पेचिश (मरोड़ या आंव) का 100% सफल घरेलू आयुर्वेदिक उपचार

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जब मल त्याग करते समय या उससे कुछ समय पहले अंतड़ियों में दर्द, टीस या ऐंठन की शिकायत हो तो समझ लेना चाहिए कि यह पेचिश का रोग है| इस रोग में पेट में विकारों के कारण अंतड़ी के नीचे की तरफ कुछ सूजन आ जाती है| उस हालत में मल के साथ आंव या खून आने लगता है| यदि मरोड़ के साथ खून भी आए तो इसे रक्तातिसार कहते हैं| एक प्रकार का जीवाणु आंतों में चला जाता है जो पेचिश की बीमारी पैदा कर देता है| यह रोग पेट में विभिन्न दोषों के कुपित होने की वजह से हो जाता है|

कारण – यह रोग मक्खियों से फैलता है| रोग के जीवाणु रोगी के मल में मौजूद रहते हैं| जब कभी पेचिश का रोगी खुल में मॉल त्याग करता है तो उस पर मक्खियां आकर बैठ जाती हैं| वे उन जीवाणुओं को अपने साथ ले जाती हैं और खुली हुई खाने-पीने की चीजों पर छोड़ देती हैं| फिर जो व्यक्ति उन वस्तुओं को खाता है, उनके साथ वे जीवाणु उसके पेट में चले जाते हैं| इस तरह उस व्यक्ति को भी पेचिश की बीमारी हो जाती है| यदि कच्चा और कम पचा भोजन भी पेट में कुछ समय तक पड़ा रहता है तो वह सड़कर पाचन संस्थान में घाव पैदा कर देता है| इससे भी आंव का रोग हो जाता है|

पहचान – शुरू में नाभि के पास तथा अंतड़ियों में दर्द होता है| लगता है, जैसे कोई चाकू से आंतों को काट रहा है| इसके बाद गुदा द्वार से पतला, लेसदार और दुर्गंधयुक्त मल बाहर निकलना शुरू हो जाता है| पेट हर समय तना रहता है| बार-बार पाखाना आता है| मल बहुत थोड़ी मात्रा में निकलता है जिसमें आंव और खून मिला होता है| कभी-कभी बुखार भी आ जाता है|

पेचिश (मरोड़ या आंव) के घरेलु नुस्खे इस प्रकार हैं:

केला

केले की फली को बीच से तोड़कर उसमें एक चम्मच कच्ची खांड़ रखकर खाएं| एक बार में दो केले से अधिक न खाएं|

अनार और पपीता

पेचिश होने पर आधे कप अनार के रस में चार चम्मच पपीते का रस मिलाकर पिएं|

सोंठ

पुरानी पेचिश में आधा चम्मच सोंठ का चूर्ण गुनगुने पानी के साथ लें|

नीबू और मेथी

पेचिश रोग में नीबू की शिकंजी या दही के साथ जरा-सी मेथी का चूर्ण बहुत लाभदयक है|

सेब और कालीमिर्च

सेब के छिलके में जरा-सी कालीमिर्च डालकर चटनी पीस लें| इस चटनी को सुबह-शाम भोजन के बाद सेवन करें|

सौंफ

सौंफ का पानी दिनभर में तीन-चार बार पीने से काफी लाभ होता है|

सूखा पुदीना, अजवायन, सेंधा नमक, इलायची और मट्ठा

10 ग्राम सूखा पुदीना, 10 ग्राम अजवायन, एक चुटकी सेंधा नमक और दो बड़ी इलायची के दाने-इन सबको पीसकर चूर्ण बना लें| सुबह-शाम भोजन के बाद एक-एक चम्मच चूर्ण मट्ठे या ताजे पानी के साथ लें|

जामुन, मिश्री और गुलाबजल

दो चम्मच जामुन का रस और दो श्म्म्च गुलाबजल – दोनों को मिलाकर उसमें जरा-सी खांड़ या मिश्री डालकर तीन-चार दिन तक पिएं|

कालीमिर्च और गुनगुना पानी

चार-पांच कालीमिर्च मुख में रखकर चूसें| थोड़ी देर बाद आधा गिलास गुनगुना पानी पी लें|

जामुन और शहद

जामुन के पेड़ की छाल 25 ग्राम की मात्र में लेकर सुखा लें| फिर उसका काढ़ा बनाएं| ठंडा होने पर दो चम्मच शहद मिलाकर पी जाएं|

गाजर

पुरानी पेचिश में तीन-चार दिन तक काली गाजर का रस सुबह-शाम भोजन के बाद सेवन करें|

आम, दही और मट्ठा

आम की गुठली को सुखा लें| फिर उसमें से गिरी निकालकर पीसें| दो चम्मच चूर्ण दही या मट्ठे के साथ सेवन करें|

अजवायन, सूखा पूदीना, इलायची और पानी

अजवायन, सूखा पूदीना और बड़ी इलायची 10-10 ग्राम लेकर चूर्ण बना लें| भोजन के बाद आधा चम्मच चूर्ण पानी के साथ सेवन करें|

मट्ठा और जावित्री

खूनी पेचिश में मट्ठे के साथ एक चुटकी जावित्री लेने से भी काफी लाभ होता है|

सौंफ, मिश्री और धनिया

अनारदाता, सौंफ तथा धनिया – इन तीनों को 100-100 ग्राम की मात्र में कूट-पीसकर चूर्ण बना लें| फिर इसमें थोड़ी-सी मिश्री मिलाकर दिनभर में चारनीम की सात-आठ कोंपलें मिश्री के साथ सेवन करें|

सफेद राल और मिश्री

रोज भोजन के बाद 1 ग्राम सफेद राल का चूर्ण मिश्री मिलाकर लें|

सौंफ और चीनी

सौंफ का तेल 5-6 बूंदें एक चम्मच चीनी में रोज दिन में चार बार लें|

केला, जीरा और कालीमिर्च

कच्चे केले का रस एक चम्मच सुबह और एक चम्मच शाम को जीरा था कालीमिर्च के साथ सेवन करें|

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गरम पानी और बबूल गोंद

एक कप गरम पानी में 10 ग्राम बबूल का गोंद डाल दें| थोड़ी देर बाद जब बबूल फूल जाए तो पानी में मथकर सेवन करें|

ईसबगोल, सोंठ, जीरा और दूध

एक चम्मच ईसबगोल की भूसी 250 ग्राम दूध में भिगो दें| जब भूसी फूल जाए तो रात जरा-सी सोंठ और जरा-सा जीरा मिलाकर सेवन करें|

अदरक और सेंधा नमक

पुराने आंव को ठीक करने के लिए प्रतिदिन सुबह बिना कुछ खाए-पिए दो चम्मच अदरक का रस जरा-सा सेंधा नमक डालकर सेवन करें|

हरड़, घी और सौंफ

छोटी हरड़ का चूर्ण घी में तल लें| फिर वह चूर्ण एक चुटकी और 4 ग्राम सौंफ का चूर्ण मिलाकर दें|

पेचिश (मरोड़ या आंव) में क्या खाएं क्या नहीं

बासी भोजन, मिर्च-मसालेदार पदार्थ, देर से पचने वाली चीजें, चना, मटर, मूंग आदि का सेवन न करें| वायु बनाने वाले पदार्थ खाने से भी पेचिश में आराम नहीं मिलता| अत: बेसन, मेदा, आलू, गोभी, टमाटर, बैंगन, भिण्डी, करेला, टिण्डे आदि नहीं खाना चाहिए| रोगी को भूख लगने पर मट्ठे के साथ मूंग की दाल की खिचड़ी दें| पानी में नीबू निचोड़कर दिनभर में चार गिलास पानी पिएं| इससे पेचिश के कारण होने वाली पेट की खुश्की दूर होती रहेगी| भोजन के साथ पतला दही, छाछ, मट्ठा आदि अवश्य लें| सुबह-शाम खुली हवा में टहलें| स्नान करने से पहले सरसों या तिली के तेल की शरीर में मालिश अवश्य करें| रात को सोते समय दूध के साथ ईसबगोल की भूसी एक चम्मच की मात्रा में लेने से सुबह सारा आंव निकल जाता है|

इस वेबसाइट में जो भी जानकारिया दी जा रही हैं, वो हमारे घरों में सदियों से अपनाये जाने वाले घरेल नुस्खे हैं जो हमारी दादी नानी या बड़े बुज़ुर्ग अक्सर ही इस्तेमाल किया करते थे, आज कल हम भाग दौड़ भरी ज़िंदगी में इन सब को भूल गए हैं और छोटी मोटी बीमारी के लिए बिना डॉक्टर की सलाह से तुरंत गोली खा कर अपने शरीर को खराब कर देते हैं। तो ये वेबसाइट बस उसी भूले बिसरे ज्ञान को आगे बढ़ाने के लक्षय से बनाई गयी है। आप कोई भी उपचार करने से पहले अपने डॉक्टर से या वैद से परामर्श ज़रूर कर ले। यहाँ पर हम दवाएं नहीं बता रहे, हम सिर्फ घरेलु नुस्खे बता रहे हैं। कई बार एक ही घरेलु नुस्खा दो व्यक्तियों के लिए अलग अलग परिणाम देता हैं। इसलिए अपनी प्रकृति को जानते हुए उसके बाद ही कोई प्रयोग करे। इसके लिए आप अपने वैद से या डॉक्टर से संपर्क ज़रूर करे।

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