80 साल के बुढ़ापे में भी घुटने घोड़े जैसे मज़बूत और चिकनाई युक्त रहेंगे, जीवन में कभी नही होगा गठिया

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अर्थराइटिस दो प्रकार का होता है. तो दोस्तों अगर अपमे से किसीको अर्थराइटिस की शिकायत है या फिर डॉक्टर ने बेड रेस्ट के लिए बोल दिया  है, तो आप घबराईये मत क्यों की राजीव जी ने इसका सस्ता एवं बेस्ट इलाज़ ढूँढ लिया है। अर्थराइटिस के मरीजों को कई बार हद से ज्यादा तकलीफ भी हो सकती है. बहुत सरे इसे लोग भी है, जिनको 20 साल से तकलीफ है. ऐसे भी कंडीशन हो सकती है कि वह दो कदम भी न चल सके, हाथ भी ना हिला सके. उनको इतना दर्द होता है तो वह लेटे रहते हैं बेड पर और करवट भी नहीं बदल पाते. इस कंडीशन के मरीजों के लिए एक स्पेशल मेडिसिन है जो की एक पेड़ से बनती है. उस पेड़ का नाम है “हार सिंगार पेड़”. संस्कृत में इसको पारिजात भी कहा जाता है. इस पेड़ में सफेद रंग के फूल आते है और नारंगी रंग की डंडी रहती है. फूल में बहुत तेज खुशबू आती है.  रात को ही यह फूल खिलते हैं. सुबह जब आप उठेंगे तो यह आपको नीचे जमीन पर गिरे हुए मिलेंगे।

हारसिंगार के पेड़ बहुत बड़े नहीं होते हैं। इसमें गोल बीज आते हैं। इसके फूल अत्यन्त सुकुमार और बड़े ही सुगन्धित होते हैं। पेड़ को हिलाने से वे नीचे गिर पड़ते हैं। वायु के साथ जब दूर से इन फूलों की सुगन्ध आती है, तब मन बहुत ही प्रसन्न और आनन्दित होता है। इसे संस्कृत में पारिजात कहते है, बंगला में शिउली कहते है , उस पेड़ पर छोटे छोटे सफ़ेद फूल आते है, और फूल की डंडी नारंगी रंग की होती है, और उसमे खुसबू बहुत आती है, रात को फूल खिलते है और सुबह जमीन में गिर जाते है। हारसिंहार ठण्डा और रूखा होता है। मगर कोई-कोई गरम होता है।

पारिजात वृक्ष को लेकर गहन अध्ययन कर चुके रूड़की के कुंवर हरिसिंह के अनुसार यूँ तो परिजात वृक्ष की प्रजाति भारत में नहीं पाई जाती, लेकिन भारत में एक मात्र पारिजात वृक्ष आज भी उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जनपद के अंतर्गत रामनगर क्षेत्र के गाँव बोरोलिया में मौजूद है। लगभग 50 फीट तने व 45 फीट उँचाई के इस वृक्ष की अधिकांश शाखाएँ भूमि की ओर मुड़ जाती हैं और धरती को छुते ही सूख जाती हैं। एक साल में सिर्फ़ एक बार जून माह में सफ़ेद व पीले रंग के फूलों से सुसज्जित होने वाला यह वृक्ष न सिर्फ़ खुशबू बिखेरता है, बल्कि देखने में भी सुन्दर है। आयु की दृष्टि से एक हज़ार से पाँच हज़ार वर्ष तक जीवित रहने वाले इस वृक्ष को वनस्पति शास्त्री एडोसोनिया वर्ग का मानते हैं, जिसकी दुनिया भर में सिर्फ़ पाँच प्रजातियाँ पाई जाती हैं। इनमें से एक ‘डिजाहाट’ है। पारिजात वृक्ष इसी डिजाहाट प्रजाति का है।

हर सिंगार अर्थात परिजात से अर्थराइटिस या गठिया और जोड़ो के दर्द का अद्भुत उपाय

  • इस पेड़ के पत्तों में से 6 से 7 पत्ते लेने है. अब इनको एक बार में पीसना है. अब इसको एक गिलास पानी में मिलाकर उस को गर्म करना है. याद रखिये कि पानी को और उतना ही गर्म करना है कि पानी आधा हो जाए. फिर इसको ठंडा करके पीना है और यह सवेरे ही पीना है. इसलिए बेहतर होगा कि आप इसको रात को बनाकर रख दीजिए और सवेरे उठकर खाली पेट पी लीजिए और पिला दीजिए. जिनको भी पुराना जोड़ों का दर्द है, या जिनको बहुत तकलीफ है चल नहीं सकते हैं, बैठ नहीं सकते हैं, यह उन सब के लिए अमृत की तरह से काम करता है. आप इसको 3 महीने लगातार पीये और फिर ब्रेक लगा दें।
  • राजीव जी ने बताया कि, “मैंने इसमें देखा है ज्यादातर केस एक से डेढ़ महीने में ही ठीक हो जातें है. 3 महीने तक तो बहुत रियर कैस जिनको लेना पड़ता है.” इसके इलावा इसका और एक यूज़ है, कि अर्थराइटिस के अलावे अगर आपको डेंगू हो गया हो तो इससे ठीक हो सकता है. डेंगू में बुखार आता है और शरीर बुरी तरह से दर्द होता है. बुखार कई बार चला जाता है लेकिन दर्द नहीं जाता. उसमें भी इसी को इस्तेमाल करें. इसी तरह से बस इतना है कि डेंगू के केस में 15 से 20 दिन ही लेना पड़ेगा लेकिन अर्थराइटिस में डेढ़ दो महीने तक लेना पड़ेगा.
  • परिजात का पेड़ जिस में सफेद फूल लगते हैं छोटे-छोटे नारंगी रंग के डंडी होती है इसके पहचान करने की एक और तरीका है कि इसके पत्ते में हल्के हल्के कांटे होते हैं. यह दुकान पर नहीं मिलेगा. इसमें आप पूछेंगे की फिल्टर करके पानी में मिला कर पीना है क्या? तो जवाब ये है कि बिना फिल्टर किए पिएंगे तो जल्दी ठीक होगा फिल्टर करके पिएंगे तो परिणाम देर से आएगा.
  • इस बीमारी के लिए जो मेडिसिन आप ले रहे हैं, उसको रोक दीजिए. इसको इस्तेमाल करिये, आपको हंड्रेड परसेंट रिजल्ट आएगा.  एक भी पेशेंट आज तक ऐसा नही है जिसको इन पत्तों से फायदा न हुआ हो. ऐसा किसी भी तरह का बुखार जिसमें जोड़ों का दर्द आ जाए और जल्दी ठीक ना हो तो आप इसको यूज कर सकते हैं. यह इतनी स्ट्रांग दवा है कि यह अकेले ही दी जाती है इसके साथ और कुछ नहीं लेना पड़ता. और इस दवा का इस्तेमाल आप एक और बीमारी में कर सकते हैं वह है, आर ए फैक्टर. जिसमे डॉक्टर कहता है इसके ठीक होने की कोई चांस नहीं है घुटने के जोड़ आपको बदलने ही पड़ेंगे नी जॉइंट्स आपको रिप्लेस करने ही पड़ेंगे. जिनको यह नौबत आ गई हो उन सबके लिए यह दवा है कभी भी जॉइंट्स को रिप्लेस मत करवाइए. कितना भी अच्छा डॉक्टर क्यों ना हो कितनी भी बड़ी गारंटी दे कभी भी मत कीजियेगा. बीएस इस दवा पर भरोसा रखिये आप पक्का ठीक हो जायेंगे।

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पारिजात या हरसिंगार के 14 अन्य चमत्कारिक फायदे

गठिया

पारिजात पेड़ के पांच पत्ते तोड़ के पत्थर में पिस ले और चटनी बनाइये फिर एक ग्लास पानी में इतना गरम कीजिये की पानी आधा हो जाये फिर इसको ठंडा करके पीजिये तो बीस-बीस साल पुराना गठिया का दर्द ठीक हो जाता है।

घुटनों की चिकनाई

अगर घुटनों की चिकनाई (Smoothness) हो गई हो और जोड़ो के दर्द में किसी भी प्रकार की दवा से आराम ना मिलता हो तो ऐसे लोग हारसिंगार (पारिजात) पेड़ के 10-12 पत्तों को पत्थर पे कूटकर एक गिलास पानी में उबालें-जब पानी एक चौथाई बच जाए तो बिना छाने ही ठंडा करके पी लें- इस प्रकार 90 दिन में चिकनाई पूरी तरह वापिस बन जाएगी। अगर कुछ कमी रह जाए तो फिर एक माह का अंतर देकर फिर से 90 दिन तक इसी क्रम को दोहराएँ निश्चित लाभ की प्राप्ति होती है।

साइटिका

हारसिंगार या पारिजात के पत्तों को धीमी आंच पर उबालकर काढ़ा बना लें। इसे साइटिका के रोगी को सेवन कराने से लाभ मिलता है। यह बंद रक्त की नाड़ियों को खोल देता है यही कारण है की ये साइटिका में कारगर है।

खुजली

हारसिंगार के पत्ते और नाचकी का आटा मिलाकर पीसकर लगाने या दही में सोनागेरू घिसकर पिलाने या हरसिंगार के पत्ते दूध में पीसकर लेप करने से लाभ मिलता है।

बालों का झड़ना या गंजेपन का रोग

हारसिंगार के बीज को पानी के साथ पीसकर सिर के गंजेपन की जगह लगाने से सिर में नये बाल आना शुरू हो जाते हैं। जड़ो से नये बाल फूटने लगते है।

क्रोनिक बुखार

पारिजात की कोंपल को यदि पाँच काली मिर्च के साथ महिलाएँ सेवन करें तो महिलाओं को स्त्री रोग में लाभ मिलता है। वहीं पारिजात के बीज जहाँ बालों के लिए शीरप का काम करते हैं तो इसकी पत्तियों का जूस क्रोनिक बुखार को ठीक कर देता है।

चिकनगुनिया का बुखार, डेंगू फीवर, Encephalitis , ब्रेन मलेरिया

इस के पत्ते को पीस कर गरम पानी में डाल के पीजिये तो बुखार ठीक कर देता है और जो बुखार किसी दवा से ठीक नही होता वो इससे ठीक होता है; जैसे चिकनगुनिया का बुखार, डेंगू फीवर, Encephalitis , ब्रेन मलेरिया, ये सभी ठीक होते है। हारसिंगार के 7-8 पत्तों का रस, अदरक का रस और शहद को मिलाकर सुबह और शाम सेवन करने से पुराने से पुराना मलेरिया बुखार समाप्त हो जाता है।

बवासीर

पारिजात बवासीर के निदान के लिए रामबाण औषधी है। इसके एक बीज का सेवन प्रतिदिन किया जाये तो बवासीर रोग ठीक हो जाता है। पारिजात के बीज का लेप बनाकर गुदा पर लगाने से बवासीर के रोगी को राहत मिलती है।

यकृत या लिवर

7-8 हारसिंगार के पत्तों के रस को अदरक के रस और शहद के सुबह-शाम सेवन करने से यकृत और प्लीहा (तिल्ली) की वृद्धि ठीक हो जाती है।

हृदय रोग

इसके फूल हृदय के लिए भी उत्तम औषधी माने जाते हैं। वर्ष में एक माह पारिजात पर फूल आने पर यदि इन फूलों का या फिर फूलों के रस का सेवन किया जाए तो हृदय रोग से बचा जा सकता है।

दाद

हारसिंगार की पत्तियों को पीसकर लगाने से दाद ठीक हो जाता है। दाद में ये बहुत चमत्कारी औषिधि है।

सूखी खाँसी

इतना ही नहीं पारिजात की पत्तियों को पीस कर शहद में मिलाकर सेवन करने से सूखी खाँसी ठीक हो जाती है।

त्वचा रोगों में

इसी तरह पारिजात की पत्तियों को पीसकर त्वचा पर लगाने से त्वचा संबंधि रोग ठीक हो जाते हैं। पारिजात की पत्तियों से बने हर्बल तेल का भी त्वचा रोगों में भरपूर इस्तेमाल किया जाता है।

श्वास या दमा का रोग

हारसिंगार की छाल का चूर्ण 1 से 2 रत्ती पान में रखकर प्रतिदिन 3-4 बार खाने से कफ का चिपचिपापन कम होकर श्वास रोग (दमा) में लाभकारी होता है।

 

कृपया ध्यान रहे  

हारसिंहार खांसी में नुकसानदायक है। हारसिंगार के दोषों को दूर करने के लिए कुटकी का उपयोग किया जाता है।

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इस वेबसाइट में जो भी जानकारिया दी जा रही हैं, वो हमारे घरों में सदियों से अपनाये जाने वाले घरेल नुस्खे हैं जो हमारी दादी नानी या बड़े बुज़ुर्ग अक्सर ही इस्तेमाल किया करते थे, आज कल हम भाग दौड़ भरी ज़िंदगी में इन सब को भूल गए हैं और छोटी मोटी बीमारी के लिए बिना डॉक्टर की सलाह से तुरंत गोली खा कर अपने शरीर को खराब कर देते हैं। तो ये वेबसाइट बस उसी भूले बिसरे ज्ञान को आगे बढ़ाने के लक्षय से बनाई गयी है। आप कोई भी उपचार करने से पहले अपने डॉक्टर से या वैद से परामर्श ज़रूर कर ले। यहाँ पर हम दवाएं नहीं बता रहे, हम सिर्फ घरेलु नुस्खे बता रहे हैं। कई बार एक ही घरेलु नुस्खा दो व्यक्तियों के लिए अलग अलग परिणाम देता हैं। इसलिए अपनी प्रकृति को जानते हुए उसके बाद ही कोई प्रयोग करे। इसके लिए आप अपने वैद से या डॉक्टर से संपर्क ज़रूर करे।

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