आयुर्वेद के मुताबिक शरीर में वात यानी हवा, पित्त यानी भोजन को पचाने का रस और कफ यानी बलगम का दोष होता है। आयुर्वेद के अनुसार सिर से लेकर छाती के बीच तक के रोग कफ बिगड़ने से होते हैं। छाती के बीच से लेकर पेट और कमर के अंत तक में होने वाले रोग पित्त बिगड़ने के कारण होते हैं। और कमर से लेकर घुटने और पैरों के अंत तक होने वाले रोग वात बिगड़ने के कारण होते हैं।हर किसी में ये तीनों या फिर इनमें से कोई एक दोष पाया जाता है। भले ही आधुनिक चिकित्सा पद्धति इन दोषों को न मानती हो, लेकिन आयुर्वेद में इन दोषों को दूर कर शरीर को निरोगी बनाने के तमाम तरीके दिए गए हैं।सन्तुलित पित्त जहां शरीर को बल व बुद्धि देता है, वहीं यदि इसका सन्तुलन बिगड़ जाए तो कई रोग हो सकते है। पित्त के बढ़ जाने से त्वचा पर चकत्ते, हार्टबर्न, डायरिया, एसिडिटी, बालों का असमय सफेद या बाल पतले होना, नींद न आना, क्रोध, चिडचिडापन, बहुत अधिक पसीना आना, अर्थराइटिस, मुंहासों या हेपेटाइटिस आदि जैसी कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
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पित्त प्रकृति होने पर यह सलाह दी जाती है कि आप हर 2-3 घंटे बाद कुछ न कुछ खाएं ताकि आपके शरीर में अम्ल का स्तर न बढ़े। आयुर्वेद कहता है कि अगर पित्त का दोष है, तो आपको बादाम, हरी सब्जियां, बिना नमक वाला मक्खन, नारियल खाना चाहिए। ऐल्कलाइन खाद्य पदार्थ (क्षारीय खाद्य पदार्थ) जैसे फल, सब्जियां और अनाज खाएं। बहुत अधिक मटन आदि न खाएं और भरपूर पानी पीएं।जब शरीर में वायु तत्व सामान्य से ज्यादा हो जाता है, तो इसे वात दोष कहते हैं। अगर कोई रोग आपके शरीर को शाम के समय या देर रात परेशान कर रहा है, तो इसका अर्थ है कि उस रोग का कारण वात दोष है। मोटापा भी वात दोष के कारण होता है।वात दोष में त्रिफला को सबसे विश्वसनीय और प्रभावी उपचार माना जाता है। ये फल कब्ज में बहुत लाभकारी होते हैं। आप त्रिफला चाय या फिर आप त्रिफला को एक चौथाई चम्मच, आधा चम्मच धनिया के बीच, एक चौथाई चम्मच इलायची के दाने को पीस लें और इसे दिन में दो बार लें।
इसके अलावा वात दोष हो तो, दूध, दही पनीर, छाछ, मूंगफली और घी खाना चाहिए। अगर शरीर में कफ संतुलित होता है तो व्यक्ति का मन और दिमाग शांत रहता है। कफ दोष तीनों दोषों में सबसे धीमा और संतुलित माना जाता है। कफ आपके शरीर में त्वचा को नमी देने, जोड़ों को चिकना करने, लिबिडो बढ़ाने और इम्यूनिटी बढ़ाने में सहायक होता है। शरीर में कफ के असंतुलन के कई कारण होते हैं। आमतौर पर उन लोगों को कफ दोष का ज्यादा खतरा होता है जो दूध और दूध से बनी चीजों का अधिक सेवन करते हैं या मीठे का बहुत अधिक सेवन करते हैं। शरीर में कफ के असंतुलन को ठीक करने के लिए तीखे, कड़वे और गर्म खाद्य पदार्थों का सेवन करें। इसके अलावा उल्टी करने से पेट और छाती के कफ को निकालने में मदद मिलती है। उल्टी के लिए आप कड़वी आयुर्वेदिक दवाओं या नीम की पत्ती आदि खा सकते हैं। इसके अलावा कफ होने पर धूप में रहना अच्छा रहता है। ठंडी जगह पर आपको सामान्य से ज्यादा ठंड लग सकती है। इसके अलावा आप सुस्ती और आलस से बचें और थोड़ा टहलें, दौड़ें या स्विमिंग कर लें।
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Bhai heading jo dala hai waisa to kuch bataya hi nahi, please write as per heading