किडनी स्टोन में रामबाण है कुलथी की दाल, जाने कैसे इस्तेमाल करे

पथरी एक कष्‍टदायक रोग है। यह आमतौर से 30 से 60 वर्ष के आयु के व्यक्तियों में पाई जाती है और स्त्रियों की अपेक्षा पुरूषों में चार गुना अधिक पाई जाती है। आज भारत के प्रत्येक 2000 परिवारों में से एक परिवार इस पीड़ादायक स्थिति से पीड़ित है, लेकिन सबसे दु:खद बात यह है कि इनमें से कुछ प्रतिशत रोगी ही इसका सही से इलाज करवाते हैं। एलोपैथी में ऑपरेशन ही एक उपचार है। लेकिन कुलथी, इस रोग के लिए खास दवा है।

 

संकेत एवं लक्षण

भूख कम लगना, यूरिन में दिक्कत, हल्का बुखार व कमजोरी जैसे लक्षण पथरी के संकेत हैं। वैसे पथरी छोटी हो तो उसका कोई लक्षण या दर्द नहीं होता। पथरी जिस स्थान पर होती है उसी जगह पर दर्द होता है। जब पथरी किसी वजह से हिलती है तो काफी दर्द व उल्टी भी आ सकती है। कई बार यूरिन के साथ ब्लड आने लगता है।

मुख्य वजह व रोग का पुराना होना

सुश्रुत संहिता के अनुसार शरीर में दोष बढऩा, दिन में सोना, जंकफूड व अधिक भोजन करना, ज्यादा ठंडा या मीठा खाने से पथरी होती है। कमजोरी, थकावट, वजन घटना, भूख न लगना, खून की कमी, प्यास अधिक लगना, दिल में दर्द होना और उल्टी आना ये लक्षण लंबे समय तक बने रहें तो पथरी के पुराने होने का संकेत हो सकते हैं।

कुलथी दाल के बारे में

कुलथी उड़द के समान होती है। यह देखने में लाल रंग की होती है, इसकी दाल बना कर रोगी को दी जाती है। इसे पथरीनाशक बताया गया है। गुर्दे की पथरी और गॉल पित्‍ताशय की पथरी के लिए यह फायदेमंद औषधि है। आयुर्वेद में गुणधर्म के अनुसार कुलथी में विटामिन ए पाया जाता। यह शरीर में विटामिन ए की पूर्ति कर पथरी को रोकने में मददगार है। बाजार में यह किसी भी किराने की दुकान में आसानी से मिल जाती है।

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प्रभाव

कुलथी के सेवन से पथरी टूट कर या धुल कर छोटी होती है, जिससे पथरी सरलता से मूत्राशय में जाकर पेशाब के रास्‍ते से बाहर आ जाती है। मत्रल गुण होने के कारण इसके सेवन से पेशाब की मात्रा और गति बढ़ जाती है, जिससे रुके हुए पथरी कण पर दबाव ज्‍यादा पड़ने के कारण वह नीचे की ओर खिसक कर बाहर हो जाती है।

इस्‍तेमाल

1 सेंटीमीटर से छोटी पथरी में यह सफल औषधि है। 25 ग्राम कुलथी को 400 मिलीलीटर पानी शेष रहने पर 50-50 मिलीलीटर सुबह शाम एक माह रोगी को पिलाने से पेशाब के साथ निकल जाती है। लेने के पहले और बाद में अपनी जांच जरुर करवा लें, नतीजा सामने आ जाएगा। इसे अन्‍य दाल की तरह भी खाया जाता है। कुलथी 25 ग्राम लेकर मोटी-मोटी दरदरी कूटकर 16 गुने पानी में पकाएं, चौथा भाग पानी शेष रहने पर उतारकर छान लें, इसमें से 50 मिलीलीटर सुबह शाम लेते रहें। इसमें थोड़ा सेंधा नमक भी मिला दें।

पथरी दुबारा न हो

जिस व्‍यकित को पथरी एक बार हो जाती है, उसे फिर से होने का भय बना रहता है। इसलिए पथरी निकालने के बाद भी रोगी कभी-कभी इसका सेवन करते रहें। कुलथी पथरी में अमृत के समान है।

पथरी के रोगी टमाटर, चावल व पालक नहीं खाएं।

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