डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, सफ़ेद बाल और कैंसर को सही कर देगा ये पौधा

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दोस्तों आज हम आपको एक ऐसे पौधे के बारे में बताने जा रहें हैं जो दिखने में हमारे चारों तरफ कही भी मिल जाता है, मगर इसके गुण ना मालूम होने के कारण इसको खरपतवार की श्रेणी में रख कर इसको उखाड़ कर फेंक दिया जाता है. मगर ये साधारण सा दिखने वाला पौधा कैंसर डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर के लिए अत्यंत फायदेमंद है. तो आइये जानते हैं इस पौधे के बारे में.

इस पौधे का नाम है सदाबहार – इसको सदाबहार इसलिए कहा गया है क्यूंकि ये 12 महीने पुरे वर्ष फूल आते हैं, इसलिए इसको बारह मासी, सदपुश्पा भी कहा जाता है. 

विभिन्न भाषाओँ में सदाबहार के नाम –

संस्कृत – सदापुष्पा, नित्य कल्याणी sadapushpa, nitya kalyani

हिंदी – सदाबहार, सदा सुहागिन, सदा सुहागी sadabahar, sada suhagin

उड़िया – ऐन्स्काटी Ainskati

कन्नड़ – सदापुश्पिया, कानिगालू sadapushpia, kanigalu

गुजराती – बारहमासी barahmasi

तमिल – सुद्कदु मल्लिकई Sudukadu mallikai

तेलुगु – बिल्लागन्नेरू Billaganneru

बंगाली – गुल्फेरिंघी, नयनतारा, त्रिनरासना Gulfernghi, Nayantara, Trinrasna

नेपाली – सदाबहार Sadabahar

मराठी – सदाफूल sadaphool

मलयालम – उशामलारी ushamalari

अंग्रेजी – मेडागास्कर पेरिविन्क्ल, ओल्ड मैड, इंडियन पेरिविन्क्ल, विनका, रोज़ पेरिविन्क्ल Madagascar Periwinkle, Old maid, Indian Periwinkle, Vinka, Rose periwinkle. इस साधारण से दिखने वाले पौधे को इसके गुणों के कारण संजीवनी भी बोला गया है. आइये जान लेते हैं इसके गुण और प्रयोग.

बाल झड़ने या सफेद में सदाबहार के फायदे

बाल झड़ने या सफेद होने जैसी परेशानी से लगभग सभी लोग परेशान हैं। इसलिए इसको कूट कर बालों में लगा लेने से बाल झड़ने जैसी परेशानी भी दूर हो जाती है।

डायबिटीज में सदाबहार के फायदे और उपयोग

सदाबहार के पुरे पौधे में लगभग 150 प्रकार के Alkaloid पाए जाते हैं. जिनका Hypoglycemic effect होता है. ये Effect रक्त में शुगर के लेवल के कम करने के लिए बेहद लाभकारी है. ये Alkaloid पैंक्रियास की बीटा सेल्स को शक्ति प्रदान करता है, जिस से Pancreas सही मात्रा से insulin निकालने लगता है. Insulin ही वो हॉर्मोन है जो ब्लड में शुगर की मात्र को संतुलित करके रखता है. इस लिए ये दोनों प्रकार के शुगर के रोगियों के लिए अत्यंत फायदेमंद है. डायबिटीज में इस पौधे के फूल पत्ते टहनी आदि का रस पी सकते हैं या इसकी चटनी बना कर खाएं या रात को 5 पत्ते एक गिलास पानी में भिगो कर रख दें और सुबह खाली पेट शौच के बाद इस पानी को पीजिये, और चटनी भी खाली पेट ही लेनी है. इसको करने के 10 दिन बाद अपनी शुगर जांच करवाएं. आपको निश्चित ही फायदा होगा.

हाई ब्लड प्रेशर में सदाबहार के फायदे और उपयोग

सदाबहार की जड़ में Ajmalicine and Serpentine नामक Alkaloid पाए जाते हैं, जो के Anti Hypertensive होते हैं. ये उच्च रक्तचाप के लिए अत्यंत प्रभावशाली है, इसकी जड़ को साफ़ करके सुबह चबा चबा कर के खा लीजिये, या फिर दातुन की तरह चबा चबा कर इसका रस पीते रहें और बाद में इसके अवशेष को फेंक दें. इसके साथ में आप सर्पगंधा की जड़ को भी इस्तेमाल कर सकते हैं. दोनों को मिला कर लेने से इसका रिजल्ट और भी अच्छा होगा. सर्पगंधा आप किसी पंसारी से ले लीजियेगा. अगर सर्पगंधा ना भी मिले तो भी आप अकेले सदाबहार की जड़ को उपयोग कर सकते हैं.

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कैंसर में सदाबहार के फायदे और उपयोग

सदाबहार की पत्तियों में दो Alkaloid पाए जाते हैं, vincristine and vinblastine. एलॉपथी में इन दोनों नामों से इंजेक्शन भी आते हैं जो मुख्यतः कैंसर के रोगियों को दिए जाते हैं.  ये कैंसर के कीमो थेरेपी के साथ मे दिया जाता है. कैन्सर के रोगियों को इसकी पत्तियों की चटनी बना कर नियमित दीजिये, अगर रोगी ऐसी हालत में हो जिसमे वो कुछ खा ना सके तो इसका रस निकाल कर दे दीजिये. ध्यान रहे के ये सुबह खाली पेट ही देना है शौच के बाद.

ध्यान देने योग्य बातें.

जब भी आप इस पौधे का इस्तेमाल करें तो ध्यान रहे के आप गुलाबी रंग या सफ़ेद रंग के फूलों वाले सदाबहार के पौधे को ही इस्तेमाल करें.

इस वेबसाइट में जो भी जानकारिया दी जा रही हैं, वो हमारे घरों में सदियों से अपनाये जाने वाले घरेल नुस्खे हैं जो हमारी दादी नानी या बड़े बुज़ुर्ग अक्सर ही इस्तेमाल किया करते थे, आज कल हम भाग दौड़ भरी ज़िंदगी में इन सब को भूल गए हैं और छोटी मोटी बीमारी के लिए बिना डॉक्टर की सलाह से तुरंत गोली खा कर अपने शरीर को खराब कर देते हैं। तो ये वेबसाइट बस उसी भूले बिसरे ज्ञान को आगे बढ़ाने के लक्षय से बनाई गयी है। आप कोई भी उपचार करने से पहले अपने डॉक्टर से या वैद से परामर्श ज़रूर कर ले। यहाँ पर हम दवाएं नहीं बता रहे, हम सिर्फ घरेलु नुस्खे बता रहे हैं। कई बार एक ही घरेलु नुस्खा दो व्यक्तियों के लिए अलग अलग परिणाम देता हैं। इसलिए अपनी प्रकृति को जानते हुए उसके बाद ही कोई प्रयोग करे। इसके लिए आप अपने वैद से या डॉक्टर से संपर्क ज़रूर करे।

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