फालसा एनीमिया से लेकर और किन चीजों में फायदेमंद है,जानिए

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फालसे की तासीर ठंडक प्रदान करने वाली होती है। स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होने के साथ-साथ यह उमस भरी गर्मी से बचाने में अचूक साबित होता है। मैग्नीशियम, पोटेशियम, सोडियम, फॉस्फोरस, कैल्शियम, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, लोहा, विटामिन ए, सी और एंटीऑक्सीडेंट आदि की खान होने के कारण इसे सेहत का खजाना भी माना जाता है।खटठे मीठे स्वाद वाले फालसे के फल में विटामिन-सी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है । इसके साथ ही सिट्रिक एसिड, एमीनो एसिड, ग्रेवियानोल, बीटा एमिरिदीन, बेट्यूलीन, फ्रेडीलिन, किम्फेराल, क्वेरसेटिन, ल्यूपिनोन, ल्यूपियाल, डेल्फीनिडीन, सायनीडीन, टेरेक्सास्टेरोल पाये जाते हैं ।
आइये आपको बताते है फलसा के फायदों के बारे में –

हृदय की कमजोरी

फालसे का रस, नींबू का रस, 1 चुटकी सेंधा नमक, 1-2 काली मिर्च लेकर उसमें स्वादानुसार मिश्री मिलाकर पीने से हृदय की कमजोरी में लाभ होता है।

पेट का शूल

सिकी हुई 3 ग्राम अजवायन में फालसे का 25 से 30 ग्राम रस डालकर थोड़ा सा गर्म करके पीने से पेट का शूल मिटता है।

पित्तविकार

गर्मी के दोष, नेत्रदाह, मूत्रदाह, छाती या पेट में दाह, खट्टी डकार आदि की तकलीफ में फालसे के रस का शरबत बनाकर पीना तथा उष्ण-तीक्ष्ण खुराक बंद कर केवल सात्त्विक खुराक लेने से पित्तविकार मिटते हैं और अधिक तृषा से भी राहत मिलती है।

दिमाग की कमजोरी

कुछ दिनों तक नाश्ते के स्थान पर फालसे का रस उपयुक्त मात्रा में पीने से दिमाग की कमजोरी एवं सुस्ती दूर होती है, फुर्ती और शक्ति पैदा होती है।

पेट की कमजोरी

पके फालसे के रस में गुलाब जल एवं मिश्री मिलाकर रोज पीने से पेट की कमजोरी दूर होती है एवं उलटी उदरशूल, उबकाई आना आदि तकलीफें दूर होती हैं एवं रक्तदोष भी मिटता है।

मूढ़ या मृत गर्भ

कई बार गर्भवती महिलाओं के गर्भाशय में स्थित गर्भ मूढ़ या मृत हो जाता है। ऐसी अवस्था में पिण्ड को जल्दी बाहर निकालना एवं माता के प्राणों की रक्षा करना आवश्यक होता है। ऐसी परिस्थिति में अन्य कोई उपाय न हो तो फालसा के मूल को पानी में घिसकर उसका लेप गर्भवती महिला की नाभि के नीचे पेड़ू, योनि एवं कमर पर करने से पिण्ड जल्दी बाहर आ जायेगा। पिण्ड बाहर आते ही तुरन्त लेप निकाल दें, नहीं तो गर्भाशय बाहर आने की सम्भावना रहती है।

श्वास, हिचकी, कफ

कफदोष से होने वाले श्वास, सर्दी तथा हिचकी में फालसे का रस थोड़ा गर्म करके उसमें थोड़ा अदरक का रस एवं सेंधा नमक डालकर पीने से कफ बाहर निकल जाता है तथा सर्दी, श्वास की तकलीफ एवं हिचकी मिट जाती है।

कैंसर से लड़ने में सहायक

फलसा में रेडियोधर्मी क्षमता होने से यह कैंसर से लड़ने में सहायक है ।

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लू लगने में

फालसे में गर्मी के मौसम में लू लगने और उससे होने वाले बुखार से बचने का कारगर इलाज है। यह मस्तिष्क की गर्मी और खुष्की दूर करके तरोताजा रखता है। चिड़चिड़ापन दूर करता है। उल्टी और घबराहट दूर करता है।

एनीमिया का खतरा कम

फालसे में खनिज लवणों की अधिकता होने के कारण इसके नियमित सेवन से रक्त में हीमोग्लोबिन के स्तर में सुधार होता है। इससे एनीमिया का खतरा कम हो जाता है।

फालसा पेड़ की पत्तियां और तने

फालसा पेड़ की पत्तियां और तने भी औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं  त्वचा के कटने, छिलने, जलने, दर्दनाक चकते पड़ने, फोड़े होने, एक्जिमा, त्वचा संबंधी रोगों में फालसा की पत्तियों  को रात भर भिगोने के बाद पीस कर लगाने से बहुत लाभ होता है । यह एंटीबायोटिक की तरह काम करती हैं । तने की छाल का अर्क बुखार को कम करने और दस्त के इलाज में उपयोगी है । जड़ की छाल गठिया के इलाज के लिए उपयोगी है । फालसे के बीजों से तेल निकाला जाता है जो कि प्रजनन संबंधी विकारों में इस्तेमाल होता है ।

लालिमा, जलन, सूजन और कालेपन के इलाज में

यह ज्यादा धूप में रहने के कारण शरीर के खुले अंगों पर होने वाली लालिमा, जलन, सूजन और कालेपन के इलाज में मदद करता है।

सिर्फ 5 दिनों में फोड़े-फुंसियों से छुटकारा पाने के घरेलु नुस्खे

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फोड़े-फुंसियों या दाद-खाज खुजली जैसी चमड़ी की बीमारियों को पीछे प्रमुख रूप से रक्त कादूषित होना होता है। जब शरीर का खून दूषित यानी गंदा हो जाता है तो कुछ समय के बाद उसका प्रभाव बाहर त्वचा पर भी नजर आने लगता है। प्रदूषण चाहे बाहर का हो या अंदर का वो हर हाल में अपना दुष्प्रभाव दिखाता ही है। बाहरी और भतरी प्रदूषण ने मिलकर हमारे शरीर की प्राकृतिक खूबसूरती को छीनकर कई सारे त्वचा रोगों को जन्म दिया है फोड़े- फुंसियां भी उन्हीं में से एक हैं।

आज दुनिया का हर दूसरा व्यक्ति चमड़ी से जुड़े किसी न किसी रोग से जूझ रहा है। खुजली,जलन, फुंसियां, घमोरियां, दराद, लाल-सफेद चकत्ते… जैसी कई समस्याएं हैं जिनसे हर कोई परेशान है या कभी न कभी रह चुका है। कई बार छूत से यानी इनसे संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्क में आने पर खुद को भी संक्रमण लगने से भी फोड़े- फुंसी या खुजली जैसी कोई त्वचा संबंधी समस्या हो सकती है।

यहां हम कुछ ऐसे घरेलू उपाय दे रहे हैं जो बर्सों से आजमाए और परखे हुए हैं। ये नुस्खे कारगर तो हैं ही साथ ही इनकी सबसे बड़ी खाशियत यह है कि इनका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं है, ऊपर से ये हैं भी बहुत ही सस्ते..

  1. थोड़ी सी साफ रूई पानी में भिगो दें, फिर हथेलियों से दबाकर पानी निकाल दें। तवे पर थोड़ा सा सरसों का तेल डालें और उसमें इस रूई को पकायें। फिर उतारकर सहन कर सकने योग्य गर्म रह जाय तब इसे फोड़े पर रखकर पट्टी बाँध दें। ऐसी पट्टी सुबह-शाम बाँधने से एक दो दिन में फोड़ा पककर फूट जायेगा। उसके बाद सरसों के तेल की जगह शुद्ध घी का उपयोग उपरोक्त विधि के अनुसार करने से घाव भर के ठीक हो जाता है।
  2.  फोड़े फुंसियों पर वट वृक्ष या बरगद के पत्तों को गरम कर बाँधने से शीघ्र ही पक कर फूट जाते
  3. आयुर्वेद के अनुसार नीम की सूखी छाल को पानी के साथ घिसकर फोड़े फुंसी पर लेप लगाने से बहुत लाभ मिलता है और धीरे-धीरे इनकी समाप्ति हो जाती है।
  4.  जब तक समस्या से पूरी तरह से छुटकारा नहीं मिल जाता मीठा यानी शक्कर से बनी, बासी,तली-गली और अधिक मिर्च-मसालेदार चीजों को पूरी तरह से छोड़ दें।
  5. फोड़े-फुंसी, दाद या खुजली वाले स्थान पर मूली के बीज पानी में पीस कर गरम करके लगाने से तत्काल लाभ होता होगा।
  6. नीम की पत्तियों को पीस कर फोड़े-फुंसी, दाद या खुजली वाले स्थान पर लगाने और पानी के साथ पीने से बहुत सीघ्र लाभ होता है।
  7. नींबू के छोटे पत्ते खाने से लाभ होता है। नींबू में मौजूद विटामिन सी खून साफ करता है. फोड़े-फुंसियों पर नींबू की छाल पीसकर लगाएं. सप्ताह में एक बार फोड़े-फुंसिंयों पर मुल्तानी मिट्टी लगाएं. एक-दो घंटे बाद नहाएं ।
  8. पालक, मूली के पत्ते, प्याज, टमाटर, गाजर, अमरुद, पपीता आदि को अपने भोजन में नियमित रूप से शामिल करें।
  9. सुबह खाली पेट चार-पांच तुलसी की पत्तियां चूंसने से भी त्वचा रोगों में स्थाई लाभ होता है।
  10. पानी अधिक से अधिक पीएं।
  11. सुबह उठकर 2 से 3 किलो मीटर घूमने के लिये अवश्य जाएं ताकि आपके शरीर और रक्त को शुद्ध ताजा हवा मिल सके और शरीर का रक्त प्रवाह भी सुधर सके।

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मूली है सौ रोगों की एक दवा

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मूली कई बीमारियों को ठीक करने में कारगर है | मूली में प्रोटीन, कैल्शियम, गन्धक, आयोडीन तथा लौह तत्व पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होते हैं। इसमें सोडियम, फॉस्फोरस, क्लोरीन तथा मैग्नीशियम भी होता है। मूली से विटामिन ए, बी और सी भी प्राप्त होते हैं।

स्वास्थ्य तथा उपचार की दृष्टि से छोटी, पतली और चरपरी मूली ही उपयोगी है। ऐसी मूली वात, पित्त और कफ नाशक है। इसके विपरीत मोटी और पकी मूली नुकसान दायक मानी जाती है। मूली कच्ची खायें या इसके पत्तों की सब्जी बनाकर खाएं|

मूली स्वयं हजम नहीं होती, लेकिन अन्य भोज्य पदार्थों को पचा देती है। भोजन के बाद यदि गुड़ की 10 ग्राम मात्रा का सेवन किया जाए तो मूली हजम हो जाती है।

100 ग्राम मूली में अनुमानित तत्व हैं – प्रोटीन – ०.7 ग्राम, वसा – ०.1 ग्राम, कार्बोहाइड्रेट – 3.4 ग्राम, कैल्शियम – 35 मि.ग्रा., फॉस्फोरस – 22 मि.ग्रा, लोह तत्व – ०.4 मि.ग्रा., केरोटीन- 3 मि.ग्रा., थायेसिन – ०.०6 मि.ग्रा., रिवोफ्लेविन – ०.०2 मि.ग्रा., नियासिन – ०.5 मि.ग्रा., विटामिन सी – 15 मि.ग्रा.।

मूली आपकी बॉडी में से सभी विषैले तत्वों को बाहर कर देती है, जिसके परिणामस्वरूप आपकी स्किन क्लीन होने लगती है। इसके अलावा स्किन की क्लिनिंग के लिए मूली को क्रश करके स्किन पर लगाना चाहिए।

आइये आपको बताते है मूली के फायदे-

बालों का असमय गिरना

चूंकि मूली के पत्तों में फास्फोरस होता है। इसलिए भोजन के साथ सेवन करने से बालों का असमय गिरना बंद हो जाता है।

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बवासीर

मूली को हल्दी के साथ खाने से बवासीर में फायदा होता है। बवासीर के मरीजों को हर रोज मूली का सेवन करना चाहिए।

नाख़ूनों का रंग सफ़ेद

हाथ-पैरों के नाख़ूनों का रंग सफ़ेद हो जाए तो मूली के पत्तों का रस पीना हितकारी है।

कैंसर से लड़े

मूली में फॉलिक एसिड, विटामिन सी और एंथोकाइनिन की भरमार होती है। ये तत्व शरीर को कैंसर से लड़ने में मदद करते हैं। यह माना जाता है कि मुंह, पेट, आंत और किडनी के कैंसर से लड़ने में यह बहुत सहायक होती है।

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मोटापा से मुक्ति दिलाए

मोटापा से परेशान हैं तो इसके रस में नींबू व नमक मिला कर नियमित सेवन करें, लाभ होगा।

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मुंह की दुर्गंध रखे दूर

सुबह-सुबह मूली के नरम पत्तों पर सेंधा नमक लगाकर खाने से मुंह की दुर्गंध दूर होती है।

अच्छी नींद लाने में

थकान मिटाने और अच्छी नींद लाने में भी मूली काफी फायदेमंद होती है।

पेट के की़ड़ों को नष्ट करने में

पेट के की़ड़ों को नष्ट करने में भी कच्ची मूली फायदेमंद साबित होती है।

पायरिया से राहत

पायरिया से परेशान लोग मूली के रस से दिन में 2-3 बार कुल्ले करें और इसका रस पिएं तो लाभ होगा। मूली के रस से कुल्ले करना, मसूड़ों-दांतों पर मलना और पीना दांतों के लिये बहुत लाभकारी है। मूली को चबा-चबा कर खाना दांतों व मसूड़ों को निरोग करता है।

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हड्डियों को मजबूत करें

मूली खाने से शरीर की विषैली गैस (कार्बन डाई ऑक्साइड) का निष्कासन होता है तथा जीवनदायी ऑक्सीजन की प्राप्ति होती है। मूली खाने से दांत मंसूड़े मजबूत होते हैं, हड्डियों में मजबूती आती है।

मुंहासो से छुट्टी दिलाए

मूली में विटामिन सी, जिंक, बी कांप्लेक्स विटामिन और फॉस्फोरस होता है। इसके पत्ते को पिस कर आप अगर अपने चेहरे, हाथो और पैरों पर मलते हैं तो जहां ये शरीर की खुश्की दूर करते हैं वहीं शरीर को कोमल और मुलायम बनाते हैं। मुंहासों के लिए मूली का टुकड़ा गोल काट कर मुंहासों पर लगाएं और तब तक लगाए रखें, जब तक यह खुश्क न हो जाए। थोड़ी देर बाद चेहरे को ठण्डे पानी से धो ले।

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पत्ते भी हैं फायदेमंद

अक्सर लोग मूली खाकर उसके पत्तों को फेंक देते हैं, जबकि पत्तों में भी स्वाद तथा काफी मात्र में पोषक तत्व होते हैं। उन्हें भूजी- सब्जियां, पराठों में प्रयोग करें। इसमें पतली-पतली फलियां भी आती हैं, जिसे मोंगर या मोंगरा के नाम से जाना जाता है। इन फलियों की सब्जियां बहुत स्वादिष्ट बनती हैं। हमेशा छोटी, पतली तथा ताजा मूली का ही प्रयोग करें।

कब्ज से राहत दिलाए

कब्ज से परेशान हैं तो मूली पर नींबू व नमक लगा कर सवेरे खाएं, लाभ होगा। भोजन में मूली सलाद के रूप में लें तो और लाभ होगा। सुबह-शाम मूली का रस पीने से पुराने कब्ज में भी लाभ होता है। इस दौरान तला-भूना भोजन न खाएं, बल्कि खिचड़ी, दलिया आदि खाएं।

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हीमोग्लोबिन की कमी दूर करे

मूली के रस में सामान मात्र में अनार का रस मिला कर पीने से हीमोग्लोबिन बढ़ता है।

पीलिया में फायदेमंद

एक कच्ची मूली नित्य प्रातः उठते ही खाते रहने से कुछ दिनों में पीलिया रोग ठीक हो जाता है।

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दांतों को चमकाए

इसके खाने से रक्तविकार दूर होते हैं। त्वचा के दाग धब्बे हटते हैं। दांतों पर पीलापन हो तो मूली के टुकड़े पर नींबू का रस लगाकर दांतों पर धीरे-धीरे मलने से दांत साफ होंगे। इसके अलावा मूली को काट कर नींबू लगा कर छोटे छोटे टुकड़े दांतों से काट कर धीरे-धीरे चबाएं। थोड़ी देर बाद उगल दें। ऐसा नियमित रूप से करने से दांतों पर चढ़ी पीली परतें हट जाएंगी।

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पेशाब होने में दिक्कत

पेशाब होने में दिक्कत हो तो मूली के रस का सेवन कीजिए। अगर अगर पेशाब आना बंद हो जाए या पेशाब में जलन हो तो मूली का रस बहुत फायदेमंद होता है।

लिवर को रखे मजबूत

मूली खाने से लिवर मजबूत होता है। लीवर व स्प्लीन (प्लीहा) के मरीजों को अपने दैनिक भोजन में मूली का जमकर सेवन करना चाहिए।

गले की सूजन

गले की सूजन में मूली का पानी, सेंधा नमक को मिलाकर इसे गरम करें और फिर इससे गरारा कीजिए। इससे गले की सूजन कम होगी और फायदा होगा।

नमक की कमी को पूरा रखे

मूली के पत्तों में सोडियम होता है, जो हमारे शरीर में नमक की कमी को पूरा करता है।

जानिए लीची के अनोखे फायदे जिसे जानकर आप दंग रह जायेंगे

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लीची में कार्बोहाइड्रेट, विटामिन सी, विटामिन ए और बी कॉम्प्लेक्स, पोटैशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, लौह जैसे खनिज लवण पाए जाते हैं जो इसे सेहत का खजाना बना देते हैं।  गर्मियों में जब शरीर में पानी व खनिज लवणों की कमी हो जाती है तब लीची का रस बहुत फायदेमंद रहता है।

कब खाएं, कब न खाएं
लीची का मौसम दो से ढाई महीने का होता है। आमतौर पर अप्रैल के अंत से लेकर जून माह के अंत या जुलाई के पहले हफ्ते तक यह बाजार में उपलब्ध है। लेकिन बा‌रिश से लीची में कीड़े लग जाते हैं इसलिए इन्हें पहली बारिश के पहले ही खाना सेहतमंद है।”

आइये आपको बताते है लीची के फायदों के बारे में-

दिल की बीमारी से बचाए

लीची मे बहुत सारा बीटा कैरोटीन और ओलीगोनोल होता है जो दिल को स्वस्थ्य रखता है।

बवासीर

बवासीर के रोगियों के लिए लीची का सेवन बहुत लाभकारी है |

गला दर्द

अगर आपका गला दर्द हो रहा हो या आपको ठंड लग गई हो, तो आप तुरंत लीची का सेवन कर के आराम पा सकते हैं।

पेट दर्द

लीची के फल का सेवन करने से आँतों की बिमारी तथा पेट दर्द में लाभ होता है |

अस्थमा से बचाव

इस सीजन में लीची का सेवन जरुर करें।

झुर्रियों से बचाए

लीची पाचन को ठीक कर के कब्‍ज से बचाती है। साथ में असमय पड़ने वाली झुर्रियों से भी दूर रखती है।

मोटापा घटाए

लीची खाने का यह एक अच्छा फायदा है। यह कैलोरी में कम होती है जिससे वेट नहीं बढता।

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मीठा खाने की चाहत को कम करे

अगर मीठा खाने का मन हो तो आप लीची खा सकते हैं।

इम्यून सिस्टम को बढाए

इसमें बहुत सारा पौष्टिक तत्‍व और विटामिन होता है जैसे विटामिन सी जो कि आपके इम्मयून सिस्टम को मजबूत करती है।

कब्ज घटाए

अगर आपको अपना पेट दुरुस्त रखना है तो आप लीची का सेवन कर सकते हैं।

प्यार बढ़ाएं

लोग अपनी सेक्स लाइफ को बढाने के लिये लीची का सेवन कर सकते हैं।

बच्चों के विकास में सहायक

लीची में पाए जाने वाले कैल्शियम, फॉस्फोरस और मैग्नीशियम बच्चों के शारीरिक गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये मिनरल्स हड्डियों में विकार आने वाली बीमारी ऑस्टियोपोरोसिस को रोकने में मदद करते हैं।

कैंसर से रक्षा करती है

अध्ययनों से साबित हुआ है कि विटामिन सी से भरपूर लीची में कैंसर (खासतौर पर स्तन कैंसर) से लड़ने के गुण पाए जाते हैं। इसके नियमित सेवन से हमारे शरीर में कैंसर के सेल्स ज्यादा बढ़ नहीं पाते। लीची एक अच्छा एंटीऑक्सीडेंट भी है। इसमें मौजूद विटामिन सी हमारे शरीर में रक्त कोशिकाओं के निर्माण और लोहे के अवशोषण में भी मदद करता है।

त्वचा में निखार लाए

लीची में सूरज की अल्ट्रावॉयलेट यू.वी. किरणों से हमारी त्वचा और शरीर का बचाव करने की खासियत होती है। लीची के नियमित सेवन से तैलीय त्वचा को पोषण मिलता है। चेहरे पर पड़ने वाले दाग-धब्बों में कमी आ जाती है।

ब्लडप्रेशर से बचाए

लीची में मौजूद पोटैशियम और तांबा दिल की बीमारियों से बचाव करते हैं। यह हृदय की धड़कन की अनियमितता अथवा अस्थिरता और बीपी को नियंत्रित रखता है, जिससे हार्ट अटैक का जोखिम कम हो जाता है।

सावधानी

लीची का सेवन सीमित मात्र में ही करें, अन्यथा यह नुकसानदेह भी साबित हो सकती है। 10-11 से ज्यादा लीची न खाएं। इससे ज्यादा लीची का सेवन नकसीर और सिर दर्द जैसी समस्याओं का कारण बन सकता है। यह शरीर में खुजली, जीभ तथा होंठों में सूजन और सांस लेने में कठिनाई भी पैदा कर सकता है।

जानिए पीले दांतों को घर पर कैसे चमकदार बनाए

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सफेद और चमकते दांत किसी की भी पर्सनेलिटी में निखार ला सकते हैं। बहुत से लोग पीले दांतों के कारण लोगों के सामने हंसने से बचते हैं या मुंह पर हाथ रखकर हंसते हैं। दांत ज्यादातर उम्र के कारण, दांतों की ठीक से सफाई न होने के कारण, बहुत ज्यादा चाय या कॉफी पीने के कारण अथवा तंबाकू और सिगरेट पीने के कारण पीले हो जाते हैं।

कभी कभी किसी बीमारी के कारण भी दांत पीले हो जाते हैं। हालांकि पीले दांतों को सफेद बनाना कोई मुश्किल काम नहीं है। थोड़ी सी मेहनत से आप पीले दांतों को सफेद बना सकते हैं।

यदि आप भी दांतों के पीलेपन से परेशान हैं तो अपनाएं ये घरेलू नुस्खे

तुलसी

तुलसी में दांतों का पीलापन दूर करने की अद्भुत क्षमता पाई जाती है। साथ ही, तुलसी मुंह और दांत के रोगों से भी बचाती है। तुलसी के पत्तों को धूप में सुखा लें। इसके पाउडर को टूथपेस्ट में मिलाकर ब्रश करने से दांत चमकने लगते हैं।

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नमक

नमक से दांत साफ करने का नुस्खा बहुत पुराना है। नमक में 2-3 बूंद सरसों का तेल मिलाकर दांत साफ करने से पीलापन दूर हो जाता है और दांत चमकने लगते हैं।

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गाजर

रोजाना गाजर खाने से भी दांतों का पीलापन कम हो जाता है। दरअसल, भोजन करने के बाद गाजर खाने से इसमें मौजूद रेशे दांतों की अच्छे से सफाई कर देते हैं।

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स्ट्रॉबेरी

स्ट्रॉबेरी में भी विटामिन सी प्रचुर मात्रा में होता है जो कि दांतों को सफेद बनाने में सहायक है। स्ट्रॉबेरी के कुछ टुकड़ों को पीसकर, इस लेप को दांतों पर लगाकर मसाज करें। इसे दिन में दो बार करने से कुछ ही दिनों में पीले दांत सफेद होने लगते हैं।

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नींबू

एक नींबू का रस निकालकर उसमें उतनी ही मात्रा में पानी मिला लें। खाने के बाद इस पानी से कुल्ला करें। यह उपाय रोज करने से दांतों का पीलापन चला जाता है और सांसों की दुर्गंध भी दूर हो जाती है।

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नीम

नीम का उपयोग प्राचीन काल से ही दांत साफ करने के लिए किया जाता रहा है। नीम में दांतों को सफेद बनाने व बैक्टीरिया को खत्म करने के गुण पाए जाते हैं। यह नेचुरल एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-सेप्टिक है। रोजाना नीम के दातून से दांत साफ करने पर दांतों के रोग नहीं होते व दांतों का पीलापन भी दूर हो जाता है।

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संतरे का छिलका

संतरे के छिलके से रोज दांतों की सफाई करने से कुछ ही दिनों में पीले दांत चमकने लगेंगे। रोज रात को सोते समय संतरे के छिलके को दांतों पर रगड़ें। संतरे के छिलके में विटामिन सी और कैल्शियम के साथ माइक्रोऑर्गेनिज्म  होता है जो दांतों की मजबूती और चमक बनाए रखता है।

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बेकिंग सोडा

बेकिंग सोडा पीले दांतों को सफेद बनाने का सबसे अच्छा घरेलू तरीका है। ब्रश करने के बाद थोड़ा-सा बेकिंग सोडा लेकर दांतों को साफ करें। इससे दांतों पर जमी पीली पर्त धीरे-धीरे साफ हो जाती है। बेकिंग सोडा और थोड़ा नमक टूथपेस्ट में मिलाकर ब्रश करने से भी दांत साफ हो जाते हैं।

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सेब

सेब को डाइट में शामिल करने से भी दांतों की सफेदी लौटाई जा सकती है। सेब की क्रंचीनेस दांतों को प्राकृतिक तौर पर स्क्रब करती है। रोजाना एक या दो सेब जरूर खाएं और खूब चबा चबा कर खाएं। इसी तरह गाजर और खीरा भी कच्चा खाने से दांत सफेद तथा मजबूत बनते हैं।

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जानिए कैसे आप 18 साल के बाद भी लम्बाई बढ़ा सकते है

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ज्यादातर लोग यही सोचते हैं कि हम लोगों की लंबाई केवल 18 साल तक ही बढ़ सकती है पर ऐसा भी नहीं है कि 18 साल के बाद लम्बाई बिल्कुल नहीं बढ़ाई जा सकती हैं नियमित रूप से व्यायाम, पौष्टिक आहार के सेवन और कुछ नियमों का पालन करके हम अपनी लम्बाई को अवश्य ही कुछ और इंच तक बढा सकते हैं।इसके अलावा अगर लंबाई बढानी है तो एक्सरसाइज करें और हेल्दी डाइट अपनाएं।

इसके अलावा कई लोग अपनी लंबाई बढाने के लिये बाजार में मिलने वाली कई तरह की दवाइयों का भी सेवन करने लगते हैंजिससे तमाम साइड इफेक्ट्स भी होते हैं। नीचे कुछ प्राकृतिक तरीके दिये जा रहे हैं जिसके बिल्कुल भी साइड इफेक्ट नहीं होगें और आपकी हाइट 18 साल के बाद भी बढ़ सकती है।

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  1. लम्बाई और स्मरण शक्ति बढ़ाने के लिए गेहूँ के दाने के बराबर मात्रा में चूना रोज दही, दाल या सब्जी में मिलाकर खाना चाहिए । या पानी में मिलाके पीना चाहिए । इससे लम्बाई और स्मरण शक्ति दोनों का ही विकास होता है। शरीर में चैतन्यता और चपलता आती है। ( लेकिन पथरी के मरीज चूने का सेवन ना करें )
  2. कद बढ़ाने के लिये सूखी नागौरी, अश्वगंधा की जड़ को कूटकर बारीक कर चूर्ण बना लें। बराबर मात्रा में खांड मिलाकर किसी टाईट ढक्कन वाली कांच की शीशी में रखें। इसे रात सोते समय रोज दो चम्मच गाय के दूध केसाथ लें। इससे दुबले व्यक्ति भीमोटे हो जायेंगे। कम कद वाले लोग लंम्बे हो सकते हैं। इससे नया नाखून भी बनना शुरू होता है। इस चूर्ण का सेवन करने से कमजोर व्यक्ति अपने अंदर स्फूर्ति महसूस करने लगता है। इस चूर्ण को लगातार 40 दिन तक लेते रहें। इस चूर्ण को शीतकाल में लेने से अधिक लाभ मिलता है।
  3. 1 से 2 ग्राम अश्वगंधा चूर्ण, 1 से 2 ग्राम काले तिल, 3 से 5 खजूर को 5 से 20 ग्राम गाय के घी में एकमहीने तक खाने से लाभ होता है। साथ में पादपश्चिमोत्तानासन,’पुल्ल-अप्स’करने से एवं हाथ से शरीर झुलाने से ऊँचाई बढ़ती है।इस चूर्ण का सेवन करते समय खटाई, तली चीजें न खायें और जिन्हें आंव की शिकायत हो,तो अश्वगंधा न लें।
  4. मनुष्य को अपने हाथ तथा पैरों के बल झूलने तथा दौड़ने जैसी कसरतों के अलावा भोजन में प्रोटीन, कैल्शियम तथा विटामिनों की जरूरत बहुत आवश्यक है तथा पौष्टिक भोजन करने से लम्बाई बढ़ने में फायदा मिलता है।
  5. हाइट बढाने के लिये एंटीबायोटिक्स का सेवन ज्यादा नहींकरना चाहिये, नहीं तो इसके अधिक प्रयोग से हाइट रुक भी सकतीहै।
  6. प्रोटीन, कैल्शियम, वसा और आयरन को अपने आहार में शामिल करें । इसके अलावा खूब सारी सब्जियां और फल का भी नियमित रूप से सेवन करें।
  7. लम्बाई बढ़ाने हेतु नित्य 2 काली मिर्च के टुकड़े 20 ग्राम मक्खन में मिलाकर उसे निगल जायें। देशी गाय का दूध कद बढ़ाने में विशेष रूप से सहायक है।
  8. अपनी गर्दन और सिर को हमेशा सीधा और तान कर रखे। यदि आप हमेशा अपने सिर को झुका कर रखेगें तो आपका स्पाइनल कार्डदब जाएगा और पूरा शरीर छोटा लगेगा।
  9. खूब पानी और दूध पियें।
  10. अपने वजन को नियंत्रित करें, क्योंकि अगर आपका वजन कम है तो आपकी हाइट ठीक से नहीं बढेगी।
  11. न सोने या कम नींद लेने का प्रतिकूल प्रभाव हमारे पूरे शरीर पर पड़ता है। पर्याप्त नींद यह सुनिश्चित करती है कि आपकी लम्बाई और वजन ठीक रहेंगे। क्योंकि नींद के दौरान शरीर में ऊतकों का विकास और निर्माण होता है। साथ ही पर्याप्त नींद लेने से लम्बाई को नियंत्रण करने वाले हार्मोन की वृद्धि होती है। इसलिए, एक दिन में कम से कम 7 घंटे की नींद लेना जरूरी होता है।
  12. शरीर में ग्रोथ हार्मोन को बढाने के लिये आपको दिन में 3 बार खाना खाने के अलावा 6 बार छोटे छोटे मील अवश्य ही खाने चाहिये।
  13. खनिज से भरपूर तत्वों का इस्तेमाल करें। यह पालक, हरी बीन्स, फलियां, ब्रोकोली, गोभी, कद्दू, गाजर, दाल, मूंगफली, केले, अंगूर और आड़ू में पाया जाता है। लंबाई बढ़ाने के लिए जिस विटामिन की सबसे ज्यादा जरूरत होती है वह विटामिन डी। यह दाल, टोफू, सोया मिल्कर, सोया बीन, मशरूम और बादाम आदि में पाया जाता है। इसके साथ ही टेनिस व बास्केट बॉल भी अनिवार्यरूप से खेलें।
  14. कद लम्बा करने के लिए अंगूठों को खीचिए ताकि मांसपेशियों में खिंचाब बढे़ इससे शरीर में रक्त का दौरा भी बढ़ता है।
  15. बच्चों को कंप्यूटर पर गेम खेलने के बजाय बाहर बास्केटबॉल, बैडमिंटन, टेनिस, दौड़, स्विमिंग और साइकिलिंग जैसे खेल खेलने के प्रोत्साहित करें। इससे उनकी मांसपेशियांभी प्राकृतिक तरीके से मजबूत होती हैं और लंबाई बढ़ती है।
  16. कैल्शियम शरीर के लिए एक आवश्यक खनिज है। यह हड्डियों को मजबूत बनाता है। कैल्शियम हमें दूध, चीज़, दही आदि में मिलता है। ऊंचा लंबा कद पाने के लिए कैल्शियम बेहद जरूरी है। मिनरल-खनिज हड्डी के ऊतकों का निर्माण करता है। ये हड्डी के विकास और शरीर में रक्त के प्रवाह में सुधार करते हैं।
  17. कभी भी झुककर बैठना या झुककर चलना नहीं चाहिए । चलतेऔर बैठते समय अपनी कमर और छाती को सीधा रखे ।
  18. 16 से 18 वर्ष की आयु के बाद ज्यादातर बच्चों के शरीर में कार्टिलेज फैलने के बजाय जमा होने लगता है जिससे हड्डियों का विकास रुक जाता है। ऐसे में कम उम्र से ही अगर बच्चों को स्ट्रेचिंग करने अभ्यास कराएं तो बहुत लाभमिलता है । स्ट्रेचिंग से रीढ़ की हड्डी को बल व मांसपेशियों को विस्तार मिलता है।इसके लिए बच्चे को सीधा दीवार की ओर मुंह करके खड़ा करें औरउसके कद को मार्क करें। अब बच्चे को हाथ ऊपर करके खुद को ऊपर की ओर जितना हो सके खींचने को कहें। शरीर का सारा भार सिर्फ पैर के अंगूठों पर ही होना चाहिए। फिर उसकी हाथ के छोर को भी मार्क करें। बच्चे से रोजाना यह स्ट्रेचिंग करवाएं और साथ-साथ उसकी हाइट व स्ट्रेचिंग की क्षमता को भी चेक करते रहें।

Bhujangasana

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व्यायाम 

  • भुजंग आसन करें, इससे आपके सीने और पेट की मांसपेशियों में खिंचाव होगा। इसको रोजाना करने से लंबाई बढाई जा सकती है। इसको करते समय जितना पीछे हो सके उतना हों। इसी पोजीशन में करीब 20 सेकेंड तक रहें और कम से कम3-4 बार करें।
  • लम्बाई बढ़ाने के लिए प्रातःकाल दौड़ लगायें, नित्य सूर्य नमस्कार करें,किसी चीज़ से लटक कर पुल अप्स करें वा ताड़ासन करें ।
  • जमीन से 7 फुट पर एक छंड गाडे़ और उस पर जितनी देर हो सके उतनी देर तक रोज लटकें। इससे रीढ़ की हड्डी लचीली बनेगी और आपकी लंबाई बढे़गी।
  • प्रतिदिन 10 से 20 मिनट रस्सी अवश्य ही कूदें इससे भी लम्बाई बढ़ती है ।

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विटामिन

  • विटामिन ए- शरीर के अंगों के सही प्रकार से कार्य करें इसके लिए आपको विटामिन ए से भरा हुआ आहार अपने रोजाना आहार में शामिल करना चाहिए। इससे हड्डियां मजबूत रहेंगी और साथ ही लम्बाई भी बढ़ेगी। तो विटामिन ए का सेवन जरूर करें। पालक, चुकदंर, गाजर, दूध, टमाटर आदि के अलावा सब्जियों के जूस का भी सेवन करें।
  • विटामिन डी- लंबाई बढ़ाने के लिए जिस विटामिन की सबसे ज्यादा जरूरत होती है उनमें से एक है विटामिन डी। अच्छी तरह से कैल्शियम को हड्डी में अवशोषित करने के लिए, हड्डी के विकास के लिए और प्रतिरक्षा प्रणाली के बेहतर कार्य करने के लिए आपको विटामिन डी की जरूरत होती है जो दाल, सोया मिल्कर, सोया बीन, मशरूम और बादाम आदि में पाया जाता है।

दांतों से कीड़ा हटाने के घरेलु उपचार

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दांतों की नियमित सफाई न करने से दांतों के बीच में अन्न कण फंसे रहते हैं और इन्ही अन्न कणों के सड़ने की वजह से दांतों में कीड़े लग जाते हैं जिससे दांतों की जड़ें कमजोर हो जाती हैं | इसी कारण दांत खोखले हो जाते हैं,मसूड़े ढीले पड़ जाते हैं तथा दांत टूटकर गिरने लगते हैं | दांतों की नियमित सफाई करके इस समस्या से बचा जा सकता है | इस रोग में दांतों में तेज़ दर्द होता है और मसूड़े सूज जाते हैं | दांतों में कीड़े लगने पर कुछ घरेलू उपचारों द्वारा आराम पाया जा सकता है –

  1. पिसी हुई हल्दी और नमक को सरसों के तेल में मिला लें | इसे प्रतिदिन २-४ बार दांतों पर मंजन की तरह मलने से दांतों के कीड़े मर जाते हैं
  2. कीड़े लगे दांतों के खोखले भाग में लौंग का तेल रुई में भिगोकर रखने से भी दांत के कीड़े नष्ट होते हैं |
  3. दांत में कीड़े लगने से दांत खोखले हो जाते हैं तथा जगह-जगह गढ्ढे बन जाते हैं | फिटकरी,सेंधानमक,तथा नौसादर बराबर मात्रा में लेकर बारीक पाउडर बना लें | इसे प्रतिदिन सुबह-शाम दांत व मसूड़ों पर मलने से दांतों के सभी रोग ठीक होते हैं |
  4. फिटकरी गर्म पानी में घोलकर प्रतिदिन कुल्ला करने से दांतों के कीड़े और बदबू ख़त्म हो जाती है |
  5. कीड़े युक्त या सड़े हुए दांतों में बरगद (बड़) का दूध लगाने से कीड़े और पीड़ा दूर होती है |
  6. दालचीनी का तेल रूई में भरकर पीड़ायुक्त दांत के गढ्ढे में रखकर दबा लें | इससे दांत के कीड़े नष्ट होते हैं और दर्द में शांति मिलती है |

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तुरई का सेवन लिवर के लिए वरदान है,जानिए इसके और भी बहुत सारे फायदे

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तुरई की सब्जी से सभी लोग परिचित होंगे लेकिन ये सब्जी गर्मी से लड़ने और रक्त की मात्रा बनाये रखने के लिए भगवान का दिया सबसे बड़ा वरदान है, शायद कम लोग ही जानते होंगे। लिवर कमज़ोर हो तो इसके कई साइड इफेक्ट्स होते हैं, जैसे एनीमिया, स्किन प्रॉब्लम्स, पीलिया, आंखों में दिक्कत। लेकिन तोरी इसके लिए किसी रामबाण से कम नहीं। लगातार तुरई खाने से हमारे शरीर में रक्त की कमी से लेकर गैस, सांस, बालों का सफ़ेद होना और आँखों की समस्याएं हमेशा के लिए खत्म हो सकती है। इन सब बीमारियों के अलावा इसे खाने से मस्से भी ठीक हो जाते हैं।तोरई में विटामिन सी, जिंक, आयरन, राइबोफ्लेविन, मैग्नीशियम, थायमिन, फॉस्फोरस और फाइबर प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।

तुरई या तोरी (नेनुआ) एक ऐसी सब्जी है जिसे लगभग संपूर्ण भारत में उगाया जाता है। तुरई का वानस्पतिक नाम लुफ़्फ़ा एक्युटेंगुला है। तुरई को आदिवासी विभिन्न रोगों के उपचार के लिए उपयोग में लाते हैं। मध्यभारत के आदिवासी इसे सब्जी के तौर पर बड़े चाव से खाते हैं और हर्बल जानकार इसे कई नुस्खों में इस्तमाल भी करते हैं। चलिए आज जानते हैं तोरई के लाभ के बारे में –

लिवर के लिए गुणकारी

आदिवासी जानकारी के अनुसार लगातार तुरई का सेवन करना सेहत के लिए बेहद हितकर होता है। तुरई रक्त शुद्धिकरण के लिए बहुत उपयोगी माना जाता है। साथ ही यह लिवर के लिए भी गुणकारी होता है।

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पेट दर्द में

यदि पेट में दर्द हो रहा हो तो आप तुरई की सब्जी का सेवन करें। यह पेट दर्द दूर करने का आसान उपाय है। पेट दर्द की मुख्य वजह है अपच है। तुरूई अपच को खत्म कर देती है। जो लोग लंबे समय से तोरी की सब्जी खाते हैं उन्हें कब्ज और पेट दर्द नहीं होता है।

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पीलिया समाप्त हो जाता है

यदि किसी कारणवश पीलिया रोग हो जाए तो आप तोरी के फल के रस की कम से कम दो बूंदे रोगी के नाक में डालें। इस उपाय से नाक से पीले रंग का पदार्थ बाहर आ जाता है और पीलिया जल्दी ठीक हो जाता है।

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पथरी निकाले

पथरी को ठीक करने के लिए और इसके दर्द से बचने के लिए आप तुरई के बेल को पानी या फिर दूध के साथ घिसकर एक सप्ताह तक सेवन करें।

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डायबिटीज रोग में तुरई

मधुमेह यानि डायबिटीज में तुरई एक कारगर औषधि का काम करती है। इसमें इंसुलीन की तरह पेपटाइडस होता है। इसलिए जो लोग शुगर से परेशान हैं वे तुरई की खूब सब्जी खाएं।

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बालों को काला करने के लिए 

यदि बाल समय से पहले सफेद हो गए हों तो आप तुरई के छोटे-छोटे टुकड़ों को काटकर इसे सुखा लें और इसके सुखे हुए टुुकड़ों को नारियल तेल में मिला लें और कम से कम पांच दिनों तक इसे रखे रहें। और इस तेल को हल्का गरम करने के बाद बालों पर लगाएं । इस तेल कि नियमित मालिश करने से बाल जल्दी काले हो जाते हैं।

दाद, खुजली और खाज

दाद, खाज और खुजली की समस्या यदि आप परेशान हैं तो तुरई के बीजों और पत्तों को पानी के साथ पीसकर इसका पेस्ट बनाएं और इसका लेप त्वचा पर लगाएं। यह खुजली और दाद से तुरंत राहत देती है। इसके अलावा आप तुरई के इस पेस्ट को कुष्ठ रोग पर भी लगा सकते हो।

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मुँहासे और अन्य त्वचा संबंधी रोगों

यह मुँहासे, एक्जिमा, सोरायसिस और अन्य त्वचा संबंधी रोगों के उपचार में सहायक होता है, साथ ही कुष्ठ आदि चर्म रोगों में भी करते हैं।

pimple

जानिए ककड़ी पथरी से लेकर और किन चीजों में फायदेमंद है

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गर्मी का मौसम शुरू हो गया है, ऎसे में आपकी बॉडी को पानी की बहुत जरूरत रहती है। गर्मी के मौसम में आप अपनी बॉडी को जितना हाईड्रेट रखेंगे, उतना ही सेहत के लिए अच्छा है। शरीर को हाइड्रेट रखने के लिए ककड़ी बहुत अच्छा ऑप्शन है।इसमें कैल्शियम, फास्फोरस, सोडियम तथा मैग्नीशियम पाया जाता है। कम पैसों में आने वाली ककड़ी बड़े-बड़े समस्याओं का समाधान कर सकती है।

बात करते हैं ककड़ी का सेवन किस तरह आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।

पथरी की समस्या

ककड़ी खाने से शरीर के विषैले पदार्थो का खात्मा होता है। अगर आपको पथरी की समस्या है तो ककड़ी का नियमित रूप से सेवन करें। इससे पथरी की समस्या बहुत हद तक कम हो जाती है। ककड़ी में मौजूद पानी शरीर में मौजूद अपशिष्ट पदार्थो को बाहर निकालता है।

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मोटापा घटाने में मददगार

यदि आपको ज्यादा भूख लगती है और आपका वजन दिन पर दिन बढ़ रहा है तो ककड़ी आपके लिए फायदेमंद साबित होगी। भूख लगने पर ककड़ी का सेवन कीजिए। इसमें पर्याप्त मात्रा में पानी और फाइबर पाया जाता है, जबकि कैलोरी की मात्रा इसमें नहीं होती। इसके सेवन से वजन नियंत्रित रहेगा।

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पानी की कमी दूर करने में सहायक

ककड़ी में खीरे की अपेक्षा जल की मात्रा ज्यादा होती है। इसके सेवन से तेज गर्मी में भी शरीर तर रहता है। यह शरीर से गंदगी को बाहर निकालती है। इस मौसम में खीरे, खरबूजे और तरबूज के सेवन से भी पानी की कमी दूर होती है।

पाचनशक्ति बढ़ती है

गर्मियों में ककड़ी का सेवन पेट संबंधी रोगों से छुटकारा दिलाने के साथ ही पाचन शक्ति भी बढ़ाता है। यह पित्त से उत्पन्न होने वाले दोषों को भी दूर करती है। यह कब्ज, एसिडिटी, सीने में जलन या गैस्‍ट्रिक की समस्या को भी ठीक करती है।

मस्तिष्क की गर्मी दूर भगाएं

ककड़ी के बीज भी बहुत फायदेमंद होते हैं। इसके बीज मस्तिष्क की गर्मी को दूर करने में मददगार होते हैं। इसके सेवन से बौखलाहट, चिड़चिड़ापन और उन्माद आदि मानसिक विकार दूर होते हैं। मस्तिष्क की गर्मी मिटाने और इसे ठंडक पहुंचाने के लिए ककड़ी के बीज को ठंडाई के रूप में भी इस्तेमाल करते है।

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डायबिटीज और कोलेस्‍ट्रॉल कंट्रोल

ककड़ी के सेवन से डायबिटीज और कोलेस्‍ट्रॉल की मात्रा सामान्‍य रहती हैं। ककड़ी का सेवन इन्‍सुलिन के लेवल को कंट्रोल करता है। साथ ही ककड़ी में स्‍टीरॉल भी पाया जाता है जो कोलेस्‍ट्रॉल लेवल को भी कम करता है।

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बालों के लिए लाभकारी

ककड़ी का नियमित रूप से सेवन करने से छोटे बाल बड़े हो जाते हैं। इसमें सिलिकॉन और सल्फर की मात्रा होती है। सिलिकॉन और सल्फर बालों की लंबाई बढ़ाने में सहायक हैं। ककड़ी, गाजर और पालक का जूस मिलाकर पीने से बालों की लंबाई बढ़ेगी। ककड़ी के रस से बाल धोना भी लाभकारी होगा।

त्वचा के लिए फायदेमंद

चेहरे की त्वचा चिकनी हो तो चेहरे पर ककड़ी रगड़ कर पानी से धोयें। इससे चेहरे की चिकनाई दूर हो जाएगी। ककड़ी का रस चेहरे पर लगाने से दाग धब्बे साफ हो जाते हैं। इसका रस लगाने से मुंह, हाथ व पैर कम फटते हैं और आप खूबसूरत लगते हैं।

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तरबूज में छिपा है कई बीमारियों का इलाज

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गर्मी के मौसम का आकर्षक और आवश्यक फल है तरबूज। आवश्यक इसलिए क्योंकि यह शरीर में पानी की कमी को पूरा करता है । इस मौसम में हमें वही फल ज्यादा खाने चाहिए जो शरीर में पानी की आपूर्ति भी करते रहें । तरबूज रक्तचाप को संतुलित रखता है और कई बीमारियाँ दूर करता है । इसके और भी फायदे हैं जैसे : खाना खाने के उपरांत तरबूज का रस पीने से भोजन शीघ्र पच जाता है। इससे नींद भी अच्छी आती है। इसके रस से लू लगने का अंदेशा भी नहीं रहता। मोटापा कम करने वालों के लिए यह उत्तम आहार है।

पोलियो रोगियों को तरबूज का सेवन करना बहुत लाभकारी रहता है, क्योंकि यह खून को बढ़ाता है और उसे साफ भी करता है। त्वचा रोगों के लिए यह फायदेमंद है। तपती गर्मी में जब सिरदर्द होने लगे तो तरबूज के आधा गिलास रस को पानी में मिलाकर पीना चाहिए।

दिल को स्वस्थ रखता है

तरबूज में कई बायोएक्टिव कम्पाउन्ड जैसे सिट्रुलीन नाम का एमिनो एसिड होता है जो मेटाबॉलाइज़्ड होकर आर्जनीन में बदल जाता है। आर्जनीन का इस्तेमाल नाइट्रिक ऑक्साइड नामक यौगिक के बनने में होता है जो हृदय के सही तरह से काम करने में अहम् भूमिका निभाता है। यह रक्त में कोलेस्ट्रोल के लेवल को कम करके हृदय को स्वस्थ रखने में मदद करता है। इसमें उच्च मात्रा में पोटैशियम भी होता है जो हाइपरटेनशन को नियंत्रित करके हृदय रोग होने के खतरे को कम करता है।

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वज़न घटाने में मदद करता है

अगर वज़न घटाने के लिए डायटिंग कर रहे हैं तो दिल खोलकर तरबूज का लुत्फ़ उठाइए। क्योंकि इसमें पानी के साथ-साथ फाइबर प्रचुर मात्रा में होते हैं जिससे पेट देर तक संतृप्त भी रहता है और कमजोरी भी महसूस नहीं होती है।

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प्रतिरक्षी क्षमता  को उन्नत करता है

तरबूज जो विटामिन ए, सी, बी-6 और मिनरल होते हैं वे प्रतिरक्षी क्षमता को उन्नत करने में मदद करते हैं। इससे शरीर अनेक प्रकार के रोगों से स्वयं ही लड़ पाता है।

बुद्धि को तेज करता है

तरबूज में जो विटामिन बी-6 होता है वह बुद्धि को प्रखर करने में सहायता करता है। जो स्टूडेंट्स अपना ज़्यादातर समय पढ़ने में लगाते हैं उनके लिए यह उपयोगी होता है।

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कैंसर होने की संभवना को कम करता है

तरबूज में ल्यूटीन, लाइकोपेन, बीटा-कैरोटीन, क्रीपटोजैक्थीन होते हैं जो फ्री-रैडिकल्स से सेलुलर डी.एन.ए. को होने वाले क्षति से बचाकर कैंसर होने के संभावना को कम करने में मदद करता है।

किडनी को स्वस्थ रखता है

तरबूज नैचरल डिटॉक्सफाईंग एजेन्ट का काम करता है। इसमें पानी और मिनरल उच्च मात्रा में होता है जो शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालकर किडनी को स्वस्थ रखने में मदद करता है।

यौन शक्ति को बढ़ाता है

तरबूज वियाग्रा दवा जैसा काम करता है, इसलिए जिन्हें इरेक्टाइल डिसफंक्शन जैसी समस्या होती है उनके लिए ये मददगार साबित होता है।

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आँखों को स्वस्थ रखता है

तरबूज में जो बीटा कैरोटीन होता है उसको शरीर विटामिन ए में बदल देता है। जो आँखों को स्वस्थ रखने के लिए बहुत ज़रूरी होता है। साथ ही बढ़ते उम्र में होने वाली रतौंधी  या मैक्युलर डिजनरेशन के होने की संभावना को रोकने में भी मदद करता है।

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पेशाब में जलन

पेशाब में जलन हो तो ओस या बर्फ में रखे हुए तरबूज का रस निकालकर सुबह शकर मिलाकर पीने से लाभ होता है।

सौंदर्य निखरता है

गर्मी में नित्य तरबूज का ठंडा-ठंडा शरबत पीने से शरीर को शीतलता तो मिलती ही है, चेहरे पर गुलाबी-गुलाबी आभा भी दमकने लगती है। इसके लाल गूदेदार छिल्कों को हाथ-पैर, गर्दन व चेहरे पर रगड़ने से सौंदर्य निखरता है।

सूखी खाँसी

सूखी खाँसी में तरबूज खाने से खाँसी का बार-बार चलना बंद होता है।

खाना खाने के उपरांत तरबूज का रस पीने से भोजन शीघ्र पच जाता है। इससे नींद भी अच्छी आती है। इसके रस से लू लगने का अंदेशा भी नहीं रहता।

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