलाएं ज्यादा परेशान रहती हैं। जिन लोगों के खून में हीमोग्लोबिन की मात्रा बहुत कम हो जाती है, वो लोग एनीमिया के शिकार हो जाते हैं। एनीमिया के रोगी को लौह तत्व, विटामिन बी, फोलिक एसिड की कमी होती है। कभी-कभी अनुवांशिक कारणों से भी यह रोग हो सकता है। यदि आपके शरीर में भी खून की कमी है तो अपनेआहार पर खास ध्यान दें। आइये जानते हैं किन चीजों को खाने से हीमोग्लोबिन बढ़ जाता है और एनीमिया दूर हो जाता है।

सेब

सेब एनीमिया जैसी बीमारी में लाभकारी होता है। सेब खाने से शरीर में हीमोग्लोबिन बनता है।

अंगूर

अंगूर में भरपूर मात्रा में आयरन पाया जाता है। जो शरीर में हीमोग्लोबिन बनाता है, और हीमोग्लोबिन की कमी संबंधी बीमारियों को ठीक करने में सहायक होता है।

सब्जियां

शरीर में हीमोग्लोबिन बढ़ाने के लिए ज्यादा से ज्यादा हरी सब्जियां को अपने भोजन में शामिल करना चाहिए। हरी सब्जियों में हीमोग्लोबिन बढ़ाने वाले तत्व ज्यादा मात्रा में पाये जाते है।

गुड़

गुड़ में अधिक खनिज लवण होते है। जो हमारे शरीर में हीमोग्लोबिन बढ़ाने में मदद करता है।

तुलसी

तुलसी रक्त की कमी को कम करने के लिए रामबाण है। तुलसी के नियमित सेवन से शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा बढ़ती है।

तिल

तिल हमारे शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा को बढ़ाता है। तिल खाने से रक्ताअल्पता की बीमारी ठीक होती है।

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नारियल

नारियल शरीर में उत्तकों, मांसपेशियों और रक्त जैसे महत्वपूर्ण द्रव्यों का निर्माण करता है, यह संक्रमण का सामना करने के लिए इन्जाइम और रोग प्रतिकारक तत्वों के विकास में सहायक होता है।

पालक

सूखे पालक में आयरन काफी मात्रा होती है। जो शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी को ठीक करता है।

चुकन्दर

चुकन्दर से प्राप्त उच्च गुणवत्ता का लोह तत्व रक्त में हीमोग्लोबिन का निर्माण व लाल रक्तकणों की सक्रियता के लिए बेहद प्रभावशाली है। खून की कमी यानी एनीमिया की शिकार महिलाओं के लिए चुकंदर रामबाण के समान है। चुकन्दर के अलावा चुकन्दर की हरी पत्तियों का सेवन भी बेहद लाभदायी है। इन पत्तियों में तीन गुना लौह तत्व अधिक होता है।

अमरूद

अमरूद जितना ज्यादा पका हुआ होगा, उतना ही पौष्टिक होगा। पके अमरूद को खाने से शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी नहीं होती। इसलिए महिलाओं के लिए यह और भी लाभदायक हो जाता है।

आम

आम खाने से हमारे शरीर में रक्ति अधिक मात्रा में बनता है, एनीमिया में यह लाभकारी होता है।

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फालसा

फालसा खाने से खून बढ़ता है। फालसे के फल या शर्बत को सुबह-शाम लेने से बहुत जल्दी आराम मिलता है।

टमाटर का रस

रोजाना एक गिलास टमाटर का रस पीने से भी खून की कमी दूर होती है। टमाटर का सूप भी बनाकर पीया जा सकता है।

सिंघाड़ा

सिंघाड़ा शरीर को शक्ति प्रदान करता है और खून बढ़ाता है। इसमें कई महत्वपूर्ण पोषक तत्व पाए जाते हैं। कच्चे सिंघाड़े का सेवन करने से शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा तेजी से बढ़ती है।

लौकी

लौकी का जूस बनाकर पीने से भी खून बढ़ता है।

मुनक्का

मुनक्का को रात में पानी भिगो दें। सुबह पानी को पी लें और मुनक्का चबाकर खा लें। कुछ ही दिनों में हीमोग्लोबिन सामान्य हो जाएगा।

ये घरेलू नुस्खे पूरी तरह से आयुर्वेद पर आधारित हैं। ये पूरी तरह से प्राकृतिक, नुकसान ना पहुंचाने वाले और आसानी से घर में बनाए जा सकने वाले हैं। अगर आपको लगे कि इसे लेने से आपको कोई नुकसान हो रहा है, तो डॉक्टर से परामर्श करें।

आयुर्वेद से कैसे करें एसिडिटी की समस्या को छूमंतर

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शायद ही कोई एसिडिटी शब्द से अपरिचित होगा।आजकल की भागदौड भरी और अनियमित जीवनशैली के कारण पेट की समस्या आम हो चली है। एसिडिटी को चिकित्सकीय भाषा में गैस्ट्रोइसोफेजियल रिफलक्स डिजीज (GERD) के नाम से जाना जाता है। आयुर्वेद में इसे अम्ल पित्त कहते हैं। आज इससे हर दूसरा व्यक्ति या महिला पीडि़त है। एसिडिटी होने पर शरीर की पाचन प्रक्रिया ठीक नहीं रहती।

आइए जानें  एसिडिटी के लिए आयुर्वेदिक ईलाज के बारे में।

एसिडिटी के कारण और लक्षण

नियमित रूप से चटपटा मसालेदार और जंकफूड का सेवन, अधिक एल्‍‍कोहल और नशीले पदार्थों का सेवन, लंबे समय तक दवाईयों का सेवन, शरीर में गर्मी बढ़-बढ़ जाना, बहुत देर रात भोजन करना,  भोजन के बाद भी कुछ न कुछ खाना या लंबे समय तक भूखे रहकर एकदम बहुत सारा खाना खाना एसिडिटी के मुख्य कारण होते है। एसीडिटी के तुरंत बाद अक्सर पेट में जलन होने लगती है। कड़वी और खट्टी डकारें आना, लगातार गैस बनना और सिर दर्द की शिकायत, उल्टी होने का अहसास और खाने का बाहर आने का अहसास होना, थकान और भारीपन महसूस होना आदि इसके लक्षण माने जाते है।

आयुर्वेद से एसीडिटी का इलाज

आंवला चूर्ण

आंवला चूर्ण को एक महत्वपूर्ण औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। आपको एसीडिटी की शिकायत होने पर सुबह- शाम आंवले का चूर्ण लेना चाहिए।

अदरक

अदरक के सेवन से एसीडिटी से निजात मिल सकती हैं, इसके लिए आपको अदरक को छोटे-छोटे टुकड़ों में बांटकर गर्म पानी में उबालना चाहिए और फिर उसका पानी अदरक की चाय भी ले सकते हैं।

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मुलैठी का चूर्ण

मुलैठी का चूर्ण या फिर इसका काढ़ा भी आपको एसीडिटी से निजात दिलाएगा इतना ही नहीं गले की जलन भी इस काढ़े से ठीक हो सकती है।

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नीम की छाल

नीम की छाल को पीसकर उसका चूर्ण बनाकर पानी से लेने से एसीडिटी से निजात मिलती है। इतना ही नहीं यदि आप चूर्ण का सेवन नहीं करना चाहते तो रात को पानी में नीम की छाल भिगो दें और सुबह इसका पानी पीएं आपको इससे निजात मिलेगी।

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मुनक्का या गुलकंद

मुनक्का या गुलकंद के सेवन से भी एसीडिटी से निजात पा सकते हैं, इसके लिए आप मुनक्का को दूध में उबालकर ले सकते हैं या फिर आप गुलकंद के बजाय मुनक्का भी दूध के साथ ले सकते हैं।

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4० की उम्र में भी जवां दिखना है तो जरूर करें ये उपाय

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जवां दिखने की चाह किसे नहीं होती। हर कोई जवां बने रहना चाहता हैं और इसके लिए मेहनत भी करता है। कोई जवां रहने के लिए मंहगे प्रसाधनों पर पैसा खर्च करता है तो कोई दवाओं पर। लेकिन इन सबसे दूर सही खानपान और सेहत की तरफ थोड़ा ध्यान देकर बढ़ती उम्र को कम किया जा सकता है। आइये जाने चालीस के उम्र में कैसे रहे जवां

चुकंदर खाएं,रस पीएं

चुकंदर का टेस्ट भले आपको अच्छा न लगे लेकिन इसके गुण सुनेंगे तो आप इसके फैन हो जाएंगे। चुकंदर को खून बढ़ाने में सहायक माना जाता है, यह तो सब जानते हैं, लेकिन यह त्वचा भी निखारता है और सदा जवां बनाए रखता है, यह बहुत कम लोगों को पता है। यह हिमोग्लोबिन तो बढ़ाता ही है, जिससे शरीर में रक्त की बढ़ोतरी होती है, साथ ही यह रक्त साफ भी करता है। इससे चेहरे पर उम्र का असर दिखाने वाले लक्षण धीरे–धीरे खत्म होने लगते हैं। तो सदा जवां दिखना है तो चुकंदर को डेली डाइट में शामिल कर लें। चाहें तो चुकंदर को कच्चा सलाद की तरह खाएं या इसका रस पीएं।

अलसी

सुपर फूड अलसी में ओमेगा 3 फैटी एसिड और फाइबर बहुत अधिक मात्रा में होता है। इसके अलावा अलसी मे पाया जाने वाला तेल त्वचा को स्वस्थ रखता है एवं सूखापन दूर कर एग्जिमा आदि से बचाता है। अलसी का सेवन त्वचा पर बढ़ती उम्र के असर को कम करता है।

व्यायाम करें

नियमित रूप से व्यायाम करके भी आप सदा जवां बने रह सकते हैं। व्‍यायाम से शरीर की सारी मांसपेशियां सक्रिय हो जाती है और अतिरिक्त चर्बी जलाने में मदद मिलती है। व्यायाम से शरीर में एंडोरफिन्स नामक रसायन मुक्त होता है और शरीर को राहत मिलती है। इसके लिए जरूरी है कि आप नियमित रूप से सुबह-शाम टहलें, साइक्लिंग या जॉगिंग भी करें। इसके अलावा आप स्विमिंग भी कर सकते हैं।

लहसुन

औषधिय गुण से भरपूर लहसुन न केवल आपके स्वास्थ्य के लिए बल्कि सुंदरता को बनाए रखने में भी मददगार होता है। अगर आप जवां बनने के लिए तरह-तरह के उपाय करते हैं। तो इन सब को छोडि़ये और लहसुन का इस्तेमाल करके देखिये। इसके नियमित रूप से सेवन से आप जवां बने रह सकते हैं। इसके अलावा लहसुन शरीर की रोग प्रतिरोधी क्षमता को भी बढ़ाता है।

योग

त्वचा को जवां और एंजिग की समस्याओं को दूर करने का सबसे कारगर प्राकृतिक नुस्खा है योग। योग से उम्र का असर धीमा हो जाता है। इससे सिरदर्द और तनाव दूर होता है और एकाग्रता बढ़ती है।

आहार का रखें खयाल

एक बहुत पुरानी कहावत है शायद सुनी होगी कि आप जैसा खाते हैं वैसे ही दिखते हैं। इसलिए अपने खाने में फाइबर फल, पत्तेदार सब्जियां और एंटीऑक्सीडेंट वाले आहार को शामिल करें। इसके अलावा विटामिन-ई और विटामिन-सी भी बहुत जरूरी हैं। इस बात को हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि स्वस्थ आहार के बिना कोई भी प्राकृतिक सौंदर्य उपचार सफल नही हो सकता।

ब्लूबेरी खाइए

ब्लूबेरी ऐसा फल है जो भले आकार में छोटा है, लेकिन गुणों से भरपूर होता है। सदा जवां नजर आने के लिए जरूरी है कि आपके चेहरे पर दाग–धब्बे, झाइयां आदि नजर न आएं और उम्र के निशान आपसे दूर हों। यह सब करने के लिए ब्लूबेरी के एंटी ऑक्सीडेंट तत्व खूब काम आ सकते हैं। ये चेहरे की चमक बढ़ाने में तो सहयोगी हैं ही, उम्र का प्रभाव कम करने में भी विशेष योगदान देते हैं। साथ ही ये सेहत के दुश्मन कॉलेस्ट्रॉल को कम करने में भी कारगर हैं। लेकिन ब्लूबेरी भारत का फल नहीं है, लेकिन सलाद और आइसक्रीम में इस्तेमाल के लिए बड़े पैमाने पर आयात किया जाता है। इसे सलाद में शामिल कर खाया जा सकता है।

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अदरक खाएं, पिंपल्स से छुटकारा पाएं

झुर्रियों से छुटकारा पाना हो या पिंपल्स से, इसके लिए अदरक बहुत सहायता कर सकता है। जवां दिखने के लिए त्वचा पर झुर्रियां और पिंपल्स नहीं होने चाहिए। अदरक में मौजूद एंटी ऑक्सिडेंट और एंटी इंफ्लेमेटरी तत्व यह काम आसानी से कर सकते हैं। अदरक का सेवन कई तरह से किया जा सकता है – चाय में, दूध में, अदरक का रस शहद के साथ लेकर या फिर सौंठ के रूप में। लेकिन यदि आपको और आसान तरीका चाहिए तो थोड़ी सी अदरक को कूटकर सुबह उठते ही खाली पेट गुनगुने पानी के साथ ले लें, त्वचा तो निखरेगी ही, कई रोगों से भी छुटकारा मिल जाएगा।

आंवला रखेगा सदा जवां

आयुर्वेद में कहा गया है कि सदा जवां रहने का एक ही उपाय है, आंवला खाना। आप भी इसको फॉलो करें। आंवले में मौजूद एंटी ऑक्सीडेंट्स चेहरे पर पड़ने वाली झुर्रियों से तो छुटकारा दिलाएंगे ही, खून को साफ करके चेहरे की सबसे बड़ी समस्या कील–मुहांसों यानी पिंपल्स से भी मुक्ति दिला देंगे। साथ ही आंवला आपके बालों की सेहत अच्छी रखेगा। सबसे अच्छी बात है कि आंवले को किसी भी रूप में खाया जा सकता है – कच्चा खाएं, अचार डालकर खाएं, सब्जी बनाकर खाएं,सुखाकर खाएं या फिर मुरब्बा डालकर खाएं, आंवले के गुण ज्यों के त्यों रहते हैं।

जाने कैंसर रोगियों के लिए कितना लाभप्रद है एलोवेरा

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एलोवेरा एक औषधि के रूप में जानी जाती है। इसका उपयोग हम प्रचीन काल से ही करते आ रहें हैं। क्योंकि यह एक संजीवनी बूटी की तरह कई रोगों के इलाज के लिए उपयोग में लाई जाती है। दिखने में हरा और किनारे की ओर कांटेदार आकृति लिए हुए यह एलोवेरा संजीवनी के नाम से भी जाना जाता है। इसके कई नाम है जैसे-ग्वारपाठा, धृतकुमारी। बहुत से फायदों की वजह से इसे चमत्कारी पौधा भी कहते है। एलोवेरा की २०० से अधिक प्रकार की प्रजातियां पाई जाती है। एलोवेरा के पौधे में रस सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। एलोवेरा के रस में कई रासायनिक तत्वों के गुण भी पाए जाते हैं जैसे १८ अमीनो एसिड ,१२ विटामिन और २० खनिज पाए जाते है। इसके अलावा कई अन्य यौगिक तत्व भी इसमें पाए जाते हैं।

एक औषधि के रूप में उपयोग में लाए जाने वाला यह एलोवेरा कई पोष्टिक तत्वों से भरा पड़ा है। इनमें 12 विटामिन, 18 अमीनो एसिड, 20 खनिज, 75 पोषक तत्व और 200 सक्रिय एंजाइम शामिल हैं। इसके अलावा कई रासायनिक गुण खनिज कैल्शियम, जस्ता, तांबा, पोटेशियम, लोहा, सोडियम, मैग्नीशियम, क्रोमियम और मैंगनीज प्रचुर मात्रा में पाया जाता है और इसमें विटामिन के गुण भी भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। विटामिन ई, विटामिन सी, विटामिन बी 12, बी 6, बी 2, बी 1, विटामिन ए, बी 1, बी 2, बी 6, नियासिन और फॉलिक एसिड शामिल है। इसके उपचार से हमें कई साकारात्मक परिणाम प्राप्त हुए हैं।

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कैंसर में फायदेमंद है एलोवेरा

एलोवेरा की पत्तियों का इस्तेमाल औषधि के साथ-साथ सौंदर्य प्रसाधनों में भी किया जाता है। अगर कैंसरसोराइसिस के मरीज तीन माह तक एलोवेरा का जूस पीयें तो इसका उनके शरीर पर अच्छा असर देखने को मिलता है। एलोवेरा में कैंसररोधी तत्व पाये जाते हैं जो कि कैंसर की कोशिकाओं को बढ़ने से रोकते हैं। कैंसर रोगियों के लिए रोज सुबह शाम 50 ग्राम एलोवेरा का जूस पीना लाभकारी होता है। एलोवेरा के जूस का नियमित सेवन शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। इससे कैंसर ठीक होने की संभावना बढ़ जाती है। इस दौरान रोगी को केला, पपीता, अंकुरित चनाहरी सब्जियां ले सकते हैं।

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कैंसर के उपचार में आयुर्वेदिक व प्राकृतिक चिकित्सा काफी लाभदायक होती है। कैंसर जैसे असाथ्य रोग में एलोवेरा जैल का इस्तेमाल काफी फायदेमंद होता है। ऐसा देखा गया है कि एलोवेरा में निहित औषध तत्व उन कैंसरग्रस्त कोशिकाओं की भी रोकथाम कर लेते है जिन्हें कीमोथैरेपी भी रोक नहीं पाती। कैंसर के इलाज में जब अंग्रेजी दवाएं काम नहीं करती तो ऐसे में एलोवेरा का सेवन अत्यंत लाभकारी होता है। ऐसे में ऐलोवेरा कैंसर के इलाज में काफी मददगार साबित होता है। सिर्फ एलोवेरा या दवाएं देने के बजाय अगर एलोवेरा और हल्की मात्रा में कैंसर रोधक दवाएं साथ-साथ दी जाएं तो कैंसर कोशिकाओं पर काफी कारगर असर पड़ता है।

गुर्दे की पथरी गलाने का रामबाण इलाज

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किडनी स्टोन गलत खानपान का नतीजा है, इसके मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। गुर्दे की पथरी होने पर असहनीय दर्द होता है। जब नमक एवं अन्य खनिज (जो मूत्र में मौजूद होते हैं) एक दूसरे के संपर्क में आते हैं तब पथरी बनती है। कुछ पथरी रेत के दानों की तरह बहुत छोटे आकार के होते हैं तो कुछ मटर के दाने की तरह। आमतौर पर पथरी मूत्र के जरिये शरीर के बाहर निकल जाती है, लेकिन जो पथरी बड़ी होती है वह बहुत ही परेशान करती है। जानिए पथरी के उपचार के लिए 10 प्रमुख हर्ब्स के बारे में।

आंवला

किडनी स्टोन होने पर आंवले का सेवन करना चाहिए। आंवला का चूर्ण मूली के साथ खाने से गुर्दे की पथरी निकल जाती है। इसमें अलबूमीन और सोडियम क्लोराइड बहुत ही कम मात्रा में पाया जाता है जिनकी वजह से इन्हें गुर्दे की पथरी के उपचार के लिए बहुत ही उत्तम माना जाता है। इसलिए गुर्दे की पथरी होने पर आंवले का सेवन कीजिए।

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इलायची

इलायची भी गुर्दे की पथरी से निजात दिलाती है। एक चम्मच इलायची, खरबूजे के बीज की गिरी, और दो चम्मच मिश्री एक कप पानी में डालकर उबाल लीजिए, इसे ठंडा होने के बाद छानकर सुबह-शाम पीने से पथरी पेशाब के रास्ते से बाहर निकल जाती है।

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बथुआ

बथुआ भी किड़नी स्टोन से निजात दिलाता है। आधा किलो बथुआ लेकर इसे 800 मिलि पानी में उबालें। अब इसे कपड़े या चाय की छलनी में छान लीजिए। बथुआ की सब्जी भी इसमें अच्छी तरह मसलकर मिला लीजिए। आधा चम्मच काली मिर्च और थोड़ा सा सेंधा नमक मिलाकर दिन में 3 से 4 बार पीयें। इससे गुर्दे की पथरी निकल जाती है।

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सौंफ

सौंफ भी गुर्दे की पथरी के लिए रामबाण उपचार है। सौंफ, मिश्री, सूखा धनिया इनको 50-50 ग्राम मात्रा में लेकर रात को डेढ़ लीटर पानी में भिगोकर रख दीजिए, इसे 24 घंटे के बाद छानकर पेस्‍ट बना लीजिए। इसके एक चम्मच पेस्ट में आधा कप ठंडा पानी मिलाकर पीने से पथरी पेशाब के रास्ते बाहर निकल जाती है।

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चौलाई

गुर्द की पथरी को गलाने के लिए चौलाई का प्रयोग कीजिए। इसके अलावा चौलाई की सब्‍जी भी गुर्दे की पथरी से निजात दिलाती है, यह पथरी को गलाने के लिये रामबाण की तरह है। चौलाई को उबालकर धीरे-धीरे चबाकर खाएं। इसे दिन में 3 से 4 बार इसका प्रयोग कीजिए।

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बेल पत्र

बेल पत्र को पर जरा सा पानी मिलाकर घिस लें, इसमें एक साबुत काली मिर्च डालकर सुबह खायें। दूसरे दिन काली मिर्च दो कर दें और तीसरे दिन तीन,  ऐसे सात दिनों तक लगातार इसका सेवन कीजिए। बाद में इसकी संख्या कम कीजिए, दो सप्ताह तक प्रयोग करने के बाद पथरी बाहर निकल जायेगी।

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काली मिर्च

काली मिर्च भी गुर्दे की पथरी से निजात दिलाती है, काली मिर्च का सेवन बेल पत्‍तर के साथ करने से दो सप्ताह में गुर्दे की पथरी पेशाब के रास्‍ते बाहर निलक जाती है।

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तुलसी की पत्ती

गुर्दे की पथरी होने पर तुलसी के पत्तों का सेवन कीजिए। तुलसी के पत्तों में विटामिन बी पाया जाता है जो पथरी से निजात दिलाने में मदद करता है। यदि विटामिन बी-6 को विटामिन बी ग्रुप के अन्य विटामिंस के साथ सेवन किया जाये तो गुर्दे की पथरी के इलाज में बहुत सहायता मिलती है। शोधकर्ताओं की मानें तो विटामिन बी की 100-150 मिग्रा की नियमित खुराक लेने से गुर्दे की पथरी से निजात मिलती है।

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जीरा

किडनी स्टोन को बाहर निकालने में जीरा बहुत कारगर है। जीरा और चीनी को समान मात्रा में लेकर पीस लीजिए, इस चूर्ण को एक-एक चम्मच ठंडे पानी के साथ रोज दिन में तीन बार लीजिए। इससे बहुत जल्दी ही गुर्दे की पथरी से निजात मिल जाती है।

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पित्त की पथरी के लिए असरकारी घरेलू उपचार

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अस्सी फीसदी पित्त की थैली की पथरी कोलेस्ट्रॉल के जमने या सख्त होने के कारण होती है। पित्त की पथरी के कारण पेट में असहनीय दर्द होता है, कई बार उल्टी भी हो सकती है। रोगी का खाना पचने में दिक्कत होने लगती है जिससे पेट में अपच और भारीपन रहता है।

पित्त की थैली में पथरी होने के बारे में यही कहा जाता है कि बिना ऑपरेशन के इसे निकालना मुश्किल है। ऐसे में यदि आपको गॉल ब्लेडर स्टोन की शिकायत है तो जाहिर है आपने भी ऑपरेशन का विचार बनाया होगा, लेकिन ऑपरेशन से पहले कुछ घरेलू उपाय अपनाकर देखें, संभव है कि पथरी गल जाए। कुछ घरेलू उपाय न केवल पथरी को गला देंगे बल्कि पाचन को दुरूस्त करके दर्द को भी ठीक कर देंगे। आइए जानते हैं, ऐसे ही घरेलू उपायों के बारे में।

नाशपती

नाशपती पित्त की पथरी के लिए बहुत फायदेमंद होती है। अमेरिका मेडिकल एसोसिएशन के अनुसार, लगभग 80 प्रतिशत पित्त में पथरी कोलेस्ट्रॉल के बनने से होती है। नाशपाती में पेक्टिन होता है इन पत्थरों को आसानी से फ्लश आउट के लिए कोलेस्ट्रॉल से भरे पित्त पथरी को बांधता है।

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चुकंदर, खीरा और गाजर का रस

पित्ताशय की थैली को साफ और मजबूत करने और लीवर की सफाई के लिए चुकंदर का रस, ककड़ी का रस और गाजर के रस को बराबर मात्रा में मिलाये। यह संयोजन आपको पेट और खून की सफाई में भी मदद करता है। खीरे में मौजूद उच्च पानी सामग्री और गाजर में विटामिन सी की उच्च मात्रा मूत्राशय से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालती है।

सेब का रस और सेब साइडर सिरका

बेशक, सेब डॉक्टर को दूर रखने में मदद करता है। इसलिए एक गिलास सेब के रस में सेब साइडर सिरका का एक बड़ा चम्मच मिलाकर नियमित रूप दिन में एक बार सेवन करना चाहिए। सेब में मेलिक एसिड होता है जो पित्त पथरी नरमी में सहायता करता है और सिरका पत्थर के कारण कोलेस्ट्रॉल बनाने से लीवर को रोकता है। यह एक पित्त की पथरी के हमले के दौरान दर्द को कम करने एक त्वरित उपाय है।

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सिंहपर्णी

सिंहपर्णी के पत्ते लीवर का समर्थन, मूत्राशय के कामकाज में सहायता, पित्त उत्सर्जन को बढ़ावा, और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करते हैं। एक कप पानी में एक बड़ा चम्मच सिंहपर्णी के पत्तों को मिलाये। फिर इसे अवशोषित करने के‍ लिये पांच मिनट के लिए रख दें। अब इसमें एक चम्मच शहद मिलाये। मधुमेह रोगियों को इस उपचार से बचना चाहिए।

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साबुत अनाज

पानी में घुलनशील फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों जैसे साबुत अनाज और अन्य अनाज को अपने आहार में भरपूर मात्रा में शामिल करें। फाइबर कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड के स्तर को कम कर स्वाभाविक रूप से पथरी को बनने से रोकने में मदद करते हैं।

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इसबगोल

एक उच्च फाइबर आहार, पित्ताशय की थैली की पथरी के इलाज के लिए बहुत आवश्यक है।  इसबगोल घुलनशील फाइबर का अच्‍छा स्रोत होने के कारण पित्त में कोलेस्ट्रॉल को बांधता है और पथरी के गठन को रोकने में मदद करता है। आप इसे अपने अन्‍य फाइबर युक्त भोजन के साथ या रात को बिस्‍तर पर जाने से पहले एक गिलास पानी के साथ ले सकते हैं।

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पुदीना

पुदीने में टेरपेन नामक प्राकृतिक तत्व होता है, जो पित्त से पथरी को घुलाने के लिए जाना जाता है। यह पित्त प्रवाह और अन्य पाचक रस को उत्तेजित करता है, इसलिए यह पाचन में भी सहायक होता है। पित्त की पथरी के लिए घरेलू उपाय के रूप में पुदीने की चाय का इस्तेमाल करें।

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लाल शिमला मिर्च

2013 में हुए एक अध्ययन के अनुसार, शरीर में भरपूर मात्रा में विटामिन सी पथरी की समस्या कम करता है। एक लाल शिमला मिर्च में लगभग 95 मिलीग्राम विटामिन सी होता है, यह मात्रा पथरी को रोकने के लिए काफी होती है। इसलिए अपने आहार में शिमला मिर्च को शामिल करें।

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नींबू का रस

नींबू का रस प्रकृतिक रूप से अम्लीय होने के कारण यह सिरके की तरह कार्य करता है और लीवर में कोलेस्ट्रॉल को बनने से रोकता है। हर रोज खाली पेट चार नींबू का रस लें। इस प्रक्रिया को एक हफ्ते तक अपनाएं। इससे पथरी की समस्या आसानी से दूर हो सकती है।

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सफेद बालों की समस्या को जड़ से ख़त्म करने के घरेलु उपाय

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बाल सफेद सिर्फ बडे-बुढों के ही नहीं होते बल्कि 20-30 साल के युवों के भी होने लगे हैं आजकल बालों का सफेद होना आज बहुत ही आम सी बात हो चुकी है। बालों को सफेद होने का मुख्य कारण है खान-पान, बहुत सारी टेंशन का होना।

अपने बालों पर अलग अलग प्रकार के रंग चढाने,बाल काला करने की दवा की धुन में लोग बालों की असली रंगत भूलते जा रहे हैं। अब समय आ गया है कि हम बाल रंगना बंद करें और काले बाल पाने की प्राकृतिक विधियों का प्रयोग करें। इससे न सिर्फ आपके बाल सफेद होने के कारण, सफ़ेद बाल ढकेंगे बल्कि बालों को एक बेहतरीन रंग मिलेगा। प्राकृतिक जड़ीबूटियों की मदद से आप खोयी जवानी प्राप्त कर सकते हैं, वो भी बिना किसी साइड इफ़ेक्ट के। ये विधियां बाज़ार के उत्पादों से सस्ती भी हैं। सफ़ेद बालों की वजह से लोग अपने मित्रों और अन्य साथियों के सामने जाने से कतराते हैं। पर अब आप प्राकृतिक तरीके से बाल काले कर सकते हैं।

तो आइये जानते हैं कुछ उपाय-

देसी घी से म‍ालिश

बुजुर्गो को अकसर आपने सिर पर देसी घी से मालिश करते हुए देखा होगा। घी से म‍ालिश करने से त्वचा को पोषण मिलता है। प्रतिदिन शुद्ध घी से सिर की मालिश करके भी बालों के सफेद होने की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है।

कढ़ी पत्ता करे बड़े कमाल

सफेद हो रहे बालों के लिये कढ़ी पत्ता बहुत ही अच्छा होता है। नहाने से पहले कढ़ी पत्ते को नहाने के पानी में छोड़ दें और एक घंटे के बाद उस पानी से सिर धो लें। या फिर आंवले की तरह कढ़ी पत्ते को भी बारीक काटकर और गर्म नारियल तेल में मिलाकर सिर पर लगाएं। इससे भी लाभ होगा।

दही से करें सफेदी पर वार

सफेद होते बालों का रंग प्राकृतिक रूप से बदलने के लिए दही का इस्‍तेमाल करें। इसके लिए हिना और दही को बराबर मात्रा में मिलाकर पेस्ट बना लें और इस पेस्ट को बालों में लगाइये। इस घरेलू उपचार को हफ्ते में एक बार लगाने से ही बाल काले होने लगते हैं।

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आंवले का कमाल

छोटा सा दिखने वाला आंवला न केवल आपकी सेहत के लिए गुणकारी है बल्कि इससे नियमित उपयोग से सफेद होते बालों की समस्या से भी निजात मिलती हैं। आंवले को न सिर्फ डाइट में शामिल करें बल्कि मेंहदी में मिलाकर इसके घोल से बालों की कंडिशनिंग करते रहें। चाहे तो आंवले को बारीक काट लें और गर्म नारियल तेल में मिलाकर सिर पर लगाएं।

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भृंगराज और अश्वगंधा काम करें बड़ा चंगा

भृंगराज और अश्वगंधा की जड़ें बालों के लिए वरदान मानी जाती हैं। इनका पेस्ट बना कर नारियल तेल में मिलाकर बालों की जड़ों में एक घंटे के लिए लगाएं। फिर बालों को गुनगुने पानी से अच्‍छी तरह से धो लें। इससे बालों की कंडीशनिंग भी होगी और बाल काले भी होंगे।

दूध के लाभ

गाय के दूध के फायदों के बारे में कौन नहीं जानता, लेकिन क्या आपको यह भी पता है कि गाय का दूध सफेद बालों को भी काला बना सकता है। गाय का दूध बालों में लगाने से बाल कुदरती तौर पर काले होने लगते हैं। ऐसा हफ्ते में एक दिन करें और देखिये कैसे खिल जाते हैं आपके बाल।

प्याज करे बड़े-बड़े काज

प्याज आपके सफेद बालों को काला करने में मदद करता है। कुछ दिनों तक रोजाना नहाने से कुछ देर पहले अपने बालों में प्याज का पेस्ट लगायें। इससे आपके सफेद बाल काले होने शुरू हो ही जाएंगे, बालों में चमक आएगी और साथ ही बालों का गिरना भी रुक जाएगा।

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एलोवेरा

बालों में एलोवेरा जेल लगाने से भी बालों का झडऩा और सफेद होना बंद हो जाता है। इसके लिए आप एलोवेरा जेल में नींबू का रस बना कर पेस्ट बना लें और इस पेस्ट को बालों में लगाएं।

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नारियल तेल

शुद्ध नारियल तेल में थेाड़ा सा नींबू का रस मिलाएं और सिर में नहाने से 10 मिनट पहले लगा लें। इसके बाद सिर को साफ पानी से धो लें।

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गाजर

आपने गाजर के रस के शरीर पर होने वाले फायदों के बारे में सुना ही होगा। बालों को काला करने में भी यह बड़ी भूमिका निभाता है। हर रोज़ सुबह उठकर एक गिलास गाजर का रस पियें। इससे आपके बाल काले होंगे।इस रस को बालों में लगाने की अपेक्षा इसे पीना बेहतर रहेगा। १ महीने तक इसका सेवन करने से आपको फर्क दिख जाएगा।

बड़े काम की छोटी सी मिर्च

काली मिर्च खाने का स्वाद तो बढ़ाती है, साथ ही इससे सफेद होते बाल भी काले होने लगते हैं। इसके लिए काली मिर्च के दानों को पानी में उबाल कर उस पानी को बाल धोने के बाद सिर में डालें। लंबे समय तक बालों में इस तरह करने से यह असर दिखाती है।

जाने कैसे पा सकते है आप कब्ज से हमेशा के लिए छुटकारा

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यह पाचन तन्त्र का प्रमुख विकार है।  कब्ज सिर्फ भूख ही कम नहीं करती  बल्कि गैस ,एसिडिटी  व् शरीर में होने वाली अन्य कई समस्याएं पैदा कर सकती है|  बच्चों से लेकर वृद्ध तक इस रोग से पीड़ित रहते हैं|

मनुष्यों मे मल निष्कासन की फ़्रिक्वेन्सी अलग-अलग पाई जाती है। किसी को दिन में एक बार मल विसर्जन होता है तो किसी को दिन में २-३ बार होता है। कुछ लोग हफ़्ते में २ य ३ बार मल विसर्जन करते हैं। ज्यादा कठोर,गाढा और सूखा मल जिसको बाहर धकेलने के लिये जोर लगाना पडे यह कब्ज रोग का प्रमुख लक्षण  है।ऐसा मल हफ़्ते में ३ से कम दफ़ा आता है और यह इस रोग का दूसरा लक्षण  है। कब्ज रोगियों में पेट फ़ूलने की शिकायत भी साथ में देखने को मिलती है। यह रोग किसी व्यक्ति को किसी भी आयु में हो सकता है हो सकता है लेकिन महिलाओं और बुजुर्गों में कब्ज रोग की प्राधानता पाई जाती है।

मैं नीचे कुछ ऐसे कब्ज निवारक उपचारों का उल्लेख कर रहा हूं जिनके समुचित  उपयोग से कब्ज का निवारण होता है और कब्ज से होने वाले रोगों से भी बचाव हो जाता है-

रेशेदार आहार खाएं

बींस, पत्ता गोभी, ब्रॉक्‍ली, टमाटर, गाजर, पत्तेदार सब्जियां, प्याज आदि खाइये। रेशायुक्त आहार आराम से हजम भी जो जाता है और कब्ज की समस्या को भी मिटा देता है। फ्रूट्स में आपको केला, पपीता, खरबूज, नींबू, आम, सेब और मुसम्मी आद‍ि खानी चाहिये।

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सौंफ़

सौंफ़ के बीज अपच , सूजन, कब्ज और चिड़चिड़ा आंत्र सिंड्रोम जैसे मुद्दों के उपचार में उपयोगी होते हैं।
वे पाचन तंत्र में मांसपेशियों की चिकनाहट बनाए रखने में मदद करते है। एक कटोरी सौंफ़ के बीज की ले कर उन्हे भून लें और फिर इसका महीन चूरन बना ले। इस स्वादिष्ट और पाचन पाउडर को किसी सूखे बर्तन में स्टोर कर लें एवं इसका आधा चम्मच प्रतिदिन गरम पानी के साथ लें।

अलसी का बीज

अलसी के बीज में फाइबर और ओमेगा -3 फैटी एसिड के साथ साथ कई अन्य औषधीय गुण है। इसके अलावा , अलसी कब्ज के हल्के करने, बहुत गंभीर मामलों का इलाज करने में बहुत उपयोगी हो सकता है। एक गिलास पानी में अलसी के बीज भिगो दे एवं रात को सोने से पहले इस पानी का सेवन करें। इसके अलावा आप रात को सोने से पहले एक चम्मच अलसी के बीजो का सेवन पानी के साथ भी कर सकते है।
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पालक

पालक पाचन तंत्र के लिए बहुत उपयोगी है खासकर जब आप कब्ज से पीड़ित हो। कच्चे पालक में मौजूद विभिन्न घटक पूरे आंत्र पथ को साफ, संगठित और पुनर्जीवित कर सकते हैं। कब्ज से छुटकारा पाने के लिए, आपको अपने आहार में पालक को शामिल करना चाहिए। आप इसे कच्चा या पका कर खा सकते है, ये आपकी पसंद पर निर्भर करता है। यदि कब्ज ज्यादा गंभीर है तो आप आधा गिलास कच्चे पालक के पत्तों के जूस का इस्तेमाल आधा गिलास पानी के साथ कर सकते है। कुछ ही दिनों के भीतर, आपको बहुत राहत मिल जाएगी।
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नींबू

नींबू या विशेष रूप से नींबू के रस कब्ज का इलाज कर सकते हैं। यह पाचन तंत्र को उत्तेजित करता है। यह सबसे आसान और प्रभावी उपचार में से एक है जिसे आप घर पर कोशिश कर सकते हैं। गुनगुने पानी के एक गिलास में आधा नींबू निचोड़ ले और इसमें एक चुटकी सेंधा नमक और एक चम्मच शहद मिला लें। इसका इस्तेमाल सुबह खाली पेट करें। आप चाहे तो इसका इस्तेमाल शाम को भी कर सकते है। कुछ ही दिनो में आप फर्क महसूस करेंगे।

अंजीर

अंजीर बहुत फाइबर में बहुत उच्च हैं और एक प्राकृतिक रेचक  के रूप में काम करते हैं। पुरानी कब्ज से पीड़ित लोगों को अपने आहार में अंजीर को शामिल करना चाहिए। कब्ज के उपचार के लिए, दोनों ताजा और सूखे अंजीर का इस्तेमाल किया जा सकता है। यदि ताज़ा अंजीर उपलब्ध है तो इसका इस्तेमाल छिलके के साथ करें। इसके छिलके में फाइबर और कैल्शियम प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। 2-3 बादाम और सूखे अंजीर लें। कुछ घंटों के लिए उन्हें पानी में भिगो दें। बादाम का छिलका उतार कर ,बादाम एवं अंजीर को पीस लें। इस पेस्ट का इस्तेमाल रात को शहद की एक चम्मच के साथ करें।
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पानी एवं फाइबर

अधिकतर कब्ज का मुख्य कारण आहार में फाइबर की कमी है। यह आंतों में पानी की मात्रा को बनाए रखता है जो माल को पतला होने में मदद करता है। उच्च फाइबर आहार में सेम, आलू, गाजर, ब्राउन चावल, prunes, गेहूं के बीज, ताजे फल, हरी पत्तेदार सब्जियों जैसे खाद्य पदार्थ, नट, कद्दू के बीज, सूरजमुखी के बीज, ब्रोकोली, मटर इत्यादि शामिल है।
कब्ज से पीड़ित लोगो को दिन में कम से कम 10-12 गिलास पानी जरूर पीना चाहिए। इसके अलावा आप फलो के रस का भी सेवन कर सकते है। मादक पेय पदार्थों और कैफीन से बचें ये निर्जलीकरण के रूप में आपकी हालत और भी खराब कर सकते है।

शहद

शहद एक हल्के रेचक के रूप में कार्य करता है और कब्ज से राहत में बेहद फायदेमंद है। आप इसका इस्तेमाल कब्ज से बचने एवं कब्ज के इलाज दोनों में कर सकते है। दिन में 2-3 बार एक चम्मच शहद का इस्तेमाल आप कर सकते है। इसके अलावा आप इसे एक गिलास गरम पानी में नींबू के रस के साथ भी उपयोग में ला सकते है।
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अजवायन

अजवायन 10 ग्राम, त्रिफला 10 ग्राम और सेंधानमक 10 ग्राम को बराबर मात्रा में लेकर कूटकर चूर्ण बना लें। रोजाना 3 से 5 ग्राम इस चूर्ण को हल्के गर्म पानी के साथ सेवन करने से काफी पुरानी कब्ज समाप्त हो जाती है। इसके अलावा सुबह उठने के बाद नींबू के रस को काला नमक मिलाकर पानी के साथ सेवन कीजिए। इससे पेट साफ होगा।
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किशमिश

किशमिश में कब्ज निवारण गुण होते हैं। सूखे अंगूर याने किशमिश पानी में 3 घन्टे भिगों दें फिर इसके बाद किशमिश को पानी से निकालकर खा लीजिए। इसे खाने से आंतों को ताकत मिलती है और दस्त आसानी से आती है। इससे कब्ज की शिकायत दूर होती है।
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मुनक्का

मुनक्का में कब्ज नष्ट करने के तत्‍व मौजूद होते हैं। 6-7 मुनक्का रोज रात को सोने से पहले खाने से कब्ज समाप्त होती है। इसके अलावा सुबह उठने के बाद बिना कुछ खाए हुए, 4-5 दाने काजू के और 4-5 दाने मुनक्का के साथ खाइए, इससे कब्ज की शिकायत समाप्त होगी।

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अंगूर

अंगूर में मौजूद अघुलनशील फाइबर नियमित मल त्याग उत्पादन में मदद करता है। दैनिक एक छोटी कटोरी अंगूर जरूर खाओ या फिर कम से कम आधा गिलास अंगूर के जूस का जरूर पियो। इसके अलावा आप 10-12 सूखे अंगूर ले कर उन्हे दूध में उबाल कर भी खा सकते है। यह उपाय बच्चो को कब्ज से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। यदि ताज़ा अंगूर उपलब्ध नहीं है तो आप पानी में भिगो कर किशमिश का इस्तेमाल भी कर सकते है।
grapes

गुड़

बिस्तर पर जाने से पहले गुड का एक टुकड़ा या चम्मच जरूर लें। यदि आपको इसका स्वाद पसंद नहीं है तो आप इसे दूध में दाल कर या फिर फलो के जूस के साथ इस्तेमाल कर सकते है। यदि समस्या फिर भी ठीक नहीं होती तो गुड की मात्रा को आप बढ़ा सकते है। गुड़ उच्च कैलोरी युक्त होता है , तो आपको दैनिक आधार पर इस उपाय का पालन नहीं करना चाहिए।

गुड़

और सबसे महत्वपूर्ण बात डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।

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