गठिया और जोड़ों का दर्द यानी अर्थराइटिस ऐसी बीमारी है,जिसके होने की कोई निश्चित वजह बता पाना बहुत ही मुश्किल है। जब हड्डियों के जोडो़ में यूरिक एसिड जमा हो जाता है तो वह गठिया का रूप ले लेता है। यूरिक एसिड कई तरह के आहारों को खाने से बनता है। रोगी के एक या कई जोड़ों में दर्द, अकड़न या सूजन आ जाती है। इस रोग में जोड़ों में गांठें बन जाती हैं और शूल चुभने जैसी पीड़ा होती है, इसलिए इस रोग को गठिया कहते हैं।
लोबान या धूप (Frankincense) का भारत में एयर फ्रेशनर के रूप में और पूजा-पाठ में इस्तेमाल किया जाता है। बोसवेलिया सेराटा पेड़ की छाल से बनने वाली धूप का उपयोग परफ्यूम और एसेंशियल ऑयल के लिए भी किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इसके धुएं को सूंघना स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है।
धूप में एंटी-इन्फ्लैमटोरी गुण होते हैं और ये गठिया के दर्द से राहत के लिए उपयोगी है। जर्नल आर्थ्राइटिस रिसर्च एंड थेरेपी में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, कुछ लोगों को बोसवेलिया सेराटा पेड़ का रस दिया गया। शोधकर्ताओं ने पाया कि इन लोगों को जोड़ों के दर्द में राहत मिली थी और सात दिन के भीतर दर्द से छुटकारा मिला था। धूप में 3-ओ एसिटाइल-11-कीटो-बीटा-बोस्वेल्लिक एसिड यौगिक होते हैं, जो बेचैनी और दर्द को कम करने में सहायक हैं। शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला है कि धूप का रस जोड़ों के बीच मौजूद कार्टिलेज यानि नरम हड्डी को खराब होने से रोकता है।
धूप की गोलियां और और कैप्सूल बाजार में उपलब्ध होते हैं। लेकिन ध्यान रहे कि गठिया के इलाज के लिए ये हर्बल उपचारों में से एक है। इसलिए इसका इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर की सलाह ज़रूर लें।
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